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Ecclesiastes

Ecclesiastes 1

Ecclesiastes 1:1-3

उपदेशक किसका पुत्र था?

उपदेशक यरूशलेम के राजा दाऊद का पुत्र था।

Ecclesiastes 1:4-7

क्या सर्वदा बना रहता है ?

पृथ्वी सर्वदा बनी रहती है।

Ecclesiastes 1:8

क्या करने से आँखें तृप्त नहीं होतीं?

आँखें देखने से तृप्त नहीं होतीं।

Ecclesiastes 1:9-12

क्या बनाया जाएगा?

जो कुछ बन चुका है वही फिर बनाया जाएगा।

Ecclesiastes 1:13

उपदेशक ने अपना मन कहाँ लगाया?

उसने अपना मन लगाया कि जो कुछ आकाश के नीचे किया जाता है, उसका भेद बुद्धि से सोच सोचकर मालूम करे।

Ecclesiastes 1:14-17

वे सब काम जो सूर्य के नीचे किए जाते है अन्त में किसके समान बन जाते हैं?

वे सब काम जो सूर्य के नीचे किए जाते हैं वे व्यर्थ जैसे कि वायु को पकड़ना है।

Ecclesiastes 1:18

किसके साथ खेद भी बढ़ता है?

बुद्धि के साथ खेद भी बढ़ता है।

Ecclesiastes 2

Ecclesiastes 2:1-2

क्या अस्थायी एहसास है?

आनन्द एक अस्थायी एहसास है।

Ecclesiastes 2:3-5

उपदेशक क्या जानना चाहता है?

उपदेशक यह जानना चाहते है कि आकाश के नीचे कौन सा अच्छा काम है जिसे मनुष्य को अपने जीवन भर करते रहना है।

Ecclesiastes 2:6-7

उपदेशक ने पानी के कुण्ड क्यों खुदवाए?

उपदेशक ने पानी के कुण्ड खुदवाए कि उनसे वन सींचा जाए जिसमें वृक्ष लगाए जाते थे।

Ecclesiastes 2:8-9

उपदेशक ने कैसे काम किए जिनसे पृथ्वी में मनुष्य सुख पाएंगे?

उसने बहुत सी पत्नियों और कामिनियाँ को रखा, और उसने वह सब बातें की जिनसे मनुष्य सुख पाते हैं।

Ecclesiastes 2:10

उपदेशक का मन किस कारण आनन्दित हुआ?

उपदेशक का मन उसके सब परिश्रम के कारण आनन्दित हुआ।

Ecclesiastes 2:11-13

किसमें कोई लाभ नहीं था?

सूर्य के नीचे कोई लाभ नहीं था।

Ecclesiastes 2:14-15

हर एक का क्या होता है?

हर एक की दशा एक सी होती है।

Ecclesiastes 2:16-17

किसका स्मरण सर्वदा नहीं रहता?

न तो बुद्धिमान और न मूर्ख का स्मरण सर्वदा बना रहेगा।

Ecclesiastes 2:18-19

उपदेशक ने अपने सारे परिश्रम के प्रतिफल से क्यों घृणा की?

क्योंकि अवश्य है कि वह अपने सारे परिश्रम का प्रतिफल उस मनुष्य के लिए छोड़ जाएगा जो उसके बाद आएगा।

Ecclesiastes 2:20-22

अपने सारे परिश्रम के विषय में उपदेशक ने क्या अनुभव किया?

अपने सारे परिश्रम के विषय में जो उसने धरती पर किया था वह निराश हुआ।

Ecclesiastes 2:23

परिश्रम करने वाले का मन रात को भी चैन क्यों नहीं पाता?

उसके सब दिन दुखों से भरे हैं और काम खेद के साथ होता है और रात को भी उसका मन चैन नहीं पाता।

Ecclesiastes 2:24-25

क्या करने के सिवाय मनुष्य के लिए और कुछ भी अच्छा नहीं?

मनुष्य के लिए खाने-पीने और परिश्रम करते हुए अपने जीवन को सुखी रखने के सिवाय और कुछ भी अच्छा नहीं।

Ecclesiastes 2:26

परमेश्वर पापी को क्या देता है?

पापी को परमेश्वर दुःख भरा काम ही देता है कि वह संचय करके ढेर लगाए और उनको दे जो परमेश्वर की दृष्टि में अच्छा हो।

Ecclesiastes 3

Ecclesiastes 3:1-9

किस बात का एक अवसर और समय है?

हर एक बात का एक अवसर और प्रत्येक काम का जो आकाश के नीचे होता है एक समय है।

Ecclesiastes 3:10

उपदेशक ने क्या देखा?

उसने उस दुःख भरे काम को देखा जो परमेश्वर ने मनुष्य के लिए ठहराया है कि वे उसमें लगे रहें।

Ecclesiastes 3:11-12

परमेश्वर ने मनुष्यों के मन में क्या उत्पन्न किया है?

परमेश्वर ने मनुष्यों के मन में अनादि-अनन्त काल का ज्ञान उत्पन्न किया।

Ecclesiastes 3:13

परमेश्वर का दान क्या है?

मनुष्य के परिश्रम से उत्पन्न अच्छा फल, परमेश्वर का दान है।

Ecclesiastes 3:14-15

परमेश्वर जो कुछ भी करता है उसमें कुछ भी बढ़ाया या घटाया क्यों नहीं किया जा सकता?

इसमें कुछ भी बढ़ाया या घटाया क्यों नहीं किया जा सकता क्योंकि यह परमेश्वर द्वारा किया गया है।

Ecclesiastes 3:16-18

धार्मिकता के स्थान पर अधिकतर क्या होता है?

धार्मिकता के स्थान में भी दुष्टता होती है।

Ecclesiastes 3:19

मनुष्य पशु समान कैसे हैं ?

जैसे मनुष्य मरते हैं वैसे ही पशु भी मरते हैं। सभों की श्वास एक सी है। सब मिट्टी से बनें हैं और सब मिट्टी में फिर मिल जाते हैं।

Ecclesiastes 3:20-21

मनुष्य पशु समान कैसे हैं ?

जैसे मनुष्य मरते हैं वैसे ही पशु भी मरते हैं। सभों की श्वास एक सी है। सब मिट्टी से बनें हैं और सब मिट्टी में फिर मिल जाते हैं।

Ecclesiastes 3:22

प्रत्येक मनुष्य का भाग क्या है?

प्रत्येक मनुष्य का भाग यही है कि वह अपने कामों में आनन्दित रहे।

Ecclesiastes 4

Ecclesiastes 4:1-2

किसके लिए कोई शान्ति देनेवाला नहीं है?

अन्धेर सहने वालों के आंसू बह रहे हैं और उन्हें कोई शान्ति देनेवाला नहीं है।

Ecclesiastes 4:3-5

जीवितों और मर चुकों से अच्छा कौन है?

मृत और जीवित व्यक्‍तियों से अच्छा है वह व्यक्‍ति है जिसका जन्‍म नहीं हुआ है।

Ecclesiastes 4:6-8

उन दो मुट्ठियों से जिनके साथ परिश्रम और मन का कुढ़ना हो क्या अच्छा है?

चैन के साथ एक मुट्ठी उन दो मुट्ठियों से जिनके साथ परिश्रम और मन का कुढ़ना हो अच्छा है।

Ecclesiastes 4:9

यदि दो में से एक गिरे तो एक से दो अच्छे क्यों हैं?

एक से दो अच्छे इसलिए है क्योंकि यदि उनमें से कोई एक गिरे तो दूसरा उसको उठाएगा।

Ecclesiastes 4:10-11

यदि दो में से एक गिरे तो एक से दो अच्छे क्यों हैं?

एक से दो अच्छे इसलिए है क्योंकि यदि उनमें से कोई एक गिरे तो दूसरा उसको उठाएगा।

Ecclesiastes 4:12

क्या जल्दी नहीं टूटता?

जो डोरी तीन तागे से बनी हो वह जल्दी नहीं टूटती।

Ecclesiastes 4:13-15

बूढ़े और मूर्ख राजा से क्या उत्तम है?

बुद्धिमान युवक दरिद्र होने पर भी बूढ़े और मूर्ख राजा से उत्तम है।

Ecclesiastes 4:16

लोग नए राजा के साथ क्या करना चाहते हैं?

लोग नए राजा का पालन करना चाहते हैं।

Ecclesiastes 5

Ecclesiastes 5:1

लोगों को परमेश्वर के भवन क्यों जाना चाहिए?

लोगों को परमेश्वर के भवन सुनने के लिए जाना चाहिए।

Ecclesiastes 5:2-4

लोगों के वचन थोड़े ही क्यों होने चाहिए?

परमेश्वर स्वर्ग में है और लोग पृथ्वी पर हैं इसलिए उनके वचन थोड़े ही होने चाहिए।

Ecclesiastes 5:5-7

किसी व्यक्ति का मन्नत मानकर पूरी न करने से क्या अच्छा है?

किसी व्यक्ति का मन्नत मानकर पूरी न करने से मन्नत का न मानना ही अच्छा है।

Ecclesiastes 5:8-10

यदि कोई निर्धनों पर अन्धेर करता दिखे या न्याय और धर्म को बिगड़ता देखे तो इससे चकित क्यों नहीं होना चाहिए ?

यदि कोई निर्धनों पर अन्धेर करता दिखे या न्याय और धर्म को बिगड़ता देखे तो इससे चकित इसलिए नहीं होना चाहिए क्योंकि एक अधिकारी है जो उन्हें देखता है और उनसे भी बड़ा अधिकारी होता है जो इन बातों की सुधि रखता है।

Ecclesiastes 5:11

जब सम्पत्ति बढ़ती है तो क्या होता है?

जब सम्पत्ति बढ़ती है तो उसके खानेवाले भी बढ़ते हैं।

Ecclesiastes 5:12-13

धनी को नींद क्यों नहीं आती?

धनी का धन बढ़ने के कारण उसको नींद नहीं आती।

Ecclesiastes 5:14

क्या होता है जब धनी का धन बुरे कामों में उजड़ जाता है ?

जब धनी का धन बुरे कामों में उजड़ जाता है और उसके घर में बेटा उत्पन्न होता है परन्तु उसके हाथ में कुछ नहीं रहता।

Ecclesiastes 5:15-19

एक मनुष्य कैसे पैदा होता है और वह इस जीवन से कैसे जाएगा?

वह नंगा ही अपनी माँ के पेट से जन्म लेता और वैसा ही लौट जाएगा।

Ecclesiastes 5:20

इस जीवन के दिन मनुष्य को अक्सर स्मरण क्यों नहीं रहते है?

इस जीवन के दिन मनुष्य को अक्सर स्मरण नहीं होते क्योंकि परमेश्वर उन्हें आनन्द दिलाने वाले वस्तुओं में व्यस्त रकता है।

Ecclesiastes 6

Ecclesiastes 6:1

उपदेशक ने क्या बुराई देखी?

उपदेशक ने देखा कि किसी मनुष्य को परमेश्वर धन-सम्पत्ति और प्रतिष्ठा यहाँ तक देता है, जो कुछ उसका मन चाहता है ताकि उसे कोई घटी न हो, लेकिन फिर परमेश्वर उसे आनंद लेने की कोई क्षमता नहीं देता है। जब की कोई दूसरा ही उसका आनन्द लेता है।

Ecclesiastes 6:2

उपदेशक ने क्या बुराई देखी?

उपदेशक ने देखा कि किसी मनुष्य को परमेश्वर धन-सम्पत्ति और प्रतिष्ठा यहाँ तक देता है, जो कुछ उसका मन चाहता है ताकि उसे कोई घटी न हो, लेकिन फिर परमेश्वर उसे आनंद लेने की कोई क्षमता नहीं देता है। जब की कोई दूसरा ही उसका आनन्द लेता है।

Ecclesiastes 6:3-5

यदि किसी मनुष्य का प्राण अच्छी चीज़ों से संतुष्ट न रहे और न उसे सम्मान से दफनाया जाए तो उससे उत्तम कौन है?

यदि किसी मनुष्य का प्राण अच्छी चीज़ों से संतुष्ट न रहे और न उसे सम्मान से दफनाया जाए तो उस मनुष्य से अधूरे समय का जन्मा हुआ बच्चा उत्तम है।

Ecclesiastes 6:6

चाहे एक मनुष्य दो हज़ार वर्ष तक जीवित रहे और कुछ सुख भोगने न पाए तो वह कहाँ जाता है?

चाहे एक मनुष्य दो हज़ार वर्ष तक जीवित रहे और कुछ सुख भोगने न पाए तो भी वे सब के सब एक ही स्थान में जाते हैं।

Ecclesiastes 6:7-10

चाहे मनुष्य का सारा परिश्रम उसका पेट भरने के लिए होता है, फिर भी क्या होता है?

चाहे मनुष्य का सारा परिश्रम उसक पेट भरने के लिए होता है तो भी उसका मन नहीं भरता।

Ecclesiastes 6:11-12

बहुत सी बातों के कारण क्या होता है?

उ* बहुत सी बातों के कारण जीवन और भी व्यर्थ होता है।

Ecclesiastes 7

Ecclesiastes 7:2-3

भोज के घर जाने से शोक ही के घर जाना उत्तम क्यों है?

भोज के घर जाने से शोक के घर जाना उत्तम इसलिए है क्योंकि सब मनुष्यों का अन्त यही है।

Ecclesiastes 7:4-5

बुद्धिमान का मन कहाँ लगा रहता है?

बुद्धिमान का मन शोक करने वालों के घर की ओर लगा रहता है।

Ecclesiastes 7:6

मूर्ख की हंसी किसके समान है?

मूर्ख की हंसी हांड़ी के नीचे जलते हुए काँटों की चरचराहट के समान होती है।

Ecclesiastes 7:7-8

किस से एक बुद्धिमान मूर्ख हो जाता है?

अन्धेर से बुद्धिमान मूर्ख हो जाता है

Ecclesiastes 7:9-11

लोगों को मन में शीग्र क्रोधित क्यों नहीं होना चाहिए?

लोगों को अपने मन में शीग्र क्रोधित इसलिए नहीं होना चाहिए क्योंकि क्रोध मूर्खों के हृदय में रहता है।

Ecclesiastes 7:12-13

बुद्धि से रुपये कैसे बेहतर है?

बुद्धि की आड़ रुपये की आड़ का काम देता है; परन्तु ज्ञान का लाभ यह है कि बुद्धि रखनेवालों के प्राण की रक्षा होती है।

Ecclesiastes 7:14

जब सुख का समय हो तो कैसे रहना चाहिए?

सुख के समय मनुष्य को सुख मानना चाहिए।

Ecclesiastes 7:15-17

जिन दुष्टों को उपदेशक ने देखा उन्हें क्या हुआ?

उपदेशक ने दुष्ट को बुराई करते हुए दीर्घायु होते देखा।

Ecclesiastes 7:18-20

जो परमेश्वर का भय मानता है उसका क्या होगा?

जो परमेश्वर का भय मानता है वह इन सब कठिनाइयों से पार हो जाएगा।

Ecclesiastes 7:21-23

जितनी बातें कहीं जाएं सब पर कान क्यों नहीं लगाना चाहिए?

जितनी बातें कहीं जाएं उन सब पर कान नहीं लगाना चाहिए क्योंकि वे अपने दास उनकों शाप देते सुन सकते हैं।

Ecclesiastes 7:24-25

बुद्धि कहाँ है?

बुद्धि अत्यंत दूर है।

Ecclesiastes 7:26-27

पापी किसका शिकार होगा?

पापी उस स्त्री का शिकार होगा जिसका मन फंदा और जाल है और जिसके हाथ हथकड़ियाँ है।

Ecclesiastes 7:28-29

चाहे उपदेशक ने हज़ार में से एक धर्मी पुरुष को पाया परन्तु उनमें उसने क्या नहीं पाया?

चाहे उपदेशक ने हज़ार में से एक धर्मी पुरुष को पाया परन्तु उनमें एक भी स्त्री नहीं पाई।

Ecclesiastes 8

Ecclesiastes 8:1-2

बुद्धिमान मनुष्य क्या है?

बुद्धिमान मनुष्य वह मनुष्य होता है जो जानता है कि जीवन की घटनाओं का क्या अर्थ है।

Ecclesiastes 8:3-4

राजा के सामने शीग्रता से क्यों नहीं जाना चाहिए और गलत के समर्थन में खड़े नहीं होना चाहिए?

राजा के सामने शीग्रता से क्यों नहीं जाना चाहिए और गलत के समर्थन में खड़े नहीं होना चाहिए क्योंकि राजा जो कुछ चाहता है वही करता है।

Ecclesiastes 8:5-7

कौन जोखिम से बचता है?

जो भी राजा की आज्ञा को मानता है वह जोखिम से बचता है।

Ecclesiastes 8:8-9

किसके ऊपर किसी का वश नहीं चलता?

ऐसा कोई मनुष्य नहीं जिसका वश प्राण पर चले कि वह उसे निकलते समय रोक ले और न कोई मृत्यु के दिन पर अधिकारी होता है।

Ecclesiastes 8:10-11

किसके द्वारा दुष्टों की प्रशंसा होती थी?

दुष्टों की प्रशंसा उस नगर के लोगों द्वारा होती थी जहाँ दुष्टों न नाना प्रकार के दुष्‍कर्म किए थे।

Ecclesiastes 8:12-14

चाहे पापी सौ बार पाप करे और अपने दिन बढ़ाए, जो परमेश्वर से डरते हैं उनका क्या होगा?

चाहे पापी सौ बार पाप करे और अपने दिन भी बढ़ाए तो भी जो परमेश्वर से डरते हैं और उसको अपने सम्मुख जानकर भय से चलते हैं उनका भला ही होगा।

Ecclesiastes 8:15-16

उपदेशक आनन्द की सलाह क्यों देता है?

उपदेशक आनन्द की सलाह इसलिए देता है क्योंकि सूर्य के नीचे मनुष्य के लिए खाने-पीने और आनन्द करने को छोड़ कर और कुछ भी अच्छा नहीं।

Ecclesiastes 8:17

मनुष्य क्या नहीं समझ सकता?

मनुष्य सूर्य के नीचे किए गए काम को समझ नहीं सकता है।

Ecclesiastes 9

Ecclesiastes 9:1

परमेश्वर के हाथ में कौन है?

धर्मी और बुद्धिमान लोग और उनके काम परमेश्वर के हाथ में हैं।

Ecclesiastes 9:2

सबके लिए क्या समान है?

सब की नियति समान है।

Ecclesiastes 9:3-4

मनुष्यों के मन में क्या भरा हुआ है?

मनुष्यों के मनों में बुराई भरी हुई है।

Ecclesiastes 9:5

मरे हुओं को प्रतिफल क्यों नहीं मिल सकता?

मरे हुओं को प्रतिफल इसलिए नहीं मिल सकता क्योंकि उनकी स्‍मृति मिट चुकी है।

Ecclesiastes 9:6-9

क्या नष्ट बहुत पहले हो चुका है?

मरे हुओं का प्रेम, बैर, और उनकी डाह बहुत पहले नष्ट हो चुकी है।

Ecclesiastes 9:10-11

जो कुछ काम मनुष्य को मिलें उनका उसे क्या करना चाहिए?

जो कुछ काम मनुष्य को मिलें उसे उन्हें अपनी शक्ति से भर कर करना चाहिए।

Ecclesiastes 9:12-14

मनुष्य किसमें फसें हैं?

मनुष्य दुखदायी समय में जो उन पर अचानक आ पड़ता है, फंस जाते हैं।

Ecclesiastes 9:15-17

उस दरिद्र बुद्धिमान पुरुष का क्या हुआ जिसने नगर को अपनी बुद्धि से बचाया था?

किसी ने उस दरिद्र बुद्धिमान पुरुष का स्मरण न रखा जिसने नगर को अपनी बुद्धि से बचाया था।

Ecclesiastes 9:18

लड़ाई के हथियारों से क्या उत्तम है?

बुद्धि लड़ाई के हथियारों से उत्तम है।

Ecclesiastes 10

Ecclesiastes 10:3-6

क्या सिद्ध करता है कि एक मनुष्य मूर्ख है?

जब मनुष्य की सोच में कमी होती है तो यह सिद्ध होता है कि वह मूर्ख है।

Ecclesiastes 10:7

उपदेशक ने दासों को क्या करते देखा है?

उपदेशक ने दासों को घोड़ों पर चढ़े देखा है।

Ecclesiastes 10:8-9

जो दीवार तोड़ता है उसका क्या होता है?

जो दीवार तोड़ता है उसे सांप डस सकता है।

Ecclesiastes 10:10-12

यदि मनुष्य कुल्हाड़े की धार पैनी न करे तो क्या होता है?

यदि मनुष्य कुल्हाड़े की धार पैनी न करे तो उसे अधिक बल लगाना पड़ता है।

Ecclesiastes 10:13-15

अन्त में, मूर्खों के मुँह से क्या निकलता है?

अन्त में, मूर्खों के मुँह से दुष्‍टतापूर्ण बावलापन की बातें निकलती है।

Ecclesiastes 10:16-17

देश पर मुसीबत कब पड़ती है?

देश मुसीबत में तब पड़ती है जब उसका राजा युवा हो और हाकिम प्रात: काल दावत करते हो।

Ecclesiastes 10:18-19

घर क्यों चूता है?

हाथों की सुस्ती के कारण घर चूता है।

Ecclesiastes 10:20

लोगों को राजा को श्राप क्यों नहीं देना चाहिए?

लोगों को राजा को श्राप इसलिए नहीं देना चाहिए क्योंकि कोई आकाश का पक्षी उनके वाणी को ले जाएगा।

Ecclesiastes 11

Ecclesiastes 11:2-4

सात वरन् आठ लोगों को भी रोटी का भाग क्यों देना चाहिए?

सात वरन् आठ लोगों को भी रोटी का भाग इसलिए देना चाहिए क्योंकि वे नहीं जानते कि पृथ्वी पर क्या विपत्ति आ रही है।

Ecclesiastes 11:5

मनुष्य क्या नहीं जान सकता?

मनुष्य परमेश्वर के काम नहीं जान सकता।

Ecclesiastes 11:6-9

कब तब मनुष्यों को बीज बोना चाहिए?

भोर से सांझ तक मनुष्यों को बीज बोना चाहिए।

Ecclesiastes 11:10

अपने मन से क्या दूर करना चाहिए?

अपने मन से क्रोध दूर करना चाहिए।

Ecclesiastes 12

Ecclesiastes 12:1-2

मनुष्य को अपने सृजनहार को कब स्मरण रखना चाहिए?

मनुष्य को अपनी जवानी के दिनों में अपने सृजनहार को स्मरण रखना चाहिए।

Ecclesiastes 12:3

पिसनहारियां क्यों पीसना छोड़ देंगी?

पिसनहारियां थोड़ी रह जाने के कारण काम छोड़ देंगी।

Ecclesiastes 12:4-6

मनुष्य किससे उठ जाएगा?

मनुष्य पक्षी की आवाज़ से उठ जाएगा।

Ecclesiastes 12:7-8

मिट्टी कहाँ मिल जाएगी?

मिट्टी ज्यों की त्यों भूमि में मिल जाएगी जहां से वह आई थी।

Ecclesiastes 12:9-10

उपदेशक ने लोगों को क्या सिखाया?

उपदेशक ने लोगों को ज्ञान सिखाया।

Ecclesiastes 12:11

बुद्धिमान के वचन किसके समान होते हैं?

बुद्धिमान के वचन अंकुश के समान होते हैं।

Ecclesiastes 12:12

बहुत पढ़ने से क्या होता है?

बहुत पढ़ना देह को थका देता है।

Ecclesiastes 12:13-14

अन्त की बात क्या है?

अन्त की बात यह है कि परमेश्वर का भय मानना और उसकी आज्ञाओं का पालन करना चाहिए।