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Job

Job 1

Job 1:1-4

अय्यूब का चरित्र चित्रण कैसा किया गया है?

वह निर्दोष और सीधा था और परमेश्वर का भय मानता और बुराई से दूर रहता था।

Job 1:5-7

उसके पुत्र एक दूसरे के पास अपनी बहनों के संग खाने पीने जाया करते थे तब अय्यूब क्या करता था?

अय्यूब उन्हें परमेश्वर के लिए पवित्र करता, होमबलि चढ़ाता और उनके लिए प्रार्थना करता था।

Job 1:8-9

परमेश्वर ने शैतान से क्यों कहा कि वह अय्यूब ध्यान दे?

पृथ्वी भर में अय्यूब के तुल्य खरा और सीधा और परमेश्वर का भय मानने वाला और बुराई से दूर रहने वाला मनुष्य और कोई नहीं था।

Job 1:10

शैतान ने अय्यूब की रक्षा के बारे में यहोवा से क्या कहा?

शैतान ने कहा कि परमेश्वर ने उसकी और उसके घर की और जो कुछ उसका था उसके चारों ओर बाड़ा बांध रखा था।

Job 1:11

शैतान के विचार में अय्यूब कब परमेश्वर की निन्दा करेगा?

शैतान ने परमेश्वर से कहा कि वह अय्यूब की सम्पदा को नष्ट कर दे तब वह मुंह पर उसकी निंदा करेगा।

Job 1:12-13

यहोवा ने शैतान को किस काम की अनुमति दे दी?

यहोवा ने शैतान को अनुमति दे दी कि वह अय्यूब की सम्पदा को हर ले परन्तु उसके शरीर को न छुए।

Job 1:14

अय्यूब के सेवक ने आकर शबा के लोगों के बारे में उसे क्या अशुभ समाचार सुनाया?

शबा के लोगों ने आक्रमण करके अय्यूब के लोगों को मार डाला और उसके बैल और गधे लूटकर ले गए।

Job 1:15

अय्यूब के सेवक ने आकर शबा के लोगों के बारे में उसे क्या अशुभ समाचार सुनाया?

शबा के लोगों ने आक्रमण करके अय्यूब के लोगों को मार डाला और उसके बैल और गधे लूटकर ले गए।

Job 1:16

दूसरे सेवक ने आकर क्या समाचार सुनाया?

आकाश से परमेश्वर की आग गिरी और उसकी भेड़-बकरियां तथा सेवक सब जलकर भस्म हो गए।

Job 1:17

तीसरे सेवक ने आकर उसके ऊंटों के बारे में क्या कहा?

कसदियों के तीन दलों ने धावा करके उसके सेवकों को मार डाला और ऊंटों को ले गए।

Job 1:18

चौथा सेवक अय्यूब के पास कैसा समाचार लाया?

अय्यूब के पुत्र-पुत्रियां एक भाई के घर में खा पी रहे थे कि प्रचण्ड वायु से उनका घर गिर गया और वे सब दब कर मर गए।

Job 1:19

चौथा सेवक अय्यूब के पास कैसा समाचार लाया?

अय्यूब के पुत्र-पुत्रियां एक भाई के घर में खा पी रहे थे कि प्रचण्ड वायु से उनका घर गिर गया और वे सब दब कर मर गए।

Job 1:20

अशुभ सन्देश सुनकर अय्यूब ने क्या किया?

अय्यूब ने अपना बागा फाड़ा और सिर मुंडाकर भूमि पर गिरा और परमेश्वर को दण्डवत् किया।

Job 1:21

इन दुर्घटनाओं के बाद अय्यूब ने अपनी परिस्थिति के बारे में क्या कहा?

अय्यूब ने कहा, मैं अपनी मां के पेट से नंगा निकला और वहीं नंगा लौट जाऊंगा।

अय्यूब ने यहोवा ने जो उसके साथ किया के बारे में क्या कहा?

अय्यूब ने कहा कि यहोवा ने दिया और यहोवा ही ने ले लिया।

Job 1:22

अय्यूब ने कैसे प्रकट किया कि वह मूर्ख नहीं है?

अय्यूब ने न तो पाप किया और न परमेश्वर पर मूर्खता से दोष लगाया।

Job 2

Job 2:1

परमेश्वर के पुत्र उसके सामने उपस्थित हुए तब कौन उनके साथ आया था?

उनके बीच शैतान भी उनके साथ उपस्थित हुआ।

Job 2:2

शैतान ने परमेश्वर से क्या कहा कि वह कर रहा था?

उसने कहा कि वह इधर-उधर घूमते फिरते और डोलते-डालते आया है।

Job 2:3-4

यहोवा ने शैतान के समक्ष अय्यूब की कैसी प्रशंसा की?

अय्यूब जैसा धर्मपरायण जन पृथ्वी पर अन्य कोई नहीं है।

Job 2:5-6

अब शैतान क्या करना चाहता था कि अय्यूब परमेश्वर पर दोष लगाए?

शैतान उसके मांस और हड्डियों को नुकसान पहुंचाना चाहता था।

Job 2:7

शैतान ने अय्यूब की देह पर कैसा वार किया?

शैतान ने उसके शरीर पर पांव के तलवे से सिर की चोटी तक बड़े-बड़े फोड़ों से पीड़ित किया।

Job 2:8

अपनी पीड़ा के कारण अय्यूब ने क्या किया?

वह खुजलाने के लिए एक ठीकरा लेकर राख पर बैठ गया।

Job 2:9

अय्यूब की पत्नी ने उससे क्या करने को कहा?

अय्यूब की पत्नी ने उससे कहा कि वह परमेश्वर की निन्दा करे और मर जाए।

Job 2:10

अय्यूब ने अपनी पत्नी को क्या उत्तर दिया?

अय्यूब ने उसकी इस सोच के लिए उसे दोष दिया और कहा कि उन्हें परमेश्वर के हाथ से सुख तो लेना है पर दुख नहीं।

Job 2:11

अय्यूब के तीन मित्रों ने उसकी इस विपत्ति का समाचार सुनकर क्या किया?

उसके साथ विलाप करने और उसे शान्ति देने उसके पास आए।

Job 2:12

अय्यूब के उन तीन मित्रों ने उसे देखकर अपना दुख कैसे प्रकट किया?

वे चिल्ला कर रो पड़े और अपना-अपना बागा फाड़ा और आकाश की ओर धूल उठाकर अपने-अपने सिर पर डाली, तब वे सात दिन और सात रात उसके संग भूमि पर बैठे रहे।

Job 2:13

अय्यूब के उन तीन मित्रों ने उसे देखकर अपना दुख कैसे प्रकट किया?

वे चिल्ला कर रो पड़े और अपना-अपना बागा फाड़ा और आकाश की ओर धूल उठाकर अपने-अपने सिर पर डाली, तब वे सात दिन और सात रात उसके संग भूमि पर बैठे रहे।

Job 3

Job 3:1

अय्यूब ने अपने जन्म के दिन को क्या कहा?

उसने उस दिन को शाप दिया और कहा कि उसका नाश हो।

Job 3:2

अय्यूब ने अपने जन्म के दिन को क्या कहा?

उसने उस दिन को शाप दिया और कहा कि उसका नाश हो।

Job 3:3-4

अय्यूब ने अपने जन्म के दिन को क्या कहा?

उसने उस दिन को शाप दिया और कहा कि उसका नाश हो।

Job 3:5

अय्यूब अपने जन्म के दिन के लिए क्या चाहता था?

वह उस दिन को अंधकार और मृत्यु की छाया से घिरा हुआ चाहता था।

Job 3:6-10

अय्यूब उस रात के विषय क्या चाहता था जब वह गर्भ में आया?

वह उस रात को घोर अंधकार में बंधा देखना चाहता था।

Job 3:11-12

अय्यूब ने अपने जन्म के समय के लिए क्या कामना की?

उसने जन्मते ही अपने प्राण त्यागने की कामना की।

Job 3:13

अय्यूब ने कहा कि वह जन्मते ही मर गया होता तो क्या कर रहा होता?

वह सोता रहता और विश्राम करता रहता और पृथ्वी के राजाओं और मंत्रियों के साथ रहता।

Job 3:14-17

अय्यूब ने कहा कि वह जन्मते ही मर गया होता तो क्या कर रहा होता?

वह सोता रहता और विश्राम करता रहता और पृथ्वी के राजाओं और मंत्रियों के साथ रहता।

Job 3:18

मृत्यु द्वारा बन्दी और दास को किससे मुक्ति मिलती है?

बन्दी अपने परिश्रम कराने वाले का शब्द नहीं सुनता और दास अपने स्वामी से स्वतंत्र रहता।

Job 3:19-20

मृत्यु द्वारा बन्दी और दास को किससे मुक्ति मिलती है?

बन्दी अपने परिश्रम कराने वाले का शब्द नहीं सुनता और दास अपने स्वामी से स्वतंत्र रहता।

Job 3:21-23

अय्यूब किसके लिए कहता है कि उसे मृत्यु नहीं आएगी?

जो मृत्यु की बाट जोहता है और गढ़े हुए धन से अधिक उसकी खोज में रहता है उसे मृत्यु नहीं आती है।

Job 3:24-25

अय्यूब अपने विलाप की तुलना किससे करता है?

उसका विलाप धारा के समान बहता रहता है।

Job 3:26

अय्यूब किस डरावनी बात से डरता था जो उस पर आ पड़ी थी?

उसे न तो चैन, न शान्ति, न विश्राम मिल रहा था।

Job 4

Job 4:3-5

एलीपज अय्यूब की कौन सी अच्छी बातों की चर्चा करता है?

उसने बहुतों को शिक्षा दी और निर्बल लोगों को बलवन्त किया था।

Job 4:6-7

एलीपज के अनुसार अय्यूब के लिए कष्टों में आशा और विश्वास क्या है?

परमेश्वर का भय उसका विश्वास (आसरा) और उसका खरा चाल-चलन उसकी आशा है।

Job 4:8

परमेश्वर की सांस से और उसके क्रोध से कौन नष्ट और भस्म होते हैं?

जो पाप को जोतते और दुख को बोते हैं, नष्ट हो जाते, भस्म हो जाते हैं।

Job 4:9

परमेश्वर की सांस से और उसके क्रोध से कौन नष्ट और भस्म होते हैं?

जो पाप को जोतते और दुख को बोते हैं, नष्ट हो जाते, भस्म हो जाते हैं।

Job 4:10-11

एलीपज किसके लिए कहता है कि तोड़े जाते हैं?

हिंसक सिंह का दहाड़ना बन्द हो जाता है और जवान सिंहों के दांत तोड़े जाते हैं।

Job 4:12

एलीपज के पास कोई गुप्त बात कैसे पहुंचाई गई?

उसके कान में भनक पड़ी और उसने रात में दर्शन देखा।

Job 4:13

एलीपज के पास कोई गुप्त बात कैसे पहुंचाई गई?

उसके कान में भनक पड़ी और उसने रात में दर्शन देखा।

Job 4:14-16

सन्देश सुनकर एलीपज के साथ क्या हुआ?

उसे ऐसी थरथराहट और कंपकंपी लगी कि उसकी सब हड्डियां तक हिल उठीं।

Job 4:17-18

उस वाणी ने नश्चर मनुष्य के बारे में क्या पूछा?

क्या नाशमान मनुष्य परमेश्वर से अधिक धर्मी हो सकता है? क्या मनुष्य अपने सृजनहार से अधिक पवित्र हो सकता है?

Job 4:19-21

एलीपज नश्वर मनुष्यों का वर्णन कैसे करता है?

वे मिट्टी के घरों में रहते हैं, उनकी नींव मिट्टी में डाली गई है, वे पतंगे के समान पिस जाते हैं।

Job 5

Job 5:2-3

एलीपज मूर्ख और भोले मनुष्यों के लिए क्या कहता है?

मूर्ख क्रोध के कारण और भोला मनुष्य जलते-जलते मर मिटता है।

Job 5:4-6

मूर्ख की संतान का फाटक पर क्या होता है?

वे फाटक में पीसे जाते हैं।

Job 5:7-9

कष्ट कहां से आते हैं?

मनुष्य अपने कष्ट स्वयं उत्पन्न करता है।

Job 5:10-11

परमेश्वर पृथ्वी और खेतों को क्या देता है?

परमेश्वर पृथ्वी पर वर्षा और खेतों पर जल बरसाता है।

Job 5:12-14

परमेश्वर धूर्तों की युक्तियों का क्या करता है?

परमेश्वर धूर्तों की युक्तियों को व्यर्थ कर देता है और उनके हाथों से कुछ भी बन नहीं पड़ता।

Job 5:15-17

परमेश्वर दरिद्रों और कंगालों को किस से बचाता है?

परमेश्वर दरिद्रों को उनके वचन रूपी तलवार से और कंगालों को बलवानों के हाथ से बचाता है।

Job 5:18-21

परमेश्वर जिस मनुष्य को घायल करता और मारता है वह धन्य क्यों है?

ऐसा मनुष्य धन्य है क्योंकि वह घायल करता है तो पट्टी भी बांधता है और मारता है तो अपने हाथों से चंगा भी करता है।

Job 5:22-23

परमेश्वर द्वारा प्रताड़ित मनुष्य किस पर हंसेगा?

वह विनाश और अकाल पर हंसेगा।

Job 5:24-25

परमेश्वर द्वारा प्रताड़ित मनुष्य अपने निवास में क्या देखेगा?

वह अपने निवास में कुछ भी खोया हुआ नहीं देखेगा।

Job 5:26-27

परमेश्वर जिसकी ताड़ना करता है वह कितने दिन जीवित रहेगा?

वह पूरी आयु का होकर अपनी कब्र को पहुंचेगा।

Job 6

Job 6:2

अय्यूब अपनी विपत्तियों और अपने खेद का वर्णन कैसे करता है?

उसका खेद और विपत्तियां तोली जाएं तो वे समुद्र की बालू से भी भारी ठहरेंगी।

Job 6:3

अय्यूब अपनी विपत्तियों और अपने खेद का वर्णन कैसे करता है?

उसका खेद और विपत्तियां तोली जाएं तो वे समुद्र की बालू से भी भारी ठहरेंगी।

Job 6:4-5

परमेश्वर ने अपने तीरों से अय्यूब का क्या किया?

उसके तीर उसके शरीर में चुभ गए और उनका विष उसकी आत्मा में पैठ गया है।

Job 6:6-7

अय्यूब किस वस्तु को स्वाद रहित बताता है?

वह अंडे की सफेदी को स्वादरहित बताता है।

Job 6:8

अय्यूब परमेश्वर से क्या चाहता है?

वह चाहता है कि परमेश्वर उसका जीवन कुचल डाले और काट डाले।

Job 6:9

अय्यूब परमेश्वर से क्या चाहता है?

वह चाहता है कि परमेश्वर उसका जीवन कुचल डाले और काट डाले।

Job 6:10-12

अय्यूब के लिए शान्ति का कारण क्या था?

उसके लिए शान्ति का कारण था कि उसने पवित्र परमेश्वर के वचनों का कभी इंकार नहीं किया।

Job 6:13

अय्यूब से क्या दूर हो गया?

उससे काम करने की शक्ति दूर हो गई थी।

Job 6:14

मित्र किसके प्रति विश्वासयोग्यता दर्शाए?

मित्र उस व्यक्ति को अपनी विश्वासयोग्यता दिखाए जो मूर्छित होने पर है।

Job 6:15

अय्यूब अपने भाइयों की तुलना सूखे नाले से कैसे करता है?

जब गरमी होने लगती है तब उनकी धारायें लोप हो जाती हैं और जब कड़ी धूप पड़ती है तब वे अपनी जगह से उड़ जाते हैं।

Job 6:16

अय्यूब अपने भाइयों की तुलना सूखे नाले से कैसे करता है?

जब गरमी होने लगती है तब उनकी धारायें लोप हो जाती हैं और जब कड़ी धूप पड़ती है तब वे अपनी जगह से उड़ जाते हैं।

Job 6:17

अय्यूब अपने भाइयों की तुलना सूखे नाले से कैसे करता है?

जब गरमी होने लगती है तब उनकी धारायें लोप हो जाती हैं और जब कड़ी धूप पड़ती है तब वे अपनी जगह से उड़ जाते हैं।

Job 6:18

जब काफिले वालों ने उसमें पानी खोजा तब क्या हुआ?

वे सुनसान स्थानों में भटकते और नाश होते हैं। उनके मुंह सूख गए और वे लज्जित हुए।

Job 6:19

जब काफिले वालों ने उसमें पानी खोजा तब क्या हुआ?

वे सुनसान स्थानों में भटकते और नाश होते हैं। उनके मुंह सूख गए और वे लज्जित हुए।

Job 6:20

जब काफिले वालों ने उसमें पानी खोजा तब क्या हुआ?

वे सुनसान स्थानों में भटकते और नाश होते हैं। उनके मुंह सूख गए और वे लज्जित हुए।

Job 6:21-23

अय्यूब के मित्र उसके लिए निकम्मे क्यों ठहरे?

क्योंकि उसकी विपत्ति देखकर वे डर गए थे।

Job 6:24-25

यदि उसके मित्र उसे शिक्षा दें तो अय्यूब क्या करेगा?

वह चुप रहेगा।

Job 6:26-28

अय्यूब अपने मित्रों के लिए क्या कहता है कि वह कुछ बोलेगा तो वे क्या करेंगे?

वे उसके वचनों को वायु समझकर अनसुना करेंगे।

Job 6:29-30

अय्यूब क्यों कहता है कि उसके मित्र अपनी बातों में कठोरता क्यों कम करें?

क्योंकि उसका धर्म ज्यों का त्यों बना है, वह सत्य पर है।

Job 7

Job 7:2

अय्यूब अपने अनर्थ के महीनों और क्लेश भरी रातों की तुलना किससे करता है?

वह उनकी तुलना संध्या की अभिलाषा करने वाले दास और मजदूरी की आशा करने वाले दास से करता है।

Job 7:3-4

अय्यूब अपने अनर्थ के महीनों और क्लेश भरी रातों की तुलना किससे करता है?

वह उनकी तुलना संध्या की अभिलाषा करने वाले दास और मजदूरी की आशा करने वाले दास से करता है।

Job 7:5

अय्यूब की देह किससे ढकी हुई थी?

उसकी देह कीड़ों और मिट्टी से ढकी हुई थी।

Job 7:6-8

अय्यूब अपने दिनों की तुलना किससे करता है?

अय्यूब अपने दिनों की तुलना जुलाहे की ढरकी से करता कि वे उससे भी अधिक फुर्ती से चलने वाले हैं।

Job 7:9-10

अय्यूब अधोलोक में उतरने वाले की तुलना किससे करता है?

वह मनुष्य उस बादल के समान है जो छटकर लोप हो जाता है।

Job 7:11-13

अय्यूब किस प्रकार कहेगा और कुड़कुड़ाता रहेगा?

वह अपने मन का खेद खोद कर कहेगा और अपने जीव की कड़वाहट के कारण कुड़कुड़ाता रहेगा।

Job 7:14-15

जब अय्यूब सोने जाता है तब परमेश्वर उसके साथ क्या करता है?

वह उसे स्वप्नों में घबरा देता है और दर्शनों में भयभीत कर देता है।

Job 7:16-18

अय्यूब क्यों चाहता है कि परमेश्वर उसे छोड़ दे?

क्योंकि उसका जीवन व्यर्थ है।

Job 7:19-20

अय्यूब कितनी देर के लिए चाहता था कि परमेश्वर उसे अकेला छोड़ दे?

परमेश्वर उसे अपना थूक निगलने तक के लिए अकेला छोड़ दे।

Job 7:21

अय्यूब के विचार में परमेश्वर क्या नहीं करेगा?

वह सोचता था कि परमेश्वर उसका अपराध क्षमा नहीं करेगा और उसका अधर्म दूर नहीं करेगा।

Job 8

Job 8:2-3

बिल्दद ने अय्यूब के वचनों की तुलना किससे की थी?

बिल्दद ने उसके वचनों की तुलना प्रचंड वायु से की थी।

Job 8:4-5

बिल्दद ने कैसे प्रकट किया कि वह जानता था कि अय्यूब की संतान ने पाप किया था?

बिल्दद ने कहा कि अय्यूब के बच्चों ने पाप किया और परमेश्वर ने उनको उनके पाप का फल भुगताया।

Job 8:6-8

बिल्दद के अनुसार यदि अय्यूब निर्मल और धर्मी रहता तो परमेश्वर उसे कैसे आशिष देता?

वह उसके निवास को ज्यों का त्यों कर देता।

Job 8:9-10

बिल्दद हमारे जीवन के दिनों की तुलना किससे करता है?

वह जीवन के दिनों की तुलना छाया से करता है।

Job 8:11-13

कछार और सरकंडे बढ़ने के लिए क्या चाहिए?

कछार को दलदल और सरकंडे को पानी चाहिए।

Job 8:14-16

भक्तिहीन के भरोसे की तुलना बिल्दद किससे करता है?

बिल्दद कहता है कि भक्तिहीन का भरोसा मकड़ी के जाल का सा होता है।

Job 8:17-19

परमेश्वर का त्याग करने वाले मनुष्य को दर्शाने वाली जड़ें क्या करती हैं?

उसकी जड़ कंकड़ों के ढेर में लिपटी रहती हैं और वह पत्थर के स्थान को देख लेता है।

Job 8:20

परमेश्वर खरे मनुष्य के साथ और बुराई करने वाले के साथ भिन्न व्यवहार कैसे करता है?

उपरमेश्वर न तो खरे मनुष्य को निकम्मा जानकर छोड़ देता है और न बुराई करने वाले को संभालता है।

Job 8:21-22

परमेश्वर खरे मनुष्य के मुख और होंठों में क्या भर देता है?

वह उसके मुख को हंसी से और उसके होंठों को जयजयकार से भर देता है।

Job 9

Job 9:3-4

परमेश्वर से विवाद करने वाले मनुष्य का क्या होगा?

वह परमेश्वर की हजार बातों में से एक का भी उत्तर न दे पाएगा।

Job 9:5-7

परमेश्वर जब क्रोधित होता है तब पर्वतों के साथ क्या करता है?

वह पर्वतों को अचानक हटा देता है और उन्हें पता भी नहीं लगता, वह उन्हें उलट-पुलट कर देता है।

Job 9:8-10

परमेश्वर किस पर चलता है?

वह समुद्र की ऊंची-ऊंची लहरों पर चलता है।

Job 9:11-14

क्या अय्यूब परमेश्वर को देख सकता था?

परमेश्वर उसके सामने से होकर तो चलता था परन्तु उसको नहीं दिखाई पड़ता था।

Job 9:15-16

चाहे अय्यूब निर्दोष भी होता तौभी वह परमेश्वर से कैसे बात करता?

अय्यूब केवल गिड़गिड़ाकर ही विनती कर सकता था।

Job 9:17-19

अय्यूब को ऐसा क्यों लगता था कि परमेश्वर उसे चोट पर चोट लगाता था?

अय्यूब को लगता था कि परमेश्वर उसे बिना कारण चोट पर चोट लगाता था।

Job 9:20-21

अय्यूब के लिए क्या धर्मी और सिद्ध होना संभव था?

नहीं, उसका मुख फिर भी उसे दोषी और कुटिल ठहराएगा।

Job 9:22-25

अय्यूब के विचार में परमेश्वर धर्मी और दुष्ट के साथ अलग-अलग व्यवहार क्यों करता है?

अय्यूब कहता है कि परमेश्वर खरे और दुष्ट दोनों का नाश करता है।

Job 9:26

अय्यूब अपने दिनों की तुलना कौन सी तीन बातों से करता है?

उसके दिन हरकारे से भी अधिक वेग से, सरकंडे की बनावों के समान तेजी से और आहेर पर झपटते हुए उकाब के समान चले जाते हैं।

Job 9:27

अय्यूब ने क्यों कहा कि वह भूल जाए तो व्यर्थ होगा?

क्योंकि वह जानता था कि परमेश्वर उसे निर्दोष नहीं ठहराएगा।

Job 9:28

अय्यूब ने क्यों कहा कि वह भूल जाए तो व्यर्थ होगा?

क्योंकि वह जानता था कि परमेश्वर उसे निर्दोष नहीं ठहराएगा।

Job 9:29-32

अय्यूब ने क्यों कहा कि वह भूल जाए तो व्यर्थ होगा?

क्योंकि वह जानता था कि परमेश्वर उसे निर्दोष नहीं ठहराएगा।

Job 9:33

अय्यूब किस बात के लिए कहता है कि कोई बिचवई नहीं कर पाएगा?

ऐसा कोई बिचवई नहीं है जो अय्यूब और परमेश्वर दोनों पर हाथ रखे।

Job 9:34-35

अय्यूब क्या कहता है कि कोई बिचवई नहीं कर सकता?

वह कहता है कि ऐसा कोई बिचवई नहीं जो परमेश्वर का सोंटा अय्यूब से दूर करे और परमेश्वर की भय दिखाने वाली बात उससे दूर करे।

Job 10

Job 10:2-3

अय्यूब क्यों चाहता था कि परमेश्वर उसे मात्र दोषी ठहराने की अपेक्षा उसे दिखाए?

अय्यूब चाहता था कि परमेश्वर उसे दिखाए कि उसे दोषी क्यों ठहराया है।

Job 10:4-5

अय्यूब परमेश्वर से कैसी आंखों के बारे में पूछता है?

वह परमेश्वर से पूछता है कि उसकी आंखें क्या देहधारियों की सी हैं और क्या उसका देखना मनुष्यों का सा है।

Job 10:6-7

अय्यूब क्या कहता है कि परमेश्वर ढूंढ रहा है और पूछ रहा है?

वह उसका अधर्म ढूंढता और उसके पाप पूछता है।

Job 10:8-10

परमेश्वर के हाथों ने अय्यूब के लिए क्या किया था?

परमेश्वर ने अपने हाथों से अय्यूब को ठीक रचा और जोड़ कर बनाया था।

Job 10:11

परमेश्वर ने अय्यूब पर क्या चढ़ाया था?

परमेश्वर ने अय्यूब पर चमड़ा और मांस चढ़ाया था।

Job 10:12-13

परमेश्वर ने अय्यूब पर कैसा उपकार किया?

परमेश्वर ने उसे जीवन दिया और उसके साथ वाचा की विश्वासयोग्यता दिखाई।

Job 10:14-15

यदि अय्यूब पाप करे तो परमेश्वर क्या करेगा?

परमेश्वर उससे पाप का लेखा लेगा और अधर्म करने पर उसे निर्दोष न ठहराएगा।

Job 10:16

यदि अय्यूब सिर उठाए तो परमेश्वर क्या करेगा?

परमेश्वर सिंह के समान उसका अहेर करता है।

Job 10:17

अय्यूब के साथ जो हो रहा है उसके लिए परमेश्वर उसके विरूद्ध क्या लाता है?

वह उसके सामने नए-नए साक्षी ले आता है।

Job 10:18-20

अय्यूब किस बात की कामना करता है?

अय्यूब कामना करता है कि वह माता के गर्भ में ही प्राण त्याग देता कि कोई उसे देख ही नहीं पाता।

Job 10:21-22

अय्यूब कहां जा रहा है जहां से फिर लौटने न पाएगा?

वह मृत्यु के अंधकार के देश में जा रहा है जहां अंधकार ही अंधकार है।

Job 11

Job 11:3-5

सोपर के विचार में अय्यूब ने उनके आदेशों का क्या किया?

सोपर के विचार में अय्यूब ने उन के आदेशों का ठट्ठा किया था।

Job 11:6

सोपर के अनुसार परमेश्वर ने अय्यूब से कितना लेखा लिया?

उसने कहा कि परमेश्वर ने उसके अपराध की तुलना में कम लेखा लिया था।

Job 11:7

सोपर के विचार में क्या अय्यूब के लिए परमेश्वर का समझना संभव था?

सोपर के विचार में यह संभव नहीं क्योंकि परमेश्वर आकाश से ऊंचा, अधोलोक से गहरा, पृथ्वी से लंबा और समुद्र से चौड़ा है।

Job 11:8

सोपर के विचार में क्या अय्यूब के लिए परमेश्वर का समझना संभव था?

सोपर के विचार में यह संभव नहीं क्योंकि परमेश्वर आकाश से ऊंचा, अधोलोक से गहरा, पृथ्वी से लंबा और समुद्र से चौड़ा है।

Job 11:9

सोपर के विचार में क्या अय्यूब के लिए परमेश्वर का समझना संभव था?

सोपर के विचार में यह संभव नहीं क्योंकि परमेश्वर आकाश से ऊंचा, अधोलोक से गहरा, पृथ्वी से लंबा और समुद्र से चौड़ा है।

Job 11:10

सोपर क्या ऐसा सोचता है कि परमेश्वर को रोक लेना किसी के लिए संभव हो सकता है?

परमेश्वर को रोक लेना असंभव है क्योंकि वह झूठे मनुष्यों को जानता है और अपराध पर दृष्टि रखता है।

Job 11:11

सोपर क्या ऐसा सोचता है कि परमेश्वर को रोक लेना किसी के लिए संभव हो सकता है?

परमेश्वर को रोक लेना असंभव है क्योंकि वह झूठे मनुष्यों को जानता है और अपराध पर दृष्टि रखता है।

Job 11:12-15

सोपर के अनुसार मूर्ख मनुष्यों में समझ कब होगी?

उनमें समझ तब होगी जब जंगली गदहा मनुष्य के बच्चे को जन्म देगा।

Job 11:16-17

सोपर कहता है कि अय्यूब अपने अनर्थ के काम को दूर करेगा तब उसके दुखों का क्या होगा?

वह अपना दुख भूल जाएगा और जब स्मरण करेगा तो उसे ऐसे लगेगा जैसे पानी बह गया है।

Job 11:18-19

यदि अय्यूब अपने अनर्थ के काम दूर कर दे तो वह सुरक्षित क्यों हो जाएगा?

उसे आशा होगी इस कारण वह सुरक्षित (निर्भय) हो जाएगा।

Job 11:20

सोपर कहता है कि दुष्टों के लिए एक ही आशा है, वह क्या है?

उनकी एक ही आशा होती है कि उनका प्राण निकल जाए।

Job 12

Job 12:3

अय्यूब अपने मित्रों के साथ अपनी तुलना कैसे करता है?

उसमें भी इतनी समझ है जितनी उसके मित्रों में है और वह उनसे कुछ कम नहीं है।

Job 12:4-6

अय्यूब के पड़ोसी अब उसके साथ कैसा व्यवहार करते हैं?

वे अब उस पर हंसते हैं।

Job 12:7

अय्यूब के मित्रों को कौन शिक्षा दे सकता है?

पशु, आकाश के पक्षी, पृथ्वी और समुद्री मछलियां उन्हें सिखाएंगी।

Job 12:8

अय्यूब के मित्रों को कौन शिक्षा दे सकता है?

पशु, आकाश के पक्षी, पृथ्वी और समुद्री मछलियां उन्हें सिखाएंगी।

Job 12:9-11

सब पशु-पक्षी क्या जानते हैं?

वे भी जानते हैं कि उनका जीवनदाता यहोवा ही है।

Job 12:12-14

अय्यूब बूढ़ों और समझ के बारे में क्या कहता है?

अय्यूब कहता है कि बूढ़ों में बुद्धि पाई जाती है, और लंबी आयु वालों में समझ होती है।

Job 12:15-17

यहोवा पानी के साथ क्या करता है?

वह वर्षा रोक लेता है तो जल सूख जाता है और जब वह जल छोड़ देता है तो पृथ्वी उलट जाती है।

Job 12:18-19

परमेश्वर राजाओं से क्या ले लेता है?

वह राजाओं का अधिकार तोड़कर उनकी कमर को बंधन से जकड़ता है।

Job 12:20-22

परमेश्वर विश्वासयोग्य पुरूषों से और पुरनियों के साथ क्या करता है?

अय्यूब कहता है कि परमेश्वर विश्वासयोग्य पुरूषों के बोलने की शक्ति और पुरनियों के विवेक की समझ हर लेता है।

Job 12:23

परमेश्वर जातियों के साथ क्या करता है?

अय्यूब कहता है कि परमेश्वर जातियों को बढ़ाता, और उनको नष्ट करता है, वह उनको फैलाता और बन्धुआई में ले जाता है

Job 12:24-25

परमेश्वर पृथ्वी के मुख्य लोगों की बुद्धि उड़ा देता है तब क्या होता है?

वह उन्हें निर्जन स्थानों में, जहां रास्ता नहीं, भटकाता है।

Job 13

Job 13:2

अय्यूब अपने ज्ञान के बारे में अपने मित्रों से क्या कहता है?

अय्यूब अपने मित्रों से कहता है कि जितना वे जानते हैं उतना वह भी जानता है, वो उनसे कम नहीं है।

Job 13:3-4

अपने मित्रों की अपेक्षा अय्यूब किससे बात करना चाहता है और क्यों?

अय्यूब कहता है कि उसके मित्रों से तो बात करने से अच्छा है कि वह परमेश्वर से बात करे क्योंकि उसकी अभिलाषा है कि वह परमेश्वर से वाद विवाद करे।

Job 13:5

अय्यूब कहता है कि उसके मित्र सच्चाई के साथ क्या करते है?

अय्यूब कहता है कि उसके मित्र सच्चाई को झूठी बात में गढ़ने वाले हैं।

Job 13:6-9

अय्यूब क्या चाहता है कि उसके मित्र सुनें?

वह चाहता है कि वे उसकी बहस की ओर कान लगाएं।

Job 13:10-11

यदि अय्यूब के मित्र परमेश्वर के समक्ष पक्षपात करें तो क्या परमेश्वर उनका अनुमोदन करेगा?

नहीं, यदि वे उसके साथ पक्षपात करें तो वह उन्हें डांटेगा।

Job 13:12

अपने मित्रों के उपदेशों और प्रतिवादों के बारे में अय्यूब की क्या राय थी?

उनके उपदेश राख के समान और उनके प्रतिवाद मिट्टी के गढ़ के सदृश्य थे।

Job 13:13-15

अय्यूब कुछ कहना चाहता है अत: उसके मित्र क्या करें?

अय्यूब कहता है कि वो अपनी शांति रखें और उसे अकेला छोड़ दे।

Job 13:16-17

अय्यूब क्यों सोचता है कि वह निर्दोष ठहराया जाएगा?

क्योंकि भक्तिहीन जन परमेश्वर के समक्ष नहीं जा सकता है।

Job 13:18-20

अय्यूब ने किस बात की तैयारी कर ली थी?

उसने अपनी प्रतिरक्षा की तैयारी कर ली थी।

Job 13:21-23

अय्यूब क्या चाहता है कि परमेश्वर उससे दूर कर ले?

अय्यूब चाहता था कि परमेश्वर उसकी ताड़ना दूर कर दे।

Job 13:24-27

परमेश्वर अय्यूब के साथ कैसा व्यवहार कर रहा था?

परमेश्वर अय्यूब के साथ शत्रु का व्यवहार कर रहा था।

Job 13:28

अय्यूब अपनी तुलना किससे करता है?

अय्यूब अपनी तुलना सड़ी गली वस्तु से करता है वरन् कीड़े खाए वस्त्र से करता है।

Job 14

Job 14:2-4

अय्यूब कैसे कह सकता है कि मनुष्य फूल के समान है?

मनुष्य फूल के समान खिलता है फिर तोड़ा जाता है।

Job 14:5-6

मनुष्य का जीवन काल कौन निश्चित करता है?

परमेश्वर ने मनुष्य के दिन नियुक्त कर दिए हैं और उसके महीनों के गिनती उसके पास लिखी है।

Job 14:7-11

कट कर गिराए हुए वृक्ष के विषय अय्यूब क्या कहता है?

वृक्ष काट कर भी गिरा दिया जाए तौभी उसके पनपने की आशा होती है।

Job 14:12

क्या अय्यूब कहता है कि मनुष्य पुनर्जीवित होगा?

वह कहता है कि मनुष्य फिर न उठेगा, और न उसकी नींद टूटेगी।

Job 14:13-16

अय्यूब की कामना है कि परमेश्वर उसे कहां छिपा ले?

अय्यूब की कामना है कि परमेश्वर उसे सब कष्टों से दूर अधोलोक में छिपा ले।

Job 14:17-18

यदि परमेश्वर का क्रोध ठंडा हो जाए तो वह अय्यूब के पापों और अपराधों के साथ कैसा व्यवहार करेगा?

परमेश्वर ने उसके अपराध मुहर बन्द थैली में रखे और उसके अधर्म को सी रखा है।

Job 14:19

पानी धीरे-धीरे कैसा अद्भुत काम कर सकता है?

जल पत्थर को घिस देता है।

Job 14:20-22

मृतक के पुत्रों का सम्मान हो या अपमान उस पर कैसा प्रभाव पड़़ता है?

उसके पुत्रों की बड़ाई होती है, और यह उसे नहीं सूझता;  और उनकी घटी होती है, परन्तु वह उनका हाल नहीं जानता।

Job 15

Job 15:2-3

बुद्धिमान अपने को किससे न भरे?

वह अपने को पूरबी पवन से न भरे।

Job 15:4-8

एलीपज के विचार में अय्यूब की बातें परमेश्वर का अपमान कैसे हैं?

उसे ऐसा लगता है कि अय्यूब परमेश्वर का भय नहीं मानता और उसकी बातें औरों से परमेश्वर पर से ध्यान छुड़ाती हैं।

Job 15:9

एलीपज ऐसा क्यों सोचता है कि जो अय्यूब जानता है वह उसके मित्र नहीं जानते?

उसके विचार में ऐसा कुछ नहीं जो अय्यूब जानता है और वे नहीं जानते या उसमें ऐसी कौन सी समझ है जो उनमें नहीं।

Job 15:10-12

एलीपज किसके लिए कहता है कि वे उनसे सहमत है?

वे जो पके बाल वाले अति पुरनियें हैं और उसके पिता से भी अधिक आयु के हैं, उनसे सहमत हैं।

Job 15:13-14

एलीपज के विचार में अय्यूब की आत्मा की दशा कैसी है?

एलीपज कहता है कि अय्यूब की आत्मा परमेश्वर की विरोधी है।

Job 15:15-16

परमेश्वर की दृष्टि में उसके पवित्र जन और स्वर्ग कैसे हैं?

एलीपज कहता है कि परमेश्वर की दृष्टि में पवित्र जन भी विश्वास के योग्य नहीं और स्वर्ग भी निर्मल नहीं।

Job 15:17

एलीपज अय्यूब से जो कहने जा रहा है उसे कहां से प्राप्त हुआ?

जो कुछ उसने देखा है वे बुद्धिमानों ने अपने पुरखाओं से सुनकर बिना छिपाए बताई है।

Job 15:18-20

एलीपज अय्यूब से जो कहने जा रहा है उसे कहां से प्राप्त हुआ?

जो कुछ उसने देखा है वे बुद्धिमानों ने अपने पुरखाओं से सुनकर बिना छिपाए बताई है।

Job 15:21

नाश करने वाला दुष्ट मनुष्य पर कब आ पड़ता है?

नाश करने वाला कुशल के समय आ पड़ता है।

Job 15:22-25

दुष्ट की घात में कौन रहती है?

तलवार दुष्ट की घात में रहती है।

Job 15:26-27

दुष्ट परमेश्वर के विरूद्ध क्या करता है?

दुष्ट सिर उठाकर अपनी मोटी-मोटी ढालें दिखाता हुआ घमंड से उस पर धावा करता है।

Job 15:28-29

दुष्ट के नगरों और घरों का क्या होगा?

वे खंडहर होने को छोड़े गए हैं।

Job 15:30

दुष्ट कैसे उड़ जाएगा?

दुष्ट परमेश्वर की श्वांस से उड़ जाएगा।

Job 15:31-33

दुष्ट व्यर्थ बातों का भरोसा करके क्या पाता है?

उसका बदला धोखा ही होता है।

Job 15:34-35

भक्तिहीन मनुष्यों का क्या होगा?

उससे कुछ न बन पड़ेगा और घूस लेने वालों के तम्बू आग में जल जाएंगे।

Job 16

Job 16:2

अय्यूब अपने मित्रों की शान्ति की बातों के विषय क्या कहता है?

वे सब के सब निकम्मे शान्तिदाता थे, उनकी व्यर्थ की बातों का अन्त न होगा।

Job 16:3-5

अय्यूब अपने मित्रों की शान्ति की बातों के विषय क्या कहता है?

वे सब के सब निकम्मे शान्तिदाता थे, उनकी व्यर्थ की बातों का अन्त न होगा।

Job 16:6-9

अय्यूब के बोलने से उसके दुःख पर कैसा प्रभाव होगा?

यदि वो बोले तो भी उसका शोक न घटेगा, चाहे वो चुप रहे, तो भी उसका दुःख कुछ कम न होगा।

Job 16:10

परमेश्वर की ताड़ना के कारण लोग अय्यूब के साथ कैसा व्यवहार कर रहे थे?

लोग मुंह फाड़े उसे देखते है और उसकी नाम धराई करके उसके मुंह पर थप्पड़ मारते और उसके विरूद्ध भीड़ लगाते हैं।

Job 16:11-12

परमेश्वर ने अय्यूब को किसके हाथों में दे दिया है?

परमेश्वर ने उसे कुटिलों के वश में कर दिया और दुष्ट लोगों के हाथ में फेंक दिया है।

Job 16:13-14

परमेश्वर अय्यूब को कैसे घायल कर रहा था?

उसने अय्यूब के गुर्दों को बेधा और उसका पित्त भूमि पर बहता है।

Job 16:15-18

अय्यूब ने अपना दुख प्रकट करने के लिए अपनी खाल पर क्या किया था?

उसने अपनी खाल पर टाट सी लिया और अपना बल मिट्टी में मिला दिया।

Job 16:19

अय्यूब का साक्षी कौन है जो उसकी गवाही दे सकता है?

उसका साक्षी जो उसकी गवाही दे सकता है वह ऊपर स्वर्ग में है।

Job 16:20-22

उसके मित्र उसका ठट्ठा करते हैं तो अय्यूब किस की शरण आया था?

वह परमेश्वर के सामने आंसू बहाता था।

Job 17

Job 17:2

अय्यूब को सदैव क्या देखना पड़ता है?

उसे सदैव ही उसका ठट्ठा करने वालों के झगड़े रगड़े दिखाई देते थे।

Job 17:3-4

अय्यूब परमेश्वर से कैसी जमानत की आशा करता था?

वह चाहता था कि परमेश्वर अपने और उसके बीच जामिन हो।

Job 17:5-6

किस के कुकर्मों के कारण उसके पुत्र अंधे हो जायेंगे?

जो लूट के मार्ग के लिए अपने मित्रों की चुगली करता है उसके लड़कों की आंखें अंधी हो जाएंगी।

Job 17:7-9

दुख के कारण अय्यूब की आंखों को और शरीर को क्या हो गया था?

उसकी आंखों में धुंधलापन छा गया और उसके सब अंग छाया के समान हो गए।

Job 17:10

अय्यूब के विचार में क्या वह अपने मित्रों में किसी बुद्धिमान मनुष्य को पा सकता है?

अय्यूब सोचता है कि उनमें एक भी बुद्धिमान मनुष्य नहीं है।

Job 17:11-13

अय्यूब की क्या कोई भावी योजना है?

उसके लिए तो दिन बीत गए थे और उसकी योजनाएं मिट गई थीं।

Job 17:14-16

अय्यूब के पिता, माता और बहनें कौन हो गए थे?

सड़ाहत उसका पिता, और कीड़े उसकी माता और बहनें थे।

Job 18

Job 18:3-4

बिल्दद के विचार में अय्यूब अपने मित्रों को क्या समझता था?

बिल्दद के विचार में अय्यूब अपने मित्रों को पशु समझता था और उन्हें मूर्ख मानता था।

Job 18:5-7

दुष्ट के दीपक का क्या होगा?

उसका दीपक निश्चय ही बुझ जाएगा और उसकी आग की लौ न चमकेगी।

Job 18:8

दुष्ट को जाल में कौन फंसाएगा?

वह स्वयं ही अपना पांव जाल में फंसाएगा, वह फंदों पर चलता है।

Job 18:9

दुष्ट को कौन फंसाएगा?

फन्दा, जाल और जाल की रस्सियां उसके लिए भूमि में हैं।

Job 18:10-11

दुष्ट को कौन फंसाएगा?

फन्दा, जाल और जाल की रस्सियां उसके लिए भूमि में हैं।

Job 18:12-13

दुष्ट के धन का क्या होगा?

उसका धन भूख में बदल जाएगा।

Job 18:14-15

दुष्ट कहां नहीं रह पाएगा?

जिस डेरे का भरोसा वह करता है, उससे वह छीन लिया जाएगा।

Job 18:16-18

दुष्ट के परिणाम के लिए बिल्दद क्या उपमा काम में लेता है?

वह एक वृक्ष की उपमा देकर उसका वर्णन करता है कि उसकी जड़ सूख जाएगी, डालियां कट जाएंगी।

Job 18:19

क्या दुष्ट के वंशज होंगे?

उसके कोई पुत्र-पौत्र न होगा और जहां वह रहता था वहां कोई परिजन न रहेगा।

Job 18:20-21

दुष्ट के साथ जो हुआ उस पर मनुष्यों की प्रतिक्रिया क्या होगी?

पश्चिम के निवासी चकित होंगे और पूर्व के निवासियों के रोएं खड़े हो जायेंगे।

Job 19

Job 19:2

अय्यूब के मित्र उसे कैसे तोड़ रहे थे?

अय्यूब कहता था कि वे उसे बातों से चूर-चूर कर रहे थे।

Job 19:3

अय्यूब के मित्रों ने कितनी बार उसकी निन्दा की थी?

उन्होंने दस बार उसकी निन्दा की थी।

Job 19:4-5

अय्यूब की भूल किसके सिर पर थी?

अय्यूब की भूल उसी के सिर पर थी।

Job 19:6

अय्यूब के कहने के अनुसार परमेश्वर ने उसके साथ कैसा व्यवहार किया था?

परमेश्वर ने उसे गिरा दिया और उसे जाल में फंसा लिया।

Job 19:7-10

अय्यूब जब सहायता के लिए दोहाई देता रहा तब क्या हुआ?

उसकी आवाज नहीं सुनी गई, कोई न्याय नहीं करता।

Job 19:11-12

यहोवा ने अय्यूब को किस में गिना?

यहोवा ने अय्यूब को अपने शत्रुओं में गिना।

Job 19:13

अय्यूब के परिवार और मित्रों का क्या हुआ?

यहोवा ने उसके भाइयों को उससे दूर किया और जो उसकी जान पहचान के थे, वे बिलकुल अनजान हो गए, उसके कुटुंबी उसे छोड़कर चले गए, उसके परम मित्र उसे भूल गए।

Job 19:14-15

अय्यूब के परिवार और मित्रों का क्या हुआ?

यहोवा ने उसके भाइयों को उससे दूर किया और जो उसकी जान पहचान के थे, वे बिलकुल अनजान हो गए, उसके कुटुंबी उसे छोड़कर चले गए, उसके परम मित्र उसे भूल गए।

Job 19:16-18

अय्यूब अपने दास को बुलाता था तब उसकी प्रतिक्रिया कैसी थी?

वह उत्तर नहीं देता था, अय्यूब को उससे गिड़गिड़ाना पड़ता था।

Job 19:19

जिनसे अय्यूब ने प्रेम किया उनका स्वभाव उसके प्रति कैसा हो गया था?

उ* जिनसे उसने प्रेम किया वे पलट कर उसके विरोधी हो गए थे।

Job 19:20-22

अय्यूब अब किस प्रकार जी रहा है?

उसकी खाल और मांस उसकी हड्डियों से सट गए हैं।

Job 19:23

अय्यूब क्या चाहता था कि उसके वचनों का किया जाए?

वह चाहता था कि उसकी बातें लिखी जातीं वरन् लोहे की टांकी और सीसे से वे सदा के लिए चट्टान पर खोदी जातीं।

Job 19:24

अय्यूब क्या चाहता था कि उसके वचनों का किया जाए?

वह चाहता था कि उसकी बातें लिखी जातीं वरन् लोहे की टांकी और सीसे से वे सदा के लिए चट्टान पर खोदी जातीं।

Job 19:25

अय्यूब को किस बात का निश्चय था?

उसे निश्चय था कि उसका छुड़ाने वाला जीवित है और वह अन्त में पृथ्वी पर खड़ा होगा।

Job 19:26-28

अय्यूब अपने शरीर नष्ट हो जाने के बाद भी किस बात का विश्वास करता है?

उसे विश्वास था कि वह शरीर में होकर दर्शन पाएगा।

Job 19:29

क्रोध का परिणाम क्या होता है?

क्रोध का परिणाम तलवार का दंड होता है।

Job 20

Job 20:1

अय्यूब को सोपर ने अतिशीघ्र उत्तर क्यों दिया?

अय्यूब को सोपर ने अतिशीघ्र उत्तर दिया क्योंकि उसने ऐसी डाँट सुनी जिससे उसकी निन्दा हुई और उसकी आत्मा उसकी समझ के अनुसार उसे उत्तर देती थी।

Job 20:2

अय्यूब को सोपर ने अतिशीघ्र उत्तर क्यों दिया?

अय्यूब को सोपर ने अतिशीघ्र उत्तर दिया क्योंकि उसने ऐसी डाँट सुनी जिससे उसकी निन्दा हुई और उसकी आत्मा उसकी समझ के अनुसार उसे उत्तर देती थी।

Job 20:3-4

अय्यूब को सोपर ने अतिशीघ्र उत्तर क्यों दिया?

अय्यूब को सोपर ने अतिशीघ्र उत्तर दिया क्योंकि उसने ऐसी डाँट सुनी जिससे उसकी निन्दा हुई और उसकी आत्मा उसकी समझ के अनुसार उसे उत्तर देती थी।

Job 20:5-6

भक्तिहीनों का आनंद कितने समय का होता है?

भक्तिहीनों का आनंद पलभर का होता है।

Job 20:7

दुष्ट कैसे नष्ट होगा?

वह अपनी विष्ठा के समान सदा के लिए नष्ट हो जाएगा।

Job 20:8-9

दुष्ट कैसे लोप हो जाएगा?

वह स्वप्न के समान लोप हो जाएगा और रात में देखे हुए रूप के समान वह रहने न पाएगा।

Job 20:10-13

दुष्ट की सन्तान क्या करेगी?

उसकी सन्तान कंगालों से विनती करेगी।

Job 20:14

दुष्ट जन के भीतर दुष्टता का क्या होता है?

उसकी दुष्टता के कारण उसके पेट में भोजन पलट जाएगा वह उसके भीतर नाग का सा विष बन जाएगी।

Job 20:15-16

दुष्ट ने जो धन निगल लिया है उसका क्या होगा?

वह उसे उगल देगा।

Job 20:17-18

दुष्ट किस का आनंद लेने के लिए जीवित नहीं रहेगा?

वह मधु और दूध की नदियों को देखने न पाएगा।

Job 20:19-20

दुष्ट जन आनंद क्यों न करने पाएगा?

उसने कंगालों को पीसकर छोड़ दिया है, और जिन घरों को उसने नहीं बनाया उन्हें छीन लिया है।

Job 20:21-22

दुष्ट की समृद्धि स्थाई क्यों नहीं रहती है?

उसकी समृद्धि स्थाई नहीं रह सकती क्योंकि कोई वस्तु उसका कौर हुए बिना न बचती थी।

Job 20:23

परमेश्वर उस दुष्ट के साथ क्या करेगा जो अपना पेट भरने को है?

जब वह भोजन कर रहा होगा तब परमेश्वर अपना प्रकोप उस पर उण्डेलेगा।

Job 20:24-26

जब दुष्ट लोहे के हथियार से भागेगा तब क्या होगा?

वह पीतल के धनुष से मारा जाएगा।

Job 20:27

आकाश और पृथ्वी दुष्ट के साथ कैसा व्यवहार करेंगे?

आकाश उसका अधर्म प्रकट करेगा और पृथ्वी उसके विरुद्ध खड़ी होकर साक्षी देगी।

Job 20:28-29

परमेश्वर के प्रकोप के दिन दुष्ट के साथ क्या होगा?

उसके घर की बढ़ती जाती रहेगी, वह परमेश्वर के क्रोध के दिन बह जाएगी।

Job 21

Job 21:3-4

अय्यूब क्या सोच रहा था कि उसके कहने के बाद उसके मित्र करेंगे?

वे उसका ठट्ठा करेंगे।

Job 21:5

अय्यूब को देखकर मनुष्य कैसा व्यवहार प्रकट करेंगे?

वे उसकी ओर देखकर चकित होंगे और दाँतों तले ऊँगली दबाएंगे।

Job 21:6

अय्यूब अपने कष्टों को स्मरण करता है तब उसके साथ क्या होता है?

वह घबरा जाता है और उसकी देह थर-थर कांपने लगती है।

Job 21:7-9

अय्यूब दुष्टों के बारे में क्या पूछता है?

अय्यूब पूछता है कि दुष्टों को जीवित रहने का कारण क्या है, वे बूढ़े भी हो जाते हैं और उनका धन बढ़ता जाता है।

Job 21:10-13

दुष्ट के सांड और गायों का क्या होता है?

सांड गाभिन करता और चूकता नहीं, उसकी गायें बियाती हैं और गर्भ कभी नहीं गिराती।

Job 21:14-15

दुष्ट परमेश्वर से क्या कहता है?

वे परमेश्वर से कहते हैं, हमसे दूर हो: तेरी गति जानने की हमको इच्छा नहीं रहती है।

Job 21:16-18

अय्यूब दुष्टों के परामर्श पर कैसी प्रतिक्रिया दिखाता है?

वह उन के विचार से दूर रहना चाहता है।

Job 21:19-21

अय्यूब दुष्ट का बदला किससे चाहता है?

अय्यूब चाहता है कि दुष्ट का बदला उसकी संतान से नहीं उसी से लिया जाए कि वह अपने अपराध को पहचाने।

Job 21:22-25

क्या कोई परमेश्वर को ज्ञान सिखा सकता है?

नहीं, क्योंकि वह तो ऊंचे पद पर रहने वालों का भी न्याय करता है।

Job 21:26

जो अपने पूरे बल में हो और जो अपने जीवन में कुढ़कुढ़ाकर मरते हैं उनका क्या-क्या होता है?

दोनों ही मिट्टी में मिल जाते हैं, कीड़े उन्हें खा जाते हैं।

Job 21:27-29

अय्यूब अपने मित्रों की कल्पनाओं और युक्तियों के बारे में क्या जानता है?

वह जानता है कि उनकी कल्पनाएं और युक्तियां उसके विषय में अन्याय की हैं।

Job 21:30-31

बटोहियों ने दुष्टों के साथ क्या होते देखा?

उन्होंने देखा कि विपत्ति के दिन दुष्ट सुरक्षित रहता है और महाप्रलय के समय वह बचाया जाता है।

Job 21:32-33

दुष्ट की कब्र पर लोग क्या करते हैं?

लोग उसकी कब्र की रखवाली करते रहते हैं।

Job 21:34

अय्यूब के अनुसार सोपर के शान्ति वचन कैसे थे?

अय्यूब के अनुसार सोपर उसे व्यर्थ शान्ति का वचन देता था।

Job 22

Job 22:3

एलीपज ने अय्यूब से क्या पूछा कि उसकी धार्मिकता सर्वशक्तिमान के लिए क्या कर सकती है?

उसने पूछा कि यदि अय्यूब धर्मी ठहरे तो क्या सर्व-शक्तिमान सुख पा सकता है ।

Job 22:4-5

परमेश्वर के प्रति अय्यूब की श्रद्धा का एलीपज कैसे ठट्ठा करता है?

वह कहता है कि उसकी भक्ति ही के कारण परमेश्वर उस की ताड़ना कर रहा था।

Job 22:6-8

एलीपज नंगे के विषय अय्यूब को क्या दोष देता है?

वह कहता है कि अय्यूब ने नंगे के वस्त्र उतार लिए थे।

Job 22:9-10

एलीपज विधवाओं के विषय अय्यूब पर क्या दोष लगा रहा है?

वह कहता है कि अय्यूब ने विधवाओं को छूछे हाथ लौटा दिया था।

Job 22:11-13

एलीपज के अनुसार अंधकार ने अय्यूब को क्या कर दिया था?

वह कहता है कि अंधकार के कारण अय्यूब देख नहीं पा रहा था।

Job 22:14-15

एलीपज क्या कहता है कि अय्यूब कहता है परमेश्वर मनुष्यों को नहीं देख पाता है?

वह कहता है कि अय्यूब ने कहा, काली घटाओं से परमेश्वर ऐसा छिपा रहता है कि वह मनुष्यों को नहीं देख पाता है।

Job 22:16-18

दुष्ट के घर की नींव का क्या होता है?

उसके घर की नींव नदी बहा ले जाती है।

Job 22:19-20

दुष्ट की नियति देखकर धर्मियों की प्रतिक्रिया कैसी होती है?

धर्मी उनकी नियति देखकर आनंद मनाते हैं।

Job 22:21-22

परमेश्वर से मेल-मिलाप करके अय्यूब को क्या मिलेगा?

परमेश्वर से मेल मिलाप करके अय्यूब को शान्ति मिलेगी।

Job 22:23-25

अय्यूब सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास लौट आए तो एलीपज क्या कहता है कि उसके साथ होगा?

यदि अय्यूब सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास लौट आए तो वह बन जाएगा।

Job 22:26-28

सर्वशक्तिमान में सुख पाकर अय्यूब क्या कर पाएगा?

वह उसकी ओर अपना मुख उठा पाएगा।

Job 22:29-30

परमेश्वर घमंडी का क्या करता है?

परमेश्वर घमंडी को नम्र बनाता है।

Job 23

Job 23:2-3

अय्यूब के अनुसार उसके कराहने से भारी क्या था?

उसका कष्ट उसके कराहने से भी भारी था।

Job 23:4-5

अय्यूब को परमेश्वर मिल जाए तो वह क्या करेगा?

वह परमेश्वर के सामने अपना मुकद्दमा रखेगा और बहुत से प्रमाण देगा।

Job 23:6-8

अय्यूब के विचार में क्या परमेश्वर अपना बड़ा बल दिखाकर उससे मुकद्दमा लड़ता?

नहीं, अय्यूब कहता है कि वह उस पर ध्यान देगा।

Job 23:9

अय्यूब ने क्या कहा कि परमेश्वर दक्षिण में कर रहा है?

अय्यूब ने कहा कि परमेश्वर दक्षिण में ऐसा छिप जाता है कि उसे दिखाई नहीं देता।

Job 23:10-11

अय्यूब के विचार में जब परमेश्वर उसे परख लेगा तब क्या होगा?

वह सोने के समान शुद्ध निकलेगा।

Job 23:12-13

अय्यूब ने परमेश्वर के वचनों का क्या किया?

उसने परमेश्वर के वचनों को अपनी इच्छा से कहीं अधिक काम के जानकर सुरक्षित रखे।

Job 23:14

परमेश्वर अय्यूब के लिए क्या पूरा करता है?

परमेश्वर उसके लिए अपने मन की बहुत सी बातें पूरी करता है।

Job 23:15-16

परमेश्वर का विचार मन में आने पर अय्यूब को कैसी अनुभूति होती थी?

अय्यूब परमेश्वर के बारे में सोचकर भयभीत होता था।

Job 23:17

अय्यूब का मुंह किससे ढंपा था?

अय्यूब का मुंह घोर अंधकार से ढंपा था।

Job 24

Job 24:1-2

अय्यूब की समझ में परमेश्वर ने कौन सा समय नहीं ठहराया है?

अय्यूब पूछता है कि दुष्ट का न्याय करने का समय परमेश्वर ने क्यों नहीं ठहराया है।

Job 24:3-4

दुष्ट लोग अनाथों के गदहे के साथ क्या करते हैं?

वे अनाथों का गदहा हांक ले जाते हैं।

Job 24:5-6

गरीबों को जंगल में क्या पाने की आशा होती है?

वे जंगल में भोजन पाने की आशा से निकलते हैं।

Job 24:7

शीतकाल में गरीब को क्या कमी होती है?

शीतकाल में उनके पास ओढ़ने को कुछ नहीं होता है।

Job 24:8-9

शरण न पाकर वे क्या करते हैं?

शरण न पाकर वे चट्टान से लिपट जाते हैं।

Job 24:10

भूखे रहकर भी गरीब दूसरों के लिए क्या करते हैं?

वे भूखे रहकर भी वे दूसरों के लिए उनकी पूलियां ढोते हैं।

Job 24:11-13

प्यासे रहकर भी वे अन्यों के लिए क्या करते हैं?

वे प्यासे रहकर भी लोगों की दाख रौंदते हैं।

Job 24:14-15

हत्यारा रात में किसके जैसा होता है?

वह रात को चोर बन जाता है।

Job 24:16

दुष्ट दिन के समय क्यों छिपे रहते हैं?

वे उजियाले को जानते भी नहीं हैं।

Job 24:17-18

दुष्ट किससे मित्रता रखते हैं?

वे घोर अंधकार के भय से मित्रता रखते हैं।

Job 24:19-20

अधोलोक में कौन सूख जाता है?

पापी लोग अधोलोक में सूख जाते हैं।

Job 24:21

दुष्ट किस को लूट लेता है?

वह बांझ स्त्री को जिसने कभी बच्चा नहीं जना, लूटता है।

Job 24:22-23

परमेश्वर किस को खींचता है?

परमेश्वर बल दिखाने वालों को अपनी शक्ति से खींच लेता है।

Job 24:24-25

शक्तिमानों का कुछ समय में क्या होता है?

वह कुछ ही समय बाद जाते रहते हैं।

Job 25

Job 25:2-3

परमेश्वर कहां शान्ति स्थापित रखता है?

वह ऊंचे-ऊंचे स्थानों में शान्ति स्थापित रखता है।

Job 25:4-5

किसके लिए बिल्दद पूछता है कि निर्मल होकर परमेश्वर के ग्रहणयोग्य होगा?

वह पूछता है कि स्त्री का जना मनुष्य क्या निर्मल होकर परमेश्वर के ग्रहणयोग्य हो सकता है।

Job 25:6

बिल्दद मनुष्य के पुत्र की तुलना किससे करता है?

वह कहता है कि मनुष्य कीड़ा है।

Job 26

Job 26:4-5

अय्यूब कैसे सोचता है कि बिल्दद ने अपने ही शब्द कहे?

नहीं, अय्यूब जानना चाहता है कि किसके मन की बात उसके मुंह से निकली।

Job 26:6-7

परमेश्वर के समक्ष क्या ढंक नहीं सकता है?

परमेश्वर के समक्ष विनाश का स्थान ढंक नहीं सकता।

Job 26:8

परमेश्वर पानी को कहां बांधे रखता है?

वह जल को अपनी काली घटाओं में बांध रखता है।

Job 26:9-11

परमेश्वर चांद पर क्या फैला देता है?

परमेश्वर चांद पर बादल फैला उसको छिपा देता है।

Job 26:12

परमेश्वर अपने बल से किसको शान्त कर देता है?

परमेश्वर अपने बल से समुद्र को शान्त कर देता है।

Job 26:13

परमेश्वर आकाशमंडल को किससे स्वच्छ करता है?

उसकी श्वांस से आकाशमंडल स्वच्छ हो जाता है।

Job 26:14

हम परमेश्वर की आहट को कैसे सुनते हैं?

उसकी आहट फुसफुसाहट ही सी सुन पड़ती है।

Job 27

Job 27:2-3

अय्यूब क्या कहता है कि परमेश्वर ने बिगाड़ दिया है?

परमेश्वर ने अय्यूब का न्याय बिगाड़ दिया।

Job 27:4-5

अय्यूब क्या कहता है कि उसके मुख से नहीं निकलेंगे?

उसके मुख से कुटिल बातें नहीं निकलेंगी।

Job 27:6-7

अय्यूब के विचार कब तक उसे दोषी नहीं ठहरायेंगे?

उसका मन जीवन के किसी दिन के लिए उसे दोषी नहीं ठहराता है।

Job 27:8-10

जब परमेश्वर भक्तिहीन के जीवन को काटता है तब वह क्या करता है?

अय्यूब कहता है कि जब परमेश्वर भक्तिहीन के जीवन को काटता है तब वह उसका प्राण हर लेता है।

Job 27:11-13

सर्वशक्तिमान के विषय अय्यूब क्या कहता है कि वह नहीं छिपाएगा?

अय्यूब कहता है कि वह सर्वशक्तिमान की बात नहीं छिपाएगा।

Job 27:14

दुष्ट जन की संतान को किस बात की कमी होगी?

दुष्ट जन की संतान पेट भर रोटी न खाने पाएगी।

Job 27:15-16

दुष्ट जन की विधवा उसके लिए क्या न करेगी?

उसकी विधवा उसके लिए शोक नहीं करेगी।

Job 27:17-18

दुष्ट जन के धन का क्या होगा?

निर्दोष लोग उसका रूपया आपस में बांट लेंगे।

Job 27:19-20

दुष्ट जन जब धनी होकर लौट जाए और आंख खोले तो क्या होता है?

वह आंख खोलता है तब सब कुछ समाप्त हो चुका होता है।

Job 27:21

दुष्ट जन को उड़ाकर पुरवाई क्या करती है?

वह उसको उसके स्थान से उड़ा ले जाती है।

Job 27:22-23

पुरवाई जब न थमें तब दुष्ट जन क्या करने का प्रयास करता है?

वह उसके हाथ से भाग जाना चाहता है।

Job 28

Job 28:2

तांबा कहां से निकाला जाता है?

तांबा पत्थरों में से पिघला कर निकाला जाता है।

Job 28:3

मनुष्य दूर-दूर तक क्या खोजता है?

मनुष्य अंधकार को दूर कर दूर-दूर तक खोदकर घोर अंधकार में पत्थर ढूंढता है।

Job 28:4-5

मनुष्य खान कहां खोदते हैं?

वे मनुष्यों के निवास स्थान से दूर खान खोदते हैं।

Job 28:6-7

पृथ्वी की धूल में क्या होता है?

पृथ्वी की धूल में सोना होता है।

Job 28:8-9

मनुष्य की खान से कौन नहीं गया?

उस पर हिंसक पशुओं ने पांव नहीं रखा और न उससे होकर कोई सिंह कभी गया।

Job 28:10-12

मनुष्य चट्टानों को खोदकर जो नालियां बनाता है, उनमें वह क्या देखता है?

वहां वह हर एक अनमोल वस्तु देखता है।

Job 28:13-16

बुद्धि और समझ कहां नहीं पाई जाती है?

वे जीवन लोक में कहीं नहीं मिलती है।

Job 28:17

बुद्धि और समझ की बराबरी किससे नहीं की जा सकती हैं?

न सोना न कांच उसकी बराबरी कर सकते हैं।

Job 28:18-20

बुद्धि का मोल किससे भी अधिक है?

बुद्धि का मोल माणिक से भी अधिक है।

Job 28:21-22

बुद्धि किस की आंखों से छिपी है?

वह सब प्राणियों की आंखों से छिपी है।

Job 28:23-24

बुद्धि का स्थान कौन जानता है?

परमेश्वर उसका मार्ग समझता है और उसका स्थान उसको मालूम है।

Job 28:25

परमेश्वर ने नपुए में क्या नापा है?

परमेश्वर ने जल को नपुए में नापा है।

Job 28:26-27

परमेश्वर ने किसके लिए विधि ठहराया है?

परमेश्वर ने मेंह के लिए विधि ठहराई है।

Job 28:28

परमेश्वर ने मनुष्यों से क्या कहा बुद्धि क्या है?

परमेश्वर ने मनुष्य से कहा, "देख प्रभु का भय मानना ही बुद्धि है।"

Job 29

Job 29:2-3

क्या अय्यूब उन दिनों का स्मरण करता है जब परमेश्वर उसकी सुधि लेता था?

अय्यूब पिछले दिनों का स्मरण करता है जब परमेश्वर उसकी सुधि लेता था।

Job 29:4-5

अय्यूब के जवानी के दिन कैसे थे?

उसकी जवानी के दिनों में परमेश्वर की मित्रता उसके डेरे पर बनी रहती थी।

Job 29:6-7

पूर्व समय में चट्टान से अय्यूब के लिए क्या निकलता था?

जब सर्वशक्तिमान अय्यूब के संग था तब उसके लिए चट्टान से तेल की धारायें बहा करती थीं।

Job 29:8

नगर के फाटक पर जवान लोग अय्यूब के सम्मान में क्या करते थे?

वे सम्मान से उससे छिप जाते थे।

Job 29:9

अय्यूब के समक्ष हाकिम क्या करते थे?

हाकिम उसके सामने बोलने से रूक जाते थे।

Job 29:10

अय्यूब की उपस्थिति में प्रधानों का क्या होता था?

उनकी जीभ तालू से सट जाती थी।

Job 29:11-12

अय्यूब को देखकर प्रधान क्या करते थे?

वे उसे धन्य कहते और उसके विषय साक्षी देते थे।

Job 29:13-15

अय्यूब के कारण विधवाओं का मन कैसा हो गया था?

वे आनंदित होकर गाती थीं।

Job 29:16

अय्यूब ने अनजान तक के लिए क्या किया था?

वह पूछताछ करके उनके मुकद्दमों की जानकारी लेता था।

Job 29:17-19

अय्यूब कुटिल मनुष्यों के मुख से किसे छीनकर बचा लेता था?

अय्यूब उनका शिकार उनके मुख से छीनकर बचा लेता था।

Job 29:20-22

अय्यूब अपने हाथ में किसको सदैव नया रखना चाहता था?

उसकी शक्ति का धनुष उसके हाथ में सदैव नया बना रहे।

Job 29:23-24

लोग वर्षा के सदृश्य अय्यूब से किस बात की बाट जोहते थे?

वे अय्यूब की बातों के लिए मुंह पसारे रहते थे जैसे बरसात के अन्त की वर्षा के लिए।

Job 29:25

अय्यूब स्वयं की तुलना में विलाप करने वालों के मध्य किससे करता है?

अय्यूब कहता है कि वह विलाप करने वालों में शान्ति दाता के तुल्य था।

Job 30

Job 30:1-2

इस स्थिति में अय्यूब का मान युवकों में कैसा था?

युवकों में अब अय्यूब की हंसी उड़ाना ही रहा था ।

Job 30:3-4

युवावर्ग दुबले क्यों पड़ गए हैं?

वे दरिद्रता और काल के मारे दुबले पड़ गए हैं।

Job 30:5-7

युवकों के पिता कहां से निकाले जाते हैं?

उनके पिता मनुष्यों के बीच में से निकाले जाते हैं।

Job 30:8

युवकों के पितागण को अय्यूब किस का वंशज कहता है?

अय्यूब उन्हें मूर्खों और नीच लोगों के वंशज कहता हैं।

Job 30:9-10

निकम्मे लोगों के वंश के लिए अब अय्यूब क्या बन गया?

अय्यूब उनके ठठे के गीत का विषय बन चूका था।

Job 30:11-12

अब लोग अय्यूब के सामने क्या खोते हैं?

अब ये लोग उसके सामने अपना सारा संयम खो देते हैं।

Job 30:13-14

जीवन को काटता मनुष्य अय्यूब के लिए विपत्तियां बढ़ाने में अब सक्षम क्यों हैं?

जीवन को काटता उन्हें रोकने वाला अब कोई नहीं है इसलिए वे अय्यूब के लिए विपत्तियां बढ़ाते हैं।

Job 30:15

अय्यूब किसे हवा में उड़ गया कहता है?

अय्यूब कहता है कि उसकी प्रतिष्ठा हवा में उड़ गई।

Job 30:16-17

अय्यूब शोकसागर में डूबा हुआ था तो उसे किसने जकड़ लिया था?

दुख के दिनों ने उसे जकड़ लिया था।

Job 30:18-20

अय्यूब किसे अपने वस्त्रों के सदृश्य लिपटा हुआ कहता है?

परमेश्वर का महान बल वस्त्रों के सदृश्य उससे लिपट गया था।

Job 30:21-22

अय्यूब कैसे कहता है कि परमेश्वर उसे सताता है और बदल कर कठोर हो गया है?

परमेश्वर बदल कर कठोर हो गया और अपने बलवन्त हाथ से परमेश्वर उसे सताता है।

Job 30:23-25

अय्यूब के अनुसार सब प्राणियों की नियति को जानता था तो वह क्या है?

वह जनता है कि परमेश्वर उसे मृत्यु के वश में कर देगा और उस घर में पहुँचाएगा जो सब जीवित प्राणियों के लिए ठहराया गया है।

Job 30:26-27

अय्यूब जब उजियाले की आशा लगाए था तब क्या हुआ?

अय्यूब जब उजियाले की आशा में था तब अंधियारा छा गया।

Job 30:28-30

अय्यूब सहायता की पुकार के लिए कहां खड़ा हुआ था?

वह सभा में खड़ा होकर सहायता के लिए पुकार रहा था।

Job 30:31

अय्यूब की वीणा से कैसा संगीत निकलता था?

उसकी वीणा से विलाप का संगीत निकलता था।

Job 31

Job 31:1-2

उसकी आंखों की वाचा से कौन सी लालसा दब गई थी?

अय्यूब ने अपनी आंखों से वाचा बांधी थी कि वह किसी कुंवारी पर बुरी दृष्टि नहीं डालेगा।

Job 31:3-5

अय्यूब किस के लिए सोचता था कि विपत्ति आरक्षित की गई थी?

अय्यूब सोचता था कि अधर्मियों के लिए विपत्ति थी।

Job 31:6-7

अय्यूब परमेश्वर से क्या चाहता है कि वह उसकी खराई देखने के लिए करे?

वह चाहता था कि वह धर्म के तराजू में तौला जाए कि परमेश्वर उसकी खराई को जान ले।

Job 31:8-9

यदि अय्यूब न खरा पाया गया तो वह अपने खेत के लिए क्या प्रार्थना करता है?

उसके खेत की उपज उखड़ जाए।

Job 31:10-11

अय्यूब क्या कहता है कि यदि किसी अन्य स्त्री की ओर वह आकर्षित हो, तो उसका दंड कैसा होगा?

अय्यूब कहता है कि ऐसा हो तो उसकी स्त्री किसी और पुरूष का अन्न पीसे।

Job 31:12-14

अय्यूब कहता है कि यह अपराध किस प्रकार की आग है?

अय्यूब कहता है कि वह ऐसी आग है जो नरक के लिए जलाकर भस्म कर देती है।

Job 31:15-17

दास/दासी और अय्यूब दोनों के लिए परमेश्वर ने क्या किया है?

परमेश्वर ने दोनों को गर्भ में बनाया है।

Job 31:18-19

अय्यूब ने अनाथ के साथ अपनी जवानी में कैसा व्यवहार किया था?

अनाथ उसके साथ ऐसा पला जैसा पिता के साथ।

Job 31:20-21

जिसके पास वस्त्र न थे उन्हें अय्यूब ने क्या दिया?

अय्यूब ने उन्हें अपनी भेड़ के ऊन के वस्त्र दिए।

Job 31:22-23

यदि अय्यूब ने दया न दिखाई हो तो उसके शरीर का कौन सा अंग उखड़कर गिर पड़े?

अय्यूब कहता है कि उसकी बांह कंधे से उखड़ कर गिर पड़ें।

Job 31:24-27

मनुष्य उत्तम सोने को क्या कहता है?

वे उत्तम सोने से कह सकते है, "तुम मेरा भरोसा हो।"

Job 31:28-29

यदि अय्यूब सूर्य और चांद की उपासना करे तो वह किसका इंकार करेगा?

यदि वो उनकी उपासना करता तो वह स्वर्ग के परमेश्वर का इंकार करता।

Job 31:30-31

अय्यूब ने अपने मुंह से कैसा पाप नहीं किया था?

जो उससे घृणा करते थे उन्हें न तो शाप देते हुए और न उनके प्राणदंड की प्रार्थना करते हुए उसने अपने मुंह से पाप नहीं किया।

Job 31:32

अय्यूब ने बटोही के लिए क्या किया था?

वह बटोही के लिए अपना द्वार खुला रखता था।

Job 31:33-34

अय्यूब के अनुसार मनुष्य अपने पाप कैसे छिपाता है?

वह अपना पाप छिपाकर अपने अधर्म को ढांप लेता है।

Job 31:35-36

अय्यूब अपने विरोधी से क्या चाहता था?

अय्यूब अपने विरोधी का दोषपत्र चाहता था।

Job 31:37-39

यदि अय्यूब के हाथ में अपने विरोधी का दोषपत्र हो तो वह उसका सामना कैसे करता?

वह उसके निकट एक-एक प्रधान के समान निडर जाता।

Job 31:40

यदि अय्यूब ने खेत के मालिकों का प्राण लिया हो तो क्या उगे?

गेहूं के बदले झड़बेरी और जौ के बदले जंगली घास उगे।

Job 32

Job 32:1

अय्यूब के मित्र जब उसे कायल नहीं कर पाए कि उसने पाप किया है तो उन्होंने क्या किया?

उन्होंने उसको उत्तर देना छोड़ दिया।

Job 32:2

अय्यूब जब परमेश्वर के स्थान में अपने को निर्दोष बता रहा था तब एलीहू की मनोदशा कैसी थी?

एलीहू का क्रोध अय्यूब पर भड़का।

Job 32:3

एलीहू अय्यूब के तीनों मित्रों पर क्रोधित क्यों हुआ?

क्योंकि उनके पास अय्यूब की बातों का कोई उत्तर नहीं था फिर भी वे अय्यूब को दोषी ठहरा रहे थे।

Job 32:4

एलीहू अय्यूब के तीनों मित्रों पर क्रोधित क्यों हुआ?

क्योंकि उनके पास अय्यूब की बातों का कोई उत्तर नहीं था फिर भी वे अय्यूब को दोषी ठहरा रहे थे।

Job 32:5

एलीहू अय्यूब के तीनों मित्रों पर क्रोधित क्यों हुआ?

क्योंकि उनके पास अय्यूब की बातों का कोई उत्तर नहीं था फिर भी वे अय्यूब को दोषी ठहरा रहे थे।

Job 32:6

एलीहू अय्यूब और उसके मित्रों पर अपने विचार प्रकट करने में क्यों डरता था?

एलीहू जवान था और वे सब बूढ़े थे और बुद्धि की शिक्षा देने में योग्य थे।

Job 32:7

एलीहू अय्यूब और उसके मित्रों पर अपने विचार प्रकट करने में क्यों डरता था?

एलीहू जवान था और वे सब बूढ़े थे और बुद्धि की शिक्षा देने में योग्य थे।

Job 32:8

एलीहू किसके लिए कहता है कि वह मनुष्य को समझ प्रदान करता है?

सर्वशक्तिमान की श्वांस मनुष्य को समझ प्रदान करती है।

Job 32:9

एलीहू क्यों कहता है कि वे लोग उसकी सुनें और वह उन्हें अपने विचार बताए?

क्योंकि जो बुद्धिमान हैं वे बड़ी आयु के लोग ही नहीं और न्याय के समझने वाले बूढ़े ही नहीं होते।

Job 32:10

एलीहू क्यों कहता है कि वे लोग उसकी सुनें और वह उन्हें अपने विचार बताए?

क्योंकि जो बुद्धिमान हैं वे बड़ी आयु के लोग ही नहीं और न्याय के समझने वाले बूढ़े ही नहीं होते।

Job 32:11

एलीहू चित्त लगाकर उनकी बातें सुनता रहा परन्तु अय्यूब के मित्र क्या नहीं कर पाए?

अय्यूब के मित्र उसके पक्ष का खंडन नहीं कर पाए न उसकी बातों का उत्तर दे पाए।

Job 32:12

एलीहू चित्त लगाकर उनकी बातें सुनता रहा परन्तु अय्यूब के मित्र क्या नहीं कर पाए?

अय्यूब के मित्र उसके पक्ष का खंडन नहीं कर पाए न उसकी बातों का उत्तर दे पाए।

Job 32:13-14

जब अय्यूब के मित्र जो अपने को बुद्धिमान समझते थे अय्यूब को उत्तर नहीं दे पाए तो एलीहू के विचार में उसे कौन उत्तर दे सकता था?

केवल परमेश्वर ही उसे उत्तर दे सकता था।

Job 32:15

जब अय्यूब के मित्र उसके सामने अवाकू और निरूत्तर हो गए तब एलीहू ने क्या निर्णय लिया?

एलीहू ने देखा कि अय्यूब के मित्रों के पास उसे उत्तर देने को कुछ नहीं रहा तब उसने निर्णय लिया कि वह कुछ कहे।

Job 32:16-17

जब अय्यूब के मित्र उसके सामने अवाकू और निरूत्तर हो गए तब एलीहू ने क्या निर्णय लिया?

एलीहू ने देखा कि अय्यूब के मित्रों के पास उसे उत्तर देने को कुछ नहीं रहा तब उसने निर्णय लिया कि वह कुछ कहे।

Job 32:18

अय्यूब के साथ अपना ज्ञान बांटने के लिए एलीहू को क्या विवश करता है?

आत्मा ने एलीहू को ज्ञान बाँटने के लिए विवश किया।

Job 32:19-20

एलीहू को अपने मन में कैसी अनुभूति हो रही थी?

एलीहू को ऐसी अनुभूति हो रही थी जैसे दाखमधु से भरी मशकें फटने पर हों।

Job 32:21

एलीहू क्या कहता है कि उसका सृजनहार उसके साथ करेगा यदि वो मनुष्यों का पक्ष ले और चापलूसी करे?

एलीहू कहता है कि उसका सृजनहार क्षण भर में उसे उठा लेगा।

Job 32:22

एलीहू क्या कहता है कि उसका सृजनहार उसके साथ करेगा यदि वो मनुष्यों का पक्ष ले और चापलूसी करे?

एलीहू कहता है कि उसका सृजनहार क्षण भर में उसे उठा लेगा।

Job 33

Job 33:1

एलीहू अय्यूब से क्यों निवेदन करता है कि उसकी बातें सुनें?

एलीहू अय्यूब से निवेदन करता है कि वह उसकी बातें सुने क्योंकि उसकी बातें मन की सीधाई प्रगट करेंगी।

Job 33:2

एलीहू अय्यूब से क्यों निवेदन करता है कि उसकी बातें सुनें?

एलीहू अय्यूब से निवेदन करता है कि वह उसकी बातें सुने क्योंकि उसकी बातें मन की सीधाई प्रगट करेंगी।

Job 33:3

एलीहू अय्यूब से क्यों निवेदन करता है कि उसकी बातें सुनें?

एलीहू अय्यूब से निवेदन करता है कि वह उसकी बातें सुने क्योंकि उसकी बातें मन की सीधाई प्रगट करेंगी।

Job 33:4

एलीहू को किसने रचा और उसे जीवनदान किसने दिया?

उसे परमेश्वर की आत्मा ने बनाया और सर्वशक्तिमान की श्वांस से उसे जीवन मिलता है।

Job 33:5

एलीहू अय्यूब से क्या कहता है कि वह करे यदि वह एलीहू को उत्तर दे पाए?

एलीहू अय्यूब से कहता है कि यदि वह उसे उत्तर दे सके तो दे और अपनी बातें क्रम से रचकर उसके सामने खड़ा हो जाए।

Job 33:6

एलीहू क्या कारण देता है कि अय्यूब उससे न डरे या उसके दबाव की अनुभूति करे?

एलीहू अय्यूब से कहता है कि वे परमेश्वर की दृष्टि में एक से ही हैं और दोनों ही मिट्टी के बने हैं।

Job 33:7

एलीहू क्या कारण देता है कि अय्यूब उससे न डरे या उसके दबाव की अनुभूति करे?

एलीहू अय्यूब से कहता है कि वे परमेश्वर की दृष्टि में एक से ही हैं और दोनों ही मिट्टी के बने हैं।

Job 33:8

एलीहू ने अय्यूब को क्या कहते सुना था?

एलीहू ने अय्यूब को कहते सुना था कि वह पवित्र, निरपराध और निष्कलंक है और कि उसमें अधर्म नहीं है।

Job 33:9

एलीहू ने अय्यूब को क्या कहते सुना था?

एलीहू ने अय्यूब को कहते सुना था कि वह पवित्र, निरपराध और निष्कलंक है और कि उसमें अधर्म नहीं है।

Job 33:10-11

अय्यूब किसके लिए कहता है कि उससे झगड़ने के दांव ढूंढता है और उसे शत्रु समझता है?

अय्यूब परमेश्वर को ही दोष देता है।

Job 33:12

एलीहू कैसे कहता है कि मनुष्य की तुलना में परमेश्वर कौन है?

एलीहू कहता है कि परमेश्वर मनुष्य से बड़ा है।

Job 33:13

एलीहू क्यों कहता है कि परमेश्वर से झगड़ना व्यर्थ है?

परमेश्वर अपनी किसी बात का लेखा नहीं देता है।

Job 33:14

एलीहू के अनुसार परमेश्वर मनुष्य से कैसे बातें करता है?

स्वप्न में, या रात को दिए हुए दर्शन में जब मनुष्य घोर निद्रा में पड़े रहते हैं या बिछौने पर सोते समय परमेश्वर मनुष्य से बातें करता है।

Job 33:15

एलीहू के अनुसार परमेश्वर मनुष्य से कैसे बातें करता है?

स्वप्न में, या रात को दिए हुए दर्शन में जब मनुष्य घोर निद्रा में पड़े रहते हैं या बिछौने पर सोते समय परमेश्वर मनुष्य से बातें करता है।

Job 33:16

परमेश्वर मनुष्य के कानों को क्यों खोलता है और उन्हें अपनी धमकियों से क्यों डराता है?

परमेश्वर ऐसा इसलिए करता है ताकि मनुष्य को पाप के संकल्प और गर्व से रोके।

Job 33:17-18

परमेश्वर मनुष्य के कानों को क्यों खोलता है और उन्हें अपनी धमकियों से क्यों डराता है?

परमेश्वर ऐसा इसलिए करता है ताकि मनुष्य को पाप के संकल्प और गर्व से रोके।

Job 33:19

एलीहू बिस्तर में मनुष्य के कष्ट और हड्डियों की पीड़ा और भोजन की इच्छा न होने के क्या कारण बताता है?

एलीहू कहता है कि इन सब का कारण है कि मनुष्य को दण्ड दिया जाता है।

Job 33:20

एलीहू बिस्तर में मनुष्य के कष्ट और हड्डियों की पीड़ा और भोजन की इच्छा न होने के क्या कारण बताता है?

एलीहू कहता है कि इन सब का कारण है कि मनुष्य को दण्ड दिया जाता है।

Job 33:21

परमेश्वर से दण्ड पाने वाले के साथ क्या होता है, उसका वर्णन एलीहू कैसे करता है?

उसका मांस सूख जाता है, उसकी हड्डियां निकल आती हैं तब वह कब्र के निकट पहुंचता है।

Job 33:22-23

परमेश्वर से दण्ड पाने वाले के साथ क्या होता है, उसका वर्णन एलीहू कैसे करता है?

उसका मांस सूख जाता है, उसकी हड्डियां निकल आती हैं तब वह कब्र के निकट पहुंचता है।

Job 33:24

बिचवई स्वर्गदूत परमेश्वर से क्या कहता है कि मनुष्य को कब्र में जाने से बचाए?

वह स्वर्गदूत परमेश्वर से कहता है, "मुझे उसकी छुड़ौती का दाम मिल गया है।"

Job 33:25-27

जो मनुष्य कब्र में जाने से बच गया है उसकी देह कैसी हो जाती है?

उसकी देह बालक की देह से अधिक स्वस्थ और कोमल हो जाती है।

Job 33:28

जो मनुष्य अपने पापों को मान लेता है और परमेश्वर उसे कब्र में जाने से बचा लेता है तो उस मनुष्य का जीवन कैसा हो जाता है?

उसका जीवन उजियाले को देखता है।

Job 33:29

एलीहू के अनुसार परमेश्वर मनुष्य को कब्र से क्यों बचाता है?

परमेश्वर उसे इसलिए बचाता है कि वह जीवन लोक के उजियाले का प्रकाश पाए।

Job 33:30-32

एलीहू के अनुसार परमेश्वर मनुष्य को कब्र से क्यों बचाता है?

परमेश्वर उसे इसलिए बचाता है कि वह जीवन लोक के उजियाले का प्रकाश पाए।

Job 33:33

एलीहू अय्यूब को क्या सिखाना चाहता था यदि अय्यूब उसकी बातों पर ध्यान दे और शान्त रहे?

एलीहू अय्यूब को बुद्धि की बात सिखाना चाहता था।

Job 34

Job 34:1

एलीहू किस को अपने वचन सुनाना चाहता था?

एलीहू बुद्धिमानों और ज्ञानवानों को अपने वचन सुनाना चाहता था।

Job 34:2

एलीहू किस को अपने वचन सुनाना चाहता था?

एलीहू बुद्धिमानों और ज्ञानवानों को अपने वचन सुनाना चाहता था।

Job 34:3

एलीहू किस को अपने वचन सुनाना चाहता था?

एलीहू बुद्धिमानों और ज्ञानवानों को अपने वचन सुनाना चाहता था।

Job 34:4

एलीहू क्या चाहता था कि मनुष्य अपने लिए चुनें वरन् खोज करें?

एलीहू चाहता था कि जो ठीक है उसे मनुष्य चुने और भलाई की खोज करे।

Job 34:5-7

यद्यपि अय्यूब पापरहित था और उसका घाव असाध्य था, परमेश्वर ने उससे क्या छीन लिया था?

अय्यूब कहता है कि परमेश्वर ने उसका हक़ मार दिया था।

Job 34:8-9

एलीहू कहता है कि अय्यूब किसकी संगति रखता है?

वह दुष्ट मनुष्यों की संगति रखता है।

Job 34:10

एलीहू समझदारों से क्या कहता है कि परमेश्वर नहीं करता है?

परमेश्वर न तो अनर्थ करता, न पाप करता, न न्याय को बिगाड़ता है।

Job 34:11

एलीहू समझदारों से क्या कहता है कि परमेश्वर नहीं करता है?

परमेश्वर न तो अनर्थ करता, न पाप करता, न न्याय को बिगाड़ता है।

Job 34:12

एलीहू समझदारों से क्या कहता है कि परमेश्वर नहीं करता है?

परमेश्वर न तो अनर्थ करता, न पाप करता, न न्याय को बिगाड़ता है।

Job 34:13

यदि परमेश्वर अपना आत्मा और श्वास अपने ही में समेट ले तो क्या होगा?

सब प्राणी नष्ट हो जायेंगे और मनुष्य मिट्टी में मिल जाएगा।

Job 34:14

यदि परमेश्वर अपना आत्मा और श्वास अपने ही में समेट ले तो क्या होगा?

सब प्राणी नष्ट हो जायेंगे और मनुष्य मिट्टी में मिल जाएगा।

Job 34:15-16

यदि परमेश्वर अपना आत्मा और श्वास अपने ही में समेट ले तो क्या होगा?

सब प्राणी नष्ट हो जायेंगे और मनुष्य मिट्टी में मिल जाएगा।

Job 34:17-18

एलीहू के प्रश्न में अय्यूब द्वारा किसको दोषी ठहराने का अभिप्राय व्यक्त है?

उसका प्रश्न प्रकट कर रहा है कि अय्यूब सर्वशक्तिमान और धर्मी परमेश्वर को दोषी ठहरा रहा है।

Job 34:19-20

एलीहू किसे परमेश्वर के हाथों की रचना बताता है?

हाकिम और धनी एवं कंगाल सब परमेश्वर के हाथों की रचना है।

Job 34:21-24

एलीहू किसके लिए कहता है कि परमेश्वर देखता है?

एलीहू कहता है कि परमेश्वर की आंखें मनुष्य के चाल-चलन पर लगी रहती हैं और वह उसकी सारी चाल को देखता रहता है।

Job 34:25

परमेश्वर बड़े-बड़े बलवानों को जिसका चाल-चलन वह जानता है, रात भर में क्या कर देता है?

परमेश्वर उन्हें रात भर में उखाड़ फेंकता है और वे चूर-चूर हो जाते हैं।

Job 34:26-28

परमेश्वर उन लोगों के साथ क्या करेगा जो अपराधियों की तरह दुष्ट काम करते हैं और कंगालों की दुहाई जिनके कारण उस तक पहुँचती हैं?

परमेश्वर उन्हें सब के देखते मारता है।

Job 34:29-30

परमेश्वर किस पर राज करता है?

परमेश्वर जाति हो या अकेला मनुष्य दोनों पर समता का राज करता है।

Job 34:31

एलीहू के सुझाव के अनुसार अय्यूब परमेश्वर के सामने क्या स्वीकार करे?

एलीहू का सुझाव है कि अय्यूब परमेश्वर के सामने स्वीकार करे कि वह दोषी है और उसने पाप किया है परन्तु अब वह ऐसा नहीं करेगा।

Job 34:32-33

एलीहू के सुझाव के अनुसार अय्यूब परमेश्वर के सामने क्या स्वीकार करे?

एलीहू का सुझाव है कि अय्यूब परमेश्वर के सामने स्वीकार करे कि वह दोषी है और उसने पाप किया है परन्तु अब वह ऐसा नहीं करेगा।

Job 34:34

समझदार मनुष्य अय्यूब के बारे में क्या कहेंगे?

वे कहेंगे कि अय्यूब ज्ञान की बातें नहीं करता न ही उसके वचनों में समझ होती है।

Job 34:35-36

समझदार मनुष्य अय्यूब के बारे में क्या कहेंगे?

वे कहेंगे कि अय्यूब ज्ञान की बातें नहीं करता न ही उसके वचनों में समझ होती है।

Job 34:37

एलीहू क्या कहता है कि अय्यूब अपने पापों में दुष्टों की तरह बातें करके क्या जोड़ रहा है?

वह कहता है कि अय्यूब अपने पापों के साथ विद्रोह भी करता है।

Job 35

Job 35:1

एलीहू के विचार में अय्यूब स्वयं को कैसे परमेश्वर के तुल्य बना रहा था?

एलीहू के विचार में अय्यूब सोचता था कि वह निर्दोष है और वह परमेश्वर से अधिक धर्मी है।

Job 35:2-4

एलीहू के विचार में अय्यूब स्वयं को कैसे परमेश्वर के तुल्य बना रहा था?

एलीहू के विचार में अय्यूब सोचता था कि वह निर्दोष है और वह परमेश्वर से अधिक धर्मी है।

Job 35:5-7

एलीहू अय्यूब और उसके मित्रों को आंखें उठाकर देखने के लिए क्या कहता है?

एलीहू कहता है कि वह आंखें उठाकर आकाश को देखें।

Job 35:8

अय्यूब की धार्मिकता या दुष्टता का प्रभाव मनुष्यों पर कैसा पड़ता है?

अय्यूब की दुष्टता मनुष्य को हानि पहुंचाएगी परन्तु उसकी धार्मिकता मनुष्य ही को लाभ पहुंचायेगी।

Job 35:9

बलवान के बाहुबल के कारण मनुष्य क्यों दोहाई देते हैं?

वे अत्याचार के कारण दोहाई देते हैं।

Job 35:10

एलीहू और क्या कहता है कि परमेश्वर कर सकता है जबकि मनुष्य उसे पहचानता नहीं?

परमेश्वर रात में भी गीत गवांता है, हमें शिक्षा देता है और अधिक बुद्धि देता है।

Job 35:11

एलीहू और क्या कहता है कि परमेश्वर कर सकता है जबकि मनुष्य उसे पहचानता नहीं?

परमेश्वर रात में भी गीत गवांता है, हमें शिक्षा देता है और अधिक बुद्धि देता है।

Job 35:12

एलीहू के विचार में परमेश्वर उसे पुकारने वालों को उत्तर क्यों नहीं देता है?

एलीहू कहता है कि बुरे लोगों के घमंड के कारण परमेश्वर पुकारने वालों को उत्तर नहीं देता है।

Job 35:13-15

परमेश्वर किस बात को कभी नहीं सुनता है?

निश्चय परमेश्वर व्यर्थ बातों को कभी नहीं सुनता।

Job 35:16

अय्यूब जब मुंह खोलता है तब एलीहू उस पर क्या दोष लगाता है?

एलीहू कहता है कि अय्यूब मुंह खोलता है तो उससे मूर्खता निकलती है और वह अज्ञानता की बातों का ढेर लगाता है।

Job 36

Job 36:3-5

एलीहू के अनुसार धार्मिकता किसकी है?

एलीहू स्वीकार्य करता है कि धार्मिकता उसके सृजनहार की है।

Job 36:6

परमेश्वर पीड़ितों के लिए क्या करता है?

परमेश्वर पीड़ितों के लिए उचित काम करता है।

Job 36:7-8

परमेश्वर धर्मी जन के लिए क्या करता है?

वह उनको राजाओं के संग सदा के लिए बैठाता है और वे ऊंचे पद को प्राप्त करते हैं।

Job 36:9-10

बेड़ियों से जकड़े हुओं और दुख की रस्सियों से बंधे हुओं पर परमेश्वर क्या प्रकट करता है?

वह उन पर उनके काम, उनके अपराध और उनका गर्व प्रकट करता है।

Job 36:11

परमेश्वर की सुनने और उपासना करने से क्या होता है?

परमेश्वर की सुनने और उपासना करने वालों के दिन कल्याण से और वर्ष सुख से पूरे होते हैं।

Job 36:12-13

परमेश्वर की नहीं सुनने वालों का क्या होता है?

वे तलवार से नष्ट होंगे और मर जायेंगे क्योंकि उनके पास ज्ञान नहीं है।

Job 36:14

भक्तिहीन मनुष्य जो क्रोध एकत्र करता है और परमेश्वर को नहीं पुकारता उसका क्या होता है?

वह जवानी में ही मर जाता है और उनका जीवन अपमानित लोगों के बीच नष्ट हो जाता है।

Job 36:15

एलीहू के अनुसार परमेश्वर दुख और उपद्रव का उपयोग किस लिए करता है?

परमेश्वर दुख के द्वारा दुखियों को छुड़ाता है और उपद्रव में उनका कान खोलता है।

Job 36:16

एलीहू के अनुसार परमेश्वर दुख और उपद्रव का उपयोग किस लिए करता है?

परमेश्वर दुख के द्वारा दुखियों को छुड़ाता है और उपद्रव में उनका कान खोलता है।

एलीहू क्या कहता है कि परमेश्वर अय्यूब के लिए करना चाहता है?

परमेश्वर अय्यूब को क्लेश के मुंह में से निकालकर ऐसे चौड़े स्थान में जहां सकेती नहीं पहुंचा देना चाहता है।

Job 36:17

अय्यूब से क्या लिपटा रहेगा?

दुष्ट का दण्ड उससे लिपटा रहेगा।

Job 36:18

अय्यूब को धोखे में क्या रख सकता है और न्याय से विपथ कर सकता है?

धन धोखा देता है और घूस उसे न्याय से विमुख कर सकती है।

Job 36:19-20

अय्यूब को दुख से उबारने में कौन सी बात सहायता नहीं करती है?

अय्यूब का धन और बल उसे दुखों से उबार नहीं पायेंगे।

Job 36:21-22

एलीहू क्यों कहता है कि अय्यूब को कष्टों द्वारा परखा जा रहा है?

अय्यूब को कष्टों द्वारा इसलिए परखा जा रहा है कि वह पाप में न गिरे।

Job 36:23-25

परमेश्वर के बारे में कोई क्या नहीं कह सकता है?

परमेश्वर से कोई नहीं कह सकता कि उसने अनुचित काम किया है।

Job 36:26

परमेश्वर के बारे में हम क्या नहीं गिन सकते?

हम परमेश्वर के वर्षों की गिनती नहीं कर सकते।

Job 36:27

परमेश्वर वर्षा कैसे कराता है?

वह जल की बूंदे ऊपर को खींच लेता है, वे कुहरे में मेंह होकर टपकती हैं। वे ऊंचे-ऊंचे बादल उंडेलते हैं, और मनुष्यों के ऊपर बहुतायत से बरसाते हैं।

Job 36:28-29

परमेश्वर वर्षा कैसे कराता है?

वह जल की बूंदे ऊपर को खींच लेता है, वे कुहरे में मेंह होकर टपकती हैं। वे ऊंचे-ऊंचे बादल उंडेलते हैं, और मनुष्यों के ऊपर बहुतायत से बरसाते हैं।

Job 36:30

एलीहू क्यों कहता है कि परमेश्वर चारों ओर अपना उजियाला फैलाता है और समुद्र की थाह को ढांपता है?

वह ऐसा इसलिए करता है कि मनुष्य को भोजन बहुतायत से मिले।

Job 36:31

एलीहू क्यों कहता है कि परमेश्वर चारों ओर अपना उजियाला फैलाता है और समुद्र की थाह को ढांपता है?

वह ऐसा इसलिए करता है कि मनुष्य को भोजन बहुतायत से मिले।

Job 36:32

आनेवाले अंधड़ की चेतावनी मनुष्यों और पशुओं को किससे मिलती है?

बिजली की कड़क मनुष्यों और पशुओं को अन्धड़ की चेतावनी देती है।

Job 36:33

आनेवाले अंधड़ की चेतावनी मनुष्यों और पशुओं को किससे मिलती है?

बिजली की कड़क मनुष्यों और पशुओं को अन्धड़ की चेतावनी देती है।

Job 37

Job 37:1

एलीहू का हृदय क्यों कांप उठता है?

उसके बोलने का शब्द और उसके मुंह का शब्द सुनकर एलीहू का हृदय कांप उठता है।

Job 37:2-5

एलीहू का हृदय क्यों कांप उठता है?

उसके बोलने का शब्द और उसके मुंह का शब्द सुनकर एलीहू का हृदय कांप उठता है।

Job 37:6

परमेश्वर हिम और वर्षा को क्या करने को कहता है?

परमेश्वर हिम को और वर्षा को मूसलाधार होने की आज्ञा देता है।

Job 37:7

परमेश्वर मनुष्यों के हाथ पर मुहर क्यों कर देता है?

परमेश्वर मनुष्यों के हाथ पर मुहर इसलिए देता है कि उसके बनाए हुए सब मनुष्य उसे पहचानें।

Job 37:8

पशु क्यों छिपते और अपनी-अपनी मांद में रहते हैं?

वे बवण्डर के कारण छिपते हैं और अपनी-अपनी मांद में बैठे रहते हैं।

Job 37:9

पशु क्यों छिपते और अपनी-अपनी मांद में रहते हैं?

वे अंधड़ के कारण छिपते हैं और अपनी-अपनी मांद में बैठे रहते हैं।

Job 37:10-12

परमेश्वर की श्वास से क्या प्राप्त होता है?

परमेश्वर की श्वास से बर्फ मिलती है।

Job 37:13

परमेश्वर बादल का मार्गदर्शन क्यों करता है और उन्हें अपनी आज्ञापालन पर विवश करता है?

परमेश्वर ताड़ना देने के लिए, अपनी पृथ्वी की भलाई के लिए और मनुष्यों पर करुणा करने के लिए ऐसा करता है।

Job 37:14

एलीहू किस विषय पर अय्यूब को रुक कर विचार करने को कहता है?

वह चाहता है कि अय्यूब परमेश्वर के अद्भुत कामों पर रुक कर विचार करे।

Job 37:15-17

परमेश्वर बादलों को आज्ञा देता है तब क्या होता है?

तब बादल बिजली को चमकाते हैं।

Job 37:18

एलीहू आकाश का वर्णन करने के लिए किसकी उपमा देता है?

वह कहता है कि आकाश ढाले हुए दर्पण के तुल्य दृढ़ है।

Job 37:19-20

एलीहू क्यों कहता है कि न तो वह न अन्य कोई परमेश्वर से विवाद कर सकते हैं?

वे अपने ज्ञान के अन्धकार के कारण परमेश्वर से विवाद नहीं कर सकते।

Job 37:21-22

साफ आकाश में मनुष्य क्या नहीं देख पाता है?

मनुष्य साफ आकाश में सूर्य को नहीं निहार पाते हैं।

Job 37:23

एलीहू के अनुसार परमेश्वर अपने लोगों पर क्या नहीं करता है?

वह अपने लोगों पर अत्याचार नहीं करता है।

Job 37:24

एलीहू किसके लिए कहता है कि परमेश्वर उस पर ध्यान नहीं देता है?

जो अपनी समझ में बुद्धिमान है उन पर परमेश्वर ध्यान नहीं देता है।

Job 38

Job 38:1

यहोवा ने अय्यूब को किसमें से उत्तर दिया?

यहोवा ने आंधी में से अय्यूब को उत्तर दिया।

Job 38:2

यहोवा की योजना पर किस प्रकार कोई अन्धकार ला सकता है?

अय्यूब ने अज्ञानता की बातों से यहोवा की योजना पर अन्धकार डाला।

Job 38:3-5

यहोवा जब अय्यूब से प्रश्न करे तो अय्यूब को कैसे तैयार होना है?

परमेश्वर अय्यूब से कहता है कि वह कमर कसकर तैयार हो जाए कि परमेश्वर के प्रश्नों का उत्तर दे पाए।

Job 38:6

यहोवा ने पृथ्वी के कोने का पत्थर बिठाया तब कौन एक संग आनन्द से गाते थे और कौन जय जयकार करते थे?

भोर के तारे एक संग आनन्द से गाते थे और परमेश्वर के सब पुत्र जय जयकार करते थे।

Job 38:7

यहोवा ने पृथ्वी के कोने का पत्थर बिठाया तब कौन एक संग आनन्द से गाते थे और कौन जय जयकार करते थे?

भोर के तारे एक संग आनन्द से गाते थे और परमेश्वर के सब पुत्र जय जयकार करते थे।

Job 38:8-9

यहोवा ने समुद्र को जब द्वार में बन्द कर दिया तब उसका फूट निकलने की परमेश्वर किसके साथ तुलना करता है?

परमेश्वर उसके फूट निकलने की तुलना गर्भ से फूट निकलने के साथ करता है।

Job 38:10

परमेश्वर ने समुद्र की सीमा बांधने के लिए क्या रखा कि वह वहीं तक रहे आगे न आए?

परमेश्वर ने बेड़े और किवाड़ें लगा दिए और उससे कहा, यहीं तक आ और आगे न बढ़।

Job 38:11-13

परमेश्वर ने समुद्र की सीमा बांधने के लिए क्या रखा कि वह वहीं तक रहे आगे न आए?

परमेश्वर ने बेड़े और किवाड़ें लगा दिए और उससे कहा, यहीं तक आ और आगे न बढ़।

Job 38:14-18

पृथ्वी कैसे बदलती है जैसे मोहर के नीचे चिकनी मिट्टी?

भोर का प्रकाश पृथ्वी को बदल देता है कि उसकी सब वस्तुयें ऐसी स्पष्ट दिखाई देने लगती हैं जैसे कपड़े पर बने तह बनाने के चिन्ह।

Job 38:19

अंधकार और ज्योति के विश्रामस्थान की अय्यूब की ज्ञान की कमी के विषय में परमेश्वर क्या कहकर ठठ्ठा करता है?

परमेश्वर कहता है कि नि:संदेह तू यह सब कुछ जानता होगा, क्योंकि तू बहुत आयु का है।

Job 38:20

अंधकार और ज्योति के विश्रामस्थान की अय्यूब की ज्ञान की कमी के विषय में परमेश्वर क्या कहकर ठठ्ठा करता है?

परमेश्वर कहता है कि नि:संदेह तू यह सब कुछ जानता होगा, क्योंकि तू बहुत आयु का है।

Job 38:21

अंधकार और ज्योति के विश्रामस्थान की अय्यूब की ज्ञान की कमी के विषय में परमेश्वर क्या कहकर ठठ्ठा करता है?

परमेश्वर कहता है कि नि:संदेह तू यह सब कुछ जानता होगा, क्योंकि तू बहुत आयु का है।

Job 38:22

परमेश्वर ने हिम और ओलों का भंडार क्यों रखा हुआ है?

परमेश्वर ने हिम और ओलों का भंडार युद्ध के दिन के लिए रखा है।

Job 38:23-24

परमेश्वर ने हिम और ओलों का भंडार क्यों रखा हुआ है?

परमेश्वर ने हिम और ओलों का भंडार युद्ध के दिन के लिए रखा है।

Job 38:25

परमेश्वर निर्जन स्थान में जहां जंगल है वर्षा क्यों कराता है?

वह उजाड़ देश को सींचने और हरी घास उगाने के लिए वहां मेंह बरसाता है।

Job 38:26

परमेश्वर निर्जन स्थान में जहां जंगल है वर्षा क्यों कराता है?

वह उजाड़ देश को सींचने और हरी घास उगाने के लिए वहां मेंह बरसाता है।

Job 38:27-30

परमेश्वर निर्जन स्थान में जहां जंगल है वर्षा क्यों कराता है?

वह उजाड़ देश को सींचने और हरी घास उगाने के लिए वहां मेंह बरसाता है।

Job 38:31-36

परमेश्वर कचपचिया और मृगशिरा के बारे में क्या करने के लिए कहता है?

परमेश्वर अय्यूब से पूछता है कि वह कचपचिया का गुच्छा गूँथ सकता है मृगशिरा के बंधन खोल सकता है।

Job 38:37

जब परमेश्वर पृथ्वी की धूल और बादलों पर पानी गिराता है तब उनका क्या होता है?

धूलि जम जाती है और ढेले एक दूसरे से सट जाते हैं।

Job 38:38-39

जब परमेश्वर पृथ्वी की धूल और बादलों पर पानी गिराता है तब उनका क्या होता है?

धूलि जम जाती है और ढेले एक दूसरे से सट जाते हैं।

Job 38:40

शेर के बच्चे भोजन के लिए कहां ठहरते हैं?

वे मांद में बैठकर आड़ में घात लगाए दबक कर बैठते हैं।

Job 38:41

कौवे के बच्चे क्यों निराहार उड़ते फिरते ?

भोजन की कमी के कारण वे उड़ते फिरते हैं।

Job 39

Job 39:4-5

खुले हरिणी के बच्चे खुले मैदान में बढ़ते हैं तो क्या होता है?

वे निकल जाते और फिर नहीं लौटते हैं।

Job 39:6-7

यहोवा ने गदहों के लिए कहां घर बनाया है?

यहोवा ने निर्जल भूमि को उन का घर और नमकीन भूमि को उनका निवास बनाया है।

Job 39:8-9

जंगली गदहा भोजन कहां पाता है?

वह पहाड़ों पर हरियाली चरता है, वह सब भांति की हरियाली ढूंढता फिरता है।

Job 39:10-12

यहोवा अय्यूब से क्या पूछता है कि वह रस्सियों द्वारा जंगली सांड से क्या करवा सकता है?

यहोवा अय्यूब से पूछता है कि वह जंगली सांड को रस्सियों से बांध कर रेधारियों में चला सकता है, क्या वह नाले में उसके पीछे-पीछे हेंगा फेरेगा।

Job 39:13

शुतुरमुर्गी आनंद से क्या फुलाती है?

शुतुरमुर्गी आनंद से अपने पंख फैलाती है।

Job 39:14-15

शुतुरमुर्गी अपने अंडों का क्या करती है?

वह अपने अंडे छोड़ देती है कि धूलि में गर्म हो।

Job 39:16-17

शुतुरमुर्गी को क्यों डर नहीं होता कि उसका परिश्रम व्यर्थ होगा?

परमेश्‍वर ने उसको बुद्धिरहित बनाया, और उसे समझने की शक्ति नहीं दी।

Job 39:18

यहोवा के कथन के अनुसार, शुतुरमुर्ग दौड़ते समय क्या करती है?

वह घोड़े और उसके सवार को कुछ नहीं समझती है।

Job 39:19-21

घोड़े की गर्दन का वस्त्र क्या है?

घोड़े की गर्दन का वस्त्र उसकी गर्दन में फहराती हुई घने बाल है।

Job 39:22-23

घोड़ा तलवार को देखकर क्या करता है?

वह तलवार को देखकर पीछे नहीं हटता है।

Job 39:24-26

नरसिंगे का शब्द सुनकर घोड़ा क्या करता है?

वह एक स्थान में खड़ा नहीं रह सकता है।

Job 39:27

उकाब अपना घोंसला और बसेरा कहां करता है?

वह ऊंचे स्थान पर अपना घोंसला बनाता है और चट्टान की चोटी और दृढ़ स्थान पर बसेरा करता है।

Job 39:28-30

उकाब अपना घोंसला और बसेरा कहां करता है?

वह ऊंचे स्थान पर अपना घोंसला बनाता है और चट्टान की चोटी और दृढ़ स्थान पर बसेरा करता है।

Job 40

Job 40:4-5

अय्यूब ने कैसे प्रकट किया कि वह यहोवा को उत्तर देने के लिए नगण्य है?

उसने अपना हाथ अपने मुंह पर रख लिया।

Job 40:6

यहोवा ने अय्यूब को कहां से उत्तर दिया?

यहोवा ने आंधी में से अय्यूब को उत्तर दिया।

Job 40:7

यहोवा ने अय्यूब से क्या कहा कि वह उसे उत्तर देने के लिए करे?

यहोवा ने उससे कहा कि वह पुरूष के समान अपनी कमर कस ले।

Job 40:8-9

यहोवा ने क्यों कहा कि अय्यूब उसे दोष दे रहा है?

यहोवा ने कहा कि अय्यूब उसे दोष इसलिए दे रहा है कि वे निर्दोष ठहरे।

Job 40:10-11

यहोवा अय्यूब से क्या धारण करने को कहता है?

यहोवा ने अय्यूब से कहा कि वह अपने को महिमा और प्रताप से संवारकर ऐश्वर्य और तेज के वस्त्र पहन ले।

Job 40:12-14

यहोवा अय्यूब से क्या कह रहा है कि दुष्टों के साथ करे?

यहोवा ने अय्यूब से कहता कि जहां वे खड़े हैं वहाँ उन्हें कुचल दे।

Job 40:15-16

जलगज क्या खाता है?

वह बैल के समान घास खाता है।

Job 40:17-18

जलगज की पूंछ कैसी है?

उसकी पूंछ देवदार के समान है।

Job 40:19-20

जलगज को कौन हरा सकता है?

केवल परमेश्वर जलगज को हरा सकता है।

Job 40:21-22

जलगज कहां सोता है?

वह कमल के पौधों के नीचे नरकटों की आड़ में कीच पर लेटता है।

Job 40:23-24

नदी की बाढ़ और यरदन का पानी चढ़ जाने पर जलगज क्या सोचता है?

वह न तो घबराता है और न ही डरता है।

Job 41

Job 41:1-5

यहोवा अय्यूब से पूछता है कि वह लिव्यातान को किससे खींचेगा।

यहोवा उससे पूछता है कि क्या वह लिव्यातान को बंसी से बाहर खींच सकता है।

Job 41:6-7

यहोवा अय्यूब से पूछता है कि मछुवे लिव्यातान का क्या करेंगे?

क्या मछुओं के दल उसे बिकाऊ समझेंगे? क्या वे उसे व्यापारियों में बांट देंगे?

Job 41:8-9

यदि मनुष्य लिव्यातान पर हाथ डालें तो क्या होगा?

वह लड़ाई को कभी न भूलेगा और भविष्य में कभी ऐसा नहीं करेगा।

Job 41:10-13

लिव्यातान को छेड़ने का साहस किसी में नहीं तो क्या कोई यहोवा के सामने खड़ा हो सकता है?

हीं, यहोवा के समक्ष खड़ा होने का साहस किसी में नहीं है।

Job 41:14-15

यहोवा लिव्यातान का वर्णन कैसे करता है?

उसके मुख के किवाड़ उसके दाँतों से जुड़े हैं जो भयानक हैं।

Job 41:16-17

लिव्यातान की पीठ के छिलके कितने निकट हैं?

वे इतने निकट हैं कि उनमें हवा नहीं जा सकती है।

Job 41:18

यहोवा लिव्यातान की आँखों का वर्णन कैसे करता है?

उसकी आँखें भोर की पलकों के समान हैं।

Job 41:19

लिव्यातान के मुँह से क्या निकलता है?

उसके मुंह से जलते हुए पलीते निकलते हैं; और आग की चिंगारियाँ निकलती हैं।

Job 41:20-23

लिव्यातान के नथनों से निकलने वाला धुआँ कैसा होता है?

उसके नथनों से धुआं ऐसा निकलता है जैसा खौलता हुआ हाँडे से और जलते हुए नरकटों से।

Job 41:24

लिव्यातान का हृदय कैसा है?

लिव्यातान का हृदय चक्की के निचले फाटक के समान है।

Job 41:25

देवता क्या करते हैं जब लिव्यातान उठने लगता है?

वे डर के पीछे हट जाते हैं।

Job 41:26

लिव्यातान से तलवार,भाला, तीर या कोई भी हथियार टकराता है तो क्या होता है?

उसे कुछ नहीं होता है।

Job 41:27-29

लिव्यातान लोहे और पीतल को क्या समझता है?

वह लोहे को पुआल सा और पीतल को सड़ी लकड़ी का सा जानता है।

Job 41:30

वह चलते समय कैसा निशान बनाता है?

वह कीचड़ पर मानो हेंगा फेरता है।

Job 41:31-32

वह गहरे जल को कैसा बना देता है?

वह गहरे जल को हांडे के समान बनाता है।

Job 41:33-34

पृथ्वी पर लिव्यातान का कोई जोड़ क्यों नहीं है?

उसके जैसा निर्भय पृथ्वी पर किसी को नहीं बनाया गया है।

Job 42

Job 42:3-5

अय्यूब ने अपनी बातों के विषय क्या स्वीकार किया?

उसने स्वीकार किया कि जो वह नहीं समझता था, उसने कहा, अर्थात वे बातें जो उसके लिए समझने में कठिन और समझ से बाहर जिन्हें वह जानता नहीं था।

Job 42:6

यहोवा को आँखों से देखकर अय्यूब की प्रतिक्रिया कैसी थी?

अय्यूब को स्वयं पर घृणा आई और उसने धूल और राख में पश्चाताप किया।

Job 42:7

यहोवा ने क्या कहा कि एलीपज और उसके दोनों मित्रों ने गलत किया?

यहोवा ने कहा कि एलीपज और उसके मित्रों ने यहोवा के बारे में अय्यूब के सदृश्य ठीक बात नहीं कही।

Job 42:8-9

यहोवा ने एलीपज से कैसी बलि चढ़ाने के लिए कहा?

यहोवा ने उससे कहा कि वह सात बैल और सात मेढ़े लेकर अय्यूब के पास जाकर होमबलि चढ़ाएं।

यहोवा ने किसकी प्रार्थना स्वीकार की थी?

यहोवा ने कहा कि वह केवल अय्यूब की प्रार्थना स्वीकार करेगा।

Job 42:10

अय्यूब ने अपने मित्रों के लिए प्रार्थना की तो क्या हुआ?

यहोवा ने उसका सारा दुःख दूर किया और जितना उसके पास पहले था उसका दुगना उसे दे दिया।

Job 42:11

जब लोग अय्यूब को शान्ति देने आए तब उन्होंने उसे क्या दिया?

हर एक जन ने उसे चांदी और सोने की अंगूठी दी।

Job 42:12

अय्यूब के अन्तिम दिनों में यहोवा ने उसे कैसे आशिषित किया?

यहोवा ने उसे उसके पूर्वकालिक जीवन से भी अधिक आशिष दी।

Job 42:13-14

यहोवा ने अय्यूब को और कितने पुत्र-पुत्री दिए?

उसके सात पुत्र और तीन पुत्रियां उत्पन्न हुईं।

Job 42:15-17

अय्यूब की पुत्रियों में कैसा अद्वैत गुण था?

उस सारे देश में ऐसी स्त्रियां कहीं न थीं जो अय्यूब की बेटियों के समान सुन्दर हों और उनके पिता ने उनके भाइयों के संग ही सम्पत्ति दी।