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Luke

Luke 1

Luke 1:1

लूका जिन प्रत्यक्ष साक्षियों का उल्लेख करता है वे कौन थे?

"प्रत्यक्ष साक्षी" वे थे जो यीशु के साथ उसकी सेवा के आरंभ से थे।

Luke 1:2-3

लूका ने जिन “चश्मदीद गवाहों” का उल्लेख किया वे कौन थे?

“चश्मदीद गवाह” वह थे जो यीशु की सेवकाई के प्रारम्भ से ही प्रेरितों के साथ थे।

यीशु ने जो किया उसे देखने के बाद कुछ चश्मदीद गवाहों ने क्या किया?

उन्होंने यीशु द्वारा किए गए कामों का क्रमानुसार विवरण लिखा या कहानी लिखी।

Luke 1:4-5

यीशु ने जो कहा और किया, लूका ने उसका विवरण स्वयं लिखने का निर्णय क्यों लिया?

वह चाहता था कि थियुफिलुस उन बातों के विषय में निश्चिंतता से जाने जो उसे सिखाई गई थी।

Luke 1:6

परमेश्वर ने जकर्याह और एलीशिबा को धर्मी क्यों माना?

परमेश्वर ने उन्हें धर्मी माना, क्योंकि वे बिना किसी दोष के उसके सभी आदेशों और नियमों का पालन करते थे।

Luke 1:7

जकर्याह और एलीशिबा के कोई भी संतान क्यों नहीं थी?

उनके कोई भी संतान नहीं थी क्योंकि एलीशिबा संतान उत्पन्न करने में सक्षम नहीं थी| अब वह और जकर्याह दोनों ही बहुत बूढ़े हो गए थे।

Luke 1:8

जकर्याह परमेश्वर के सामने क्या काम करता था?

जकर्याह याजक के रूप में सेवा करता था।

Luke 1:9

जकर्याह ने मन्दिर में क्या किया?

उसने प्रभु के लिए धूप जलाई।

Luke 1:10

जब जकर्याह मन्दिर में था तब लोग क्या कर रहे थे?

लोग मन्दिर के बाहर रुके रहे और वे प्रार्थना कर रहे थे।

Luke 1:11

जब जकर्याह मन्दिर में था तब उसके सामने कौन प्रगट हुआ?

मन्दिर में जकर्याह के सामने प्रभु का एक स्वर्गदूत प्रकट हुआ।

Luke 1:12

जब जकर्याह ने उस स्वर्गदूत को देखा तो उसने ने क्या किया?

जब जकर्याह ने उस स्वर्गदूत को देखा तो वह घबरा गया और बहुत भयभीत हो गया था।

Luke 1:13-15

उस स्वर्गदूत ने जकर्याह से क्या कहा?

उस स्वर्गदूत ने जकर्याह से कहा, कि डर मत और यह कि तेरी पत्नी एलीशिबा एक पुत्र को जन्म देगी। उसके पुत्र का नाम यूहन्ना होगा।

Luke 1:16

उस स्वर्गदूत ने क्या कहा कि यूहन्ना इस्राएल के लोगों के लिए क्या करेगा?

उस स्वर्गदूत ने कहा कि यूहन्ना इस्राएल के बहुत से लोगों को उनके प्रभु परमेश्वर की ओर लौटने को प्रेरित करेगा।

Luke 1:17-18

यूहन्ना के कामों ने लोगों को किस तरह से तैयार किया?

यूहन्ना के कामों ने लोगों को प्रभु की खातिर तैयार किया।

Luke 1:19

उस स्वर्गदूत का क्या नाम था और वह सामान्य रूप से कहाँ रहता था?

उस स्वर्गदूत का नाम जिब्राईल था और वह सामान्य रूप से परमेश्वर की उपस्थिति में खड़ा रहता था।

Luke 1:20

उस स्वर्गदूत ने क्या कहा कि जकर्याह के साथ क्या होगा क्योंकि उसने उस स्वर्गदूत की बातों पर विश्वास नहीं किया?

जकर्याह तब तक बोलने में असमर्थ हो जायेगा जब तक कि उस बच्चे का जन्म न हो जाए।

Luke 1:21-26

स्वर्गदूत की बात पर विश्वास न करने पर जकरयाह के साथ क्या हुआ?

पुत्र के जन्म लेने तक जकरयाह बोलने योग्य न रहा।

Luke 1:27-30

एलीशिबा के गर्भधारण के छठे महीने के बाद, जिब्राईल को परमेश्वर ने किसे देखने के लिए भेजा था?

उसे मरियम नाम की एक कुँवारी के पास भेजा गया जिसकी दाऊद के वंशज यूसुफ़ से सगाई हो चुकी थी।

Luke 1:31-32

उस स्वर्गदूत ने क्या कहा कि मरियम के साथ क्या होगा?

उस स्वर्गदूत ने कहा कि मरियम गर्भवती होगी और एक पुत्र को जन्म देगी और वह उसका नाम यीशु रखेगी।

Luke 1:33-34

वह बच्चा क्या करेगा?

वह बच्चा अनन्त काल तक याकूब के घराने पर राज करेगा और उसके राज्य का अंत कभी नहीं होगा।

Luke 1:35-36

स्वर्गदूत ने कैसे कहा कि मरियम के कुँवारी होने के बावजूद भी ऐसा होगा?

स्वर्गदूत ने कहा कि पवित्र आत्मा मरियम पर उतरेगा और परमप्रधान की शक्ति उस पर छाया करेगी।

स्वर्गदूत ने क्या कहा कि यह पवित्र बालक किसका पुत्र होगा?

स्वर्गदूत ने कहा कि यह पवित्र बालक परमेश्वर का पुत्र कहलायेगा।

Luke 1:37-40

स्वर्गदूत ने क्या कहा कि परमेश्वर के लिए क्या असंभव नहीं है?

परमेश्वर के लिए कुछ भी असम्भव नहीं।

Luke 1:41

जब मरियम ने एलीशिबा का अभिवादन किया, तो एलीशिबा के बच्चे ने क्या किया?

बच्चा उसके पेट में ख़ुशी से उछल पड़ा।

Luke 1:42-53

एलीशिबा ने किसे धन्य कहा?

एलीशिबा ने कहा कि मरियम और उसका बच्चा धन्य हैं।

Luke 1:54-58

परमेश्वर ने अपने दास इस्राएल की सहायता क्यों की?

परमेश्वर ने अपनी दया को याद किया।

Luke 1:59-62

परमेश्वर ने अपनी दया को याद किया।

आम तौर पर, वे उसके पिता के नाम के अनुसार उसका नाम जकर्याह रखने जा रहे थे।

Luke 1:63

जब उससे पूछा गया कि बच्चे का नाम क्या होना चाहिए तो जकर्याह ने क्या लिखा?

जकर्याह ने लिखा कि, “इसका नाम यूहन्ना है।”

Luke 1:64-65

बच्चे का नाम लिखने के तुरंत बाद जकर्याह के साथ क्या हुआ?

बच्चे का नाम लिखने के तुरंत बाद, जकर्याह बोलने लगा और परमेश्वर की स्तुति करने लगा।

Luke 1:66-67

इन सभी घटनाओं के कारण सभी को बच्चे के बारे में क्या पता चला?

उन्होंने जान लिया कि प्रभु का हाथ उस पर है।

Luke 1:68-76

परमेश्वर ने अब क्या पूरा किया जिसके कारण जकर्याह ने परमेश्वर की स्तुति की?

परमेश्वर ने अब अपने लोगों के लिए छुटकारे को पूरा कर किया है।

Luke 1:77-79

जकर्याह ने क्या भविष्यवाणी की थी कि उसका बच्चा यूहन्ना लोगों को क्या जानने में सहायता करेगा?

यूहन्ना लोगों को यह जानने में सहायता करेगा कि उनके पापों की क्षमा के द्वारा कैसे उनका उद्धार होगा।

Luke 1:80

यूहन्ना कहाँ बड़ा हुआ और जनता में प्रगट होने तक वह कहाँ रहा?

यूहन्ना निर्जन स्थानों में रहा और वहीं बड़ा हुआ।

Luke 2

Luke 2:3

जनगणना के लिए गणना कराने के लिए लोग कहाँ गए थे?

सब लोग जनगणना के लिए अपने अपने नगर को गए थे।

Luke 2:4-6

यूसुफ मरियम के साथ बैतलहम में गणना कराने के लिए क्यों गया?

यूसुफ और मरियम बैतलहम गए क्योंकि यूसुफ दाऊद का वंशज था।

Luke 2:7

जब मरियम ने अपने पुत्र को जन्म दिया तो उसने उसे कहाँ रखा?

जब बच्चे का जन्म हुआ, तो मरियम ने उसे एक चरनी में रखा।

Luke 2:8

उस रात गड़रिये क्या कर रहे थे?

वे खुले खेतों में थे और अपने झुंड की रखवाली कर रहे थे।

Luke 2:9-10

स्वर्गदूत को देखकर गड़रियों ने क्या प्रतिक्रिया की?

गड़रिये बहुत डर गए थे।

Luke 2:11-14

स्वर्गदूत ने गड़रियों को क्या अच्छा समाचार दिया?

स्वर्गदूत ने गड़रियों से कहा कि उद्धारकर्ता प्रभु मसीह का जन्म हुआ है।

Luke 2:15

स्वर्गदूतों के जाने के बाद गड़रियों ने क्या करने का फैसला किया?

गड़रियों ने उस बालक को देखने के लिए बैतलहम जाने का फैसला किया जिसका जन्म हुआ था।

Luke 2:16-20

बैतलहम में गड़रियों ने क्या पाया?

गड़रियों ने मरियम और यूसुफ और चरनी में पड़े हुए बालक को पाया।

Luke 2:21

यीशु का खतना कब हुआ था?

यीशु के जन्म के आठवें दिन पर उसका खतना किया गया था।

Luke 2:22-25

यूसुफ और मरियम बालक यीशु को यरूशलेम के मंदिर में क्यों ले गए?

उसे प्रभु को समर्पित करने के लिये और मूसा की व्यवस्था के अनुसार वह बलि चढ़ाने के लिए, वे उसे मन्दिर में ले गए।

Luke 2:26-31

पवित्र आत्मा ने शमौन पर क्या प्रकट किया?

पवित्र आत्मा ने शमौन पर प्रकट किया कि जब तक वह प्रभु के मसीह के दर्शन नहीं कर लेगा, वह मरेगा नहीं।

Luke 2:32-34

पवित्र आत्मा ने शमौन पर प्रकट किया कि जब तक वह प्रभु के मसीह के दर्शन नहीं कर लेगा, वह मरेगा नहीं।

शमौन ने कहा कि यीशु ग़ैर यहूदियों के लिए प्रकाशन का स्रोत और परमेश्वर के लोगों, इस्राएल के लिये महिमा है।

Luke 2:35-37

शमौन ने कहा कि यीशु ग़ैर यहूदियों के लिए प्रकाशन का स्रोत और परमेश्वर के लोगों, इस्राएल के लिये महिमा है।

शमौन ने कहा कि तलवार से उसका अपना प्राण भी छिद जाएगा।

Luke 2:38-39

नबी हन्नाह ने क्या किया जब वह मरियम, यूसुफ और यीशु के पास आई?

हन्नाह ने परमेश्वर को धन्यवाद देना आरम्भ किया और सब लोगों को उस बालक के बारे में बताने लगी।

Luke 2:40-42

बालक यीशु के नासरत लौटने के बाद क्या हुआ?

यीशु बढ़ता एवं हृष्ट-पुष्ट होता गया, वह बहुत बुद्धिमान होता गया और उस पर परमेश्वर का अनुग्रह था।

Luke 2:43

यीशु के माता-पिता ने क्यों यह नहीं सोचा कि वह फसह के पर्व के समय यरूशलेम में रह गया है?

उन्हें इसका बोध नहीं था क्योंकि उन्होंने सोचा कि यीशु साथ चल रहे समूह में ही होगा।

Luke 2:44-45

यीशु के माता-पिता को यह एहसास क्यों नहीं हुआ कि वह फ़सह के पर्व के दौरान यरूशलेम में पीछे रह गया था?

उन्हें इस बात का एहसास इसलिए नहीं हुआ क्योंकि वे यह सोचने लगे कि वह उस समूह में होगा जो उनके साथ यात्रा कर रहा था।

Luke 2:46-48

उसके माता-पिता ने यीशु को कहाँ पाया और वह क्या कर रहा था?

उसके माता-पिता ने उसे मन्दिर में उपदेशकों के बीच बैठे और उनकी बात सुनते और उनसे प्रश्न पूछते हुए पाया।

Luke 2:49-50

जब मरियम ने उससे कहा कि वे उसे बड़ी व्याकुलता से ढूँढ़ रहे थे तो यीशु ने क्या उत्तर दिया?

"क्या तुम नहीं जानते कि मुझे मेरे पिता के भवन में ही होना चाहिये?”

Luke 2:51

जब वे नासरत को लौट गये तो यीशु का अपने माता-पिता के प्रति क्या रवैया था?

वह उनके अधीन था।

Luke 2:52

जब यीशु बड़ा होने लगा तो वह किस तरह का युवक था?

वह बुद्धि में, डील-डौल में और परमेश्वर तथा मनुष्यों के प्रेम में बढ़ता गया।

Luke 3

Luke 3:3

यरदन के आस-पास के सारे प्रदेश में यूहन्ना ने क्या प्रचार किया?

यूहन्ना ने पापों की क्षमा के लिये मन फिराव के बपतिस्मा का प्रचार किया।

Luke 3:4-7

यूहन्ना ने क्या कहा कि वह किसके लिए मार्ग तैयार कर रहा है?

यूहन्ना ने कहा कि वह प्रभु के लिए मार्ग तैयार कर रहा है?

Luke 3:8

यह सोचने के बजाय कि अब्राहम उनका पिता था, यूहन्ना ने लोगों से क्या करने के लिए कहा?

यूहन्ना ने उनसे कहा कि वे मन फिराव के योग्य फल लाएँ।

Luke 3:9-12

यूहन्ना ने क्या कहा कि उस पेड़ के साथ क्या होता है जो अच्छा फल नहीं लाता है?

यूहन्ना ने कहा कि ऐसा पेड़ काटा और आग में झोंका जाता है।

Luke 3:13-15

यूहन्ना ने चुंगी लेनेवालों से क्या कहा कि उन्हें सच्चा मन फिराव दिखाने के लिए क्या करना चाहिए?

यूहन्ना ने कहा कि जितना पैसा उनके लिए ठहराया गया है, उन्हें उससे अधिक नहीं लेना चाहिए।

Luke 3:16-18

यूहना ने लोगों से कहा कि वह तो पानी से बपतिस्मा देता है। उसने क्या कहा कि जो आनेवाला है किस से बपतिस्मा देगा?

यूहन्ना ने कहा कि जो आनेवाला है वह पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा।

Luke 3:19

यूहन्ना ने हेरोदेस को क्यों उलाहना दिया?

यूहन्ना ने हेरोदेस को इसलिए उलाहना दिया क्योंकि हेरोदेस ने अपने ही भाई की पत्नी से विवाह किया था और उसने ओर भी बहुत से कुकर्म किए थे।

Luke 3:20

किसने यूहन्ना को बन्दीगृह में डाल दिया?

हेरोदेस ने यूहन्ना को बन्दीगृह में डाल दिया?

Luke 3:21

यूहन्ना द्वारा यीशु को बपतिस्मा देने के तुरंत बाद क्या हुआ?

यूहन्ना द्वारा यीशु को बपतिस्मा देने के बाद, आकाश खुल गया।

Luke 3:22

यूहन्ना द्वारा यीशु को बपतिस्मा देने के बाद कौन स्वर्ग से उतर आया?

पवित्र आत्मा कबूतर के समान यीशु पर उतर आया।

आकाशवाणी ने क्या कहा?

आकाशवाणी ने कहा कि, “तू मेरा प्रिय पुत्र है। मैं तुझ से प्रसन्न हूँ।”

Luke 3:23-38

जब यीशु उपदेश करने लगा तो उसकी आयु लगभग कितनी थी?

जब यीशु उपदेश करने लगा तो उसकी आयु लगभग 30 वर्ष की थी?

Luke 4

Luke 4:1

यीशु को जंगल में जाने के लिए किसने अगुआई की?

x

Luke 4:2

जंगल में शैतान यीशु की कब तक परीक्षा करता रहा?

जंगल में शैतान यीशु की 40 दिनों तक परीक्षा करता रहा?

Luke 4:3

शैतान ने यीशु को जमीन के पत्थरों से क्या करने की चुनौती दी?

शैतान ने यीशु से कहा कि वह पत्थरों को रोटी में बदल दे।

Luke 4:4

शैतान के लिए यीशु की क्या प्रतिक्रिया थी?

यीशु ने कहा कि लिखा है कि मनुष्य केवल रोटी से जीवित न रहेगा।

Luke 4:5-6

यीशु ने कहा कि लिखा है कि मनुष्य केवल रोटी से जीवित न रहेगा।

शैतान ने यीशु को जगत के सारे राज्य दिखाए।

Luke 4:7

शैतान क्या क्या चाहता था कि यीशु क्या करे?

शैतान चाहता था कि यीशु उसे प्रणाम करे।

Luke 4:8

शैतान के लिए यीशु की क्या प्रतिक्रिया थी?

यीशु ने कहा कि लिखा है, कि ‘तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर।

Luke 4:9-11

मन्दिर के कंगूरे पर ले जाकर शैतान ने यीशु को क्या करने के लिए कहा?

उसने यीशु से कहा कि वह अपने आपको वहाँ से नीचे गिरा दे।

Luke 4:12

शैतान के लिए यीशु की क्या प्रतिक्रिया थी?

यीशु ने कहा कि यह लिखा है कि तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न करना।

Luke 4:13-16

यीशु द्वारा अपने आप को मन्दिर से नीचे गिराने से इनकार करने के बाद शैतान ने क्या किया?

शैतान कुछ समय के लिये यीशु के पास से चला गया।

Luke 4:17-20

आराधनालय में खड़े होने पर यीशु ने पवित्र-शास्त्रों की कौन सी पुस्तक पढ़ी?

यीशु ने यशायाह भविष्यवक्ता की पुस्तक से पढ़ा।

Luke 4:21-23

यीशु ने क्या कहा कि उस दिन क्या पूरा हुआ था?

यीशु ने कहा कि जो वचन उसने अभी-अभी यशायाह की पुस्तक में से पढ़ा था, वह उस दिन पूरा हुआ था।

Luke 4:24-25

यीशु ने क्या कहा कि एक भविष्यद्वक्ता को अपने ही देश में किस तरह का मान-सम्मान मिलता है?

यीशु ने कहा कि किसी भी भविष्यद्वक्ता को अपने ही देश में स्वीकार नहीं किया जाता है।

Luke 4:26

आराधनालय में लोगों के लिए यीशु के पहले उदाहरण में, परमेश्वर ने एलिय्याह को किसी की सहायता करने के लिए कहाँ भेजा?

परमेश्वर ने एलिय्याह को एक विधवा स्त्री की सहायता करने के लिए सीदोन के सारफत में भेजा।

Luke 4:27

आराधनालय में लोगों के लिए यीशु के दूसरे उदाहरण में परमेश्वर ने एलीशा द्वारा जिसकी सहायता की गई वह व्यक्ति किस देश से था?

परमेश्वर ने एलीशा द्वारा नामान की सहायता की, जो सीरिया का रहने वाला था।

Luke 4:28

आराधनालय के लोगों ने यीशु के इन उदाहरणों को सुनकर कैसी प्रतिक्रिया दी?

वे क्रोध से भर गए।

Luke 4:29

आराधनालय के लोगों ने कैसे यीशु को मारने की कोशिश की?

उन्होंने उसे उस चोटी से नीचे गिराने की योजना बनाई जिस पर उनका नगर बना हुआ था।

Luke 4:30-33

आराधनालय के लोगों द्वारा उसे मारे जाने से यीशु कैसे बचा?

यीशु उनके बीच में से निकलकर चला गया।

Luke 4:34-35

आराधनालय में, यीशु को जानने वाले मनुष्य के द्वारा अशुद्ध आत्मा ने यीशु के बारे में क्या बोला?

अशुद्ध आत्मा ने कहा कि वह जानता था कि यीशु परमेश्वर के पवित्र जन था।

Luke 4:36-39

यीशु द्वारा अशुद्ध आत्मा को निकालने के बाद लोगों की क्या प्रतिक्रिया थी?

लोग अचम्भा हुए और आपस में इस बारे में बातें करने लगे।

Luke 4:40

यीशु ने उन बीमारों के लिए क्या किया जिनको उसके पास लाया गया था?

यीशु ने उन में से एक-एक पर हाथ रखा और उन्हें चंगा किया।

Luke 4:41-42

दुष्टात्माओं को निकाले जाने पर उन्होंने क्या कहा और यीशु ने उन्हें बोलने क्यों नहीं दिया?

दुष्टात्माओं ने कहा कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है, और यीशु ने उन्हें बोलने नहीं दिया क्योंकि वे जानते थे कि वह मसीह है।

Luke 4:43-44

यीशु ने क्या कहा कि उसे भेजे जाने का कारण क्या था?

यीशु ने कहा कि उसे बहुत से नगरों में परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनाने के लिए भेजा गया था।

Luke 5

Luke 5:4

लोगों को सिखाने के लिए शमौन की नाव का इस्तेमाल करने के बाद यीशु ने शमौन से अपनी नाव के साथ क्या करने को कहा?

नाव को गहरे में ले चल, और मछलियाँ पकड़ने के लिये अपने जाल डाल।

Luke 5:5

भले ही पतरस ने पिछली रात को कुछ नहीं पकड़ा था, फिर भी उसने क्या किया?

उसने आज्ञा मानी और जाल डाले।

Luke 5:6-7

जब उन्होंने जाल डाले तो क्या हुआ?

उन्होंने बहुत सारी मछलियाँ घेर ली यहाँ तक कि उनके जाल फटने लगे।

Luke 5:8-9

तब शमौन यीशु से क्या चाहता था? और क्यों?

शमौन चाहता था कि यीशु उससे दूर चला जाए क्योंकि शमौन जानता था कि वह (शमौन) एक पापी व्यक्ति था।

Luke 5:10-14

यीशु ने शमौन से उसके भविष्य के काम के बारे में क्या कहा?

यीशु ने कहा कि अब से शमौन मनुष्यों को पकड़ेगा।

Luke 5:15-19

इस समय, यीशु के पास उसका उपदेश सुनने और अपनी बीमारियों से चंगे होने के लिए कौन आ रहा था?

यीशु के पास लोगों की बड़ी भीड़ आ रही थी।

Luke 5:20

यीशु ने उस लकवा के रोगी से क्या कहा जिसके दोस्तों ने उसे घर की छत से नीचे उतारा?

यीशु ने उससे कहा कि उसके पाप क्षमा कर दिए गए हैं।

Luke 5:21-23

शास्त्रियों और फरीसियों ने इस कथन को परमेश्वर की निन्दा क्यों समझा?

उन्होंने कहा कि यीशु के शब्द परमेश्वर की निन्दा के थे क्योंकि केवल परमेश्वर ही पापों को क्षमा कर सकता है।

Luke 5:24-31

यीशु ने पृथ्वी पर किस अधिकार का प्रदर्शन किया जब उसने लकवा के रोगी को इस तरह से चंगा किया?

यीशु ने उस मनुष्य को चंगा किया ताकि वे जान सकें कि पृथ्वी पर उसके पास पापों को क्षमा करने का अधिकार है।

Luke 5:32-34

जब यीशु लेवी के घर में खा-पी रहा था, तो यीशु ने क्या कहा कि वह क्या करने आया है?

वह पापियों को मन फिराने के लिये बुलाने आया है।

Luke 5:35

यीशु ने क्या कहा कि उसके चेले कब उपवास करेंगे?

यीशु ने कहा कि जब उसको (यीशु को) उनसे अलग किया जाएगा उसके बाद उसके चेले उपवास करेंगे।

Luke 5:36

यीशु के दृष्टान्त में, क्या होगा यदि पुराने वस्त्र में पैबन्द लगाने के लिए एक नए वस्त्र का उपयोग किया जाता है?

नया वस्त्र फट जाएगा, और पुराना उस पैबन्द से मेल नहीं खाएगा जो नए से लिया गया है।

Luke 5:37

यीशु के दूसरे दृष्टान्त में, क्या होगा यदि दाखरस की पुरानी मशकों में नया दाखरस डाल दिया जाए?

नया दाखरस मशकों को फाड़ देगा, और वह बह जाएगा, और मशकें भी नाश हो जाएँगी।

Luke 5:38-39

यीशु ने क्या कहा कि नए दाखरस को सही रखने के लिए क्या किया जाना चाहिए?

नये दाखरस को नई मशकों में भरना चाहिये।

Luke 6

Luke 6:1-4

यीशु के चेले सब्त के दिन में क्या कर रहे थे जिसे फरीसियों ने कहा कि व्यवस्था के विरुद्ध है?

वे बालें तोड़-तोड़कर, उन्हें हाथों से मल-मलकर और उन्हें खाते जाते थे।

Luke 6:5-10

यीशु ने अपने लिए किस उपाधि का दावा किया जिसने उसे यह कहने का अधिकार दिया कि सब्त के दिन क्या करना उचित था?

यीशु ने सब्त के दिन के प्रभु की उपाधि का दावा किया।

Luke 6:11-12

जब यीशु ने सब्त के दिन में सूखे हाथ वाले मनुष्य को चंगा किया, तो शास्त्रियों और फरीसियों की क्या प्रतिक्रिया थी?

वे क्रोध से भर गए और इस बारे में बात करने लगे कि वे यीशु के साथ क्या कर सकते हैं।

Luke 6:13-19

यीशु ने उन 12 मनुष्यों को क्या नाम दिया जिन्हें उसने पहाड़ पर चुना था?

यीशु ने उन्हें “प्रेरित” कहा।

Luke 6:20

यीशु ने किस तरह के लोगों को धन्य कहा?

धन्य हैं वो जो दीन हैं।

Luke 6:21

यीशु ने किस तरह के लोगों को धन्य कहा?

धन्य हैं वो जो रो रहे हैं।

Luke 6:22

यीशु ने किस तरह के लोगों को धन्य कहा?

धन्य हैं वो जिनसे मनुष्य के पुत्र के कारण बैर किया जाता है, जिनकी निन्दा की जाती है और जिन्हें अस्वीकार कर दिया जाता है।

Luke 6:23-26

यीशु के अनुसार ऐसे लोग क्यों आनन्द मनाएँ और आनन्दित होकर उछलें?

उन्हें आनन्दित होना चाहिए क्योंकि उन्हें स्वर्ग में एक बड़ा प्रतिफल मिलेगा।

Luke 6:27-34

यीशु ने क्या कहा कि उसके चेलों को अपने शत्रुओं और अपने बैरियों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए?

उन्हें अपने शत्रुओं से प्रेम करना चाहिए और उन लोगों का भला करना चाहिए जो उनसे बैर रखते हैं।

Luke 6:35-41

धन्यवाद नहीं करने वाले और बुरे लोगों के प्रति परम-प्रधान पिता का व्यवहार क्या है?

वह उनके प्रति कृपालु और दयालु है।

Luke 6:42-44

यीशु ने क्या कहा कि अपने भाई की आँख से तिनका निकालने से पहले हमें क्या करना चाहिए?

सबसे पहले, हमें अपनी आँखों से लट्ठे को निकालना चाहिए ताकि हम अपने भाई की आँख से तिनका निकालने के लिए स्पष्ट रूप से देख सकें।

Luke 6:45-46

भले मनुष्य के मन के भले भण्डार से क्या निकलता है?

भले मनुष्य के मन के भले भण्डार से जो निकलता है वह भली बातें होती हैं

बुरा मनुष्य क्या उत्पन्न करता है?

एक बुरा मनुष्य बुराई ही उत्पन्न करता है।

Luke 6:47-48

यीशु क्या कहता है कि जो यीशु की बातें सुनता और उन्हें मानता है वह किसके समान होता है?

वह उस मनुष्य के समान है जो चट्टान पर अपना घर बनाता है, ताकि जब बाढ़ आती है तो वह हिल न सके।

Luke 6:49

जो कोई यीशु की बातें सुनता है और उन्हें नहीं मानता है वह मनुष्य किसके समान होता है?

वह उस मनुष्य के समान है जो बिना नींव के अपना घर बनाता है, और जब बाढ़ आती है तो वह गिर जाता है।

Luke 7

Luke 7:3-5

सूबेदार ने सबसे पहले जब उसने यहूदी प्राचीनों को यीशु के पास भेजा तो यीशु से क्या करने की विनती की?

उसने विनती की कि यीशु आकर उसके दास को चंगा करे।

Luke 7:6

फिर सूबेदार ने मित्रों को यीशु को यह कहने के लिए क्यों भेजा कि वह उसके घर ना आये?

सूबेदार ने कहा कि वह इस योग्य नहीं है कि यीशु उसके घर में आए।

Luke 7:7-8

तब सूबेदार क्या चाहता था कि यीशु उसके दास को कैसे चंगा करे?

तब सूबेदार चाहता था कि यीशु केवल वचन ही कहकर उसके दास को चंगा कर दे।

Luke 7:9-12

सूबेदार के विश्वास के बारे में यीशु ने क्या कहा?

यीशु ने कहा कि इस्राएल में भी उसे ऐसे विश्वास वाला कोई नहीं मिला।

Luke 7:13-15

जिस विधवा का इकलौता पुत्र मर गया था, उसके प्रति यीशु का क्या व्यवहार था?

वह तरस से भर गया।

Luke 7:16-21

विधवा के मुर्दा पुत्र को जिलाने के बाद लोगों ने यीशु के बारे में क्या कहा?

उन्होंने कहा कि हमारे बीच में एक बड़ा भविष्यद्वक्ता उठा है, और परमेश्वर ने अपने लोगों पर कृपादृष्टि की है।

Luke 7:22-25

यीशु ने यूहन्ना के चेलों को कैसे साबित किया कि वह वही है जो आनेवाला था?

यीशु ने अंधों, लँगड़ों, कोढ़ियों और बहरों को चंगा किया और मुर्दों को जिलाया।

Luke 7:26-29

यीशु ने क्या कहा कि यूहन्ना कौन था?

यीशु ने कहा कि यूहन्ना एक भविष्यद्वक्ता से कहीं बढ़कर था।

Luke 7:30-32

जब उन्होंने यूहन्ना द्वारा बपतिस्मा लेने से मना कर दिया तो फरीसियों और यहूदी व्यवस्था के व्यवस्थापकों ने अपने साथ क्या किया?

उन्होंने अपने विषय में परमेश्वर की मनसा को टाल दिया।

Luke 7:33

क्योंकि यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले न तो रोटी खाता था और न ही दाखरस पीता था इसलिए यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले पर क्या दोष लगाया गया?

उन्होंने कहा कि, "उसमें दुष्टात्मा है।"

Luke 7:34-37

क्योंकि यीशु खाता-पीता आया था इसलिए यीशु पर क्या दोष लगाया गया?

उन्होंने कहा कि, “वह पेटू और पियक्कड़ मनुष्य है।”

Luke 7:38-46

फरीसी के घर में उस नगर की स्त्री ने यीशु के साथ क्या किया?

उसने अपने आँसुओं से यीशु के पाँवों को भिगोया, अपने सिर के बालों से पोंछा, उसके पाँवों को चूमा, और इत्र से उसके पाँवों का अभिषेक किया।

Luke 7:47-48

यीशु ने क्या कहा कि स्त्री के बहुत प्रेम करने का कारण क्या था?

उसने बहुत प्रेम किया क्योंकि उसके पाप, जो बहुत थे, क्षमा हुए हैं।

Luke 7:49-50

जब यीशु ने उस स्त्री से कहा कि उसके पाप क्षमा हुए, तो मेज पर भोजन करने बैठने वालों की क्या प्रतिक्रिया थी?

उन्होंने कहा कि, "यह कौन है जो पापों को भी क्षमा करता है?"

Luke 8

Luke 8:3-10

स्त्रियों के एक बड़े समूह ने यीशु और उसके चेलों के लिए क्या किया?

स्त्रियों ने अपनी संपत्ति से उनकी सेवा की।

Luke 8:11

यीशु के दृष्टान्त में, बोया गया बीज क्या है?

बीज परमेश्वर का वचन है।

Luke 8:12

मार्ग के किनारे गिरे हुए बीज कौन हैं और उनका क्या होता है?

ये वे लोग होते हैं जो वचन सुनते हैं, परन्तु तब शैतान आकर उनके मनों में से वचन को उठा ले जाता है, ताकि वे विश्वास न कर सकें और न उद्धार पाएँ।

Luke 8:13

चट्टान पर गिरे हुए बीज कौन हैं और उनका क्या होता है?

ये वे लोग हैं जो आनन्द के साथ वचन को ग्रहण तो करते हैं, परन्तु फिर परीक्षा के समय बहक जाते हैं।

Luke 8:14

झाड़ियों में गिरे हुए बीज कौन हैं और उनका क्या होता है?

ये वे लोग हैं जो वचन सुनते हैं, परन्तु फिर वह इस जीवन की चिन्ता, धन, और सुख-विलास से दब जाता है, और उनका फल नहीं पकता है।

Luke 8:15-20

अच्छी भूमि में गिरे हुए बीज कौन हैं और उनका क्या होता है?

ये वे लोग हैं जो वचन को सुनते हैं, उसे सम्भाले रखते हैं, और धीरज के साथ फल लाते हैं।

Luke 8:21-24

यीशु ने क्या कहा कि उसकी माता और भाई कौन हैं?

यीशु ने कहा कि जो लोग परमेश्वर का वचन सुनते हैं और उसे मानते हैं, वे ही उसकी माता और भाई हैं।

Luke 8:25-26

जब यीशु ने आँधी और पानी को शान्त किया तो चेलों ने क्या कहा?

उन्होंने कहा, यह कौन है जो आँधी और पानी को भी आज्ञा देता है, और वे उस की मानते हैं?

Luke 8:27-28

गिरासेनियों के देश में उस व्यक्ति से दुष्टात्माएं क्या करवाती थी?

वे उसे निर्वस्त्र कब्रों में रहने पर विवश करती थी और वह सांकलों और बेड़ियों को तोड़ देता था और वे उसे जंगलों में भगाती थी।

Luke 8:29-32

दुष्टात्माओं ने गिरासेनियों के क्षेत्र के मनुष्य को क्या करने के लिए प्रेरित किया?

उन्होंने उसे कब्रों में बिना कपड़ों के रहने के लिए प्रेरित किया, उन्होंने उसे जंजीरों और बेड़ियों को तोड़ देने के लिए प्रेरित किया, और वे अक्सर उसे जंगल में ले जाती थी।

Luke 8:33-38

यीशु द्वारा मनुष्य में से निकलने की आज्ञा देने के बाद दुष्टात्माएँ कहाँ चली गयी?

दुष्टात्माएँ सूअरों के झुण्ड में समा गयी, जो झुण्ड झील में जा गिरा और डूब गया।

Luke 8:39-47

यीशु ने उस मनुष्य को जाकर क्या करने के लिए कहा?

यीशु ने उससे कहा कि वह अपने घर में लौट जाए और उसका सब का वर्णन करे कि परमेश्वर ने उसके लिए क्या किया है।

Luke 8:48-54

यीशु के अनुसार लहू बहने वाली स्त्री के चंगे होने का क्या कारण था?

यीशु में विश्वास के कारण वह चंगी हो गई थी।

Luke 8:55-56

यीशु ने याईर के घर में क्या किया?

यीशु ने याईर की मुर्दा बेटी को जिलाया।

Luke 9

Luke 9:2-6

यीशु ने बारहों को क्या करने के लिए भेजा?

यीशु ने उन्हें परमेश्वर के राज्य का प्रचार करने और बीमारों को चंगा करने के लिए भेजा।

Luke 9:7

जब हेरोदेस ने जो कुछ हो रहा था, उसके बारे में सुना तो वह क्यों घबरा गया था?

वह घबरा गया था क्योंकि कितने लोगों ने कहा कि यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला मरे हुओं में से जी उठा है।

Luke 9:8-12

कितने ओर लोगों ने क्या सोचा कि जो बाते हो रही थीं, उसका कारण कौन हो सकता है?

कितनों ने कहा कि एलिय्याह दिखाई दिया है, और कितने औरों ने कहा कि पुराने भविष्यद्वक्ताओं में से कोई जी उठा है।

Luke 9:13

भीड़ को खिलाने के लिए चेलों के पास क्या भोजन था?

उनके पास पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ थीं।

Luke 9:14-15

जंगल में जो भीड़ थी उसमें कितने पुरुष यीशु के पीछे चल रहे थे?

भीड़ में लगभग 5000 पुरुष थे।

Luke 9:16

यीशु ने पाँच रोटियों और दो मछलियों का क्या किया?

उसने वे पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ लीं, और स्वर्ग की और देखा, उन्हें आशीष दी, और तोड़-तोड़कर चेलों को देता गया ताकि वे लोगों को परोसें।

Luke 9:17-19

बचे हुए टुकड़ों की कितनी टोकरियाँ थीं?

बचे हुए टुकड़ों की 12 टोकरियाँ थीं?

Luke 9:20-22

यीशु ने जब चेलों से पूछा कि वह कौन है तो पतरस ने क्या उत्तर दिया?

उसने कहा, "परमेश्वर का मसीह।"

Luke 9:23-28

यीशु ने क्या कहा कि यदि कोई उसके पीछे आना चाहता है तो उसे क्या करना चाहिए?

उसे अपने आप का इन्कार करना चाहिए, प्रतिदिन अपना क्रूस उठाए हुए यीशु के पीछे चलना चाहिए।

Luke 9:29

पहाड़ पर यीशु के रूप का क्या हुआ?

उसके चेहरे का रूप बदल गया, और उसका वस्त्र श्वेत होकर चमकने लगा।

Luke 9:30-34

यीशु के साथ कौन दिखाई दिए?

यीशु के साथ मूसा और एलिय्याह दिखाई दिए?

Luke 9:35-38

उस बादल में से आई आवाज ने क्या कहा जिसने आकर उन्हें छा लिया था?

आवाज ने कहा कि, "यह मेरा पुत्र और मेरा चुना हुआ है; इसकी सुनो।"

Luke 9:39-43

यीशु के दुष्टात्मा को बाहर निकालने से पहले, इसने उस मनुष्य के पुत्र को क्या करने के लिए प्रेरित किया?

दुष्टात्मा ने उसे चिल्लाने के लिए और मुँह में फेन भरने के लिए प्रेरित किया।

Luke 9:44-47

यीशु ने चेलों से क्या कहा जो उन्हें समझ में नहीं आया?

उसने कहा कि, “ मनुष्य का पुत्र मनुष्यों के हाथ में पकड़वाया जायेगा।”

Luke 9:48-50

यीशु ने क्या कहा कि चेलों में से सबसे बड़ा कौन है?

जो उन में सबसे छोटे से छोटा है, वही बड़ा है।

Luke 9:51-61

जब यीशु के ऊपर उठाए जाने के दिन पूरे होने पर थे, तो उसने क्या किया?

उसने यरूशलेम को जाने का विचार दृढ़ किया।

Luke 9:62

परमेश्वर के राज्य के योग्य होने के लिए, एक मनुष्य को "हल पर हाथ रखने" के बाद क्या नहीं करना चाहिए?

उस मनुष्य को पीछे नहीं देखना चाहिए।

Luke 10

Luke 10:4-8

यीशु ने 70 को अपने साथ क्या न ले जाने के लिए कहा?

उसने उनसे कहा कि वे बटुआ, झोली, या जूते साथ न लें।

Luke 10:9-11

यीशु ने 70 को प्रत्येक नगर में क्या करने के लिए कहा?

उसने उनसे बीमारों को चंगा करने और लोगों से यह कहने के लिए कहा कि, “परमेश्वर का राज्य तुम्हारे निकट आ पहुँचा है।”

Luke 10:12-19

यदि कोई नगर उन्हें ग्रहण न करे, जिन्हें यीशु ने उनके पास भेजा, तो उस नगर का न्याय कैसा होगा?

यह उनके लिए सदोम के न्याय से भी अधिक बुरा होगा।

Luke 10:20

जब 70 आनन्द के साथ लौटकर कहने लगे कि वे दुष्टात्माओं को निकालने में समर्थ हैं, तो यीशु ने उनसे क्या कहा?

उसने कहा, “इससे आनन्दित हो कि तुम्हारे नाम स्वर्ग पर लिखे गए हैं।”

Luke 10:21-26

यीशु ने किससे कहा कि परमेश्वर के राज्य को प्रगट करना पिता को अच्छा लगता है?

परमेश्वर के राज्य को उन पर प्रगट करना पिता को अच्छा लगा, जो बालकों की तरह अशिक्षित हैं।

Luke 10:27-30

यीशु के अनुसार, यहूदी व्यवस्था क्या कहती है कि एक मनुष्य को अनन्त जीवन प्राप्त करने के लिए क्या करना चाहिए?

तू प्रभु अपने परमेश्वर से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी शक्ति और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख; और अपने पड़ोसी से अपने जैसा प्रेम रख।

Luke 10:31

यीशु के दृष्टान्त में, यहूदी याजक ने मार्ग पर अधमरे पड़े हुए मनुष्य को देखकर क्या किया?

वह मार्ग की दूसरी ओर से चला गया।

Luke 10:32-33

उस मनुष्य को देखकर लेवी ने क्या किया?

वह मार्ग की दूसरी ओर से चला गया।

Luke 10:34-36

उस मनुष्य को देखकर सामरी ने क्या किया?

उसने उसके घावों पर पट्टियाँ बाँधी, उसे अपनी सवारी पर चढ़ाकर, एक सराय में ले गया, और उसकी सेवा टहल की।

Luke 10:37-38

दृष्टान्त सुनाने के बाद यीशु ने यहूदी व्यवस्था के व्यवस्थापक को जाकर क्या करने के लिए कहा?

जा और दृष्टान्त में के सामरी की तरह दया दिखा।

Luke 10:39

उसी समय मरियम ने क्या किया?

उसने प्रभु के पाँवों के पास बैठकर उसका वचन सुना।

Luke 10:40-41

जब यीशु उसके घर में आया तो मार्था ने कैसा व्यवहार किया?

वह सेवा करते-करते घबरा गई।

Luke 10:42

यीशु ने क्या कहा कि किसने करने के लिए उत्तम काम को चुना है?

उसने कहा कि मरियम ने उस उत्तम भाग को चुन लिया है जो उससे छीना न जाएगा।

Luke 11

Luke 11:2

यीशु ने अपने चेलों को कौन सी प्रार्थना सिखाई थी?

यीशु ने प्रार्थना की, "हे पिता, तेरा नाम पवित्र माना जाए, तेरा राज्य आए, हमारी दिन भर की रोटी हर दिन हमें दिया कर और हमारे पापों को क्षमा कर, क्योंकि हम भी अपने हर एक अपराधी को क्षमा करते हैं, और हमें परीक्षा में न ला"।

Luke 11:3

यीशु क्या चाहता था कि उसके चेले पिता के नाम को क्या होने के लिए प्रार्थना करें?

वह चाहता था कि वे प्रार्थना करें कि पिता का नाम पवित्र माना जाए।

Luke 11:4-7

जब हम परमेश्वर से हमारे पापों को क्षमा करने के लिए कहते हैं, तो हमें उन अन्य लोगों के बारे में क्या करना चाहिए जो हमारे विरूद्ध पाप करते हैं?

हमें उन्हें वैसे ही क्षमा करना चाहिए जैसे परमेश्वर ने हमें क्षमा किया है।

Luke 11:8-12

यीशु के दृष्टान्त में, मनुष्य ने आधी रात को उठकर अपने मित्र को रोटी क्यों दी?

अपने मित्र की दृढ़ता के कारण।

Luke 11:13-14

स्वर्गीय पिता अपने माँगने वालों को क्या देगा?

वह उन्हें पवित्र आत्मा देगा।

Luke 11:15-19

जब उन्होंने उसे दुष्टात्माओं को निकालते देखा, तो कुछ लोगों ने यीशु पर क्या करने का दोष लगाया?

उन्होंने उस पर दुष्टात्माओं के प्रधान बालजबूल (शैतान) की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालने का दोष लगाया।

Luke 11:20-25

यीशु ने क्या उत्तर दिया कि किस सामर्थ्य से उसने दुष्टात्माओं को निकाला?

उसने कहा कि उसने परमेश्वर की उंगली से दुष्टात्माओं को निकाला।

Luke 11:26-27

यदि कोई अशुद्ध आत्मा किसी मनुष्य में से निकल जाती है परन्तु बाद में जब वह लौट आए, तो उस मनुष्य की अंतिम दशा क्या हो जाती है?

उस मनुष्य की अंतिम दशा पहली दशा से भी बुरी हो जाती है।

Luke 11:28-30

जब स्त्री ने ऊँचे शब्द से कहा, यीशु की माता धन्य है, तो यीशु ने किसे धन्य कहा?

जो परमेश्वर का वचन सुनते और मानते हैं, वे धन्य हैं।

Luke 11:31

पुराने नियम के कौन से दो नायकों से भी यीशु ने स्वयं को बड़ा बताया?

सुलैमान और योना।

Luke 11:32-38

यीशु ने क्या कहा कि वह पुराने नियम के किन दो मनुष्यों से बड़ा था?

वह सुलैमान और योना से भी बड़ा है।

Luke 11:39-41

यीशु ने क्या कहा कि फरीसी अंदर से किस से भरे हुए थे?

उसने कहा कि वे अंधेर और दुष्टता से भरे हुए थे।

Luke 11:42-45

यीशु ने क्या कहा कि फरीसी क्या टाल देते हैं?

वे न्याय को और परमेश्वर के प्रेम को टाल देते हैं।

Luke 11:46-49

यीशु ने क्या कहा कि व्यवस्था के व्यवस्थापक दूसरे मनुष्यों के साथ क्या कर रहे थे?

वे ऐसे बोझ जिनको उठाना कठिन है, मनुष्यों पर लादते थे, परन्तु वे आप उन बोझों को नहीं छूते थे।

Luke 11:50-53

यीशु ने किस बात के लिए कहा कि इस पीढ़ी को जिम्मेदार ठहराया जाएगा?

जगत की उत्पत्ति से ही बहाए गए भविष्यद्वक्ताओं के सारे लहू के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

Luke 11:54

यीशु की बातें सुनकर शास्त्रियों और फरीसियों ने क्या किया?

वे उसे उसकी ही बातों में फँसाने के लिए घात में लगे हुए थे।

Luke 12

Luke 12:3-4

यीशु के अनुसार अंधेरे में की गयी आपकी हर बात का क्या होगा?

इसे उजाले में सुना जाएगा।

Luke 12:5-7

यीशु ने क्या कहा कि तुम्हें किससे डरना चाहिए?

तुम्हें उस से डरना चाहिए, जिसके पास हमें मारने के बाद, हमें नरक में डालने का अधिकार है।

Luke 12:8-14

यीशु उन सभी के लिए क्या करेगा जो मनुष्यों के सामने यीशु के नाम को मान लेते हैं?

यीशु भी उस मनुष्य को परमेश्वर के स्वर्गदूतों के सामने मान लेगा।

Luke 12:15-17

यीशु के अनुसार, हमारा जीवन किससे नहीं होता है?

हमारा जीवन हमारी संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता है।

Luke 12:18

यीशु के दृष्टान्त में, क्योंकि उसकी भूमि में बड़ी उपज हुई थी इसलिए धनवान मनुष्य क्या करने जा रहा था?

वह अपनी बखारियाँ तोड़कर उनसे बड़ी बखारियाँ बनाने और अपना सब अन्न और सम्पत्ति उनमें ही रखने जा रहा था।

Luke 12:19

धनवान मनुष्य ने अपने आप से क्या करने के लिए कहा क्योंकि उसके पास बहुत सारा अन्न इकट्ठा हो गया था?

उसने अपने आप से कहा कि चैन कर, खा, पी और सुख से रह।

Luke 12:20-30

परमेश्वर ने धनवान मनुष्य से क्या कहा?

उसने कहा कि, “हे मूर्ख, इसी रात तेरा प्राण तुझ से ले लिया जाएगा; और तब जो कुछ तू ने इकट्ठा किया है, वह किसका होगा?”

Luke 12:31-32

जीवन की वस्तुओं की चिंता करने के बजाय यीशु ने क्या कहा कि हमें क्या करना चाहिए?

हमें परमेश्वर के राज्य की खोज करनी चाहिए।

Luke 12:33-36

यीशु ने क्या कहा कि हमारा धन कहाँ होना चाहिए?

हमारा धन स्वर्ग में होना चाहिए।

Luke 12:37-39

यीशु के अनुसार परमेश्वर के कौनसे दास धन्य हैं?

जो यीशु के आने पर जागते हुए पाए जाते हैं, वे धन्य हैं।

Luke 12:40-45

क्या हम जानते हैं कि यीशु किस घड़ी आएगा?

नहीं, वह तब आएगा जब हम उसके आने के बारे में सोचते भी नहीं होंगे।

Luke 12:46-47

उस दास का क्या होता है जो दूसरे दासों को मारता-पीटता है और अपने स्वामी के आने के लिए तैयार नहीं होता है?

स्वामी उसे दो टुकड़ों में काट देगा और वह विश्वासघातियों के साथ उसका भाग ठहराएगा।

Luke 12:48-51

जिन्हें बहुत दिया गया है, उनसे क्या माँग की जाएगी?

उनसे बहुत की माँग की जाएगी।

Luke 12:52-57

यीशु के अनुसार वह पृथ्वी पर किस तरह के बंटवारे लेकर आया है?

एक ही घर के लोग आपस में अलग-अलग हुए एक दुसरे से विरोध रखेंगे।

Luke 12:58-59

यीशु के अनुसार न्यायाधीश के सामने अपने मुद्दई के साथ जाने से पहले हमें क्या करना चाहिए?

न्यायाधीश के पास पहुँचने से पहले हमें अपने मुद्दई से छूटने का यत्न करना चाहिए।

Luke 13

Luke 13:3-7

क्‍योंकि वे अन्‍य गलीलियों से अधिक पापी थे, क्या इसलिए पिलातुस द्वारा मारे गए गलीलियों को इस प्रकार कष्ट हुआ?

नहीं, वे अधिक पापी नहीं थे।

Luke 13:8

यीशु के दृष्टान्त में, बारी का रखवाला उस अंजीर के पेड़ से क्या करना चाहता था जो फल नहीं देता था?

वह उसके चारों ओर खोदना चाहता था और उस में खाद डालना चाहता था ताकि वह फल दे सके।

Luke 13:9-10

बारी का रखवाला अंजीर के पेड़ के साथ क्या करेगा यदि वह एक वर्ष तक उस पर खाद डालने के बाद भी फल नहीं देता है?

यदि वह फिर भी फल नहीं देता है, तो उसका स्वामी उसे काट डालता है।

Luke 13:11-13

आराधनालय में, अठारह वर्ष से स्त्री किस कारण कुबड़ी थी?

दुर्बल करनेवाली दुष्टात्मा ने उसे कुबड़ा कर रखा था और वह सीधे खड़े होने में असमर्थ थी।

Luke 13:14

जब यीशु ने उस स्त्री को चंगा किया तो आराधनालय के सरदार को क्रोध क्यों आया?

वह इसलिए क्रोधित हुआ था क्योंकि यीशु ने सब्त के दिन में उस स्त्री को चंगा किया था।

Luke 13:15-18

यीशु ने कैसे दिखाया कि आराधनालय का सरदार एक कपटी था?

यीशु ने उसे स्मरण दिलाया कि वह सब्त के दिन अपने पशु खोलकर उसे पानी पिलाता है, तब भी जब यीशु ने सब्त के दिन उस स्त्री को चंगा किया, तब वह क्रोधित हुआ।

Luke 13:19-23

परमेश्वर का राज्य कैसे राई के दाने के समान है?

परमेश्वर का राज्य बीज की तरह एक छोटे से शुरू होता है, परन्तु फिर वह बहुत बड़ा हो जाता है।

Luke 13:24-27

यह पूछे जाने पर कि क्या उद्धार पाने वाले थोड़े होंगे, तो यीशु ने क्या उत्तर दिया?

उसने कहा कि, "सकेत द्वार से प्रवेश करने का यत्न करो, क्योंकि बहुत से प्रवेश करना चाहेंगे, और न कर सकेंगे।"

Luke 13:28-32

जो लोग परमेश्वर के राज्य से निकाल दिए गए हैं और वे परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने में सक्षम नहीं हैं वे लोग क्या करेंगे?

वे रोएँगे और दाँत पीसेंगे।

परमेश्वर के राज्य में कौन होंगे?

अब्राहम, इसहाक, याकूब, भविष्यद्वक्ता, और पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण के बहुत से लोग राज्य में होंगे।

Luke 13:33

यीशु ने क्या कहा था कि एक भविष्यद्वक्ता को कहाँ मारा जाना चाहिए?

किसी भविष्यद्वक्ता के लिए यरूशलेम को छोड़ कहीं और मारा जाना संभव नहीं है।

Luke 13:34

यीशु यरूशलेम के लोगों के साथ क्या करना चाहता था?

वह उन्हें वैसे ही इकट्ठा करना चाहता था जैसे मुर्गी अपने बच्चों को इकट्ठा करती है।

यीशु की उनके प्रति इच्छा के प्रति यरूशलेम के लोगों ने क्या प्रतिक्रिया दी?

वे यीशु के द्वारा इकट्ठा किए जाने को तैयार नहीं थे।

Luke 13:35

यीशु ने यरूशलेम और उसके लोगों के बारे में क्या भविष्यवाणी की?

उनका घर उजाड़ दिया जायेगा, और वे यीशु को फिर तब तक न देखेंगे जब तक वे यह न कह दें, "धन्य है वह, जो प्रभु के नाम से आता है।"

Luke 14

Luke 14:3

यीशु ने यहूदी व्यवस्था के व्यवस्थापकों और फरीसियों से क्या पूछा?

उस ने उन से पूछा कि क्या सब्त के दिन चंगा करना उचित है या नहीं?

Luke 14:4

व्यवस्थापकों और फरीसियों का यीशु को क्या उत्तर था?

वे चुपचाप रहे।

Luke 14:5-10

यीशु ने कैसे दिखाया कि व्यवस्थापक और फरीसी कपटी थे?

यीशु ने उन्हें याद दिलाया कि वे अपने बेटे या बैल की सहायता करेंगे जो सब्त के दिन कुएँ में गिर गया हो।

Luke 14:11-13

यीशु ने क्या कहा कि जो कोई अपने आप को बड़ा बनाता है उसका क्या होगा?

जो अपने आप को बड़ा बनाता है, वह छोटा किया जाएगा।

Luke 14:14-17

यीशु के अनुसार कंगाल, टुण्डे, लँगड़े और अंधे को अपने घर में न्योता देने वाले को क्या प्रतिफल मिलेगा?

उन्हें धर्मियों के जी उठने पर इसका प्रतिफल मिलेगा।

Luke 14:18-20

रात के खाने के बारे में यीशु के दृष्टान्त में, उन लोगों ने क्या किया जिन्हें मूल रूप से न्योता दिया गया था?

वे इस बात का बहाना बनाने लगे कि वे रात के खाने पर क्यों नहीं आ सकते हैं।

Luke 14:21-23

फिर स्वामी ने अपने रात के खाने पर किसे न्योता दिया?

उसने कंगालों, टुण्डों, अँधों और लँगड़ों को न्योता दिया।

Luke 14:24-25

तब स्वामी ने उन लोगों के बारे में क्या कहा जिन्हें पहले उसके रात के खाने पर न्योता दिया गया था?

उसने कहा कि उन आमन्त्रित लोगों में से कोई मेरे भोज को न चखेगा।

Luke 14:26

यीशु के अनुसार उसके चेलों को क्या करना चाहिए?

यीशु का चेला बनने के लिए उन्हें अपने परिवार और जीवन को अप्रिय जानना चाहिए।

Luke 14:27

यीशु के अनुसार उसके चेलों को और क्या करना चाहिए?

यीशु का चेला बनने के लिए प्रत्येक चेले को अपना क्रूस उठाना चाहिए और यीशु के पीछे आना चाहिए।

Luke 14:28-32

यीशु के उदाहरण में उसके पीछे चलने के लिए क्या आवश्यक है, एक मनुष्य को पहले क्या करना चाहिए जो एक गढ़ बनाना चाहता है?

उस मनुष्य को पहले खर्च जोड़ना चाहिए।

Luke 14:33-34

यीशु के अनुसार उसके चेलों को क्या करना चाहिए?

यीशु के अनुसार उसके चेलों को क्या करना चाहिए?

Luke 14:35

यदि नमक अपना स्वाद खो दे तो उसका क्या किया जाता है?

इसे फेंक दिया जाता है।

Luke 15

Luke 15:4

यीशु के दृष्टान्त में, वह चरवाहा क्या करता है जो अपनी 100 भेड़ों में से एक को खो देता है?

वह बाकी 99 को छोड़कर चला जाता है और खोई हुई भेड़ को खोजता है।

Luke 15:5-6

यीशु के दृष्टान्त में, जब चरवाहा अपनी खोई हुई भेड़ को पा लेता है तो वह क्या करता है?

वह आनन्द के साथ उसे वापस लाता है।

Luke 15:7

एक पापी के मन फिराने पर स्वर्ग में क्या होता है?

परमेश्वर के स्वर्गदूतों की उपस्थिति में आनन्द मनाया जाता है।

Luke 15:8

यीशु के दृष्टान्त में, वह स्त्री क्या करती है जो अपने दस चाँदी के सिक्कों में से एक खो देती है?

वह तब तक उसे जी लगाकर खोजती है जब तक वह उसे नहीं पा लेती।

Luke 15:9

यीशु के दृष्टान्त में, जब स्त्री अपना खोया हुआ चाँदी का सिक्का पा लेती है तो वह क्या करती है?

वह अपनी सखियों और पड़ोसियों के साथ आनन्द करती है।

Luke 15:10-11

जब एक पापी मन फिराता है तो स्वर्ग में क्या होता है ?

परमेश्वर के स्वर्गदूतों के सामने आनन्द होता है।

Luke 15:12

यीशु के दृष्टान्त में, छोटे पुत्र ने अपने पिता से क्या विनती की?

उसने अपने पिता से कहा कि वह उसे वह सम्पत्ति तुरंत दे जो उसका भाग है।

Luke 15:13-14

छोटे पुत्र ने अपने भाग का क्या किया?

उसने कुकर्म का जीवन जीने के द्वारा सम्पत्ति को उड़ा दिया।

Luke 15:15-17

उसके पैसे खर्च हो जाने के बाद छोटे पुत्र ने जीने के लिए क्या किया?

उसने दूसरे मनुष्य के सूअरों को खिलाने के लिए नौकरी की।

Luke 15:18

जब वह साफ-साफ सोचने लगा तो छोटे पुत्र ने क्या करने का फैसला किया?

उसने अपने पिता के सामने जाकर अपने पाप को मानने का फैसला किया।

Luke 15:19

छोटे पुत्र ने अपने पिता से अपने लिए क्या करने के लिए कहने की योजना बनाई?

उसने फैसला किया कि वह अपने पिता से उसे अपने मजदूरों में से एक के रूप में रखने के लिए कहेगा।

Luke 15:20-21

छोटे पुत्र को घर वापस आते देख पिता ने क्या किया?

उसका पिता तरस से भर कर, दौड़ता हुआ उसके पास गया, और उसे गले लगाया और उसे चूमा।

Luke 15:22

छोटे पुत्र के लिए पिता ने झट से क्या किया?

पिता ने उसे अच्छे वस्त्र, एक अंगूठी और जूतियाँ दीं।

Luke 15:23-27

पिता ने अपने छोटे पुत्र की वापसी का आनन्द कैसे किया?

पिता ने दासों से पाले हुए बछड़े को मारने के लिए कहा ताकि वे खा सकें और आनन्द कर सकें।

Luke 15:28

जब उसे छोटे पुत्र के लिए बड़े भोज के बारे में बताया गया तो बड़े पुत्र की क्या प्रतिक्रिया थी?

वह क्रोध से भर गया था और भोज में नहीं गया।

Luke 15:29-30

बड़े पुत्र की पिता से क्या शिकायत थी?

बड़े पुत्र ने शिकायत की कि उसने अपने पिता की आज्ञाओं का पालन किया है, परन्तु उसे अपने मित्रों के साथ भोज करने के लिए कभी बकरी नहीं दी गई है।

Luke 15:31

बड़े पुत्र के लिए पिता की क्या प्रतिक्रिया थी?

उसने कहा, "पुत्र, तू सर्वदा मेरे साथ है; और जो कुछ मेरा है वह सब तेरा ही है।"

Luke 15:32

पिता ने क्यों कहा कि छोटे पुत्र के लिए भोज करना क्यों उचित है?

भोज करना इसलिए उचित था क्योंकि छोटा पुत्र खो गया था और अब मिल गया है।

Luke 16

Luke 16:1-4

धनवान मनुष्य ने अपने भण्डारी के बारे में क्या ख़बर सुनी?

उसने सुना कि भण्डारी उस धनवान मनुष्य की संपत्ति को उड़ाए देता है।

Luke 16:5

अपना काम छोड़ने के लिए मजबूर होने से ठीक पहले भण्डारी ने क्या किया?

उसने अपने स्वामी के हर कर्जदार को बुलवाया।

Luke 16:6

भण्डारी ने अपने स्वामी के पहले कर्जदार के लिए क्या किया?

उसने उसे अपना कर्ज कम करने की अनुमति दी।

Luke 16:7

भण्डारी ने अपने स्वामी के दूसरे कर्जदार के लिए क्या किया?

उसने उसे भी अपना कर्ज कम करने की अनुमति दी।

Luke 16:8

धनवान मनुष्य की अपने भण्डारी के कामों के प्रति क्या प्रतिक्रिया थी?

उसने भण्डारी को सराहा क्योंकि उसने चतुराई से काम किया था।

Luke 16:9

इस कहानी के आधार पर यीशु ने औरों को क्या करने के लिए कहा?

उसने कहा, “संसार के धन से अपने लिये मित्र बना लो, ताकि जब वह जाता रहे, तो वे तुम्हें अनन्त निवासों में ले लें।

Luke 16:10-12

यीशु ने उस मनुष्य के बारे में क्या कहा जो थोड़े से थोड़े में विश्वासयोग्य है?

वह मनुष्य बहुत में भी विश्वासयोग्य होगा।

Luke 16:13-15

यीशु ने कहा कि हम दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकते हैं।वह किन दो स्वामियों की बात कर रहा था?

हमें परमेश्वर की सेवा और धन की सेवा के बीच चुनाव करना चाहिए।

Luke 16:16-17

यूहन्ना तक, परमेश्वर के राज्य को सुसमाचार के रूप में घोषित किया गया है। यूहन्ना से पहले कौन-सी दो बातें प्रभावशाली थी?

यूहन्ना तक व्यवस्था और भविष्यद्वक्ता थे।

यीशु के अनुसार अब तक क्या प्रचार किया गया है?

अब तक परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार प्रचार किया गया है।

Luke 16:18-21

यीशु के अनुसार, जो अपनी पत्नी को त्यागकर दूसरी से विवाह करता है, वह क्या पाप करता है?

जो अपनी पत्नी को त्यागकर दूसरी से विवाह करता है, वह व्यभिचार करता है।

Luke 16:22

यीशु की कहानी में कंगाल लाज़र मरने के बाद कहाँ गया?

कंगाल लाज़र को स्वर्गदूतों ने उसे लेकर अब्राहम की गोद में पहुँचाया।

Luke 16:23

धनवान मनुष्य के मरने के बाद उसका क्या हुआ?

उसे अधोलोक में पीड़ा में रखा गया।

Luke 16:24-25

धनवान मनुष्य ने अब्राहम से पहली विनती क्या की थी?

उसने अब्राहम से कहा कि वह लाज़र को उसके पास थोड़ा पानी लेकर भेजे क्योंकि वह आग में बहुत पीड़ित था।

Luke 16:26

धनवान मनुष्य को अब्राहम ने क्या उत्तर दिया था?

उसने कहा कि उनके बीच एक बड़ी खाई है जिसे कोई पार नहीं कर सकता था।

Luke 16:27

धनवान मनुष्य ने अब्राहम से दूसरी विनती क्या की थी?

उसने अब्राहम से लाज़र को उसके पिता के घर भेजने के लिए कहा।

Luke 16:28

धनवान मनुष्य क्यों चाहता था कि लाज़र उसके पिता के घर जाए?

वह चाहता था कि लाज़र उसके भाइयों को अधोलोक के बारे में चेतावनी दे।

Luke 16:29-30

धनवान मनुष्य को अब्राहम ने क्या उत्तर दिया था?

उसने कहा कि धनवान के भाइयों के पास मूसा और भविष्यद्वक्ता हैं, और वे उनकी सुन सकते हैं।

Luke 16:31

अब्राहम ने कहा कि यदि वे मूसा और भविष्यद्वक्ताओं की नहीं सुनते, तो वे और क्या नहीं मानेंगे?

मरे हुओं में से कोई भी जी उठे तो भी वे उसकी नहीं मानेंगे।

Luke 17

Luke 17:4-9

यीशु ने कहा कि हमें क्या करना चाहिए यदि हमारा भाई दिन में सात बार हमारे विरुद्ध अपराध करता है और सात बार यह कहते हुए लौटता है, "मैं पछताता हूँ?"

हमें उसे हर बार क्षमा कर देना चाहिए।

Luke 17:10-11

दास के रूप में, हमारे स्वामी द्वारा हमें जो आज्ञाएँ दी गई हैं, उन्हें करने के बाद हमें क्या कहना चाहिए?

हमें कहना चाहिए, “हम निकम्मे दास हैं; कि जो हमें करना चाहिए था वही किया है।"

Luke 17:12

सामरिया और गलील की सीमा के एक गाँव में प्रवेश करते समय यीशु किससे मिला?

वह दस कोढ़ियों से मिला।

Luke 17:13

दस कोढ़ियों ने यीशु से क्या कहा?

उन्होंने कहा, "यीशु, स्वामी, हम पर दया कर।"

Luke 17:14

यीशु ने कोढ़ियों को क्या करने के लिए कहा?

उसने उनसे कहा कि जाओ और अपने आप को याजकों को दिखाओ।

जब वे याजकों के पास गए तो कोढ़ियों के साथ क्या हुआ?

वे शुद्ध हो गए थे।

Luke 17:15

दस में से कितने कोढ़ी यीशु का धन्यवाद करने के लिए वापिस आए?

केवल एक ही वापिस आया।

Luke 17:16-20

यीशु का धन्यवाद करने के लिए वापिस आया कोढ़ी कहाँ से था?

वह सामरिया से था।

Luke 17:21-23

राज्य के आने के बारे में पूछे जाने पर यीशु ने क्या कहा कि परमेश्वर का राज्य कहाँ है?

उसने कहा कि परमेश्वर का राज्य उनके बीच में ही है।

Luke 17:24

यीशु ने क्या कहा कि यह उसके दिन में कैसा होगा, जब वह फिर से प्रगट होगा?

यह बिजली के आकाश की एक छोर से कौंधकर आकाश की दूसरी छोर तक चमकने के समान होगा।

Luke 17:25-26

यीशु ने क्या कहा कि उसके वापिस आने से पहले क्या होना चाहिए?

अवश्य है, कि वह बहुत दुःख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ।

Luke 17:27-30

नूह के दिनों में लोग क्या कर रहे थे?

वे खाते-पीते थे, और उनमें विवाह-शादी होती थी, वे इस बात से अनजान थे कि विनाश का दिन आ गया है।

Luke 17:31-36

हमें लूत की पत्नी के सदृश्य कैसे नहीं होना है?

?

Luke 17:37

यीशु ने अपने चेलों के प्रश्न का उत्तर देने के लिए प्रकृति से किस उदाहरण का इस्तेमाल किया कि, "ये कहाँ होगा, हे प्रभु?"

यीशु ने मृत शरीर और गिद्धों के उदाहरण का इस्तेमाल किया। उसने कहा कि जहाँ लाश होती है, वहाँ ही गिद्ध इकट्ठे होते हैं।

Luke 18

Luke 18:1-2

इस कहानी से यीशु अपने चेलों को प्रार्थना के बारे में क्या सिखाना चाहता था?

वह उन्हें सिखाना चाहता था कि उन्हें नित्य प्रार्थना करनी चाहिए और साहस नहीं छोड़ना चाहिए।

Luke 18:3-4

दुष्ट न्यायी से विधवा क्या माँगती रही?

वह अपने मुद्दई के विरुद्ध न्याय की माँग करती रही।

Luke 18:5-7

वह अपने मुद्दई के विरुद्ध न्याय की माँग करती रही।

उसने कहा, “क्योंकि यह विधवा मुझे सताती रहती है, इसलिए मैं उसका न्याय चुकाऊँगा, कहीं ऐसा न हो कि घड़ी-घड़ी आकर अन्त को मेरी नाक में दम करे।”

Luke 18:8

यीशु अपने चेलों को क्या सिखाना चाहता था कि परमेश्वर प्रार्थना का उत्तर कैसे देता है?

वह उन्हें सिखाना चाहता था कि जो लोग उसकी दुहाई देते हैं, परमेश्वर उनका न्याय चुकाएगा।

Luke 18:9

फरीसियों का अपनी धार्मिकता और अन्य लोगों के बारे में क्या व्यवहार था?

वह भरोसा करते थे कि वे अन्य लोगों की तुलना में अधिक धर्मी थे।

Luke 18:10

यीशु की कहानी में, कौन से दो मनुष्य मन्दिर में प्रार्थना करने के लिए गए थे?

एक फरीसी और एक चुंगी लेने वाला मन्दिर में प्रार्थना करने के लिए गए थे।

Luke 18:11-12

फरीसी का अपनी धार्मिकता और अन्य लोगों के बारे में क्या व्यवहार था?

वह भरोसा करता था कि वह अन्य लोगों की तरह पापी नहीं है।

Luke 18:13

चुंगी लेनेवाले ने मन्दिर में परमेश्वर से क्या प्रार्थना की थी?

उसने प्रार्थना की, "हे परमेश्वर मुझ पापी पर दया कर।"

Luke 18:14-15

कौन सा मनुष्य परमेश्वर के सामने धर्मी ठहरकर अपने घर गया?

चुंगी लेनेवाला परमेश्वर के सामने धर्मी ठहरा था।

Luke 18:16-21

यीशु ने क्या कहा कि परमेश्वर का राज्य कैसों ही का है?

उसने कहा कि यह बालकों जैसों ही का है।

Luke 18:22

यीशु ने सरदार (जिसने बचपन से ही परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन किया था) से क्या एक काम करने को कहा?

यीशु ने उससे कहा कि वह अपना सब कुछ बेच दे और कंगालों में बाँट दे।

Luke 18:23-29

यीशु के इस बयान पर सरदार ने क्या प्रतिक्रिया दी और क्यों?

वह बहुत उदास हुआ, क्योंकि वह बहुत धनी था।

Luke 18:30-31

यीशु ने उनसे क्या वादा किया जिन्होंने परमेश्वर के राज्य के लिए सांसारिक चीजें छोड़ दी हैं?

यीशु ने उनसे इस संसार में कई गुणा अधिक, और परलोक में अनन्त जीवन का वादा किया था।

Luke 18:32

यीशु के अनुसार, पुराने नियम के भविष्यवक्ताओं ने मनुष्य के पुत्र के बारे में क्या लिखा था?

कि वह अन्यजातियों के हाथ में सौंपा जाएगा, उसका उपहास किया जायेगा; और उसका अपमान किया जायेगा।

Luke 18:33-37

पुराने नियम के भविष्यवक्ताओं ने क्या लिखा था कि मनुष्य का पुत्र तीसरे दिन क्या करेगा?

उन्होंने लिखा कि वह तीसरे दिन फिर जी उठेगा।

Luke 18:38-42

सड़क के किनारे के अंधे व्यक्ति ने यीशु को पुकारके क्या कहा?

उसने कहा, "हे यीशु, दाऊद की सन्तान, मुझ पर दया कर।"

Luke 18:43

अंधे को चंगा हुए देखकर लोगों ने क्या प्रतिक्रिया दी?

उन्होंने परमेश्वर की बड़ाई और स्तुति की।

Luke 19

Luke 19:2-6

यीशु को देखने के लिए कौन एक पेड़ पर चढ़ गया और उसका पेशा क्या था?

पेड़ पर चढ़ने वाला व्यक्ति जक्कई था। जो चुंगी लेनेवालों का सरदार और धनी था।

Luke 19:7-8

जब यीशु जक्कई के घर गया तो सभी ने क्या शिकायत की?

उन्होंने कहा कि, “यीशु तो एक पापी मनुष्य के यहाँ गया है।”

Luke 19:9-10

जक्कई द्वारा कंगालों को उपहार देने की घोषणा के बाद यीशु ने जक्कई के बारे में क्या कहा?

उसने कहा, "आज इस घर में उद्धार आया है।"

Luke 19:11

लोगों को क्या आशा थी कि जब यीशु यरूशलेम पहुँचेगा तो क्या होगा?

वे समझते थे कि परमेश्वर का राज्य अभी प्रगट होने वाला है।

Luke 19:12-16

यीशु के दृष्टान्त में, धनि मनुष्य कहाँ की यात्रा कर रहा था?

वह एक दूर देश में जा रहा था, ताकि राजपद पाए और फिर लौट आए।

Luke 19:17-18

धनी मनुष्य ने उस दास के लिए क्या किया जो वफादार था और जिसने दस मुहरें और कमायी थी?

धनी मनुष्य ने उसे दस नगरों पर अधिकार दिया।

Luke 19:19-20

धनी मनुष्य ने उस दास के लिए क्या किया जो वफादार था और जिसने पाँच मुहरें और कमायी थी?

उसने उसे पाँच नगरों पर अधिकार दिया।

Luke 19:21-23

दुष्ट दास ने धनी मनुष्य को किस तरह का मनुष्य समझा?

वह जानता था कि धनी मनुष्य एक कठोर मनुष्य था।

Luke 19:24-26

धनी मनुष्य ने दुष्ट दास के साथ क्या किया?

उसने दुष्ट दास की मोहर छीन ली।

Luke 19:27-29

धनी मनुष्य ने उन लोगों के साथ क्या किया जो नहीं चाहते थे कि वह उन पर राज्य करे?

धनी मनुष्य ने उन्हें अपने सामने मरवा डाला था।

Luke 19:30-37

यरूशलेम को जाते समय यीशु किस तरह के जानवर पर सवार हुआ?

वह एक गदही के बच्चे पर सवार हुआ, जिस पर कभी कोई सवार नहीं हुआ था।

Luke 19:38-39

जब यीशु जैतून पहाड़ के पास पहुँचा तो भीड़ चिल्लाकर क्या कहने लगी?

वे चिल्लाकर कहने लगे, “धन्य है वह राजा जो प्रभु के नाम से आता है!”

Luke 19:40

यीशु ने क्या कहा कि यदि लोग आनन्द से नहीं चिल्लाएँगे तो क्या होगा?

उसने कहा कि फिर पत्थर चिल्ला उठेंगे।

Luke 19:41-43

यीशु ने नगर के निकट आते ही क्या किया?

वह इस पर रोया।

Luke 19:44-46

यीशु ने तब क्या भविष्यवाणी की कि इसके लोगों और नगर के साथ क्या होगा?

उसने कहा कि बैरी नगर को मिट्टी में मिला देंगे और उसमें पत्थर पर पत्थर भी छोड़ा नहीं जायेगा।

Luke 19:47

मन्दिर में उपदेश देते हुए यीशु को कौन मारना चाहते थे?

प्रधान याजक और शास्त्री और लोगों के प्रमुख यीशु को मारना चाहते थे।

Luke 19:48

वे इस समय उसे क्यों नहीं मार सके?

वे उसे मार न सके क्योंकि लोग उसकी बात बड़ी चाह से सुनते थे।

Luke 20

Luke 20:4

जब यहूदी प्राचीनों ने यीशु से पूछा कि वह किस अधिकार से सिखाता है, तो यीशु ने उनसे क्या प्रश्न पूछा?

उसने पूछा, “यूहन्ना का बपतिस्मा स्वर्ग की ओर से था या मनुष्यों की ओर से था?”

Luke 20:5

यदि उन्होंने उत्तर दिया कि, "स्वर्ग की ओर से," तो यहूदी प्राचीनों ने क्या सोचा कि यीशु उनसे क्या कहेगा?

यहूदी प्राचीनों ने सोचा कि यीशु कहेगा, “फिर तुम ने उस पर विश्वास क्यों नहीं किया?”

Luke 20:6-9

यदि उन्होंने उत्तर दिया कि, "मनुष्यों की ओर से," तो उन्होंने क्या सोचा कि लोग उनके साथ क्या करेंगे?

उन्होंने सोचा कि फिर लोग उन्हें पथराव करेंगे।

Luke 20:10

यीशु को इस दृष्टान्त में जब दाख की बारी को स्वामी ने फल लेने के लिए दासों को भेजा तो किसानों ने क्या किया?

उन्होंने दासों को मारा-पीटा, उन्हें लज्जित किया और खाली हाथ लौटा दिया।

Luke 20:11-12

यीशु के दृष्टान्त में, जब स्वामी ने अपने दासों को दाख की बारी का फल लेने के लिए भेजा, तो दाख की बारी के किसानों ने क्या किया?

उन्होंने दासों को पीटा, उनका अपमान किया, और उन्हें खाली हाथ लौटा दिया।

Luke 20:13-14

अंत में, स्वामी ने दाख की बारी के किसानों पास किसे भेजा?

उसने अपने प्रिय पुत्र को भेजा।

Luke 20:15

जब पुत्र दाख की बारी में आया तो दाख की बारी किसानों ने क्या किया?

उन्होंने उसे दाख की बारी से बाहर निकालकर मार डाला।

Luke 20:16-18

दाख की बारी का स्वामी दाख की बारी के उन किसानों के साथ क्या करेगा?

वह आकर उन किसानों को नाश करेगा, और दाख की बारी दूसरों को सौंप देगा।

Luke 20:19-24

यीशु ने यह दृष्टान्त किसके विरुद्ध सुनाया?

उसने यह दृष्टान्त शास्त्रियों और प्रधान याजकों के विरुद्ध सुनाया।

Luke 20:25-26

यीशु ने इस प्रश्न का उत्तर कैसे दिया कि कैसर को कर देना उचित है या नहीं?

उसने कहा कि जो कैसर का है, वह कैसर को दो और जो परमेश्वर का है, वह परमेश्वर को दो।

Luke 20:27-33

सदूकियों ने किस घटना पर विश्वास नहीं किया?

उन्होंने मरे हुओं के जी उठने पर विश्वास नहीं किया?

Luke 20:34

इस जगत में विवाह के बारे में यीशु ने क्या कहा?

इस युग के लोग विवाह-शादी करते हैं।

Luke 20:35-36

जी उठने के बाद विवाह के बारे में यीशु ने क्या कहा?

मरे हुओं में से जी उठने के बाद वे लोग विवाह-शादी नहीं करते हैं।

Luke 20:37-41

जी उठने की सच्चाई को साबित करने के लिए यीशु ने पुराने नियम की कौन सी कहानी याद की?

उसने मूसा और झाड़ी की कहानी को याद किया, जिसमें मूसा ने यहोवा को अब्राहम का परमेश्वर और इसहाक का परमेश्वर और याकूब का परमेश्वर कहता है।

Luke 20:42-46

भजन संहिता में प्रभु ने दाऊद के प्रभु से क्या कहा?

प्रभु ने दाऊद के प्रभु से कहा, "मेरे दाहिने बैठ।"

Luke 20:47

अपने धर्म के कामों के पीछे शास्त्री कौन-से बुरे काम कर रहे थे?

वे विधवाओं के घर खा जाते थे, और दिखाने के लिये बड़ी देर तक प्रार्थना करते रहते थे।

यीशु ने क्या कहा कि इन शास्त्रियों का न्याय कैसे किया जाएगा?

उसने कहा कि उन्हें बहुत ही दण्ड मिलेगा।

Luke 21

Luke 21:4-5

यीशु ने ऐसा क्यों कहा कि कंगाल विधवा ने औरों से बढ़कर दान भण्डार में डाला है?

यीशु ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि उसने अपनी घटी में से सब कुछ दिया, जबकि औरों के पास बहुत कुछ था और उनका देना बलिदान के साथ नहीं था।

Luke 21:6

यीशु ने क्या कहा कि यरूशलेम के मन्दिर के साथ क्या होगा?

उसने कहा कि इसे ढा दिया जाएगा और किसी पत्थर पर पत्थर नहीं छोड़ा जाएगा।

Luke 21:7

लोगों ने यीशु से मन्दिर के बारे में कौन से दो प्रश्न पूछे?

उन्होंने पूछा, “ये सब कब होगा और ये बातें जब पूरी होने पर होंगी, तो उस समय का क्या चिन्ह होगा?”

Luke 21:8

यीशु ने चेतावनी दी कि बहुत से भरमाने वाले आएँगे। ये भरमाने वाले क्या कहेंगे?

वे कहेंगे कि, "मैं वही हूँ," और "यह भी कि समय निकट आ पहुँचा है।"

Luke 21:9

अन्त से पहले यीशु ने कौन से भयंकर चिन्ह बताए?

उस समय युद्ध होंगे, भूकम्प होंगे, अकाल पड़ेंगे, महामारियां होंगी, आकाश में भयंकर बातों के चिन्ह प्रकट होंगे।

Luke 21:10

यीशु ने क्या कहा कि अंत से पहले क्या होगा?

जातियों और राज्यों के बीच युद्ध होंगे।

Luke 21:11-12

यीशु ने क्या कहा कि अंत से पहले कौन सी भयानक घटनाएँ होंगी?

भूकम्प, अकाल, महामारियाँ और आकाश में बड़े बड़े चिन्ह होंगे।

Luke 21:13-15

विश्वासियों के सताने से क्या अवसर उत्पन्न होगा?

यह उनके लिये गवाही देने का अवसर उत्पन्न करेगा।

Luke 21:16-19

यीशु के अनुयायियों से कौन बैर करेगा?

माता-पिता, भाई, कुटुम्ब और मित्र उनसे बैर करेंगे।

Luke 21:20

कौन-सी घटना दर्शाती है कि यरूशलेम का उजड़ जाना निकट है?

जब यरूशलेम सेनाओं से घिरा हुआ हो, तो उसका उजड़ जाना निकट है।

Luke 21:21

यीशु ने लोगों से क्या करने को कहा जो देखते हैं कि यरूशलेम का उजड़ जाना निकट है?

उस ने उन से पहाड़ों पर भाग जाने, और नगर के बाहर निकलने और नगर में प्रवेश न करने को कहा।

Luke 21:22-23

यीशु ने यरूशलेम के उजड़ जाने के दिनों को क्या कहा?

उस ने उन्हें पलटा लेने के दिन कहा, जिनमें लिखी हुई सब बातें पूरी हो जाएँगी।

Luke 21:24

कब तक यरूशलेम को अन्यजातियों द्वारा रौंदा जाएगा?

जब तक अन्यजातियों का समय पूरा न हो, तब तक यरूशलेम अन्यजातियों से रौंदा जाएगा।

Luke 21:25-29

यीशु ने किस चिन्ह के बारे में कहा कि जो उसकी शक्ति और महान महिमा के साथ आने से पहले होगा?

उसने कहा कि सूरज और चाँद और तारों में चिन्ह दिखाई देंगे, और पृथ्वी पर, देश-देश के लोगों को संकट होगा।

Luke 21:30-32

यीशु ने क्या उदाहरण दिया कि उसके सुनने वालों को कैसे पता चलेगा कि कोनसा मौसम निकट है?

उसने कहा कि जब वे अंजीर के पेड़ के पत्तों की कोंपलें निकलती हुई देखते हैं, तो वे जान लेते हैं कि ग्रीष्मकाल निकट है।

Luke 21:33

यीशु ने क्या कहा कि क्या टल जाएँगे?

उसने कहा कि आकाश और पृथ्वी टल जाएँगे।

क्या कभी नहीं टलेंगी?

यीशु की बातें कभी नहीं टलेंगी।

Luke 21:34-35

यीशु ने अपने सुननेवालों को क्या चेतावनी दी कि वे ऐसा न करें क्योंकि वह दिन अचानक आ पड़ेगा?

उसने उन्हें चेतावनी दी कि वे अपने मनों में खुमार और मतवालेपन, और इस जीवन की चिन्ताओं से सुस्त न हो जाएँ।

Luke 21:36-38

यीशु ने अपने सुननेवालों को क्या चेतावनी दी कि वे क्या करें क्योंकि वह दिन अचानक आ पड़ेगा?

उसने उन्हें जागते रहने और प्रार्थना करने की चेतावनी दी।

Luke 22

Luke 22:1-5

इस समय कौन-सा यहूदी पर्व निकट था?

अख़मीरी रोटी का पर्व जो फसह कहलाता है, निकट था

Luke 22:6-9

यहूदा किन परिस्थितियों में यीशु को प्रधान याजकों को पकड़वाने के लिए अवसर ढूँढ रहा था?

वह भीड़ के दूर होने पर यीशु को पकड़वाने के अवसर ढूँढ रहा था।

Luke 22:10-11

यीशु और उसके शिष्यों ने फसह का भोजन कहाँ किया था?

उन्होंने यरूशलेम में एक बड़े सजे हुए कक्ष में फसह का भोजन किया।

Luke 22:12-15

यीशु और चेलों ने फसह का भोजन कहाँ किया?

उन्होंने इसे यरूशलेम में एक सजी-सजाई बड़ी अटारी में खाया।

Luke 22:16-18

यीशु ने क्या कहा था कि वह फिर से फसह का भोजन कब खायेगा?

उसने कहा कि वह फसह का भोजन फिर तब खाएगा जब यह परमेश्वर के राज्य में पूरा हो जाएगा।

Luke 22:19

यीशु ने तब क्या कहा जब उसने रोटी तोड़ी और इसे चेलों को दिया?

उसने कहा, "यह मेरी देह है, जो तुम्हारे लिये दी जाती है: मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।"

Luke 22:20-21

यीशु ने चेलों को प्याला देते हुए क्या कहा?

उसने कहा, "यह कटोरा मेरे उस लहू में जो तुम्हारे लिये बहाया जाता है नई वाचा है।"

Luke 22:22

क्या यह परमेश्वर की योजना थी कि यीशु को पकड़वाया जाए?

हाँ, परमेश्वर ने यह निश्चित किया था कि यीशु को पकड़वाया जाएगा।

Luke 22:23-25

क्या चेले जानते थे कि यीशु को पकड़वाने वाला कौन था?

नहीं, चेलों को पता नहीं था कि यीशु को कौन पकड़वाएगा।

Luke 22:26

यीशु ने क्या कहा कि उसके चेलों में से सबसे बड़े को क्या करना चाहिए?

उसने कहा कि उनमें से सबसे बड़े को सबसे छोटे के समान होना चाहिए।

Luke 22:27-29

यीशु अपने चेलों के बीच में कैसे रहा?

वह उनके बीच में सेवक के समान रहा।

Luke 22:30-33

यीशु ने अपने चेलों से क्या वादा किया था कि वे कहाँ बैठेंगे?

उसने कहा कि वे सिंहासनों पर बैठेंगे, और इस्राएल के बारह गोत्रों का न्याय करेंगे।

Luke 22:34-36

यीशु ने क्या भविष्यवाणी की कि पतरस क्या करेगा?

उसने कहा कि मुर्गे के बाँग देने से पहले पतरस तीन बार इस बात से इनकार करेगा कि वह यीशु को जानता है।

Luke 22:37-39

इन घटनाओं में यीशु के बारे में कौन सी लिखित भविष्यवाणी पूरी हो रही थी?

यीशु के बारे में लिखित भविष्यवाणी जो पूरी हो रही थी, वह यह कहती है कि, “और वह अपराधी के साथ गिना गया।”

Luke 22:40-41

जैतून के पहाड़ पर यीशु ने अपने चेलों से क्या प्रार्थना करने के लिए कहा?

वह चाहता था कि वे प्रार्थना करें ताकि वे परीक्षा में न पड़ें।

Luke 22:42-44

जैतून के पहाड़ पर यीशु ने क्या प्रार्थना की?

उसने प्रार्थना की कि, "हे पिता यदि तू चाहे तो इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले, फिर भी मेरी नहीं परन्तु तेरी ही इच्छा पूरी हो।"

Luke 22:45-46

जब यीशु प्रार्थना करके वापिस आया तो चेले क्या कर रहे थे?

वे सो रहे थे।

Luke 22:47

जनसमूह के समक्ष यहूदा ने यीशु को कैसे पकड़वाया?

उसने यीशु को चूम कर पकड़वाया।

Luke 22:48-50

भीड़ के सामने यहूदा ने यीशु को कैसे पकड़वाया?

उसने यीशु का चुम्बन लेकर पकड़वाया।

Luke 22:51-52

यीशु ने उस मनुष्य के साथ क्या किया जिसका कान काट दिया गया था?

उसने उसके को कान को छुआ और उसे चंगा किया।

Luke 22:53

यीशु ने क्या कहा कि वह प्रतिदिन कहाँ प्रधान याजकों के साथ था?

उसने कहा कि वह प्रति दिन मन्दिर में था।

Luke 22:54-56

उसे पकड़कर भीड़ यीशु को कहाँ ले गई?

भीड़ उसे प्रधान याजक के घर ले गई।

Luke 22:57-59

जब एक दासी ने कहा कि पतरस यीशु के साथ था तो पतरस ने क्या कहा?

उसने कहा, "हे नारी, मैं उसे नहीं जानता।"

Luke 22:60-61

पतरस द्वारा तीसरी बार यीशु को जानने से इनकार करने के तुरंत बाद क्या हुआ?

यीशु को जानने से इनकार करने के तुरंत बाद एक मुर्गे ने बाँग दी।

Luke 22:62

जब यीशु ने पतरस की ओर देखा तो पतरस ने क्या किया?

वह बाहर निकलकर फूट फूटकर रोने लगा।

Luke 22:63

यीशु को पकड़ कर रखने वालों ने उसके साथ क्या किया?

वे उसका उपहास कर रहे थे और उसे पीट रहे थे।

Luke 22:64-66

यीशु को पकड़ कर रखने वालों ने उसका उपहास कैसे किया?

उन्होंने उसकी आँखें ढाँपकर उससे पूछा कि बता कि तुझे किसने मारा।

Luke 22:67-70

महासभा ने माँग की कि यीशु उन्हें बताए कि क्या वह मसीह है। यीशु ने क्या कहा कि यदि वह उन्हें बता देगा तो वे क्या नहीं करेंगे?

उसने कहा कि वे निश्चित रूप से विश्वास नहीं करेंगे।

Luke 22:71

महासभा ने यह क्यों कहा कि उन्हें यह साबित करने के लिए गवाहों की आवश्यकता नहीं है कि यीशु ने मसीह होने का दावा किया है?

उन्होंने कहा कि उन्हें और गवाहों की आवश्यकता नहीं है क्योंकि उन्होंने यीशु को अपने ही मुँह से यह दावा करते हुए सुना है कि वह मसीह है।

Luke 23

Luke 23:2-3

यहूदी प्राचीनों ने पिलातुस के सामने यीशु के विरुद्ध क्या दोष लगाए?

उन्होंने कहा कि यीशु लोगों को बहकाता था, कैसर को कर देने से मना करता था, और कहता है कि वह मसीह, एक राजा है।

Luke 23:4-7

यीशु से प्रश्न पूछने के बाद पीलातुस ने उसके बारे में क्या कहा?

उसने कहा, "मैं इस मनुष्य में कुछ दोष नहीं पाता।"

Luke 23:8

हेरोदेस यीशु को क्यों देखना चाहता था?

हेरोदेस यीशु को कुछ चिन्ह दिखाते हुए देखना चाहता था।

Luke 23:9-13

यीशु ने हेरोदेस के प्रश्नों का उत्तर कैसे दिया?

उसने हेरोदेस को कुछ भी उत्तर नहीं दिया।

Luke 23:14-17

जब यीशु पीलातुस के पास वापिस लाया गया, तो पीलातुस ने भीड़ से यीशु के बारे में क्या कहा?

उसने कहा कि पर जिन बातों का तुम उस पर दोष लगाते हो, उन बातों के विषय में मैंने उसमें कुछ भी दोष नहीं पाया है।

Luke 23:18-20

भीड़ पीलातुस से क्या चाहती थी कि वह फसह की पर्व के लिए किसे जेल से छोड़ दे?

वे चाहते थे कि वह एक अपराधी बरअब्बा को छोड़ दे।

Luke 23:21

भीड़ ने चिल्लाकर क्या कहा कि यीशु के साथ क्या किया जाना चाहिए?

उन्होंने चिल्लाकर कहा, "उसे क्रूस पर चढ़ा, क्रूस पर।"

Luke 23:22

तीसरी बार पीलातुस ने भीड़ को यीशु के बारे में क्या कहा?

पीलातुस ने कहा, "मैंने उसमें मृत्युदण्ड के योग्य कोई बात नहीं पाई।"

Luke 23:23

पिलातुस ने यीशु को क्रूस पर चढ़ाने की भीड़ की माँग को आखिर क्यों मान लिया?

उसने उनकी विनती मान ली क्योंकि वे चिल्ला चिल्लाकर पीछे पड़ गए थे।

Luke 23:24-25

पिलातुस ने अन्त में जनसमूह की बात मान कर यीशु को क्रूस पर क्यों चढ़वाया।

क्योंकि वे चिल्लाकर प्रबलता से कह रहे थे।

Luke 23:26-27

यीशु का क्रूस किसने उठाया और यीशु के पीछे हो लिया?

शमौन नाम एक कुरेनी ने यीशु का क्रूस उठाया।

Luke 23:28-31

यीशु ने क्या कहा कि यरूशलेम की स्त्रियों को उसके बदले किसके लिए रोना चाहिए?

यीशु ने कहा कि उन्हें अपने और अपने बालकों के लिए रोना चाहिए।

Luke 23:32-33

यीशु के साथ किसे क्रूस पर चढ़ाया गया था?

यीशु के साथ दो कुकर्मियों को क्रूस पर चढ़ाया गया था।

Luke 23:34

उसे क्रूस पर चढ़ाने वालों के लिए यीशु ने क्या प्रार्थना की?

यीशु ने कहा, "हे पिता इन्हें क्षमा कर क्योंकि ये जानते नहीं कि क्या कर रहे हैं।"

Luke 23:35-37

क्योंकि यीशु ने मसीह होने का दावा किया था, लोगों, सैनिकों और उन कुकर्मियों में से एक ने यीशु को क्या करने के लिए चुनौती दी?

उन्होंने उसे अपने आप को बचाने की चुनौती दी।

Luke 23:38-41

यीशु के ऊपर एक दोषपत्र पर क्या लिखा था?

दोषपत्र पर यह लिखा था, “यह यहूदियों का राजा है।”

Luke 23:42

दूसरे कुकर्मी ने यीशु से क्या विनती की?

उसने कहा, "जब तू अपने राज्य में आए, तो मेरी सुधि लेना।”

Luke 23:43

यीशु ने दूसरे कुकर्मी से क्या वादा किया?

उसने कहा, "आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा।”

Luke 23:44

यीशु की मृत्यु से ठीक पहले कौन सी चमत्कारी घटना घटी?

सारे देश में तीसरे पहर तक अंधियारा छाया रहा।

Luke 23:45-46

यीशु की मृत्यु से ठीक पहले कौन-सी चमत्कारी घटनाएँ घटीं?

सूर्य का उजियाला जाता रहा, और मन्दिर का परदा बीच से फट गया।

Luke 23:47-51

यीशु की मृत्यु के बाद सूबेदार ने यीशु के बारे में क्या कहा?

उसने कहा, “निश्चय यह मनुष्य धर्मी था।”

Luke 23:52

अरिमतियाह के यूसुफ ने पिलातुस से उसे क्या देने को कहा?

उसने पिलातुस से यीशु का शव माँगा।

Luke 23:53

अरिमतियाह के यूसुफ ने यीशु के शव का क्या किया?

उसने यीशु के शव को एक नई कब्र में रखा।

Luke 23:54-55

जब यीशु को दफ़नाया गया तो कौनसा दिन आरम्भ होने वाला था ?

सब्त का दिन आरम्भ होने वाला था।

Luke 23:56

यीशु के साथ रहने वाली स्त्रियों ने सब्त के दिन पर क्या किया?

उन्होंने परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार विश्राम किया।

Luke 24

Luke 24:1

स्त्रियाँ यीशु की कब्र पर कब आईं?

वे सप्ताह के पहले दिन बड़े भोर को आईं।

Luke 24:2

स्त्रियों ने कब्र पर क्या हुआ पाया?

उन्होंने पत्थर को कब्र पर से लुढ़का हुआ पाया।

Luke 24:3-5

कब्र के अंदर स्त्रियों ने क्या पाया?

उन्होंने पाया कि यीशु का शरीर वहां नहीं था।

Luke 24:6-10

झलकते हुए वस्त्र पहने (स्वर्गदूतों) हुए दो पुरुषों ने क्या कहा कि यीशु के साथ क्या हुआ?

उन्होंने स्त्रियों से कहा कि यीशु जी उठा है।

Luke 24:11

जब स्त्रियों ने कब्र पर हुए अपने अनुभव के बारे में बताया तो प्रेरितों की क्या प्रतिक्रिया थी?

ये बातें उन्हें कहानी के समान लगी और उन्होंने उन पर विश्वास नहीं किया।

Luke 24:12-15

जब पतरस ने कब्र में देखा तो उसने क्या देखा?

पतरस ने देखा कि वहाँ सनी के कपड़े पड़े हुए हैं।

Luke 24:16-20

जब यीशु उनके साथ शामिल हुआ तो इम्माऊस को जाने वाले दो चेलों ने यीशु को क्यों नहीं पहचाना?

उनकी आँखें ऐसी बन्द कर दी गईं थी, कि उसे पहचान न सके।

Luke 24:21-26

जब यीशु जीवित था, चेले क्या आशा कर रहे थे कि वह क्या करेगा?

वे आशा कर रहे थे कि वह इस्राएल छुटकारा देगा।

Luke 24:27-29

यीशु ने दोनों मनुष्यों को पवित्रशास्त्र में से क्या समझाया?

उसने समझाया कि पवित्रशास्त्र में उसके बारे में क्या कहा।

Luke 24:30

उन दोनों ने यीशु को अन्त में कैसे पहचाना?

जब यीशु ने रोटी लेकर धन्यवाद किया, और उसे तोड़कर उनको देने लगा तब उन्होंने यीशु को पहचाना।

Luke 24:31-35

दो चेलों के साथ क्या हुआ जब यीशु ने रोटी लेकर धन्यवाद किया, और उसे तोड़कर उनको दिया?

उनकी आँखें खुल गईं और उन्होंने उसे पहचान लिया।

Luke 24:36-38

यरूशलेम में चेलों के सामने प्रगट होने पर यीशु ने सबसे पहले क्या कहा?

उसने कहा, “तुम्हें शान्ति मिले।”

Luke 24:39-44

यीशु ने कैसे साबित किया कि वह केवल एक आत्मा ही नहीं था?

उसने चेलों को उसे छूने के लिए आमंत्रित किया, और उसने उन्हें अपने हाथ और पाँव दिखाए।

Luke 24:45-46

तब चेले पवित्रशास्त्र को कैसे समझ पाए?

यीशु ने पवित्रशास्त्र को समझने के लिये उनकी समझ खोल दी।

Luke 24:47-48

यीशु ने क्या कहा कि सब जातियों में क्या प्रचार किया जाना चाहिए?

यीशु ने कहा कि सब जातियों में मन फिराव का और पापों की क्षमा का प्रचार किया जाना चाहिए?

Luke 24:49-50

यीशु ने चेलों को किस के लिए प्रतीक्षा करने के लिए कहा?

उसने उनसे कहा कि वे तब तक प्रतीक्षा करें जब तक कि वे ऊपर से सामर्थ्य न पा लें।

Luke 24:51-52

जब उसने बैतनिय्याह के पास चेलों को आशीष दी तब यीशु के साथ क्या हुआ?

उसे स्वर्ग पर उठा लिया गया।

Luke 24:53

तब चेलों ने अपना समय कहाँ बिताया और उन्होंने क्या किया?

वे लगातार मन्दिर में उपस्थित होकर परमेश्वर की स्तुति किया करते थे।