2 Corinthians
2 Corinthians 1
2 Corinthians 1:1-2
यह पत्र किसने लिखा था?
यह पत्र पौलुस और तीमुथियुस ने लिखा था।
यह पत्र किसके लिए था?
यह पत्र कुरिन्थ नगर में परमेश्वर की कलीसिया और अखया के सब पवित्र जनों के लिए था।
2 Corinthians 1:3
पौलुस परमेश्वर के लिए क्या कहता है?
पौलुस परमेश्वर को हमारे प्रभु मसीह का पिता, दया का पिता और सब प्रकार की शान्ति का परमेश्वर है।
2 Corinthians 1:4-7
परमेश्वर हमारे क्लेशों में हमें शान्ति क्यों दिलाता है?
वह हमें शान्ति दिलाता है कि हम भी उन लोगों को शान्ति दे पायें जो क्लेश में है, यह वह शान्ति है जो परमेश्वर ने हमें दी है।
2 Corinthians 1:8
आसिया में पौलुस और उसके साथियों पर कैसा क्लेश था?
वे अपनी सहनशक्ति से परे क्लेश में थे। उन पर मृत्यु की आज्ञा हो चुकी थी।
2 Corinthians 1:9-10
पौलुस और उसके साथियों पर मृत्यु की आज्ञा का कारण क्या था?
मृत्यु की इस आज्ञा के कारण उन्होंने सीखा कि अपने ऊपर नहीं परमेश्वर के ऊपर भरोसा रखें।
2 Corinthians 1:11
पौलुस के अनुसार कुरिन्थ की कलीसिया उनकी सहायता कैसे कर सकती थी?
पौलुस ने कुरिन्थ की कलीसिया से निवेदन किया कि वे उनके लिए प्रार्थना करें।
2 Corinthians 1:12-13
पौलुस और उसके साथी किस बात पर घमण्ड करते थे?
पौलुस और उसके साथी अपने विवेक की गवाही पर घमण्ड करते थे कि जगत में और विशेष करके कुरिन्थ की कलीसिया के साथ उनका व्यवहार पवित्रता और सत्यनिष्ठा था जो परमेश्वर से था अर्थात शारीरिक ज्ञान से नहीं परन्तु परमेश्वर के अनुग्रह से।
2 Corinthians 1:14
पौलुस को प्रभु के दिन के लिए किस बात की आशा थी?
पौलुस को आशा थी कि पौलुस और उसके साथी प्रभु के दिन कुरिन्थ के पवित्र जनों के लिए घमण्ड का कारण ठहरेंगे।
2 Corinthians 1:15-21
पौलुस कितनी बार कुरिन्थ की कलीसिया के पास जाना चाहता था?
वह उनसे भेंट करने के लिए दो बार आना चाहता था।
2 Corinthians 1:22
वह एक कारण क्या है कि मसीह ने हमें बयाने में पवित्र आत्मा दिया है?
परमेश्वर ने हमारे भावी भाग के बयाने में हमें पवित्र आत्मा दिया है।
2 Corinthians 1:23
पौलुस कुरिन्थ क्यों नहीं आया था?
वह कुरिन्थ इसलिए नहीं आया था कि उसे उन पर तरस आता था।
2 Corinthians 1:24
पौलुस ने क्या कहा कि वह और तीमुथियुस कुरिन्थ की कलीसिया के साथ क्या करते थे और क्या नहीं करते थे?
पौलुस कहता है कि वह विश्वास के विषय में उन पर प्रभुता जताना नहीं चाहता था परन्तु उनके आनंद के लिए क्रियाशील था।
2 Corinthians 2
2 Corinthians 2:1-2
कुरिन्थ न आने में पौलुस कौन सी परिस्थितियों से बचना चाहता था?
पौलुस दुखदायी परिस्थितियों में कुरिन्थ की कलीसिया के पास आने से बच रहा था।
2 Corinthians 2:3
पौलुस ने कुरिन्थ की कलीसिया को लिखे पिछले पत्र में ऐसा क्यों लिखा था?
उसने यह इसलिए लिखा कि उसने वहां आने पर जिनसे उसे आनन्द मिलना था उनसे उन्हें उदास होना पड़े।
2 Corinthians 2:4-5
कुरिन्थ की कलीसिया को यह पत्र लिखने से पूर्व पौलुस की मानसिक स्थिति कैसी थी?
पौलुस बड़े क्लेश और मन के कष्ट में था।
पौलुस ने कुरिन्थ की कलीसिया को यह पत्र क्यों लिखा?
उसने यह पत्र इसलिए लिखा कि वे उसके प्रेम की गहराई को समझें जो उसके मन में उनके लिए थी।
2 Corinthians 2:6
पौलुस ने कुरिन्थ की कलीसिया को क्या कहा कि उस व्यक्ति के साथ करें जिसे उन्होंने दण्ड दिया है?
पौलुस कहता है कि उस व्यक्ति को क्षमा करके शान्ति दी जाये।
2 Corinthians 2:7-8
पौलुस ने कुरिन्थ की कलीसिया को क्यों कहा कि उस व्यक्ति को क्षमा करके शान्ति दें जिसे उन्होंने दण्ड दिया था?
यह इसलिए कि वह मनुष्य बहुत दुखी न हो।
2 Corinthians 2:9-10
इस पत्र को लिखने का एक और कारण क्या था?
पौलुस द्वारा इस पत्र को लिखने का एक और कारण यह भी था कि उनकी आज्ञाकारिता को परखे।
2 Corinthians 2:11-12
कुरिन्थ की कलीसिया के लिए यह जानना महत्वपूर्ण क्यों था कि वे जिसको भी क्षमा करते हैं उसे पौलुस भी मसीह के समक्ष क्षमा करता है?
यह इसलिए कि शैतान का उन पर दांव न चले।
2 Corinthians 2:13
त्रोआस में आकर पौलुस का मन अशान्त क्यों हुआ?
पौलुस का मन अशान्त था क्योंकि उसने त्रोआस में तीतुस को नहीं पाया था।
2 Corinthians 2:14-16
पौलुस और उसके साथियों द्वारा परमेश्वर क्या कर रहा था?
पौलुस और उसके साथियों के द्वारा परमेश्वर अपने ज्ञान की सुगन्ध हर जगह फैलाता है।
2 Corinthians 2:17
पौलुस ने अपने आप को और अपने साथियों को उन प्रचारकों से भिन्न कैसे बताया जो व्यक्तिगत लाभ के लिए परमेश्वर के वचन का दुरूपयोग करते थे?
पौलुस और उसके साथी मन की सच्चाई से और परमेश्वर की ओर से परमेश्वर को उपस्थित जानकर मसीह में बोलते थे।
2 Corinthians 3
2 Corinthians 3:2-3
पौलुस और उसके साथियों की सिफारिश की पत्री क्या थी?
कुरिन्थ की कलीसिया उनकी सिफारिश की पत्री थे जिसे सब मनुष्य पहचानते और पढ़ते थे।
2 Corinthians 3:4-5
मसीह के द्वारा परमेश्वर में पौलुस और उसके साथियों को क्या भरोसा था?
उनका भरोसा अपनी योग्यता पर नहीं परमेश्वर की पूर्णता पर था।
2 Corinthians 3:6
इस नई वाचा का आधार क्या है जिसके योग्य परमेश्वर ने पौलुस और उसके साथियों को बनाया था?
नई वाचा जीवनदायक आत्मा पर निर्भर है न कि शब्द पर जो मारता है।
2 Corinthians 3:7
इस्राएली मूसा के मुंह को क्यों नहीं देख पाते थे?
वे उसके मुंह को देख नहीं पाते थे क्योंकि वह तेजोमय था परन्तु वह तेज घटता जा रहा था।
2 Corinthians 3:8-13
किसका तेज अधिक है, मृत्यु लाने वाली और दोषी ठहराने वाली अस्थाई वाचा या आत्मा और धार्मिकता की सेवा जो स्थायी वाचा?
आत्मा की सेवा और भी अधिक तेजोमय है, धर्मी ठहराने वाली वाचा कहीं अधिक तेजोमय है। जो स्थिर रहता है वह और भी अधिक तेजोमय है।
2 Corinthians 3:14
इस्राएलियों के मन कैसे खुलेंगे और उनके हृदयों पर से परदा कैसे उठेगा?
जब इस्राएल प्रभु यीशु की ओर फिरेगा तब वह परदा उठ जायेगा, और उनके हृदय खुल जायेंगे।
2 Corinthians 3:15-16
मूसा की वाचा पढ़ते समय इस्राएलियों के साथ क्या समस्या है?
उनकी समस्या थी कि वे मन्दमति थे और उनके हृदयों पर पर्दा पड़ा रहता था।
2 Corinthians 3:17
प्रभु के आत्मा के साथ क्या है?
जहां प्रभु का आत्मा है वहां स्वतंत्रता है।
2 Corinthians 3:18
प्रभु का तेज देखने वाले अंश-अंश करके किसमें बदलते जाते हैं?
हम उसी के तेजस्वी रूप में अंश-अंश करके बदलते जाते हैं।
2 Corinthians 4
2 Corinthians 4:1
पौलुस और उसके साथी हताश क्यों नहीं थे?
उन्होंने हियाव नहीं छोड़ा क्योंकि उन्हें दया के कारण ऐसी सेवा मिली।
2 Corinthians 4:2
पौलुस और उसके साथियों ने क्या त्याग दिया था?
उन्होंने लज्जा के गुप्त कामों को त्याग दिया, वे न तो चतुराई करते थे और न ही परमेश्वर के वचन में मिलावट करते थे।
पौलुस और उसके साथी परमेश्वर की दृष्टि में हर एक मनुष्य के विवेक में अपनी भलाई कैसे बैठाते थे?
वे सत्य को प्रकट करते थे।
2 Corinthians 4:3
सुसमाचार पर किसके लिए परदा पड़ा है?
यदि उनके द्वारा सुनाये जाने वाले सुसमाचार पर परदा पड़ा है तो वह नष्ट होने वालों के लिए ही है।
2 Corinthians 4:4
नष्ट होने वालों के लिए सुसमाचार पर परदा क्यों पड़ा है?
अविश्वासियों की बुद्धि इस संसार के ईश्वर ने अंधी कर दी है ताकि मसीह के सुसमाचार का प्रकाश उन पर न पड़े।
2 Corinthians 4:5-6
पौलुस और उसके साथी यीशु का क्या प्रचार करते थे और अपने बारे में क्या कहते थे?
वे मसीह यीशु का प्रचार करते थे और यीशु के कारण उनके सेवक थे।
2 Corinthians 4:7-9
पौलुस और उसके साथियों ने यीशु के बारे में और अपने बारे में क्या प्रचार किया?
उनका यह धन मिट्टी के बरतनों में रखा था कि वह असीम सामर्थ्य उनकी ओर से नहीं वरन् परमेश्वर की ओर से ठहरे।
2 Corinthians 4:10-13
पौलुस और उसके साथी यीशु की मृत्यु को अपनी देह में क्यों लिए फिरते थे?
वे यीशु की मृत्यु को अपनी देह में हर समय लिए फिरते थे कि यीशु का जीवन उनकी देह से प्रकट हो।
2 Corinthians 4:14
यीशु को जिलाने वाले की उपस्थिति में कौन लाये जायेंगे?
पौलुस और उसके साथी तथा कुरिन्थ के विश्वासी उनके सामने उपस्थित किये जायेंगे जिसने प्रभु यीशु को जिलाया।
2 Corinthians 4:15
बहुतों के द्वारा अधिक अनुग्रह होकर क्या करेगा?
अनुग्रह बहुतों के द्वारा अधिक होकर परमेश्वर की महिमा के लिए धन्यवाद भी बढ़ायेगा।
2 Corinthians 4:16-18
पौलुस और उसके साथियों का निराश होने का कारण क्या था?
वे हियाव नहीं छोड़ते थे यद्यपि उनका बाहरी मनुष्यत्व नष्ट होता जाता था।
पौलुस और उसके साथी हताश क्यों नहीं थे?
वे हताश नहीं हुए क्योंकि उनका भीतरी मनुष्यत्व दिन प्रतिदिन नया होता जाता था और फिर उनका पल भर का हलका सा क्लेश बहुत ही महत्वपूर्ण और अनन्त महिमा उत्पन्न करता जाता था और अन्त में वे अनदेखी वस्तुओं को देख रहे थे।
2 Corinthians 5
2 Corinthians 5:1-3
पृथ्वी पर का डेरा सरीखा घर जब गिराया जायेगा तब पौलुस क्या कहता है कि हमें मिलेगा?
पौलुस का कहना था कि उन्हें परमेश्वर की ओर से स्वर्ग पर एक ऐसा भवन मिलेगा जो हाथों का बना हुआ नहीं, चिरस्थाई है।
2 Corinthians 5:4
पौलुस क्यों कहता है कि हम इस डेरे में कहराते हैं?
पौलुस के कहने का अर्थ है कि इस घर में हम कहरते हैं और बड़ी लालसा रखते हैं कि अपने स्वर्गीय घर को पहन लें कि जो मरनहार है वह जीवन में डूब जाए।
2 Corinthians 5:5-7
परमेश्वर ने हमें इस भावी बात के लिए बयाने में क्या दिया है?
परमेश्वर ने हमें इसी बात के लिए तैयार किया है और बयाने में आत्मा भी दिया है।
2 Corinthians 5:8
पौलुस इस देह में रहना उचित समझता है या प्रभु के साथ?
पौलुस कहता है, "हम ढ़ांढ़स बांधे रहते हैं कि और देह से अलग होकर प्रभु के साथ रहना और भी उत्तम समझते हैं।"
2 Corinthians 5:9
पौलुस का लक्ष्य क्या था?
पौलुस ने प्रभु को प्रसन्न करने का लक्ष्य साधा था।
2 Corinthians 5:10
पौलुस ने प्रभु को प्रसन्न करना अपना लक्ष्य क्यों बनाया था?
पौलुस ने ऐसा लक्ष्य साधा था क्योंकि हम सबको मसीह के न्याय आसन के समक्ष उपस्थित होना है और अपने-अपने कामों का लेखा देना है, चाहे वे अच्छे हों या बुरे।
2 Corinthians 5:11
पौलुस और उसके साथी लोगों को क्या समझाते थे?
यही कारण था कि वे प्रभु का भय मानकर लोगों को समझते हैं।
2 Corinthians 5:12-14
पौलुस ने कहा कि वे उनके समक्ष अपनी बढ़ाई नहीं करते थे, तो वे क्या करते थे?
वे कुरिन्थ के विश्वासियों को उनके विषय घमण्ड करने का अवसर देते थे कि वे उन्हें उत्तर दे सकें जो मन पर नहीं परन्तु दिखावटी बातों पर घमण्ड करते थे।
2 Corinthians 5:15-16
क्योंकि मसीह सबके लिए मरा तो जो जीवित है उन्हें क्या करना चाहिये?
वे आगे को अपने लिए न जीयें परन्तु उसके लिए जो उनके लिए मरा और फिर जी उठा।
पौलुस क्यों कहता है कि अब हम किसी को भी शरीर के अनुसार न समझेंगे?
यह इसलिए कि मसीह सबके लिए मरा और हम अब स्वयं के लिए नहीं परन्तु मसीह के लिए जीवित हैं।
2 Corinthians 5:17-18
जो मसीह में है उसके साथ क्या होता है?
पुरानी बात बीत गई है; देखो सब बातें नई हो गई हैं।
2 Corinthians 5:19
जब परमेश्वर मसीह के द्वारा मनुष्यों का अपने से मेल करता है तब वह उनके लिए क्या करता है?
परमेश्वर ने मसीह में होकर अपने साथ संसार का मेल-मिलाप कर लिया और उनके अपराधों का दोष उन पर नहीं लगाया।
2 Corinthians 5:20
प्रभु के नियुक्त प्रतिनिधि होने के कारण पौलुस और उसके साथी कुरिन्थ की कलीसिया से क्या कहते हैं?
वे कुरिन्थ की कलीसिया से आग्रह करते हैं कि वे मसीह के कारण परमेश्वर से मेल कर लें।
2 Corinthians 5:21
परमेश्वर ने मसीह को हमारे पापों के लिए प्रायश्चित क्यों ठहराया?
परमेश्वर ने ऐसा इसलिए किया कि मसीह में हम परमेश्वर की धार्मिकता बन जायें।
2 Corinthians 6
2 Corinthians 6:1
पौलुस और उसके साथियों ने कुरिन्थ की कलीसिया से क्या अनुरोध किया था?
वे कुरिन्थ की कलीसिया से आग्रह करते थे कि वे परमेश्वर के उस अनुग्रह को जो उन पर हुआ व्यर्थ न जाने दें।
2 Corinthians 6:2
प्रसन्नता का समय कब है? उद्धार का दिन कौन सा है?
अभी वह प्रसन्नता का समय है, अभी वह उद्धार का दिन है।
2 Corinthians 6:3
पौलुस और उसके साथियों ने ठोकर खाने का कोई अवसर नहीं छोड़ा था, क्यों?
उन्होंने किसी बात में ठोकर खाने का कोई अवसर नहीं दिया जिससे कि उनकी सेवा पर कोई दोष न आए।
2 Corinthians 6:4-7
पौलुस और उसके साथियों के काम क्या प्रकट करते हैं?
उनके कामों से सिद्ध होता था कि वे परमेश्वर के दास है।
पौलुस और उसके साथियों ने क्या-क्या सहा था?
क्लेशों से, दरिद्रता से, संकटों से, कोड़े खाने से, कैद होने से, हुल्ल्डों से, परिश्रम से, जागते रहने से, उपवास करने से उन्होंने बड़े धीरज के साथ निर्वाह किया था।
2 Corinthians 6:8-10
सत्यवादी होने के उपरान्त भी पौलुस और उसके साथियों पर क्या आरोप लगाया गया था?
उन्हें भरमाने वाले कहा गया।
2 Corinthians 6:11-13
पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया के साथ कैसा विनिमय चाहता था?
पौलुस कहता है कि उनका हृदय कुरिन्थ की कलीसिया की ओर खुला है और पौलुस चाहता था कि निष्पक्ष प्रतिकार में वे भी उनके प्रति अपना हृदय खोल दें।
2 Corinthians 6:14-16
पौलुस क्या कारण प्रकट करता है कि कुरिन्थ के पवित्र जनों को अविश्वासियों से मेल-जोल नहीं रखना है?
पौलुस निम्नलिखित कारण बताता हैः धार्मिकता और अधर्म का क्या मेल-जोल? ज्योति और अंधकार की क्या संगति है? मसीह का बलियाल के साथ क्या लगाव? विश्वासी के साथ अविश्वासी का क्या नाता? मूर्तियों के साथ परमेश्वर के मंदिर का क्या संबंध?
2 Corinthians 6:17-18
जो उनके बीच से निकलकर अलग हो जायेंगे और अशुद्ध वस्तु को नहीं छुऐंगे, उनके लिए प्रभु क्या कहता है?
प्रभु कहता है कि वे उन्हें ग्रहण करेगा और उनका पिता होगा वे उनके बेटे-बेटियां होंगे।
2 Corinthians 7
2 Corinthians 7:1
पौलुस के कहे अनुसार हमें स्वयं को किससे शुद्ध करना है?
हमें उस हर एक बात से स्वयं को शुद्ध करना है जो हमें देह और आत्मा में अशुद्ध करती है।
2 Corinthians 7:2
पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया से क्या चाहता था कि वे उसके और उसके साथियों के लिए करें?
पौलुस ने उनके समक्ष अपनी इच्छा प्रकट की, "हमें अपने हृदय में जगह दो।"
2 Corinthians 7:3-5
कुरिन्थ के पवित्र जनों के लिए पौलुस के प्रोत्साहनदायक वचन क्या थे?
पौलुस कुरिन्थ के विश्वासियों से कहता है कि वे उसके और उसके साथियों के मन में वास करते हैं और वे उनके साथ मरने जीने के लिए तैयार हैं।
2 Corinthians 7:6-7
मकिदुनिया में उन्हें चैन नहीं मिला, उनके बाहर लड़ाइयां थीं और मन में अनेक भयंकर बातें परन्तु परमेश्वर ने उसे और उसके साथियों को किस प्रकार शान्ति दी?
तीतुस के आने से परमेश्वर ने उन्हें शक्ति दी क्योंकि तीतुस ने उन्हें कुरिन्थ की कलीसिया के बारे में शुभ सन्देश सुनाया था।
2 Corinthians 7:8
पौलुस के पिछले पत्र ने कुरिन्थ की कलीसिया में कैसा प्रभाव डाला?
कुरिन्थ के विश्वासियों ने पौलुस का पत्र पढ़ा तो उन्हें दुख हुआ और उनका शोक परमेश्वर की इच्छा के अनुसार था।
2 Corinthians 7:9-11
कुरिन्थ के विश्वासियों में ईश्वर भक्ति के शोक का परिणाम क्या हुआ था?
परमेश्वर भक्ति के शोक ने उनमें पश्चाताप उत्पन्न किया और उन्होंने स्वयं को सिद्ध करने का दृढ संकल्प किया।
2 Corinthians 7:12
पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया को पत्र लिखने का कारण क्या बताता है?
पौलुस ने कहा कि उसके द्वारा पत्र लिखने का उद्देश्य था कि उनका उत्साह जो पौलुस और उसके साथियों के लिए था परमेश्वर के समक्ष उन पर प्रकट हो।
2 Corinthians 7:13-14
तीतुस किस बात से आनन्दित था?
वह आनन्दित हुआ क्योंकि कुरिन्थ के सब विश्वासियों के कारण उसका मन हरा-भरा हो गया था।
2 Corinthians 7:15-16
कुरिन्थ की कलीसिया के लिए तीतुस का प्रेम और अधिक क्यों हो गया था?
कुरिन्थ की कलीसिया के लिए तीतुस का प्रेम और भी बढ़ गया था जब उसने उनकी आज्ञाकारिता को स्मरण किया कि उन्होंने कैसे डरते और कांपते हुए उससे भेंट की।
2 Corinthians 8
2 Corinthians 8:1
पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया के भाइयों और बहनों को क्या समाचार सुनाना चाहता था?
पौलुस उन्हें मकिदुनिया की कलीसियाओं पर हुए परमेश्वर के अनुग्रह का समाचार सुनाना चाहता था।
2 Corinthians 8:2-5
मकिदुनिया की कलीसियाओं ने क्लेश की बड़ी परीक्षा और भारी कंगालपन के उपरान्त भी क्या किया?
उनकी उदारता बहुत बढ़ गई थी, उन्होंने अपनी सामर्थ वरन् सामर्थ से बढ़कर मन से दिया था।
2 Corinthians 8:6
पौलुस ने तीतुस से क्या आग्रह किया था?
पौलुस ने तीतुस से आग्रह किया था कि जैसा उसने पहले आरंभ किया था, वैसा ही इस दान के काम को पूरा भी करे।
2 Corinthians 8:7-11
??
पौलुस ने कुरिन्थ की कलीसिया से क्यों कहा, "दान के काम में भी बढ़ते जाओ।"?पौलुस ने यह इसलिए लिखा कि वे अपने प्रेम की सत्यता को अन्य विश्वासियों के यत्न की तुलना में रखें।
2 Corinthians 8:12
पौलुस किस बात को अच्छी एवं ग्रहणयोग्य बताता है?
पौलुस कहता है कि कुरिन्थ के पवित्र जनों के लिए यह अच्छा वरन् ग्रहणयोग्य है कि उस काम में वे प्रथम हों।
2 Corinthians 8:13-15
क्या पौलुस इस काम के द्वारा कुरिन्थ की कलीसिया को क्लेश और अन्यों को चैन दिलाना चाहता था?
नहीं, पौलुस कहता है कि उस समय कुरिन्थ के विश्वासियों की बहुतायत उस समय अन्य पवित्र जनों की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकती थी कि उनकी बहुतायत कुरिन्थ के पवित्र जनों की आवश्यकता पूरी करे कि बराबरी हो जाए।
2 Corinthians 8:16-17
जब परमेश्वर ने तीतुस के मन में कुरिन्थ की कलीसिया के लिए वही उत्साह डाला जो पौलुस के मन में था तब उसने क्या किया?
तीतुस ने पौलुस की बात मानी और अपनी इच्छा से कुरिन्थ की कलीसिया में गया।
2 Corinthians 8:18-23
पौलुस और अन्य पवित्र जनों ने क्या किया कि इस दान की सेवा में दोषारोपण से बचें?
पौलुस और अन्य पवित्र जनों ने तीतुस को ही नहीं एक और भाई को वहाँ भेजा जो सुसमाचार की सेवा में सब कलीसियाओं में प्रशंसा का पात्र था। वह कलीसिया द्वारा ठहराया भी गया था कि इस दान के काम के लिए उनके साथ जाए।
2 Corinthians 8:24
पौलुस ने कुरिन्थ की कलीसिया को उन अन्य कलीसियाओं से आने वाले भाइयों के साथ कैसा व्यवहार करने को कहा?
पौलुस ने कुरिन्थ की कलीसिया से कहा कि वे उन पर अपना प्रेम प्रकट करें और सिद्ध कर दें कि पौलुस अन्य कलीसियाओं में कुरिन्थ की कलीसिया और घमण्ड क्यों करता था।
2 Corinthians 9
2 Corinthians 9:1-2
पौलुस किस बात के लिए कहता है कि कुरिन्थ की कलीसिया को लिखने की आवश्यकता नहीं है?
पौलुस कहता है कि पवित्र जनों के लिए सेवा के बारे में लिखना आवश्यक नहीं है।
2 Corinthians 9:3
पौलुस ने भाइयों को कुरिन्थ क्यों भेजा?
उसने भाइयों को भेजा कि कुरिन्थ के विश्वासियों के विषय में उसका घमण्ड करना व्यर्थ न हो और कि कुरिन्थ की कलीसिया तैयार हो जैसा पौलुस ने कहा कि वे रहेंगे।
2 Corinthians 9:4-5
पौलुस ने क्यों आवश्यक समझा कि भाइयों से कुरिन्थ जाने का आग्रह करे और कलीसिया द्वारा प्रतिज्ञात दान की व्यवस्था पहले से करवाए?
पौलुस ने इसे आवश्यक समझा जिससे कि पौलुस के साथ यदि कोई आधुनिक विश्वासी आए तो कुरिन्थ की कलीसिया को तैयार न पाए और पौलुस और उसके साथियों को लज्जित होना पड़े।
2 Corinthians 9:6
पौलुस उनके दान के बारे में मुख्य बात क्या कहता है?
पौलुस कहता है कि मुख्य बात यह है, "जो थोड़ा बोता है, वह थोड़ा काटेगा भी, और जो बहुत बोता है, वह बहुत काटेगा।"
2 Corinthians 9:7-9
हर एक को कैसे दान देना है?
हर एक जैसा मन में ठाने वैसा ही दान करे, न कुढ़कुढ़ के और न दबाव से कि उसे देते समय दुःख हो।
2 Corinthians 9:10-12
जो बोने वाले को बीज और भोजन के लिए रोटी देता है, कुरिन्थ के पवित्र जनों के लिए क्या करेगा?
जो बोने वाले को बीज और भोजन के लिए रोटी देता है, वह तुम्हें बीज देगा और उसे फलवन्त करेगा; और तुम्हारे धर्म के फलों को बढ़ाएगा।
2 Corinthians 9:13
कुरिन्थ के पवित्र जनों ने परमेश्वर के महिमान्वन के लिए क्या किया था?
उन्होंने मसीह के सुसमाचार को मानकर उसकी अधीनता स्वीकार की और सबकी सहायता करने में उदारता प्रकट करके परमेश्वर की महिमा प्रकट की।
2 Corinthians 9:14-15
पवित्र जन कुरिन्थ की कलीसिया के लिए प्रार्थना करके कैसी लालसा करते थे?
उन्होंने कुरिन्थ की कलीसिया पर परमेश्वर का बड़ा अनुग्रह था वे उनकी लालसा करते रहते थे।
2 Corinthians 10
2 Corinthians 10:2-3
पौलुस ने कुरिन्थ की कलीसिया से क्या विनती की थी?
पौलुस ने उनसे विनती की कि उनके सामने निर्भय होकर साहस करना न पड़े।
पौलुस केसे अवसर पर निर्भय होकर साहस करने का विचार करता था?
पौलुस उन लोगों पर साहस दिखाने का विचार करता था जो उन्हें शरीर के अनुसार चलने वाले समझते थे।
2 Corinthians 10:4-7
पौलुस और उसके साथी लड़ते समय कौन सा हथियार काम में लेते थे?
पौलुस और उसके साथी शरीर के अनुसार नहीं लड़ते थे।
पौलुस द्वारा काम में लिए गए हथियार में कैसी शक्ति थी?
पौलुस जिन हथियारों को काम में लेता था उनमें गढ़ों को ढा देने का दिव्य सामर्थ था।
2 Corinthians 10:8-9
परमेश्वर ने पौलुस और उसके साथियों को क्यों अधिकार दिया था?
परमेश्वर ने पौलुस और उसके साथियों को अधिकार दिया कि वे कुरिन्थ के पवित्र जनों को बिगाड़ने के लिए नहीं बनाएं।
2 Corinthians 10:10
कुछ लोग पौलुस और उसके पत्रों के बारे में क्या कहते थे?
कुछ का कहना था कि पौलुस के पत्र तो गंभीर और प्रभावशाली हैं परन्तु वह देह का निर्बल और वक्तव्य में सुनने योग्य नहीं हैं।
2 Corinthians 10:11
पौलुस ने उन लोगों को क्या उत्तर दिया जो कहते थे कि वह व्यक्तिगत रूप से वैसा नहीं था जैसा उसके पत्रों से प्रकट होता है?
पौलुस ने कहा कि उसने दूर रहकर पत्र में जैसा लिखा वैसा ही वह कुरिन्थ की कलीसिया के मध्य उपस्थित रहने पर करेगा भी।
2 Corinthians 10:12
जो अपनी प्रशंसा करते थे अपनी मूर्खता प्रकट करने के लिए क्या करते थे?
वे एक-दूसरे के साथ नाप-तौल कर और एक-दूसरे के मिलान करके मूर्ख ठहरते हैं।
2 Corinthians 10:13-17
पौलुस के घमण्ड की सीमा क्या थी?
पौलुस कहता है कि वे अपनी सीमा से बाहर घमण्ड कदापि न करेंगे, परन्तु उसी सीमा तक जो परमेश्वर ने उनके लिए ठहरा दी है। वे सीमा से बाहर दूसरों के परिश्रम पर घमण्ड नहीं करते थे।
2 Corinthians 10:18
ग्रहण कौन किया जाता है?
जिसकी बड़ाई प्रभु करता है वही ग्रहण किया जाता है।
2 Corinthians 11
2 Corinthians 11:2
पौलुस कुरिन्थ पवित्र जनों के लिए कौन सी एक ही धुन लगाए रहता था?
उसने एक ही पुरुष से उनकी बात लगाई है कि उन्हें पवित्र कुंवारी के समान मसीह को सौंप दे।
2 Corinthians 11:3
कुरिन्थ के पवित्र जनों के लिए पौलुस के मन में क्या भय था?
पौलुस को भय इस बात का था कि उनका मन मसीह की निष्ठावान एवं पवित्र भक्ति से भटक न जाए।
2 Corinthians 11:4-6
कुरिन्थ के विश्वासी क्या सह लेते थे?
वे पौलुस और उसके साथियों द्वारा सुनाए गए सुसमाचार की अपेक्षा अन्य किसी के द्वारा दूसरे यीशु का सुसमाचार को सह लेते थे।
2 Corinthians 11:7
पौलुस ने कुरिन्थ में कैसे सुसमाचार सुनाया था?
पौलुस ने कुरिन्थ में परमेश्वर का सुसमाचार सेंत-मेंत में सुनाया था।
2 Corinthians 11:8-12
पौलुस ने अन्य कलीसियाओं को कैसे "लूटा" था?
उसने उनकी सेवा के निमित्त अन्य कलीसियाओं को "लूटा" था।
2 Corinthians 11:13
पौलुस उन लोगों के बारे में क्या कहता है जो पौलुस और उसके साथियों के साथ बराबरी करने का घमण्ड करते थे?
पौलुस ऐसे लोगों को शैतान के सेवक, झूठे प्रेरित, छल से काम करने वाले और मसीह के प्रेरितों का रूप करने वाले कहता था।
2 Corinthians 11:14-15
शैतान कैसा रूप धारण करता है?
वह ज्योति के स्वर्गदूत का छद्मवेश धारण करता है।
2 Corinthians 11:16-18
पौलुस ने कुरिन्थ की कलीसिया से क्यों कहा कि उसे मूर्ख समझ कर ही ग्रहण कर लें?
पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया से कहता है कि उसे मूर्ख समझ कह ही सह लें कि थोड़ा सा वह भी घमण्ड कर ले।
2 Corinthians 11:19-21
पौलुस किसके लिए कहता है कि कुरिन्थ की कलीसिया ने उन्हें सहर्ष स्वीकार किया था?
पौलुस कहता है कि उसने सहर्ष मूर्खों को सह लिया- जिसने उन्हें दास बना लिया, जिसने उनमें विभाजन करवा दिया, जिसने उन्हें खा लिया, जिसने अपने आपको बड़ा बनाया था जिसने उनके मुंह पर थप्पड़ मारा।
2 Corinthians 11:22-23
पौलुस उन लोगों से स्वयं की तुलना करते हुए, जो पौलुस की बराबरी का घमण्ड करते थे, क्या कहता है?
पौलुस कहता है कि वह भी इब्रानी है, इस्राएली है, अब्राहम का वंश है, वह दूसरों से बढ़कर मसीह का सेवक है- अधिक परिश्रम करने में, बार-बार कैद होने में, कोड़े खाने में, बार-बार मृत्यु के जोखिमों में।
2 Corinthians 11:24-28
पौलुस ने कौन-कौन से जोखिम उठाए थे?
पौलुस ने यहूदियों के हाथों पांच बार उन्तालीस-उन्तालीस कोड़े खाए, तीन बार उसने बेंतें खाईं, एक बार उस पर पथराव किया गया, तीन बार जिन जहाजों पर वह यात्रा करता था, टूटे, उसने एक रात-दिन समुद्र में काटा, वह नदियों के जोखिमों में, डाकुओं के जोखिमों में, अपनी जाति वालों के जोखिमों, अन्य जाति वालों से जोखिमों में, नगरों के जोखिमों में, जंगल के जोखिमों में, समुद्र के जोखिमों में, झूठे भाइयों के बीच जोखिमों में रहा, पौलुस दमिश्क के राजा के जोखिम में भी रहा था।
2 Corinthians 11:29
किस बात से पौलुस ने कहा कि उसका जी दुखता था?
कोई किसी को ठोकर खिलाए तो पौलुस का जी दुखता था।
2 Corinthians 11:30-33
यदि घमण्ड करना हो तो पौलुस किस बात पर घमण्ड करना चाहता था?
पौलुस कहता है कि वह उसकी दुर्बलता की बातों पर घमण्ड करता था।
2 Corinthians 12
2 Corinthians 12:1
पौलुस किस बात पर घमण्ड करने की बात करता है?
पौलुस प्रभु के दिए हुए दर्शनों और प्रकाशनों पर घमण्ड करना चाहता था।
2 Corinthians 12:2-5
मसीह में उस मनुष्य के साथ चौदह वर्ष पूर्व क्या हुआ था?
वह तीसरे स्वर्ग तक उठा लिया गया था और ऐसी बातें खुलीं जो कहने की नहीं।
2 Corinthians 12:6
पौलुस क्या कहता है कि यदि वह घमण्ड करे तो वह मूर्खता नहीं होगी?
पौलुस कहता है कि उसके लिए घमण्ड करना मूर्खता नहीं क्योंकि वह सच कहता है।
2 Corinthians 12:7-8
पौलुस फूल न जाए तो उसके लिए क्या किया गया?
पौलुस की देह में एक कांटा चुभाया गया अर्थात शैतान का एक दूत कि उसे घूंसे मारे।
2 Corinthians 12:9-11
पौलुस ने प्रभु से उस देह के कांटे को निकालने के लिए कहा तो प्रभु ने उससे क्या कहा?
प्रभु ने पौलुस से कहा, "मेरा अनुग्रह तेरे लिए बहुत है, क्योंकि मेरी सामर्थ्य निर्बलता में सिद्ध होती है।"
पौलुस क्यों कहता है कि दुर्बलता पर घमण्ड करना अधिक उत्तम है?
पौलुस कहता है कि ऐसा होना अधिक उत्तम है जिससे कि प्रभु का सामर्थ्य उस पर छाया करे।
2 Corinthians 12:12-13
उनके मध्य संपूर्ण धीरज के साथ क्या दिखाए गए थे?
उनके मध्य चिन्हों और अद्भुत कामों और सामर्थ्य के कामों द्वारा प्रेरित के लक्षण उसने दिखाए थे।
2 Corinthians 12:14
पौलुस ने कुरिन्थ की कलीसिया से क्यों कहा कि वह उन पर बोझ नहीं बनना चाहता था?
पौलुस ने कहा कि वह उनकी सम्पत्ति नहीं उनको चाहता था।
2 Corinthians 12:15-18
पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया के लिए बड़े आनन्द से क्या करना और होना चाहता था?
पौलुस कहता है कि वह उनकी आत्माओं के लिए बड़े आनन्द से खर्च करेगा वरन् आप भी खर्च हो जाएगा।
2 Corinthians 12:19
पौलुस ने कुरिन्थ के विश्वासियों से यह सब किस उद्देश्य से कहा?
पौलुस ने यह सब कुरिन्थ के विश्वासियों के निर्माण हेतु कहा था।
2 Corinthians 12:20
कुरिन्थ की कलीसिया से भेंट करने पर पौलुस के मन में कैसी शंका थी?
पौलुस को डर था कि उनमें झगड़ा, डाह, क्रोध, विरोध, ईर्ष्या, चुगली, अभिमान और बखेड़े न हों।
2 Corinthians 12:21
पौलुस को किस बात का डर था कि परमेश्वर उसके साथ न करे?
पौलुस को डर था कि परमेश्वर उस पर दबाव न डाले।
पौलुस क्यों सोचता है कि उसके पूर्वकाल में पाप करने वालों के लिए फिर शोक करना पड़े?
पौलुस को डर था कि उन्होंने पाप, गन्दे काम, व्यभिचार और लुचपन से मन न फिराया हो।
2 Corinthians 13
2 Corinthians 13:1-2
दूसरा पत्र लिखने तक पौलुस कितनी बार कुरिन्थ की कलीसिया में जा चुका था?
कुरिन्थ की कलीसिया को दूसरा पत्र लिखने तक पौलुस दोबारा उनके पास जा चुका था।
2 Corinthians 13:3-4
??
पौलुस ने वहाँ पाप करने वालों वरन् सबसे क्यों कहा कि जब आएगा तब वह उन्हें नहीं छोड़ेगा?पौलुस ने उनसे ऐसा इसलिए कहा कि कुरिन्थ के कुछ विश्वासी प्रभाव खोज रहे थे कि प्रभु यीशु पौलुस के द्वारा बातें करता था।
2 Corinthians 13:5
पौलुस ने कुरिन्थ के विश्वासियों से निरीक्षण करके परखने को क्यों कहा?
पौलुस ने उनसे कहा कि वे स्वयं का निरीक्षण करके एवं परख कर देखें कि वे विश्वास में में स्थिर हैं या नहीं।
2 Corinthians 13:6-7
पौलुस को क्या विश्वास था कि कुरिन्थ के विश्वासी उनमें पाएंगे?
पौलुस को पूर्ण विश्वास था कि कुरिन्थ के विश्वासी उनको निकम्मा नहीं पाएंगे।
2 Corinthians 13:8-9
पौलुस ने क्या कहा कि वह और उसके साथ नहीं कर पाएंगे?
पौलुस ने कहा कि वे सत्य के विरुद्ध कुछ नहीं कर पाएंगे।
2 Corinthians 13:10
कुरिन्थ की कलीसिया से दूर रहकर पौलुस ने उन्हें ये सब बातें क्यों लिखीं?
पौलुस ने ये बातें इसलिए लिखीं कि जब वह उनके मध्य उपस्थित हो तो उसे उनके साथ कठोरता का व्यवहार न करना पड़े।
कुरिन्थ के पवित्र जनों पर अपना परमेश्वर प्रदत्त अधिकार कैसे काम में लेना चाहता था?
पौलुस परमेश्वर प्रदत्त अपने अधिकार को कुरिन्थ के विश्वासियों को बिगाड़ने के लिए नहीं परन्तु बनाने के लिए काम में लेना चाहता था।
2 Corinthians 13:11-13
अन्त में पौलुस क्या चाहता था कि कुरिन्थ के विश्वासी करें?
पौलुस चाहता था कि वे आनन्दित रहें, सिद्ध बनते जाएं, एक ही मन रखें, मेल से रहें, एक-दूसरे को पवित्र चुम्बन से नमस्कार करें।
2 Corinthians 13:14
पौलुस कुरिन्थ के सब विश्वासियों के लिए क्या चाहता था?
पौलुस चाहता था प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह और परमेश्वर का प्रेम और पवित्र-आत्मा की सहभागिता उन सब के साथ होती रहे।