हिन्दी, हिंदी (Hindi): translationQuestions

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John

John 1

John 1:1

आरम्भ में क्या था?

आरम्भ में वचन था।

वचन क्या था?

वचन ही परमेश्वर था।

वचन किसके साथ था?

वचन परमेश्वर के साथ था।

John 1:2

वचन किसके साथ था?

वचन परमेश्वर के साथ था।

John 1:3

क्या सारी वस्तुओं को वचन के बिना रचा गया था?

सारी वस्तुएँ उसके माध्यम से रची गई थीं, और एक भी ऐसी वस्तु ऐसी नहीं थी जो उसके बिना रची गई थी।

John 1:4-5

वचन में क्या था?

उसमें जीवन था।

John 1:6

परमेश्वर की ओर से भेजे गए व्यक्ति का नाम क्या था?

उसका नाम यूहन्ना था।

John 1:7

यूहन्ना क्या करने के लिए आया था?

वह एक साक्षी के रूप में ज्योति के विषय में गवाही देने के लिए आया था, ताकि उसके माध्यम से सब लोग विश्वास करें।

John 1:8

क्या संसार ने उस ज्योति को जाना या उसे ग्रहण किया जिसके विषय में यूहन्ना गवाही देने के लिए आया था?

संसार ने उस ज्योति को नहीं जाना जिसके विषय में गवाही देने के लिए यूहन्ना आया था, और उस ज्योति के अपने लोगों ने ही उसे ग्रहण नहीं किया।

John 1:9

क्या संसार ने उस ज्योति को जाना या उसे ग्रहण किया जिसके विषय में यूहन्ना गवाही देने के लिए आया था?

संसार ने उस ज्योति को नहीं जाना जिसके विषय में गवाही देने के लिए यूहन्ना आया था, और उस ज्योति के अपने लोगों ने ही उसे ग्रहण नहीं किया।

John 1:10

क्या संसार ने उस ज्योति को जाना या उसे ग्रहण किया जिसके विषय में यूहन्ना गवाही देने के लिए आया था?

संसार ने उस ज्योति को नहीं जाना जिसके विषय में गवाही देने के लिए यूहन्ना आया था, और उस ज्योति के अपने लोगों ने ही उसे ग्रहण नहीं किया।

John 1:11

क्या संसार ने उस ज्योति को जाना या उसे ग्रहण किया जिसके विषय में यूहन्ना गवाही देने के लिए आया था?

संसार ने उस ज्योति को नहीं जाना जिसके विषय में गवाही देने के लिए यूहन्ना आया था, और उस ज्योति के अपने लोगों ने ही उसे ग्रहण नहीं किया।

John 1:12

उस ज्योति ने उनके लिए क्या किया जिन्होंने उसके नाम पर विश्वास किया?

उस ज्योति ने उनको परमेश्वर की संतान होने का अधिकार प्रदान किया जिन्होंने उसके नाम पर विश्वास किया।

John 1:13

वे लोग परमेश्वर की संतान कैसे बन गए जिन्होंने उसके नाम पर विश्वास किया?

वे परमेश्वर के द्वारा जन्म पाकर परमेश्वर की संतान बनने पाए।

John 1:14-15

क्या वचन के जैसा कोई ऐसा व्यक्ति है या था, जो पिता की ओर से आया हो?

नहीं! केवल वचन ही ऐसा एकमात्र अद्वितीय व्यक्ति है जो परमेश्वर की ओर से आया था।

John 1:16

जिसके बारे में यूहन्ना ने गवाही दी थी उस जन की परिपूर्णता में हम ने क्या प्राप्त किया?

उसकी परिपूर्णता में हम सब ने मुफ्त उपहार के बाद मुफ्त उपहार प्राप्त किया।

John 1:17

यीशु मसीह के माध्यम से क्या आया?

यीशु मसीह के माध्यम से अनुग्रह और सच्चाई आए।

John 1:18-21

किसने कभी परमेश्वर को देखा है?

किसी मनुष्य ने परमेश्वर को कभी नहीं देखा है।

किसने परमेश्वर को हम पर प्रकट किया?

वही जो पिता की गोद में है उसने उसे हम पर प्रकट किया।

John 1:22

जब यरूशलेम से आए याजकों और लेवियों द्वारा उससे पूछा गया था तो यूहन्ना किसके लिए कहता है कि वह वही था?

उसने कहा, “मैं जंगल में पुकारने वाले की वाणी हूँ: ‘प्रभु का मार्ग सीधा करो,’ जिस प्रकार से यशायाह भविष्यद्वक्ता ने कहा था।”

John 1:23-28

जब यरूशलेम से आए याजकों और लेवियों द्वारा उससे पूछा गया था तो यूहन्ना किसके लिए कहता है कि वह वही था?

उसने कहा, “मैं जंगल में पुकारने वाले की वाणी हूँ: ‘प्रभु का मार्ग सीधा करो,’ जिस प्रकार से यशायाह भविष्यद्वक्ता ने कहा था।”

John 1:29-30

जब यूहन्ना ने यीशु को उसकी ओर आते देखा तो यूहन्ना ने क्या कहा?

उसने कहा, “देखो, यह परमेश्वर का मेम्ना है जो संसार का पाप दूर करता है।”

John 1:31

यूहन्ना पानी से बपतिस्मा देता हुआ क्यों आया?

यूहन्ना पानी से बपतिस्मा देता हुआ इसलिए आया ताकि परमेश्वर का मेम्ना, यीशु जो संसार का पाप दूर करता है, इस्राएल पर प्रकट हो सके।

John 1:32

वह कौन सा चिन्ह था जिसने यूहन्ना पर यीशु को परमेश्वर के पुत्र के रूप में प्रकट किया था?

वह चिन्ह यह था कि जिस किसी पर यूहन्ना आत्मा को उतरते और ठहरते देखे, वही वह जन है जो पवित्र आत्मा से बपतिस्मा देता है।

John 1:33-36

वह कौन सा चिन्ह था जिसने यूहन्ना पर यीशु को परमेश्वर के पुत्र के रूप में प्रकट किया था?

वह चिन्ह यह था कि जिस किसी पर यूहन्ना आत्मा को उतरते और ठहरते देखे, वही वह जन है जो पवित्र आत्मा से बपतिस्मा देता है।

John 1:37-39

यूहन्ना के दो चेलों ने क्या किया जब उन्होंने यूहन्ना को यीशु को “परमेश्वर का मेम्ना” कहते सुना?

वे यीशु के पीछे हो लिए।

John 1:40

उन दोनों में से एक जन का क्या नाम था जिन्होंने यूहन्ना को बोलते सुना और यीशु के पीछे हो लिए?

उन दोनों में से एक जन का नाम अन्द्रियास था।

John 1:41

यीशु के बारे में अन्द्रियास ने अपने भाई शमौन को क्या बताया?

अन्द्रियास ने शमौन से कहा, “हमें मसीह मिल गया है।”

John 1:42-43

यीशु ने क्या कहा था जो शमौन कहलाएगा?

यीशु ने कहा था कि शमौन “कैफा” कहलाएगा (जिसका अर्थ है ‘पतरस’)।

John 1:44-48

अन्द्रियास और शमौन का नगर कौन सा था?

अन्द्रियास और शमौन का नगर बैतसैदा था।

John 1:49-50

नतनएल ने यीशु के बारे में क्या कहा था?

नतनएल ने कहा, “हे रब्बी, तू परमेश्वर की पुत्र है! तू इस्राएल का महाराजा है।”

John 1:51

यीशु ने क्या कहा था कि नतनएल देखने पाएगा?

यीशु ने नतनएल से कहा कि वह स्वर्ग को खुला हुआ, और परमेश्वर के सारे स्वर्गदूतों को ऊपर जाते और मनुष्य के पुत्र पर उतरते देखने पाएगा।

John 2

John 2:1

गलील के काना के विवाह में कौन था?

गलील के काना के विवाह में यीशु, उसकी माता, और उसके चेले थे।

John 2:2

गलील के काना के विवाह में कौन था?

गलील के काना के विवाह में यीशु, उसकी माता, और उसके चेले थे।

John 2:3

यीशु की माता ने यीशु को क्यों बताया, “उनके पास दाखरस नहीं है”?

उसने यीशु को यह इसलिए बताया क्योंकि उसने यह अपेक्षा की थी कि वह इस परिस्थिति के बारे में कुछ तो करेगा।

John 2:4

यीशु की माता ने यीशु को क्यों बताया, “उनके पास दाखरस नहीं है”?

उसने यीशु को यह इसलिए बताया क्योंकि उसने यह अपेक्षा की थी कि वह इस परिस्थिति के बारे में कुछ तो करेगा।

John 2:5-6

यीशु की माता ने यीशु को क्यों बताया, “उनके पास दाखरस नहीं है”?

उसने यीशु को यह इसलिए बताया क्योंकि उसने यह अपेक्षा की थी कि वह इस परिस्थिति के बारे में कुछ तो करेगा।

John 2:7

वे कौन सी दो बातें थीं जिनको करने के लिए यीशु ने सेवकों को बोला था?

उसने पहले उनको पानी के मटकों में पानी भरने के लिए कहा। फिर उसने सेवकों से थोड़ा “पानी” निकालकर मुख्य परिचारक के पास लेकर जाने के लिए कहा।

John 2:8-9

वे कौन सी दो बातें थीं जिनको करने के लिए यीशु ने सेवकों को बोला था?

उसने पहले उनको पानी के मटकों में पानी भरने के लिए कहा। फिर उसने सेवकों से थोड़ा “पानी” निकालकर मुख्य परिचारक के पास लेकर जाने के लिए कहा।

John 2:10

मुख्य परिचारक ने क्या कहा जब उसने उस पानी को चखा जो दाखरस बन गया था?

मुख्य परिचारक ने कहा, “हर व्यक्ति पहले तो अच्छा दाखरस रखता है और फिर जब लोग नशे में हो जाते हैं तो ओछा वाला दाखरस। परन्तु तूने तो अच्छा दाखरस अब तक रखा हुआ है।”

John 2:11-13

इस चमत्कारी चिन्ह को देखकर यीशु के चेलों की क्या प्रतिक्रिया थी?

यीशु के चेलों ने यीशु पर विश्वास किया।

John 2:14

जब यीशु यरूशलेम के मंदिर में गया तो उसने क्या पाया?

उसने उनको पाया जो मुद्रा बदलने थे और उनको जो बैल, भेड़ें और कबूतर बेचते थे।

John 2:15

यीशु ने बेचने वालों और मुद्रा बदलने वालों के साथ क्या किया?

उसने रस्सियों का एक कोड़ा बनाया और भेड़ों तथा बैलों समेत उन सब को मंदिर से बाहर निकाल दिया। उसने मुद्रा बदलने वालों के धन को भी फैला दिया और उनकी मेजों को उखाड़ फैंका।

John 2:16-17

यीशु ने कबूतर बेचने वालों के साथ क्या किया?

उसने कहा, “इन वस्तुओं को यहाँ से दूर ले जाओ, और मेरे पिता के घर को बाजार बनाना बंद करो।”

John 2:18

मंदिर में यीशु की इस कार्रवाई पर यहूदी अधिकारियों ने कैसी प्रतिक्रिया दिखाई?

उन्होंने यीशु से पूछा, “चूँकि तू इन कामों को कर रहा है, तो तू हमें कौन सा चिन्ह दिखाएगा?”

John 2:19-20

यहूदी अधिकारियों को यीशु ने कैसे उत्तर दिया?

उसने यह कहने के द्वारा उनको उत्तर दिया, “इस मंदिर को नष्ट कर दो, और तीन दिन में मैं इसे खड़ा कर दूँगा।”

John 2:21-22

यीशु किस मंदिर को सन्दर्भित कर रहा था?

यीशु अपनी देह के मंदिर के विषय में बोल रहा था।

John 2:23

बहुत लोगों ने यीशु के नाम पर विश्वास क्यों किया?

उन्होंने इसलिए विश्वास किया क्योंकि उन्होंने उसके द्वारा किए गए सारे चमत्कारी कामों को देखा था।

John 2:24

यीशु अपने आप के लिए लोगों पर भरोसा क्यों नहीं करेगा?

वह अपने आप के लिए लोगों पर भरोसा इसलिए नहीं करेगा क्योंकि वह सब लोगों को जानता था कि मनुष्यों के भीतर क्या था, और क्योंकि उसे किसी जन की आवश्यकता नहीं थी कि मनुष्यों के बारे में उसे गवाही दे।

John 2:25

यीशु अपने आप के लिए लोगों पर भरोसा क्यों नहीं करेगा?

वह अपने आप के लिए लोगों पर भरोसा इसलिए नहीं करेगा क्योंकि वह सब लोगों को जानता था कि मनुष्यों के भीतर क्या था, और क्योंकि उसे किसी जन की आवश्यकता नहीं थी कि मनुष्यों के बारे में उसे गवाही दे।

John 3

John 3:1

नीकुदेमुस कौन था?

नीकुदेमुस एक फरीसी था जो यहूदी परिषद का सदस्य था।

John 3:2

नीकुदेमुस ने यीशु को क्या गवाही दी?

नीकुदेमुस ने यीशु से कहा, “हे रब्बी, हम जानते हैं कि तू एक गुरु है जो परमेश्वर की ओर से आया है, क्योंकि जब तक कि परमेश्वर उसके साथ न हो तो कोई भी जन इन चिन्हों को नहीं कर सकता जिनको तू करता है।”

John 3:3

यीशु ने नीकुदेमुस से ऐसा क्या कहा जिसने नीकुदेमुस को परेशान और भ्रमित कर दिया था?

यीशु ने नीकुदेमुस से कहा कि एक व्यक्ति को परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने के लिए फिर से जन्म लेना होगा।

John 3:4-9

यीशु ने नीकुदेमुस से ऐसा क्या कहा जिसने नीकुदेमुस को परेशान और भ्रमित कर दिया था?

यीशु ने नीकुदेमुस से कहा कि एक व्यक्ति को परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने के लिए फिर से जन्म लेना होगा।

नीकुदेमुस ने ऐसा कौन सा प्रश्न पूछा था जिससे हमें मालूम होता है कि यीशु के कथन ने नीकुदेमुस को परेशान और भ्रमित कर दिया था?

नीकुदेमुस ने कहा था, “जब वह बूढ़ा हो जाए तो कोई मनुष्य कैसे जन्म ले सकता है? वह अपनी माता के गर्भ में दूसरी बार प्रवेश नहीं कर सकता और जन्म नहीं ले सकता, क्या वह कर सकता है?”

John 3:10-12

यीशु ने नीकुदेमुस को कैसे झिड़का?

उसने नीकुदेमुस को यह कहने के द्वारा झिड़का, “या तू इस्राएलियों का गुरु है, और तब पर भी तू इन बातों को नहीं समझता?”

John 3:13

कौन स्वर्ग पर चढ़ गया था?

कोई भी स्वर्ग पर नहीं चढ़ा, उसके अलावा जो स्वर्ग से उतरा था, अर्थात मनुष्य का पुत्र।

John 3:14

मनुष्य के पुत्र को ऊँचे पर क्यों चढ़ाया जाना चाहिए?

उसे ऊँचे पर चढ़ाया जाना चाहिए ताकि जितने उस पर विश्वास करें वे अनन्त जीवन पाएँ।

John 3:15

मनुष्य के पुत्र को ऊँचे पर क्यों चढ़ाया जाना चाहिए?

उसे ऊँचे पर चढ़ाया जाना चाहिए ताकि जितने उस पर विश्वास करें वे अनन्त जीवन पाएँ।

John 3:16

परमेश्वर ने कैसे प्रकट किया कि वह संसार से प्रेम करता था?

उसने अपने एकमात्र पुत्र को देने के द्वारा अपने प्रेम को प्रकट किया, कि जो कोई भी उस पर विश्वास करता है वह नाश नहीं होगा परन्तु अनन्त जीवन पाएगा।

John 3:17-18

क्या परमेश्वर ने संसार पर दंड की आज्ञा देने के लिए अपने पुत्र को भेजा था?

नहीं। परमेश्वर ने अपने पुत्र को इसलिए भेजा ताकि उसके पुत्र के माध्यम से संसार को बचा लिया जाए।

John 3:19

मनुष्य न्याय के अधीन क्यों आते हैं?

मनुष्य न्याय के अधीन इसलिए आते हैं क्योंकि ज्योति संसार में आई, और ज्योति के बजाए मनुष्यों ने अंधकार से प्रेम किया क्योंकि उनके काम बुरे थे।

John 3:20

जो बुराई करते हैं वे ज्योति के पास क्यों नहीं आएँगे?

जो बुराई करते हैं वे ज्योति से घृणा करते हैं और उसके पास आना नहीं चाहते, क्योंकि वे नहीं चाहते कि उनके काम उजागर हो जाएँ।

John 3:21-29

जो सत्य का पालन करते हैं वे ज्योति के पास क्यों आते हैं?

वे ज्योति के पास इसलिए आते हैं ताकि उनके काम स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ें और मालूम हो जाए कि उनके कामों को परमेश्वर की आज्ञाकारिता में लाया गया है।

John 3:30-32

यूहन्ना ने क्या कहा जो यूहन्ना की सेवकाई की तुलना में यीशु की सेवकाई के साथ घटित होगा?

यूहन्ना ने कहा, “उसे बढञना है, परन्तु मुझे घटना है।”

John 3:33-34

उन लोगों ने क्या पुष्टि की जिन्होंने उस जन की गवाही को ग्रहण किया, जो ऊपर स्वर्ग से आया था?

उन्होंने पुष्टि की कि परमेश्वर सच्चा है।

John 3:35

परमेश्वर ने पुत्र के हाथों में क्या दे दिया था?

उसने पुत्र के हाथों में सारी वस्तुओं को दे दिया था।

John 3:36

जो पुत्र पर विश्वास करते हैं उनको क्या प्राप्त होता है?

उनको अनन्त जीवन प्राप्त होता है।

जो पुत्र की अवज्ञा करते है उनके साथ क्या घठित होता है?

वे जीवन को नहीं देखने पाएँगे, परन्तु परमेश्वर का क्रोध उन पर बना रहता है।

John 4

John 4:1

यीशु यहूदिया को छोड़कर गलील को कब गया?

यीशु यहूदिया को छोड़कर गलील को तब गया जब उसे मालूम हुआ कि फरीसियों ने सुना है कि वह यूहन्ना से अधिक चेले बना रहा है और उनको बपतिस्मा दे रहा है।

John 4:2

यीशु यहूदिया को छोड़कर गलील को कब गया?

यीशु यहूदिया को छोड़कर गलील को तब गया जब उसे मालूम हुआ कि फरीसियों ने सुना है कि वह यूहन्ना से अधिक चेले बना रहा है और उनको बपतिस्मा दे रहा है।

John 4:3-4

यीशु यहूदिया को छोड़कर गलील को कब गया?

यीशु यहूदिया को छोड़कर गलील को तब गया जब उसे मालूम हुआ कि फरीसियों ने सुना है कि वह यूहन्ना से अधिक चेले बना रहा है और उनको बपतिस्मा दे रहा है।

John 4:5-6

गलील जाने के मार्ग में यीशु कहाँ पहुँचा था?

वह सूखार नामक सामरिया के एक नगर में आ पहुँचा था।

John 4:7

जिस समय यीशु वहाँ था तो याकूब के कुएँ पर कौन आया?

एक सामरी स्त्री पानी भरने के लिए वहाँ पर आई।

उस सामरी स्त्री से यीशु ने प्रथम बात क्या कही थी?

उसने उससे कहा, “मुझे पीने के लिए थोड़ा पानी दे।”

John 4:8

यीशु के चेले कहाँ थे?

वे नगर में भोजन खरीदने के लिए गए हुए थे।

John 4:9

वह सामरी स्त्री चकित क्यों हो गई थी कि यीशु ने उससे बात की?

वह इसलिए चकित हो गई थी क्योंकि सामरियों के साथ यहूदी कोई व्यवहार नहीं रखते थे।

John 4:10

यीशु ने उस वार्तालाप को परमेश्वर की बातों में बदलने के लिए क्या कहा?

यीशु ने उससे कहा कि यदि वह परमेश्वर के वरदान को और उससे कौन बात कर रहा था जानती, तो वह माँगती, और वह उसे जीवन का पानी देता।

John 4:11-13

उस स्त्री ने यह संकेत करने के लिए क्या कथन बोला कि वह यीशु की बात की आत्मिक प्रकृति को नहीं समझती?

उस स्त्री ने प्रतिउत्तर दिया, “हे महोदय, तेरे पास न तो बाल्टी है और कुआँ भी गहरा है। तो तेरे पास जीवन का पानी कहाँ है?”

John 4:14

यीशु उस स्त्री से उस पानी के बारे में क्या कहता है जो वह देगा?

यीशु उस स्त्री से बोलता है कि जो लोग उस पानी को पीते हैं जो वह देता है वे फिर कभी प्यासे नहीं होते, और वह पानी उसमें से पानी का झरना बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिए उमड़ता रहेगा।

John 4:15

यीशु उस स्त्री से उस पानी के बारे में क्या कहता है जो वह देगा?

यीशु उस स्त्री से बोलता है कि जो लोग उस पानी को पीते हैं जो वह देता है वे फिर कभी प्यासे नहीं होते, और वह पानी उसमें से पानी का झरना बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिए उमड़ता रहेगा।

अब वह स्त्री उस पानी को क्यों पाना चाहती है जो यीशु प्रदान करता है?

वह उस पानी को इसलिए पाना चाहती है ताकि वह प्यासी न हो और उसे पानी भरने के लिए कुएँ पर आना न पड़े।

John 4:16

फिर यीशु वार्तालाप का विषय बदल देता है। उसने उस स्त्री से क्या कहा?

यीशु ने उससे कहा, “जा, अपने पति को पुकार लगा, और यहाँ वापस आ।”

John 4:17

उस स्त्री ने यीशु को कैसे उत्तर दिया जब उसने उससे अपने पति को पुकार लगाने के लिए बोला?

उस स्त्री ने यीशु को बोला कि उसका कोई पति नहीं है।

John 4:18-19

यीशु उस स्त्री के बारे में क्या कहता है जिसे वह प्राकृतिक तरीकों से नहीं जान पाया?

यीशु उससे कहता है कि उसके पाँच पति थे और जो व्यक्ति अभी उसके साथ है वह भी उसका पति नहीं है।

John 4:20-22

आराधना के विषय में वह स्त्री यीशु के पास कौन सा विवाद लेकर आई?

वह इस विषय में विवाद लेकर आई कि आराधना करने का सही स्थान कहाँ पर है।

John 4:23

उस स्त्री से यीशु उस प्रकार के आराधकों के बारे में क्या कहता है जिनकी खोज पिता करता है?

यीशु उससे कहता है कि परमेश्वर आत्मा है, और सच्चे आराधकों को परमेश्वर की आराधना आत्मा में और सच्चाई में होकर करनी चाहिए।

John 4:24

उस स्त्री से यीशु उस प्रकार के आराधकों के बारे में क्या कहता है जिनकी खोज पिता करता है?

यीशु उससे कहता है कि परमेश्वर आत्मा है, और सच्चे आराधकों को परमेश्वर की आराधना आत्मा में और सच्चाई में होकर करनी चाहिए।

John 4:25

जब वह स्त्री यीशु को बताती है कि जब मसीह (अर्थात ख्रीस्त) आएगा, तो वह उन पर सब बातें घोषित कर देगा, तो उस स्त्री से यीशु क्या कहता है?

यीशु उसे बताता है कि वही मसीह (अर्थात ख्रीस्त) है।

John 4:26-27

जब वह स्त्री यीशु को बताती है कि जब मसीह (अर्थात ख्रीस्त) आएगा, तो वह उन पर सब बातें घोषित कर देगा, तो उस स्त्री से यीशु क्या कहता है?

यीशु उसे बताता है कि वही मसीह (अर्थात ख्रीस्त) है।

John 4:28

यीशु के साथ उसके वार्तालाप के बाद उस स्त्री ने क्या किया?

वह स्त्री अपना पानी का मटका छोड़कर वापस नगर में चली गई, और लोगों से कहा, “आओ, एक व्यक्ति को देखो जिसने मुझे वह सब कुछ बता दिया जो मैंने कभी किया था। यह मसीह तो नहीं हो सकता, क्या यह हो सकता है?”

John 4:29

यीशु के साथ उसके वार्तालाप के बाद उस स्त्री ने क्या किया?

वह स्त्री अपना पानी का मटका छोड़कर वापस नगर में चली गई, और लोगों से कहा, “आओ, एक व्यक्ति को देखो जिसने मुझे वह सब कुछ बता दिया जो मैंने कभी किया था। यह मसीह तो नहीं हो सकता, क्या यह हो सकता है?”

John 4:30-33

जब नगर के लोगों ने उस स्त्री की खबर को सुना तो उन्होंने क्या किया?

वे नगर से निकलकर यीशु के पास आए।

John 4:34-35

यीशु ने क्या कहा कि उसका भोजन क्या है?

यीशु ने कहा कि उसका भोजन उसकी इच्छा का पालन करना और उसके काम को पूरा करना था जिसने उसे भेजा है।

John 4:36-38

कटाई का क्या लाभ है?

कटाई करने वाला मजदूरी पाता है और चिरस्थायी जीवन के लिए फल जमा करता है, ताकि वह जो बोता है और वह जो काटता है मिलकर आनन्द करें।

John 4:39-41

उस नगर में रहने वाले बहुत से सामरियों ने यीशु पर विश्वास क्यों किया?

उस नगर में रहने वाले बहुत से सामरियों को उस स्त्री की खबर ने यीशु पर विश्वास करने के लिए प्रेरित किया।

John 4:42-44

उन सामरियों में से बहुतों ने यीशु के बारे में क्या विश्वास किया?

उन्होंने कहा कि वे अब जान गए हैं कि यीशु सचमुच संसार का उद्धारकर्ता था।

John 4:45

जब यीशु गलील में आया, तो गलीलवासियों ने उसका स्वागत क्यों किया?

उन्होंने उसका स्वागत इसलिए किया क्योंकि उन्होंने उन सब कामों को देखा था जो उसने यरूशलेम में पर्व में किए थे।

John 4:46

यीशु के यहूदिया को छोड़कर गलील में लौटने के बाद, यीशु के पास कौन आया था, और वह क्या चाहता था?

कोई राजसी अधिकारी जिसका पुत्र बीमार था, यीशु के पास उससे याचना करने के लिए आया कि वह नीचे आकर उसके पुत्र को चंगा करे।

John 4:47

यीशु के यहूदिया को छोड़कर गलील में लौटने के बाद, यीशु के पास कौन आया था, और वह क्या चाहता था?

कोई राजसी अधिकारी जिसका पुत्र बीमार था, यीशु के पास उससे याचना करने के लिए आया कि वह नीचे आकर उसके पुत्र को चंगा करे।

John 4:48-49

उस राजसी अधिकारी से यीशु ने चिन्ह और चमत्कारों के बारे में क्या कहा?

यीशु उससे बोला कि लोग तब तक विश्वास नहीं करेंगे जब तक कि वे चिन्ह और चमत्कारों को देख नहीं लेते।

John 4:50-52

उस राजसी अधिकारी ने क्या किया जब यीशु उसके साथ तो नहीं गया परन्तु उससे बोला, “जा; तेरा पुत्र जीवित है”?

उस व्यक्ति ने उस वचन पर विश्वास किया जो यीशु ने उससे बोला था, और अपने मार्ग पर चला गया।

John 4:53-54

उसका क्या परिणाम निकला जब उस बीमार बालक के पिता से कहा गया कि उसका पुत्र जीवित था और एक दिन पहले सातवें घंटे में उसका बुखार उतर गया, अर्थात उसी घंटे में जब यीशु ने उससे कहा था, “तेरा पुत्र जीवित है।”?

परिणाम यह निकला कि उस राजसी अधिकारी के सम्पूर्ण घराने ने विश्वास किया।

John 5

John 5:2

यरूशलेम में भेड़-फाटक के पास उस कुंड का क्या नाम था जिसके छत वाले पाँच ओसारे थे?

उस कुंड को बैतहसदा कहा जाता था।

John 5:3

बैतहसदा के पास कौन था?

बड़ी संख्या में ऐसे लोग जो बीमार थे, अंधे थे, लंगड़े थे, या लकवे के मारे थे, वे बैतहसदा के ओसारे में पड़े रहते थे।

John 5:4

बैतहसदा के पास कौन था?

बड़ी संख्या में ऐसे लोग जो बीमार थे, अंधे थे, लंगड़े थे, या लकवे के मारे थे, वे बैतहसदा के ओसारे में पड़े रहते थे।

John 5:5

बैतहसदा में यीशु ने किससे पूछा, “क्या तू स्वस्थ होना चाहता है?”

यीशु ने यब यह बात एक ऐसे मनुष्य से पूछी जो 38 वर्ष से अयोग्य था और जो वहाँ बहुत समय से पड़ा था।

John 5:6

बैतहसदा में यीशु ने किससे पूछा, “क्या तू स्वस्थ होना चाहता है?”

यीशु ने यब यह बात एक ऐसे मनुष्य से पूछी जो 38 वर्ष से अयोग्य था और जो वहाँ बहुत समय से पड़ा था।

John 5:7

यीशु के प्रश्न पर उस बीमार मनुष्य की क्या प्रतिक्रिया थी, “क्या तू स्वस्थ होना चाहता है?”

उस बीमार मनुष्य प्रतिउत्तर दिया, “हे महोदय, मेरा पास कोई ऐसा जन नहीं है, कि जब पानी पिलाया जाता है, तो वह मुझे कुंड में उतार दे। परन्तु मेरे उसमें जाते-जाते ही, कोई दूसरा मुझ से पहले उतर जाता है।”

John 5:8

क्या घटित हुआ जब यीशु ने उस बीमार मनुष्य से कहा, “खड़ा हो, अपना बिस्तर उठा, और चल फिर”?

तुरन्त ही वह मनुष्य चंगा हो गया था, और उसने अपना बिस्तर उठा लिया और चलने फिरने लगा।

John 5:9

क्या घटित हुआ जब यीशु ने उस बीमार मनुष्य से कहा, “खड़ा हो, अपना बिस्तर उठा, और चल फिर”?

तुरन्त ही वह मनुष्य चंगा हो गया था, और उसने अपना बिस्तर उठा लिया और चलने फिरने लगा।

John 5:10-13

इस बात ने यहूदी अगुवों को परेशान क्यों कर दिया जब उन्होंने उस बीमार मनुष्य को अपने बिस्तर (चटाई) के साथ चलते-फिरते देखा?

इसने उनको इसलिए परेशान कर दिया क्योंकि वह सब्त का दिन था, और उन्होंने उस मनुष्य से कहा कि सब्त के दिन चटाई को उठाने उसे अनुमति नहीं है।

John 5:14

जब वह बीमार मनुष्य यीशु को मंदिर में मिला जिसे उसने चंगा किया था तो यीशु ने उससे क्या कहा?

यीशु ने उससे कहा, “देख, तू स्वस्थ हो गया है! इसके बाद पाप मत करना, जिससे कि तेरे साथ कुछ अधिक बुरा घटित नहीं होगा।”

John 5:15-16

यीशु के उससे पाप करना बंद करने के लिए कहने के बाद उस चंगे हो चुके मनुष्य ने क्या किया?

उस मनुष्य ने जाकर यहूदी अगुवों को बता दिया कि जिसने उसे स्वस्थ किया वह यीशु था।

John 5:17

यीशु ने उन यहूदी अगुवों को कैसे प्रतिउत्तर दिया जिन्होंने उसे इसलिए सताया क्योंकि वह सब्त के दिन इन कामों (चंगाई) को कर रहा था?

यीशु ने उनसे कहा, “मेरा पिता अभी भी काम कर रहा है, और मैं, भी, काम कर रहा हूँ।”

John 5:18

यीशु द्वारा यहूदी अगुवों कहे गए कथन ने उनको यीशु की हत्या कर देने के लिए क्यों प्रेरित किया?

ऐसा इसलिए घटित हुआ क्योंकि उसने केवल सब्त को ही नहीं तोड़ा (उनको मनों के अनुसार), परन्तु स्वयं को परमेश्वर के बराबर बनाते हुए, उसने परमेश्वर को अपना पिता भी कहा।

John 5:19

यीशु ने क्या किया?

उसने वही किया जो उसने अपने पिता को करते देखा था।

John 5:20-21

पिता क्या करेगा जिससे कि यहूदी अगुवे अचम्भित हो जाएँगे?

पिता इनसे भी बड़े-बड़े कामों पुत्र को दिखाएगा जिससे कि यहूदी अगुवे अचम्भित हो जाएँगे।

John 5:22

पिता ने सारा न्याय का काम पुत्र को क्यों दे दिया?

पिता ने सारा न्याय का काम पुत्र को इसलिए दे दिया ताकि हर एक जन पुत्र का वैसे ही सम्मान करे जैसे वे पिता का सम्मान करते हैं।

John 5:23

पिता ने सारा न्याय का काम पुत्र को क्यों दे दिया?

पिता ने सारा न्याय का काम पुत्र को इसलिए दे दिया ताकि हर एक जन पुत्र का वैसे ही सम्मान करे जैसे वे पिता का सम्मान करते हैं।

यदि तुम पुत्र का सम्मान नहीं करते तो क्या घटित होगा?

यदि तुम पुत्र का सम्मान नहीं करते, तो तुम पिता का सम्मान भी नहीं करते जिसने उसे भेजा है।

John 5:24-25

यदि आप यीशु के वचन पर विश्वास करते हैं और पिता पर विश्वास करते हैं जिसने उस भेजा तो क्या घटित होता है?

यदि ऐसा होता है तो आप को अनन्त जीवन प्राप्त होता है और आप पर दंड की आज्ञा नहीं होती, बल्कि मृत्यु से पार होकर जीवन में प्रवेश कर जाते हैं।

John 5:26-27

जीवन के विषय में पिता ने पुत्र को क्या दिया था?

पिता ने पुत्र को उसमें जीवन रखने के लिए दिया था।

John 5:28

जो कब्रों में हैं जब वे पिता की वाणी को सुनेंगे तो क्या घटित होगा?

वे बाहर निकल आएँगे। जितनों ने भले काम किए हैं वे जीवन के पुनरुत्थान के लिए, और जितनों ने बुरे काम किए हैं वे न्याय के पुनरुत्थान के लिए।

John 5:29

जो कब्रों में हैं जब वे पिता की वाणी को सुनेंगे तो क्या घटित होगा?

वे बाहर निकल आएँगे। जितनों ने भले काम किए हैं वे जीवन के पुनरुत्थान के लिए, और जितनों ने बुरे काम किए हैं वे न्याय के पुनरुत्थान के लिए।

John 5:30-35

यीशु का न्याय धार्मिकता का क्यों है?

उसका न्याय धार्मिकता का इसलिए है क्योंकि वह अपनी इच्छा की नहीं परन्तु पिता की इच्छा की खोज कर रहा है जिसने मुझे भेजा है

John 5:36

यूहन्ना से बढ़कर यीशु की कौन सी गवाही है जिससे वह साबित कर सकता है कि वह पिता की ओर से भेजा गया है?

जो काम यीशु ने किए उन्होंने ही गवाही दी कि उसे पिता की ओर से भेजा गया था।

John 5:37-38

किसने कभी भी पिता की वाणी को नहीं सुना और न उसके रूप को देखा है?

यहूदी अगुवों ने कभी भी न तो उसकी वाणी को सुना है और न उसके रूप को देखा है।

John 5:39-43

यहूदी अगुवे पवित्रशास्त्र में खोज क्यों किया करते थे?

उन्होंने उसमें खोज इसलिए की क्योंकि उन्होंने सोचा कि उसमें उनको अनन्त जीवन मिलेगा।

पवित्रशास्त्र किसके बारे में गवाही देता है?

पवित्रशास्त्र यीशु के बारे में गवाही देता है।

John 5:44

यहूदी अगुवे किससे बड़ाई की खोज नहीं कर रहे थे?

वे उस बड़ाई की खोज नहीं कर रहे थे जो एकमात्र परमेश्वर की ओर से आती है।

John 5:45

पिता के सामने कौन यहूदी अगुवों पर दोष लगाने जा रहा था?

पिता के सामने यहूदी अगुवों पर मूसा दोष लगाने जा रहा था।

John 5:46

यीशु ने क्या कहा जिसे यहूदी अगुवे करेंगे यदि उन्होंने मूसा पर विश्वास किया है?

उसने कहा कि यदि यहूदी अगुवों ने मूसा पर विश्वास किया तो वे यीशु पर भी विश्वास करेंगे, क्योंकि मूसा ने यीशु के बारे में ही लिखा था।

John 5:47

यीशु ने क्या कहा जिसे यहूदी अगुवे करेंगे यदि उन्होंने मूसा पर विश्वास किया है?

उसने कहा कि यदि यहूदी अगुवों ने मूसा पर विश्वास किया तो वे यीशु पर भी विश्वास करेंगे, क्योंकि मूसा ने यीशु के बारे में ही लिखा था।

John 6

John 6:1

गलील के समुद्र का दूसरा नाम क्या था?

गलील के समुद्र का दूसरा नाम तिबिरियास का समुद्र था।

John 6:2-3

एक बड़ी भीड़ यीशु के पीछे क्यों चल रही थी?

वे उसके पीछे इसलिए चले आते थे क्योंकि वे उन चिन्हों के देखे रहे थे जिनको यीशु उन पर कर रहा था जो बीमार थे।

John 6:4

जब यीशु पहाड़ पर अपने चेलों के साथ बैठ गया और उसने अपनी दृष्टि उठाई तो उसने क्या देखा?

उसने एक बड़ी भीड़ को उसके पास आते देखा।

John 6:5

जब यीशु पहाड़ पर अपने चेलों के साथ बैठ गया और उसने अपनी दृष्टि उठाई तो उसने क्या देखा?

उसने एक बड़ी भीड़ को उसके पास आते देखा।

यीशु ने फिलिप्पुस से क्यों पूछा, “हम रोटी खरीदने के लिए कहाँ जा रहे हैं ताकि ये लोग खा सकें?”

यीशु ने फिलिप्पुस की जाँच करने के लिए ऐसा कहा।

John 6:6

यीशु ने फिलिप्पुस से क्यों पूछा, “हम रोटी खरीदने के लिए कहाँ जा रहे हैं ताकि ये लोग खा सकें?”

यीशु ने फिलिप्पुस की जाँच करने के लिए ऐसा कहा।

John 6:7

यीशु के इस प्रश्न के लिए फिलिप्पुस की क्या प्रतिक्रिया थी, “हम रोटी खरीदने के लिए कहाँ जा रहे हैं ताकि ये लोग खा सकें?”

फिलिप्पुस ने कहा, “दो सौ दीनार के मूल्य की रोटी भी उनके लिए पर्याप्त नहीं होगी, कि उनमें से प्रत्येक को थोड़ी-थोड़ी मिल जाए।”

John 6:8

यीशु के इस प्रश्न के लिए अन्द्रियास की क्या प्रतिक्रिया थी, “हम रोटी खरीदने के लिए कहाँ जा रहे हैं ताकि ये लोग खा सकें?”

अन्द्रियास ने कहा, “यहाँ एक लड़का है जिसके पास जौ की पाँच रोटियाँ और दो मछली हैं, परन्तु बहुत सारे लोगों के बीच में ये क्या हैं?”

John 6:9

यीशु के इस प्रश्न के लिए अन्द्रियास की क्या प्रतिक्रिया थी, “हम रोटी खरीदने के लिए कहाँ जा रहे हैं ताकि ये लोग खा सकें?”

अन्द्रियास ने कहा, “यहाँ एक लड़का है जिसके पास जौ की पाँच रोटियाँ और दो मछली हैं, परन्तु बहुत सारे लोगों के बीच में ये क्या हैं?”

John 6:10

उस स्थान में लगभग कितने पुरुष थे?

वहाँ लगभग 5,000 पुरुष थे।

John 6:11-12

रोटियों और मछली के साथ यीशु ने क्या किया?

यीशु ने रोटियाँ लीं और धन्यवाद देने के बाद, उसने वह उनको दीं जो बैठे हुए थे। उसने उसी प्रकार से मछली भी दी।

लोगों को खाने के लिए कितना मिला?

जितना वे खाना चाहते थे उनको उतना मिला।

John 6:13

भोजन के बाद कितनी रोटियाँ उठाई गईं?

चेलों ने जौ की पाँच रोटियों में से खाने वालों के बचे हुए टूटे हुए टुकड़ों से बारह टोकरियाँ भर लीं।

John 6:14

यीशु निकलकर फिर से पहाड़ पर अकेला क्यों चला गया?

यीशु इसलिए चला गया क्योंकि उसे मालूम हुआ कि जो चिन्ह उसने प्रकट किया था (5,000 लोगों को भोजन खिलाना), उसे देखने के बाद लोग आने वाले थे और बलपूर्वक उसे पकड़कर राजा बनाने वाले थे।

John 6:15-17

यीशु निकलकर फिर से पहाड़ पर अकेला क्यों चला गया?

यीशु इसलिए चला गया क्योंकि उसे मालूम हुआ कि जो चिन्ह उसने प्रकट किया था (5,000 लोगों को भोजन खिलाना), उसे देखने के बाद लोग आने वाले थे और बलपूर्वक उसे पकड़कर राजा बनाने वाले थे।

John 6:18

जब चेले नाव पर चढ़कर कफरनहूम के लिए निकल गए तो मौसम को क्या हो गया था?

प्रचंड हवा चलने लगी और समुद्र उबड़-खाबड़ होने लगा।

John 6:19

चेले क्यों डरने लगे?

वे इसलिए डर गए थे क्योंकि उन्होंने यीशु को समुद्र पर चलते हुए और नाव के पास आते देखा।

John 6:20-25

चेलों को यीशु को नाव पर चढ़ा लेने को तैयार करने के लिए उसने उनसे क्या कहा?

यीशु ने उनसे कहा, “यह मैं हूँ! डरो नहीं।”

John 6:26

यीशु ने क्या कहा जो भीड़ के उसे खोजने का कारण था?

यीशु ने कहा कि वे उसे इसलिए नहीं खोज रहे थे क्योंकि उन्होंने चिन्ह देखे, परन्तु इस कारण से कि उन्होंने रोटियाँ खाईं और तृप्त हुए थे।

John 6:27-28

यीशु ने भीड़ से क्या कहा कि उनको किसके लिए काम करना चाहिए और किसके लिए नहीं करना चाहिए?

यीशु ने उनसे कहा कि उस भोजन के लिए काम मत करो जो नाश हो जाता है, परन्तु उस भोजन के लिए जो अनन्त जीवन तक बना रहता है।

John 6:29-34

यीशु ने भीड़ के लिए परमेश्वर के काम को कैसे परिभाषित किया?

यीशु ने भीड़ से कहा, “परमेश्वर का काम यह है: कि तुम उस जन पर विश्वास करो जिसे उसने भेजा है।”

John 6:35-36

यीशु किसे जीवन की रोटी कहता है?

यीशु कहता है कि वही जीवन की रोटी है।

John 6:37-38

यीशु के पास कौन आएगा?

जिनको पिता यीशु को देता है वे सब उसके पास आएँगे।

John 6:39

पिता की इच्छा क्या थी जिसने यीशु को भेजा था?

पिता की इच्छा यह है कि यीशु उनमें से एक को भी न खोए जिनको पिता ने उसे दिया है और यह कि हर एक उस जन को अनन्त जीवन मिले जो पुत्र को देखता है और उस पर विश्वास करता है; और अंतिम दिन में यीशु उसे जीवित कर देगा।

John 6:40-43

पिता की इच्छा क्या थी जिसने यीशु को भेजा था?

पिता की इच्छा यह है कि यीशु उनमें से एक को भी न खोए जिनको पिता ने उसे दिया है और यह कि हर एक उस जन को अनन्त जीवन मिले जो पुत्र को देखता है और उस पर विश्वास करता है; और अंतिम दिन में यीशु उसे जीवित कर देगा।

John 6:44-45

कोई मनुष्य यीशु के पास कैसे आ सकता है?

कोई मनुष्य यीशु के पास केवल तब ही आ सकता है यदि पिता उसे खींच ले।

John 6:46-50

पिता को किसने देखा है?

जो परमेश्वर की ओर से है केवल उसने ही पिता को देखा है।

John 6:51-52

वह कौन सी रोटी है जिसे यीशु संसार के जीवन के लिए देगा?

वह रोटी जिसे यीशु संसार के जीवन के लिए देगा वह उसका मांस है।

John 6:53-55

अपने भीतर जीवन को प्राप्त करने के लिए तुम को क्या करना चाहिए?

अपने भीतर जीवन को प्राप्त करने के लिए, तुम को मनुष्य के पुत्र का मांस खाना चाहिए और उसका लहू पीना चाहिए।

John 6:56

हम कैसे यीशु में बने रह सकते हैं और वह हम में बना रह सकता है?

यदि हम उसका मांस खाएँ और उसका लहू पीएँ, तो हम उसमें बने रह सकते हैं और वह हम में।

John 6:57-59

यीशु क्यों जीवित है?

यीशु अपने पिता के कारण जीवित है।

John 6:60-63

उसका मांस खाने और उसका लहू पीने के बारे में यीशु की शिक्षा को सुनने के बाद उसके बहुत से चेलों ने कैसे उत्तर दिया?

जब चेलों ने इस शिक्षा को सुना, तो उनमें से बहुतों ने कहा, “यह तो कठिन शिक्षा है; इसे कौन स्वीकार कर सकता है?”

John 6:64-66

आरम्भ से ही यीशु ने लोगों के बारे में क्या जान लिया?

यीशु आरम्भ से ही जानता था कि वे लोग कौन थे जो विश्वास नहीं करेंगे और वह कौन था जो उसे धोखा देगा।

John 6:67

जब यीशु ने उन बारहों से पूछा, “क्या तुम चले जाना नहीं चाहते, क्या ऐसा चाहते हो?” तो किसने उत्तर दिया और उसने क्या कहा?

शमौन पतरस ने उसे उत्तर दिया और कहा, “हे प्रभु, हम किसके पास जाएँ? तेरे पास तो अनन्त जीवन के वचन हैं, और हम ने विश्वास किया है और जान लिया है कि तू ही परमेश्वर का पवित्र जन है।”

John 6:68-69

जब यीशु ने उन बारहों से पूछा, “क्या तुम चले जाना नहीं चाहते, क्या ऐसा चाहते हो?” तो किसने उत्तर दिया और उसने क्या कहा?

शमौन पतरस ने उसे उत्तर दिया और कहा, “हे प्रभु, हम किसके पास जाएँ? तेरे पास तो अनन्त जीवन के वचन हैं, और हम ने विश्वास किया है और जान लिया है कि तू ही परमेश्वर का पवित्र जन है।”

John 6:70

जब यीशु ने कहा कि उन बारहों में से एक शैतान था तो उससे उसका क्या अर्थ था?

यीशु ने शमौन इस्करियोती के पुत्र, यहूदी के बारे में कहा था, क्योंकि वह उन बारहों में से वही था, जो यीशु को धोखा देगा।

John 6:71

जब यीशु ने कहा कि उन बारहों में से एक शैतान था तो उससे उसका क्या अर्थ था?

यीशु ने शमौन इस्करियोती के पुत्र, यहूदी के बारे में कहा था, क्योंकि वह उन बारहों में से वही था, जो यीशु को धोखा देगा।

John 7

John 7:1-2

यहूदिया में जाने के लिए यीशु इच्छुक क्यों नहीं था?

वहाँ जाने के लिए वह इच्छुक इसलिए नहीं था, क्योंकि यहूदी उसकी हत्या करना चाहते थे।

John 7:3

झोंपड़ियों के पर्व में यहूदिया जाने के लिए यीशु के भाइयों ने उससे आग्रह क्यों किया?

उन्होंने उससे जाने के लिए आग्रह इसलिए किया ताकि यीशु के चेले उन कामों को देखने पाएँ जिनको वह कर रहा था और जिससे कि संसार उन बातों को जान ले।

John 7:4-5

झोंपड़ियों के पर्व में यहूदिया जाने के लिए यीशु के भाइयों ने उससे आग्रह क्यों किया?

उन्होंने उससे जाने के लिए आग्रह इसलिए किया ताकि यीशु के चेले उन कामों को देखने पाएँ जिनको वह कर रहा था और जिससे कि संसार उन बातों को जान ले।

John 7:6

पर्व में न जाने के लिए यीशु ने क्या कारण प्रस्तुत किया?

यीशु ने अपने भाइयों से कहा कि उसका समय अभी नहीं आया है, और उसका समय अभी पूरा नहीं हुआ है।

John 7:7-9

संसार यीशु से घृणा क्यों करता है?

संसार यीशु से घृणा इसलिए करता है क्योंकि वह संसार के विषय में गवाही देता है कि उसके काम बुरे हैं।

John 7:10-11

यीशु ऊपर पर्व में कब और कैसे गया?

यीशु अपने भाइयों के ऊपर पर्व में जाने के बाद ऊपर गया. परन्तु वह सार्वजनिक रूप से नहीं, परन्तु गुप्तरूप से गया।?

John 7:12

भीड़ में से लोगों ने यीशु के बारे में क्या कहा?

कुछ ने कहा, “वह एक भला व्यक्ति है।” अन्यों ने कहा, “नहीं, वह लोगों की भीड़ को भटकाता है।”

John 7:13

यीशु के बारे में किसी ने भी खुले रूप से बात क्यों नहीं की?

यह यहूदियों के डर के कारण था कि किसी ने भी खुले रूप से यीशु के बारे में बात नहीं की।

John 7:14-16

यीशु ने ऊपर मंदिर में जाकर शिक्षा देना कब आरम्भ किया?

जिस समय पर्व आधा बीत गया था, तब यीशु ऊपर मंदिर में गया और शिक्षा देने लगा।

John 7:17

यीशु ने कैसे कहा कि कोई जन जान लेगा कि उसकी शिक्षा परमेश्वर की ओर से आई है या यीशु अपनी ओर से बोल रहा था?

यीशु ने कहा कि यदि कोई जन उसकी इच्छा का पालन करना चाहता है जिसने उसे भेजा है, तो वह उसकी शिक्षा के बारे में जानता होगा, कि वह परमेश्वर की ओर से है, या नहीं।

John 7:18

यीशु उस जन के बारे में क्या कहता है जो उसकी बड़ाई की खोज में रहता है जिसने उसे भेजा है?

यीशु कहता है कि वह व्यक्ति सच्चा है, और उसमें कोई अधर्म नहीं है।

John 7:19-22

यीशु के अनुसार, कौन व्यवस्था का पालन करता है?

यीशु ने कहा कि तुम में से कोई भी व्यवस्था का पालन नहीं करता है

John 7:23

सब्त के दिन चंगा करने के लिए यीशु का तर्क क्या है?

यीशु का तर्क थाः सब्त के दिन तुम किसी मनुष्य का खतना कर दोगे तब तो मूसा की व्यवस्था नहीं टूटती है। तो फिर तुम मुझ से इसलिए क्रोधित क्यों हो क्योंकि मैंने सब्त के दिन एक मनुष्य को पूर्णरूप से स्वस्थ कर दिया।

John 7:24-26

न्याय करने के बारे में यीशु लोगों को कैसे बोलता है?

यीशु ने उनसे बोला कि रूप के अनुसार न्याय मत करो, परन्तु धार्मिकता के साथ न्याय करो।

John 7:27-31

वह एक तर्क कौन सा था जो लोगों ने इस बात पर विश्वास नहीं करने के लिए बनाया कि यीशु ही मसीह है?

लोगों ने कहा कि वे जानते हैं कि यीशु कहाँ से आया है, परन्तु उन्होंने कहा कि जब मसीह आएगा, तो कोई भी नहीं जान पाएगा कि वह कहाँ से आया है।

John 7:32-34

यीशु को बंदी बनाने के लिए अधिकारियों को किसने भेजा था?

यीशु को बंदी बनाने के लिए अधिकारियों को प्रधान याजकों और फरीसियों ने भेजा था।

John 7:35

जब यीशु ने ऐसा कहा, “मैं अभी थोड़े समय के लिए तुम्हारे साथ हूँ, और उसके बाद मैं उसके पास चला जाऊँगा जिसने मुझे भेजा है। तुम मुझे खोजोगे परन्तु तुम मुझे ढूँढ़ नहीं पाओगे; और जहाँ मैं जाता हूँ, वहाँ तुम नहीं आ पाओगे।” तो क्या यहूदी समझ पाए थे कि यीशु का क्या अर्थ था?

आपस में अपनी बातचीत के द्वारा, उन्होंने ऐसा संकेत दिया कि वे यीशु के कथन को यमझ नहीं पाए थे।

John 7:36

जब यीशु ने ऐसा कहा, “मैं अभी थोड़े समय के लिए तुम्हारे साथ हूँ, और उसके बाद मैं उसके पास चला जाऊँगा जिसने मुझे भेजा है। तुम मुझे खोजोगे परन्तु तुम मुझे ढूँढ़ नहीं पाओगे; और जहाँ मैं जाता हूँ, वहाँ तुम नहीं आ पाओगे।” तो क्या यहूदी समझ पाए थे कि यीशु का क्या अर्थ था?

आपस में अपनी बातचीत के द्वारा, उन्होंने ऐसा संकेत दिया कि वे यीशु के कथन को यमझ नहीं पाए थे।

John 7:37

जब यीशु ने कहा, “यदि कोई प्यासा है, तो उसे मेरे पास आने दो, और पीने दो। जो मुझ पर विश्वास करता है, तो जिस प्रकार से पवित्रशास्त्र कहता है, उस भीतर से जीवन के पानी की नदियाँ बहने लगेंगी।” तो यीशु किस बात को सन्दर्भित कर रहा था?

यीशु ने यह आत्मा के बारे में कहा था, जिसे वे लोग प्राप्त करेंगे जिन्होंने उस पर विश्वास किया था।

John 7:38

जब यीशु ने कहा, “यदि कोई प्यासा है, तो उसे मेरे पास आने दो, और पीने दो। जो मुझ पर विश्वास करता है, तो जिस प्रकार से पवित्रशास्त्र कहता है, उस भीतर से जीवन के पानी की नदियाँ बहने लगेंगी।” तो यीशु किस बात को सन्दर्भित कर रहा था?

यीशु ने यह आत्मा के बारे में कहा था, जिसे वे लोग प्राप्त करेंगे जिन्होंने उस पर विश्वास किया था।

John 7:39-44

जब यीशु ने कहा, “यदि कोई प्यासा है, तो उसे मेरे पास आने दो, और पीने दो। जो मुझ पर विश्वास करता है, तो जिस प्रकार से पवित्रशास्त्र कहता है, उस भीतर से जीवन के पानी की नदियाँ बहने लगेंगी।” तो यीशु किस बात को सन्दर्भित कर रहा था?

यीशु ने यह आत्मा के बारे में कहा था, जिसे वे लोग प्राप्त करेंगे जिन्होंने उस पर विश्वास किया था।

John 7:45

जिन प्रधान याजकों और फरीसियों ने बोला था कि “तुम उसे (अर्थात यीशु को) लेकर क्यों नहीं आए?” तो अधिकारियों ने कैसे उनको उत्तर दिया?

उन अधिकारियों ने उत्तर दिया, “किसी भी व्यक्ति ने कभी ऐसी बातें नहीं बोली हैं।”

John 7:46-49

जिन प्रधान याजकों और फरीसियों ने बोला था कि “तुम उसे (अर्थात यीशु को) लेकर क्यों नहीं आए?” तो अधिकारियों ने कैसे उनको उत्तर दिया?

उन अधिकारियों ने उत्तर दिया, “किसी भी व्यक्ति ने कभी ऐसी बातें नहीं बोली हैं।”

John 7:50

नीकुदेमुस ने फरीसियों को कैसे उत्तर दिया जब फरीसियों ने उन अधिकारियों से पूछा जो यीशु को बंदी बनाने के लिए भेजे गए थे, “कहीं तुम को भी तो बहकाया नहीं गया है? क्या शासकों में से किसी ने, या फरीसियों में से किसी ने उस पर विश्वास किया है?

नीकुदेमुस ने फरीसियों से कहा, “क्या हमारी व्यवस्था किसी व्यक्ति का न्याय तब तक करती है जब तक कि पहले उसकी सुन न ले और जान न ले कि वह क्या करता है?”

John 7:51-53

नीकुदेमुस ने फरीसियों को कैसे उत्तर दिया जब फरीसियों ने उन अधिकारियों से पूछा जो यीशु को बंदी बनाने के लिए भेजे गए थे, “कहीं तुम को भी तो बहकाया नहीं गया है? क्या शासकों में से किसी ने, या फरीसियों में से किसी ने उस पर विश्वास किया है?

नीकुदेमुस ने फरीसियों से कहा, “क्या हमारी व्यवस्था किसी व्यक्ति का न्याय तब तक करती है जब तक कि पहले उसकी सुन न ले और जान न ले कि वह क्या करता है?”

John 8

John 8:2

जिस समय पर यीशु मंदिर में लोगों को शिक्षा दे रहा था, तो फरीसियों और शास्त्रियों ने क्या किया?

वे एक स्त्री को लेकर आए जो व्यभिचार के कार्य में पकड़ी गई थी और उसे बीच में खड़ा करके यीशु से पूछा कि वह (उसका न्याय करने के लिए) उसके बारे में क्या कहता है।

John 8:3

जिस समय पर यीशु मंदिर में लोगों को शिक्षा दे रहा था, तो फरीसियों और शास्त्रियों ने क्या किया?

वे एक स्त्री को लेकर आए जो व्यभिचार के कार्य में पकड़ी गई थी और उसे बीच में खड़ा करके यीशु से पूछा कि वह (उसका न्याय करने के लिए) उसके बारे में क्या कहता है।

John 8:4

शास्त्री और फरीसी उस स्त्री को यीशु के पास वास्तव में क्यों लेकर आए थे?

वे उस स्त्री को यीशु के पास वास्तव में उसे फँसाने के लिए लेकर आए थे ताकि उनको कुछ बात मिले जिसके विषय में वे उस पर दोष लगा सकें।

John 8:5

शास्त्री और फरीसी उस स्त्री को यीशु के पास वास्तव में क्यों लेकर आए थे?

वे उस स्त्री को यीशु के पास वास्तव में उसे फँसाने के लिए लेकर आए थे ताकि उनको कुछ बात मिले जिसके विषय में वे उस पर दोष लगा सकें।

John 8:6

शास्त्री और फरीसी उस स्त्री को यीशु के पास वास्तव में क्यों लेकर आए थे?

वे उस स्त्री को यीशु के पास वास्तव में उसे फँसाने के लिए लेकर आए थे ताकि उनको कुछ बात मिले जिसके विषय में वे उस पर दोष लगा सकें।

John 8:7-8

जब शास्त्री और फरीसी यीशु से लगातार उस व्यभिचार में पकड़ी गई स्त्री के बारे में पूछते ही रहे तो यीशु ने उनसे क्या कहा?

यीशु ने उनसे कहा, “तुम्हारे बीच में से जिस व्यक्ति ने पाप नहीं किया हो, वही पहला व्यक्ति हो जो उस पर पत्थर फेंके।”

John 8:9-10

जब यीशु ने उन लोगों से इस बारे में बोला कि किसे उस स्त्री पर पहला पत्थर फेंकना चाहिए जो व्यभिचार में पकड़ी गई थी, तो लोगों ने क्या किया?

जब यीशु ने उनसे ऐसे बोला, तो वे सबसे वृद्ध से आरम्भ करके अंतिम तक एक के बाद एक करके चले गए।

John 8:11-12

यीशु ने उस (व्यभिचार में पकड़ी गई) स्त्री से क्या करने के लिए बोला?

यीशु ने उससे अपने मार्ग पर जाने और अब से पाप न करने के लिए बोला।

John 8:13-16

जब यीशु ने यह कहा, “मैं संसार की ज्योति हूँ; जो मेरे पीछे चलता है वह अंधकार में नहीं चलेगा परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा।” तो फरीसियों की शिकायत क्या थी?

फरीसियों ने शिकायत की कि यीशु स्वयं ही अपनी गवाही दे रहा था और इसलिए उसकी गवाही सच्ची नहीं थी।

John 8:17

यीशु ने अपनी गवाही के सच्ची होने का बचाव कैसे किया?

यीशु ने कहा कि उनकी व्यवस्था में लिखा है कि दो मनुष्यों की गवाही सच्ची होती है। फिर उसने कहा कि वह और उसका पिता जिसने उसे भेजा दोनों ही यीशु के बारे में गवाही देते हैं।

John 8:18-22

यीशु ने अपनी गवाही के सच्ची होने का बचाव कैसे किया?

यीशु ने कहा कि उनकी व्यवस्था में लिखा है कि दो मनुष्यों की गवाही सच्ची होती है। फिर उसने कहा कि वह और उसका पिता जिसने उसे भेजा दोनों ही यीशु के बारे में गवाही देते हैं।

John 8:23

यीशु ने फरीसियों के बारे में कही गई अपनी बात को किस पर आधारित किया था कि वे अपने पापों में मरेंगे?

यीशु ने अपनी बात को उनके ज्ञान पर आधारित किया था, कि वे नीचे के थे, और वह ऊपर का था। वे इस संसार के थे और वह इस संसार का नहीं था।

John 8:24-25

यीशु ने फरीसियों के बारे में कही गई अपनी बात को किस पर आधारित किया था कि वे अपने पापों में मरेंगे?

यीशु ने अपनी बात को उनके ज्ञान पर आधारित किया था, कि वे नीचे के थे, और वह ऊपर का था। वे इस संसार के थे और वह इस संसार का नहीं था।

फरीसी लोग अपने पापों में मरने से कैसे बच सकते थे?

यीशु ने कहा कि वे अपने पापों में मरेंगे जब तक कि उन्होंने विश्वास नहीं किया कि "मैं वही हूँ।"

John 8:26

यीशु ने संसार से कौन सी बातें कही थीं?

यीशु ने संसार से वही बातें कही थीं जो उसने पिता से सुनी थीं।

John 8:27-28

यीशु ने संसार से कौन सी बातें कही थीं?

यीशु ने संसार से वही बातें कही थीं जो उसने पिता से सुनी थीं।

John 8:29-30

पिता जिसने यीशु को भेजा था वह उसके साथ क्यों रहा और उसे अकेला क्यों नहीं छोड़ा?

पिता यीशु के साथ था और उसे अकेला इसलिए नहीं छोड़ा क्योंकि यीशु ने हमेशा उन बातों को ही किया था जो पिता को प्रसन्न करती थीं।

John 8:31-32

जिन यहूदियों ने यीशु पर विश्वास किया था उनके लिए यीशु ने कैसे कहा था कि वे जान पाएँगे कि वे यीशु के सच्चे चेले थे?

उसके वचन में बने रहने के द्वारा वे जान पाएँगे कि वे यीशु के सच्चे चेले थे।

John 8:33

जिन यहूदियों ने यीशु पर विश्वास किया था तो उन्होंने क्या सोचा था कि यीशु किसे सन्दर्भित कर रहा है जब उसने कहा, “…और तुम सत्य को जानोगे, और वही सत्य तुम को स्वतंत्र करेगा।”?

उन यहूदियों ने सोचा कि यीशु मनुष्यों का दास बनने, या दासत्व में जाने के बारे में बोल रहा था।

John 8:34-36

यीशु किसे सन्दर्भित कर रहा था जब उसने कहा, “और तुम सत्य को जानोगे, और वही सत्य तुम को स्वतंत्र करेगा”?

यीशु पाप के दास होने से स्वतंत्र किए जाने को सन्दर्भित कर रहा था।

John 8:37-38

यीशु के अनुसार, यहूदियों ने उसकी हत्या करने की खोज की तो इसका क्या कारण था?

उन्होंने यीशु की हत्या करने की खोज इसलिए की क्योंकि उसका वचन उनमें कोई स्थान नहीं पाता।

John 8:39

यीशु ने क्यों कहा कि ये यहूदी लोग अब्राहम की संतान नहीं थे?

यीशु ने कहा कि वे अब्राहम की संतान इसलिए नहीं थे क्योंकि वे अब्राहम के कामों को नहीं करते थे। बजाए इसके, उन्होंने यीशु की हत्या करने की खोज की।

John 8:40-41

यीशु ने क्यों कहा कि ये यहूदी लोग अब्राहम की संतान नहीं थे?

यीशु ने कहा कि वे अब्राहम की संतान इसलिए नहीं थे क्योंकि वे अब्राहम के कामों को नहीं करते थे। बजाए इसके, उन्होंने यीशु की हत्या करने की खोज की।

John 8:42-43

जब ये यहूदी कहते हैं कि उनका एक ही पिता, अर्थात परमेश्वर है, तो यीशु कैसे उनको झूठा ठहराता है?

यीशु ने उनसे कहा, “यदि परमेश्वर तुम्हारा पिता होता, तो तुम मुझ से प्रेम करते, क्योंकि मैं परमेश्वर के पास से आया हूँ और मैं यहाँ पर हूँ; क्योंकि मैं स्वयं से नहीं आया, परन्तु उसी ने मुझे भेजा है।”

John 8:44-46

यीशु उन यहूदियों का पिता किसे कहता है?

यीशु कहता है कि उनका पिता शैतान है।

यीशु शैतान के बारे में क्या कहता है?

यीशु ने कहा कि शैतान तो आरम्भ से ही हत्यारा था और सत्य में स्थिर नहीं रहता, क्योंकि उसमें कोई सत्य है ही नहीं। जब शैतान कोई झूठ बोलता है, तो वह अपनी प्रकृति से ही बोलता है क्योंकि वह तो झूठा है और झूठों का पिता भी है।

John 8:47-50

परमेश्वर के वचन को कौन सुनता है?

जो परमेश्वर की ओर से है वही परमेश्वर के वचन को सुनता है।

John 8:51

यदि कोई यीशु के वचन का पालन करे तो यीशु क्या कहता है कि घटित होगा?

यदि कोई यीशु के वचन का पालन करे तो वह कभी मृत्यु को नहीं देखेगा।

John 8:52

यहूदियों ने क्यों कहा कि यीशु में दुष्टात्मा है?

उन्होंने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि यीशु ने कहा था, “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ कि यदि कोई मेरे वचन का पालन करे, तो वह कभी मृत्यु को नहीं देखेगा।”

यीशु के मृत्यु को कभी नहीं देखने के कथन के बारे में यहूदियों ने क्यों सोचा कि वह अजीबोगरीब था?

उन्होंने ऐसा इसलिए सोचा क्योंकि वे देह की शारीरिक मृत्यु के बारे में सोच रहे थे। यहाँ तक कि अब्राहम और भविष्यद्वक्ता भी (अपनी शारीरिक देह में) मर गए थे।

John 8:53-57

यीशु के मृत्यु को कभी नहीं देखने के कथन के बारे में यहूदियों ने क्यों सोचा कि वह अजीबोगरीब था?

उन्होंने ऐसा इसलिए सोचा क्योंकि वे देह की शारीरिक मृत्यु के बारे में सोच रहे थे। यहाँ तक कि अब्राहम और भविष्यद्वक्ता भी (अपनी शारीरिक देह में) मर गए थे।

John 8:58-59

यीशु ने यह कहने के लिए किन बातों को बोला कि वह अब्राहम से पहले जीवित था?

यीशु ने कहा, “मैं तुम से सच-सच कहता है, इससे पहले कि अब्राहम ने जन्म लिया, मैं हूँ।”

John 9

John 9:2

इस बारे में चेलों के द्वारा लगाया गया अनुमान क्या है कि वह मनुष्य अंधा क्यों जन्म था?

चेले अनुमान लगा रहे हैं कि उस मनुष्य के अंधे जन्म लेने का कारण था कि या तो उस मनुष्य ने या उसके माता-पिता ने पाप किया था?

John 9:3-5

यीशु क्या कहता है कि उस मनुष्य के अंधे जन्म लेने का कारण क्या है?

यीशु कहता है कि वह मनुष्य अंधा इसलिए जन्मा ताकि उसमें परमेश्वर के काम प्रकट हों।

John 9:6

यीशु उस अंधे मनुष्य के साथ क्या करता है और उससे क्या कहता है?

यीशु ने भूमि पर थूका, थोड़ा गारा बनाया और उसे गारे से उस मनुष्य की आँखों का अभिषेक किया।

John 9:7-8

यीशु उस अंधे मनुष्य के साथ क्या करता है और उससे क्या कहता है?

यीशु ने भूमि पर थूका, थोड़ा गारा बनाया और उसे गारे से उस मनुष्य की आँखों का अभिषेक किया।

उस अंधे मनुष्य के शिलोह के कुंड में धो लेने के बाद क्या घटित हुआ?

वह देखता हुआ लौटा।

John 9:9-12

जब एक विवाद खड़ा हो गया कि यह वही अंधा जन्मा मनुष्य था कि नहीं, जो बैठकर भीख माँगा करता था, तो उस मनुष्य ने क्या गवाही दी?

उस मनुष्य ने गवाही दी कि वह अंधा भिखारी वही था।

John 9:13

जो पहले उस अंधे भिखारी के साथ थे उन लोगों ने क्या किया?

वे उस मनुष्य को फरीसियों के पास ले गए।

John 9:14

यह चंगाई कब घटित हुई थी?

उस अंधे मनुष्य की चंगाई सब्त के दिन घटित हुई थी।

John 9:15

जो पहले अंधा था उस मनुष्य से फरीसियों ने क्या पूछा?

उन्होंने उससे पूछा कि उसने दृष्टि कैसे प्राप्त की।

John 9:16

फरीसियों के बीच में जो विभाजन खड़ा हुआ वह क्या था?

कुछ फरीसियों ने कहा कि यीशु परमेश्वर की ओर से इसलिए नहीं था क्योंकि वह सब्त के दिन का पालन नहीं कर रहा था (क्योंकि उसने सब्त के दिन चंगाई की थी) और कुछ फरीसियों ने कहा कि कोई पापी मनुष्य इस प्रकार के चिन्हों को कैसे प्रकट कर सकता था।

John 9:17

जो मनुष्य पहले अंधा था उससे यीशु के बारे में पूछे जाने पर उसने क्या कहा?

जो मनुष्य पहले अंधा था उसने कहा, “वह एक भविष्यद्वक्ता है।”

John 9:18-19

जिस अंधे मनुष्य ने दृष्टि प्राप्त की थी उसके माता-पिता को यहूदियों ने भीतर क्यों बुलाया?

उस मनुष्य के माता-पिता को उन्होंने भीतर इसलिए बुलाया क्योंकि उन्होंने अभी भी विश्वास नहीं किया था कि यह वही मनुष्य था जो पहले अंधा था।

John 9:20

उस मनुष्य के माता-पिता ने अपने पुत्र के बारे में क्या गवाही दी?

उसके माता-पिता ने गवाही दी कि वह मनुष्य वास्तव में उनका पुत्र था और वह अंधा ही जन्मा था।

John 9:21

उस मनुष्य के माता-पिता ने क्या कहा जो वे नहीं जानते थे?

उन्होंने कहा कि वे नहीं जानते कि वह अब कैसे देख सकता है, या किसने उसकी आँखों को खोला।

John 9:22-23

उस मनुष्य के माता-पिता ने क्यों कहा, “वह तो वयस्क है। उसी से पूछ लो।”?

उन्होंने इन बातों को इसलिए कहा क्योंकि वे यहूदियों से डरते थे। क्योंकि यहूदी पहले से ही सहमत हो गए थे कि यदि कोई भी यीशु का मसीह होना मान लेगा तो उसे आराधनालय से बाहर निकाल दिया जाएगा।

John 9:24

जो मनुष्य पहले अंधा था उससे फरीसियों ने क्या कहा जब उन्होंने उसे दूसरी बार बुलाया?

उन्होंने कहा, “परमेश्वर को महिमा दे। हम जानते हैं कि वह मनुष्य (यीशु) पापी है।”

John 9:25-26

उस मनुष्य की जो पहले अंधा था फरीसियों को क्या प्रतिक्रिया थी जब उन्होंने यीशु को पापी कहा?

उसने प्रतिउत्तर दिया, “मैं नहीं जानता कि वह कोई पापी है या नहीं। एक बात है जो मैं जानता हूँ: कि कभी मैं अंधा था, और अब मैं देखता हूँ।”

John 9:27-30

जो मनुष्य पहले अंधा था उसने फरीसियों से क्या प्रश्न पूछे?

जो मनुष्य पहले अंधा था उसने कहा, “तुम यह फिर से क्यों सुनना चाहते हो? कहीं तुम भी तो उसके चेले बनना नहीं चाहते हो, क्या बनना चाहते हो? ”

John 9:31-33

जब फरीसियों ने उस मनुष्य को गालियाँ दीं तो जो मनुष्य पहले अंधा था उसने क्या कहा जो सब लोग जानते थे?

जो मनुष्य पहले अंधा था उसने कहा कि सब लोग जानते थे कि परमेश्वर पापियों की नहीं सुनता।

John 9:34

उस अंधे मनुष्य के करारे उत्तर का फरीसियों ने कैसे उत्तर दिया।

उन्होंने उस मनुष्य को उलाहना दिया कि वह पाप में जन्मा था और तब पर भी उसने उनको शिक्षा देने का साहस किया। फिर उन्होंने उस आराधनालय से निकाल दिया।

John 9:35

जब यीशु ने सुना कि उस मनुष्य को जो पहले अंधा था आराधनालय से निकाल दिया गया है तो उसने क्या किया?

यीशु उस मनुष्य को ढूँढ़ने के लिए गया और वह उसे मिल गया।

यीशु ने उस मनुष्य के मिल जाने के बाद जो पहले अंधा था उससे क्या कहा?

यीशु ने उस मनुष्य से पूछा कि क्या उसने मनुष्य के पुत्र पर विश्वास किया है, और फिर उसने उस को मनुष्य से जो पहले अंधा था बता दिया कि वही (यीशु) मनुष्य का पुत्र है।

John 9:36-37

यीशु ने उस मनुष्य के मिल जाने के बाद जो पहले अंधा था उससे क्या कहा?

यीशु ने उस मनुष्य से पूछा कि क्या उसने मनुष्य के पुत्र पर विश्वास किया है, और फिर उसने उस को मनुष्य से जो पहले अंधा था बता दिया कि वही (यीशु) मनुष्य का पुत्र है।

John 9:38-40

उस मनुष्य ने जो पहले अंधा था कैसे उत्तर दिया जब उसे बताया गया कि यीशु ही मनुष्य का पुत्र है?

उस मनुष्य ने जो पहले अंधा था यीशु से कहा कि उसने विश्वास कर लिया, और उसने यीशु की आराधना की।

John 9:41

फरीसियों के पापों के बारे में यीशु ने क्या कहा?

यीशु ने उनसे कहा, “यदि तुम अंधे होते, तो पाप नहीं कर पाते। हालाँकि, अब तुम कहते हो कि ‘हम देखते हैं,’ इसलिए तुम्हारा पाप बना रहता है।”

John 10

John 10:1

यीशु के अनुसार, चोर और डाकू कौन है?

जो द्वार से होकर भेड़शाला में प्रवेश नहीं करता है, परन्तु किसी अन्य रीति से चढ़ आता है, वह मनुष्य चोर और डाकू है।

John 10:2

द्वार से होकर भेड़शाला में प्रवेश कौन करता है?

जो द्वार से होकर भेड़शाला में प्रवेश करता है वह भेड़ों का चरवाहा है।

John 10:3

भेड़ें चरवाहे के पीछे-पीछे क्यों जाती हैं जब वह उनको पुकारता है?

वे चरवाहे के पीछे-पीछे इसलिए जाती हैं क्योंकि वे उसकी वाणी को पहचानती हैं।

John 10:4

भेड़ें चरवाहे के पीछे-पीछे क्यों जाती हैं जब वह उनको पुकारता है?

वे चरवाहे के पीछे-पीछे इसलिए जाती हैं क्योंकि वे उसकी वाणी को पहचानती हैं।

John 10:5-6

क्या भेड़ें किसी अजनबी के पीछे जाएँगी?

नहीं। भेड़ें किसी अजनबी के पीछे नहीं जाएँगी।

John 10:7

जो यीशु से पहले आए थे वे सब कौन थे?

जो यीशु से पहले आए थे वे सब चोर और डाकू थे, और भेड़ों ने उनकी नहीं सुनीं।

John 10:8

जो यीशु से पहले आए थे वे सब कौन थे?

जो यीशु से पहले आए थे वे सब चोर और डाकू थे, और भेड़ों ने उनकी नहीं सुनीं।

John 10:9-10

यीशु ने कहा कि वह द्वार है। जो द्वार से होकर प्रवेश करता है उसके साथ क्या घटित होगा?

जो यीशु, अर्थात द्वार से होकर प्रवेश करते हैं, उनको बचा लिया जाएगा; और वे भीतर-बाहर आया-जाया करेंगे और चारा पाएँगे।

John 10:11-15

अच्छा चरवाहा, अर्थात यीशु, अपनी भेड़ों के लिए क्या करता है?

अच्छा चरवाहा, अर्थात यीशु, अपनी भेड़ों के लिए अपना जीवन देता है।

John 10:16

क्या यीशु के पास कोई दूसरी भेड़शाला भी है, और यदि ऐसा है तो उनके साथ क्या घटित होगा?

यीशु ने कहा कि उसके पास अन्य भेड़ें भी हैं जो इस भेड़शाला की नहीं हैं। उसने कहा कि उसे उनको भी लेकर आना है, और वे उसकी वाणी को सुनेंगी जिससे कि वहाँ एक ही झुंड और एक ही चरवाहा होगा।

John 10:17

पिता यीशु से प्रेम क्यों करता है?

पिता यीशु से प्रेम इसलिए करता है क्योंकि यीशु अपना जीवन देता है कि वह उसे फिर ले ले।

John 10:18

क्या कोई यीशु का जीवन ले लेता है?

नहीं। वह स्वयं ही अपना जीवन देता है।

यीशु ने अपना जीवन देने और फिर से वापस ले लेने का अधिकार कहाँ से पाया?

यीशु ने अपने पिता से इस आज्ञा को प्राप्त किया।

John 10:19

यीशु की बातों के कारण यहूदियों ने क्या कहा?

बहुतों ने कहा, “उसमें दुष्टात्मा है और वह पागल है। तुम उसकी सुनते ही क्यों हो?” अन्यों ने कहा, “यह दुष्टात्मा से ग्रस्त मनुष्य की बातें नहीं हैं। क्या कोई दुष्टात्मा किसी अंधे की आँखें खोल सकता है?”

John 10:20

यीशु की बातों के कारण यहूदियों ने क्या कहा?

बहुतों ने कहा, “उसमें दुष्टात्मा है और वह पागल है। तुम उसकी सुनते ही क्यों हो?” अन्यों ने कहा, “यह दुष्टात्मा से ग्रस्त मनुष्य की बातें नहीं हैं। क्या कोई दुष्टात्मा किसी अंधे की आँखें खोल सकता है?”

John 10:21-23

यीशु की बातों के कारण यहूदियों ने क्या कहा?

बहुतों ने कहा, “उसमें दुष्टात्मा है और वह पागल है। तुम उसकी सुनते ही क्यों हो?” अन्यों ने कहा, “यह दुष्टात्मा से ग्रस्त मनुष्य की बातें नहीं हैं। क्या कोई दुष्टात्मा किसी अंधे की आँखें खोल सकता है?”

John 10:24

जब यहूदियों ने यीशु को मंदिर में सुलैमान के ओसारे में घेर लिया था तो उन्होंने उससे क्या कहा?

उन्होंने कहा, “तू हमें कब तक दुविधा में रखेगा? यदि तू ही मसीह है, तो हम को खुले रूप से बता दे।”

John 10:25

सुलैमान के ओसारे में यीशु ने यहूदियों को कैसे प्रतिउत्तर दिया?

यीशु ने कहा कि उसने उनको पहले ही बता दिया (कि वह ही मसीह है) और उन्होंने उस पर इसलिए विश्वास नहीं किया क्योंकि वे उसकी भेड़ें नहीं हैं।

John 10:26-27

सुलैमान के ओसारे में यीशु ने यहूदियों को कैसे प्रतिउत्तर दिया?

यीशु ने कहा कि उसने उनको पहले ही बता दिया (कि वह ही मसीह है) और उन्होंने उस पर इसलिए विश्वास नहीं किया क्योंकि वे उसकी भेड़ें नहीं हैं।

John 10:28

अपनी भेड़ों की देखभाल और सुरक्षा के बारे में यीशु क्या कहता है?

यीशु ने कहा कि वह अपनी भेड़ों को अनन्त जीवन प्रदान करता है, और कोई भी उनको उसके हाथ से छीन नहीं लेगा।

John 10:29-32

यीशु को भेड़ें किसने दीं?

पिता ने ही यीशु को भेड़ें दीं।

क्या पिता से बढ़कर कोई है?

नहीं। पिता बाकी सबसे बढ़कर है।

John 10:33

यीशु को पत्थरवाह करने के लिए यहूदियों ने पत्थर क्यों उठा लिए?

क्योंकि उन्होंने यह विश्वास किया कि यीशु परमेश्वर की निन्दा कर रहा था और स्वयं को परमेश्वर बना रहा था यद्यपि वह तो मनुष्य था।

John 10:34

परमेश्वर निन्दा के विरुद्ध यीशु का बचाव क्या है?

यीशु ने यह कहने के द्वारा अपना बचाव किया, “क्या यह तुम्हारी व्यवस्था में नहीं लिखा है कि ‘मैंने कहा, “तुम देवता हो”’? यदि वह उनको देवता कहता है, जिनके पास परमेश्वर का वचन पहुँचा (और पवित्रशास्त्र को तोड़ा नहीं जा सकता), तो क्या तुम उसके बारे में जिसे पिता ने शुद्ध किया और इस संसार में भेज दिया इसलिए ऐसा कहते हो कि ‘तू परमेश्वर की निन्दा कर रहा है,’ क्योंकि मैंने कहा कि ‘मैं परमेश्वर का पुत्र हूँ’?

John 10:35

परमेश्वर निन्दा के विरुद्ध यीशु का बचाव क्या है?

यीशु ने यह कहने के द्वारा अपना बचाव किया, “क्या यह तुम्हारी व्यवस्था में नहीं लिखा है कि ‘मैंने कहा, “तुम देवता हो”’? यदि वह उनको देवता कहता है, जिनके पास परमेश्वर का वचन पहुँचा (और पवित्रशास्त्र को तोड़ा नहीं जा सकता), तो क्या तुम उसके बारे में जिसे पिता ने शुद्ध किया और इस संसार में भेज दिया इसलिए ऐसा कहते हो कि ‘तू परमेश्वर की निन्दा कर रहा है,’ क्योंकि मैंने कहा कि ‘मैं परमेश्वर का पुत्र हूँ’?

John 10:36

परमेश्वर निन्दा के विरुद्ध यीशु का बचाव क्या है?

यीशु ने यह कहने के द्वारा अपना बचाव किया, “क्या यह तुम्हारी व्यवस्था में नहीं लिखा है कि ‘मैंने कहा, “तुम देवता हो”’? यदि वह उनको देवता कहता है, जिनके पास परमेश्वर का वचन पहुँचा (और पवित्रशास्त्र को तोड़ा नहीं जा सकता), तो क्या तुम उसके बारे में जिसे पिता ने शुद्ध किया और इस संसार में भेज दिया इसलिए ऐसा कहते हो कि ‘तू परमेश्वर की निन्दा कर रहा है,’ क्योंकि मैंने कहा कि ‘मैं परमेश्वर का पुत्र हूँ’?

John 10:37

यीशु यह निर्धारित करने के लिए यहूदियों से क्या करने के लिए कहता है कि उस पर विश्वास करें या नहीं?

यीशु यहूदियों से उसके कामों पर ध्यान देने के लिए कहता है। यदि यीशु अपने पिता के कामों को नहीं कर रहे है, तो उस पर विश्वास मत करो।

John 10:38

यीशु यह निर्धारित करने के लिए यहूदियों से क्या करने के लिए कहता है कि उस पर विश्वास करें या नहीं?

यीशु यहूदियों से उसके कामों पर ध्यान देने के लिए कहता है। यदि यीशु अपने पिता के कामों को नहीं कर रहे है, तो उस पर विश्वास मत करो।

यीशु यहूदियों से क्या कहता है जो वे जान लेंगे और समझ लेंगे यदि वे उन कामों पर विश्वास करेंगे जो यीशु ने किए?

यीशु ने कहा कि वे जान लेंगे और समझ लेंगे कि पिता यीशु में है और कि यीशु पिता में है।

John 10:39

पिता के यीशु में होने और यीशु के पिता में होने के यीशु के कथन के बारे में यहूदियों की क्या प्रतिक्रिया थी?

उन यहूदियों ने फिर से यीशु को पकड़ने का प्रयास किया।

John 10:40

इस घटना के बाद यीशु कहाँ गया?

यीशु फिर से यरदन के पार उस स्थान में चला गया जहाँ पहले यूहन्ना बपतिस्मा दिया करता था।

John 10:41

जो यीशु के पास आए थे उन बहुत से लोगों ने क्या कहा और किया?

वे लगातार कहते रहे, “यूहन्ना ने तो वास्तव में कोई चिन्ह प्रकट नहीं किया, परन्तु जो सब बातें यूहन्ना ने इस मनुष्य के बारे में कही थीं वे सत्य हैं।” वहाँ बहुत से लोगों ने यीशु पर विश्वास किया।

John 10:42

जो यीशु के पास आए थे उन बहुत से लोगों ने क्या कहा और किया?

वे लगातार कहते रहे, “यूहन्ना ने तो वास्तव में कोई चिन्ह प्रकट नहीं किया, परन्तु जो सब बातें यूहन्ना ने इस मनुष्य के बारे में कही थीं वे सत्य हैं।” वहाँ बहुत से लोगों ने यीशु पर विश्वास किया।

John 11

John 11:1

यह लाज़र कौन था? और मरियम कौन थी?

लाज़र नाम का मनुष्य बैतनिय्याह का निवासी था। मरियम और मार्था उसकी बहनें थीं। यह वही मरियम थी जो लोहबान से प्रभु का अभिषेक करेगी और उसके पाँवों को अपने बालों से पोंछेगी।

John 11:2-3

यह लाज़र कौन था? और मरियम कौन थी?

लाज़र नाम का मनुष्य बैतनिय्याह का निवासी था। मरियम और मार्था उसकी बहनें थीं। यह वही मरियम थी जो लोहबान से प्रभु का अभिषेक करेगी और उसके पाँवों को अपने बालों से पोंछेगी।

John 11:4-5

यीशु ने लाज़र और बीमारी के बारे में क्या कहा जब उसने सुना कि वह बीमार था?

यीशु ने कहा, “यह बीमारी मृत्यु में समाप्त होने की नहीं है, परन्तु बजाए इसके यह परमेश्वर की महिमा के लिए है ताकि इससे परमेश्वर के पुत्र का महिमामंडन हो सके।”

John 11:6-7

यीशु ने क्या किया जब उसने सुना कि लाज़र बीमार था?

यीशु उस स्थान में दो दिन और रुक गया जहाँ वह था।

John 11:8

यीशु के चेलों ने क्या कहा जब उसने उनको बताया, “आओ फिर से यहूदिया को चलें।”?

चेलों ने यीशु से कहा, “हे रब्बी, इस समय पर यहूदी केवल तुझ पर पत्थरवाह करने का प्रयास कर रहे हैं, और तू फिर से वहीं वापस जा रहा है?”

John 11:9

दिन में चलने के बारे में यीशु ने क्या कहा?

यीशु ने कहा कि यदि कोई दिन के समय में चलता है, तो वह ठोकर इसलिए नहीं खाएगा क्योंकि वह दिन की ज्योति के द्वारा देखता है।

John 11:10-11

रात में चलने के बारे में यीशु ने क्या कहा?

यदि कोई रात के समय में चलता है, तो वह ठोकर इसलिए खाएगा क्योंकि उसमें ज्योति नहीं है।

John 11:12

चेलों ने किस तरीके से सोचा कि लाज़र सो गया है?

चेलों ने सोचा कि लाज़र आराम करने के लिए सो गया है।

John 11:13-14

चेलों ने किस तरीके से सोचा कि लाज़र सो गया है?

चेलों ने सोचा कि लाज़र आराम करने के लिए सो गया है।

जब यीशु ने कहा कि लाज़र सो गया है तो उसका क्या अर्थ था?

जब यीशु ने कहा कि लाज़र सो गया है तो वह लाज़र की मृत्यु का बारे में कह रहा था।

John 11:15

यीशु हर्षित क्यों था कि जब लाज़र की मृत्यु हुई तब वह वहाँ नहीं था?

यीशु ने कहा, “मैं तुम्हारी खातिर हर्षित हूँ, कि मैं वहाँ नहीं था, जिससे कि तुम विश्वास करो।”

John 11:16

यदि वे लोग यहूदिया वापस गए तो थोमा ने क्या सोचा कि घटित होगा?

थोमा ने सोचा कि वे सब मारे जाएँगे।

John 11:17-19

जब यीशु आया तो लाज़र को कब्र में कितना समय हो गया था?

लाज़र को कब्र में चार दिन हो गए थे।

John 11:20-21

जब मार्था ने सुना कि यीशु आ रहा है तो उसने क्या किया?

जब मार्था ने सुना कि यीशु आ रहा है, तो वह जाकर उससे मिली।

John 11:22-23

मार्था ने क्या सोचा जिसे परमेश्वर यीशु के लिए करेगा?

मार्था ने यीशु से कहा, “अब भी, मैं जानती हूँ कि जो कुछ भी तू परमेश्वर से माँगे, वह तुझे देगा।”

John 11:24

जब यीशु ने मार्था से कहा, “तेरा भाई फिर से जी उठेगा,” तो यीशु के प्रति उसकी प्रतिक्रिया क्या थी?

मार्था ने यीशु से कहा, “मैं जानती हूँ कि अंतिम दिन में पुनरुत्थान में वह फिर से जी उठेगा।”

John 11:25

यीशु ने क्या कहा कि उनके साथ घटित होगा जो उस पर विश्वास करते हैं?

यीशु ने कहा कि जो कोई भी यीशु पर विश्वास करता है, यद्यपि वह मर भी जाए, तब पर भी वह जीएगा; और जो कोई भी जीवित है और यीशु पर विश्वास करता है वह कभी नहीं मरेगा।

John 11:26

यीशु ने क्या कहा कि उनके साथ घटित होगा जो उस पर विश्वास करते हैं?

यीशु ने कहा कि जो कोई भी यीशु पर विश्वास करता है, यद्यपि वह मर भी जाए, तब पर भी वह जीएगा; और जो कोई भी जीवित है और यीशु पर विश्वास करता है वह कभी नहीं मरेगा।

John 11:27-28

यीशु कौन है इस बारे में मार्था की गवाही क्या थी?

मार्था ने यीशु से कहा, “हाँ, हे प्रभु, मैं विश्वास करती हूँ कि तू ही परमेश्वर का पुत्र, मसीह है, जो संसार में आने वाला है।”

John 11:29-30

मरियम कहाँ जा रही थी?

मरियम यीशु से मिलने के लिए जा रही थी।

John 11:31-32

जब मरियम तुरन्त उठकर बाहर चली गई, तो उन यहूदियों ने जो उसके साथ थे क्या सोचा और किया?

उन यहूदियों ने जो मरियम के साथ घर में थे सोचा कि वह कब्र पर रोने के लिए वहाँ जा रही थी, तो वे उसके पीछे-पीछे गए।

John 11:33

क्या लगता है कि किस बात ने यीशु को आत्मा में व्याकुल और परेशान होकर रोने के लिए प्रेरित किया?

जब उसने मरियम को रोते हुए और उन यहूदियों को जो उसके साथ आए थे रोते देखा तो यीशु भी आत्मा में व्याकुल होकर परेशान हुआ और रोने लगा।

John 11:34

क्या लगता है कि किस बात ने यीशु को आत्मा में व्याकुल और परेशान होकर रोने के लिए प्रेरित किया?

जब उसने मरियम को रोते हुए और उन यहूदियों को जो उसके साथ आए थे रोते देखा तो यीशु भी आत्मा में व्याकुल होकर परेशान हुआ और रोने लगा।

John 11:35

क्या लगता है कि किस बात ने यीशु को आत्मा में व्याकुल और परेशान होकर रोने के लिए प्रेरित किया?

जब उसने मरियम को रोते हुए और उन यहूदियों को जो उसके साथ आए थे रोते देखा तो यीशु भी आत्मा में व्याकुल होकर परेशान हुआ और रोने लगा।

John 11:36-38

यीशु को रोते हुए देखकर यहूदियों ने क्या निष्कर्ष निकाला?

उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि यीशु लाज़र से प्रेम करता था।

John 11:39

यीशु की इस आज्ञा के प्रति मार्था की आपत्ति क्या थी कि उस गुफा के मुख से पत्थर हटा दो जहाँ उन्होंने लाज़र को रखा था?

मार्था ने कहा, “हे प्रभु, उसका शव इस समय पर तो दुर्गंध देता होगा, क्योंकि उसे मरे हुए चार दिन हो चुके हैं।”

John 11:40

पत्थर हटाने पर मार्था की आपत्ति के प्रति यीशु का क्या उत्तर है?

यीशु ने मार्था से कहा, “क्या मैंने तुझ से नहीं कहा था कि, यदि तूने विश्वास किया, तो तू परमेश्वर की महिमा को देखेगी।”

John 11:41

गुफा से पत्थर हटा देने के तत्काल बाद यीशु ने क्या किया?

यीशु ने अपनी आँखें उठाईं और अपने पिता से ऊँचे स्वर में प्रार्थना की।

John 11:42-43

यीशु ने अपने पिता से ऊँचे स्वर में प्रार्थना क्यों की और वह क्यों कहा जो उसने कहा था?

उस भीड़ के कारण जो उसके आसपास खड़ी थी उसने ऊँचे स्वर में प्रार्थना की और जो उसने कहा था वह कहा, ताकि वे विश्वास करें कि पिता ही ने उसे भेजा था।

John 11:44

क्या घटित हुआ जब यीशु ऊँचे स्वर में चिल्लाया, “हे लाज़र, बाहर निकल आ!”?

वह मरा हुआ व्यक्ति, जो गाड़े जाने वाले कपड़ों से हाथ-पाँव बँधा हुआ, और उसका मुँह भी कपड़े से लिपटा हुआ था, बाहर निकल आया।

John 11:45

यहूदियों की क्या प्रतिक्रिया थी जब उन्होंने लाज़र को कब्र से बाहर निकलते हुए देखा?

जब उन्होंने वह देखा जो यीशु ने किया था तो बहुत से यहूदियों ने यीशु पर विश्वास किया, परन्तु कुछ ने फरीसियों के पास जाकर उनको वह बता दिया जो यीशु ने किया था।

John 11:46-49

यहूदियों की क्या प्रतिक्रिया थी जब उन्होंने लाज़र को कब्र से बाहर निकलते हुए देखा?

जब उन्होंने वह देखा जो यीशु ने किया था तो बहुत से यहूदियों ने यीशु पर विश्वास किया, परन्तु कुछ ने फरीसियों के पास जाकर उनको वह बता दिया जो यीशु ने किया था।

John 11:50-52

प्रधान याजकों ओर फरीसियों की परिषद सभा में, कैफा ने क्या भविष्यद्वाणी की थी?

कैफा ने कहा कि उनके लिए यह बेहतर है कि एक मनुष्य लोगों के लिए मरे, बजाए इसके कि सारा देश नाश हो।

John 11:53

उसी दिन से, परिषद ने क्या योजना बनाई?

उन्होंने योजना बनाई कि यीशु की हत्या कैसे करनी है।

John 11:54-56

लाज़र को जीवित कर देने के बाद यीशु ने क्या किया?

तब से यीशु यहूदियों के बीच में खुले रूप से नहीं फिरा, परन्तु वह वहाँ से जंगल के समीप के देश में एप्रैम नामक नगर को चला गया। वहाँ वह अपने चेलों के साथ रहा।

John 11:57

प्रधान याजकों और फरीसियों ने क्या आदेश जारी किया?

उन्होंने आदेश दिया कि यदि कोई जन जानता हो कि यीशु कहाँ है, तो उसे इसकी खबर करनी है ताकि वे उसे पकड़ सकें।

John 12

John 12:1-2

यीशु वापस बैतनिय्याह कब आया?

फसह के पर्व से छः दिन पहले वह बैतनिय्याह को आया।

John 12:3

भोजन के समय जो यीशु के लिए तैयार किया गया था मरियम ने क्या किया?

मरियम ने बहुत मूल्यवान शुद्ध जटामांसी से बनाया हुआ एक लीटर इत्र लिया, और उससे यीशु के पाँवों का अभिषेक किया, और उसके पाँवों को अपने बालों से पोंछा।

John 12:4

यीशु के चेलों में से एक, यहूदा इस्करियोती ने क्यों शिकायत की कि उस इत्र को बेचा जाना चाहिए था और उसका धन निर्धनों को दिया जाना चाहिए था?

यहूदा ने ऐसा इसलिए नहीं कहा, क्योंकि उसे निर्धनों की चिन्ता थी, परन्तु इसलिए क्योंकि वह चोर था: उसके पास धन की थैली रहती थी और जो उसमें होता था उसमें से कुछ वह अपने लिए ले लेता था।

John 12:5

यीशु के चेलों में से एक, यहूदा इस्करियोती ने क्यों शिकायत की कि उस इत्र को बेचा जाना चाहिए था और उसका धन निर्धनों को दिया जाना चाहिए था?

यहूदा ने ऐसा इसलिए नहीं कहा, क्योंकि उसे निर्धनों की चिन्ता थी, परन्तु इसलिए क्योंकि वह चोर था: उसके पास धन की थैली रहती थी और जो उसमें होता था उसमें से कुछ वह अपने लिए ले लेता था।

John 12:6

यीशु के चेलों में से एक, यहूदा इस्करियोती ने क्यों शिकायत की कि उस इत्र को बेचा जाना चाहिए था और उसका धन निर्धनों को दिया जाना चाहिए था?

यहूदा ने ऐसा इसलिए नहीं कहा, क्योंकि उसे निर्धनों की चिन्ता थी, परन्तु इसलिए क्योंकि वह चोर था: उसके पास धन की थैली रहती थी और जो उसमें होता था उसमें से कुछ वह अपने लिए ले लेता था।

John 12:7

यीशु ने उस इत्र (जटामांसी) के उपयोग के विषय में मरियम का बचाव कैसे किया?

यीशु ने कहा, “जो मेरे गाड़े जाने के दिन के लिए उसके पास है उसे वह रख लेने दो। क्योंकि तुम्हारे साथ निर्धन तो हमेशा ही रहेंगे। परन्तु मैं तुम्हारे पास हमेशा नहीं रहूँगा।”

John 12:8

यीशु ने उस इत्र (जटामांसी) के उपयोग के विषय में मरियम का बचाव कैसे किया?

यीशु ने कहा, “जो मेरे गाड़े जाने के दिन के लिए उसके पास है उसे वह रख लेने दो। क्योंकि तुम्हारे साथ निर्धन तो हमेशा ही रहेंगे। परन्तु मैं तुम्हारे पास हमेशा नहीं रहूँगा।”

John 12:9

बैतनिय्याह में एक बड़ी भीड़ क्यों जमा हुई थी?

वे यीशु की खातिर और लाज़र को देखने के लिए भी आए थे, जिसे यीशु ने मरे हुओं में से जीवित कर दिया था।

John 12:10

प्रधान याजकों ने लाज़र की हत्या क्यों करनी चाही?

वे लाज़र की हत्या इसलिए करना चाहते थे क्योंकि उसके कारण बहुत से यहूदी चले गए और यीशु पर विश्वास किया।

John 12:11-12

प्रधान याजकों ने लाज़र की हत्या क्यों करनी चाही?

वे लाज़र की हत्या इसलिए करना चाहते थे क्योंकि उसके कारण बहुत से यहूदी चले गए और यीशु पर विश्वास किया।

John 12:13

पर्व में भीड़ ने क्या किया जब उन्होने सुना कि यीशु आ रहा है?

उन्होंने खजूर के पेड़ की शाखाओं को लिया और उससे मिलने के लिए निकल पड़े और चिल्लाने लगे, “होशाना! धन्य है वह जो प्रभु, इस्राएल के राजा के नाम से भी आता है।”

John 12:14

यीशु के बारे में कौन सी भविष्यद्वाणी पूरी हुई थी जब यीशु ने गदहे पर सवार होकर नगर में प्रवेश किया?

यह भविष्यद्वाणी पूरी हुई थी कि सिय्योन का राजा गदहे के बच्चे पर बैठा हुआ आएगा।

John 12:15-16

यीशु के बारे में कौन सी भविष्यद्वाणी पूरी हुई थी जब यीशु ने गदहे पर सवार होकर नगर में प्रवेश किया?

यह भविष्यद्वाणी पूरी हुई थी कि सिय्योन का राजा गदहे के बच्चे पर बैठा हुआ आएगा।

John 12:17

पर्व की भीड़ यीशु से मिलने के लिए क्यों निकल गई थी?

वे यीशु से मिलने के लिए इसलिए निकल गए थे क्योंकि उन्होंने आँखों देखे गवाहों से सुना था कि यीशु ने लाज़र को कब्र में से बाहर निकलने के लिए पुकारा और उसे मरे हुओं में जीवित कर दिया।

John 12:18-22

पर्व की भीड़ यीशु से मिलने के लिए क्यों निकल गई थी?

वे यीशु से मिलने के लिए इसलिए निकल गए थे क्योंकि उन्होंने आँखों देखे गवाहों से सुना था कि यीशु ने लाज़र को कब्र में से बाहर निकलने के लिए पुकारा और उसे मरे हुओं में जीवित कर दिया।

John 12:23

जब अन्द्रियास औप फिलिप्पुस ने यीशु को बताया कि कुछ यूनानी उससे मिलना चाहते हैं तो यीशु ने प्रारम्भिक रूप से क्या कहा?

यीशु ने उनको उत्तर दिया और कहा, “वह समय आ गया है कि मनुष्य के पुत्र का महिमामंडन किया जाए।”

John 12:24

यीशु ने क्या कहा जो गेहूँ के दाने के साथ घटित होगा यदि वह भूमि पर गिरकर मर जाए?

यीशु ने कहा कि यदि वह मर जाए तो वह बहुत फल उत्पन्न करेगा।

John 12:25

यीशु ने क्या कहा जो उस व्यक्ति के साथ घटित होगा जो इस संसार में अपने जीवन से प्रेम करता है और उस व्यक्ति के साथ जो अपने जीवन से घृणा करता है?

यीशु ने कहा कि इस संसार में जो व्यक्ति अपने जीवन से प्रेम करता है वह उसे खो देगा और उस व्यक्ति अपने जीवन से घृणा करता है वह अनन्त जीवन के लिए उसकी रक्षा करेगा।

John 12:26-27

जो यीशु की सेवा करता है उस जन के साथ परमेश्वर कैसा बर्ताव करेगा?

पिता उसका सम्मान करेगा।

John 12:28-29

जब क्या घटित हुआ जब यीशु ने कहा, “हे पिता, अपने नाम की महिमा कर।”

तब स्वर्ग से एक वाणी आई और कहा, “मैंने इसका महिमामंडन किया है और मैं फिर से इसका महिमामंडन करूँगा।”

John 12:30

यीशु ने क्या कहा कि स्वर्ग से वाणी आने का कारण क्या था?

यीशु ने कहा कि वह वाणी उसकी खातिर नहीं, परन्तु यहूदियाओँ के लिए आई थी।

John 12:31

यीशु ने क्या कहा जो घटित होने जा रहा था?

यीशु ने कहा, “अब इस संसार का न्याय होता है: अब इस संसार के शासक को निकाल दिया जाएगा।”

John 12:32

यीशु ने क्यों कहा, “और मैं, यदि मैं पृथ्वी पर से ऊँचे पर चढ़ाया जाऊँ, तो मैं सब लोगों को अपने पास खींच लूँगा।”?

यीशु ने इसे यह संकेत करने के लिए कहा कि किस तरीके की मृत्यु के द्वारा वह मरेगा।

John 12:33

यीशु ने क्यों कहा, “और मैं, यदि मैं पृथ्वी पर से ऊँचे पर चढ़ाया जाऊँ, तो मैं सब लोगों को अपने पास खींच लूँगा।”?

यीशु ने इसे यह संकेत करने के लिए कहा कि किस तरीके की मृत्यु के द्वारा वह मरेगा।

John 12:34

जब भीड़ ने यीशु से उस बारे में पूछा जो उसने कहा था तो क्या उसने उनको सीधे ही उत्तर दिया था?

नहीं। उसने उनको उनके प्रश्नों का उत्तर सीधे ही नहीं दिया।

John 12:35

जब भीड़ ने यीशु से उस बारे में पूछा जो उसने कहा था तो क्या उसने उनको सीधे ही उत्तर दिया था?

नहीं। उसने उनको उनके प्रश्नों का उत्तर सीधे ही नहीं दिया।

ज्योति के बारे में यीशु ने क्या कहा?

यीशु ने कहा, “वह ज्योति अभी थोड़ी समयावधि के लिए तुम्हारे साथ रहेगी। जबकि ज्योति तुम्हारे साथ है तो चलते रहो... ” उसने यह भी कहा, “जबकि ज्योति तुम्हारे साथ है तो ज्योति पर विश्वास करो ताकि तुम भी ज्योति के पुत्र बन जाओ।”

John 12:36

ज्योति के बारे में यीशु ने क्या कहा?

यीशु ने कहा, “वह ज्योति अभी थोड़ी समयावधि के लिए तुम्हारे साथ रहेगी। जबकि ज्योति तुम्हारे साथ है तो चलते रहो... ” उसने यह भी कहा, “जबकि ज्योति तुम्हारे साथ है तो ज्योति पर विश्वास करो ताकि तुम भी ज्योति के पुत्र बन जाओ।”

John 12:37

लोगों ने यीशु पर विश्वास क्यों नहीं किया?

उन्होंने इसलिए विश्वास नहीं किया जिससे कि यशायाह भविष्यद्वक्ता का वह वचन पूरा हो जाए, जिसमें उसने कहा था: “हे प्रभु, किसने हमारी खबर पर विश्वास किया है? और किस पर प्रभु की भुजा प्रकट हुई है?”

John 12:38

लोगों ने यीशु पर विश्वास क्यों नहीं किया?

उन्होंने इसलिए विश्वास नहीं किया जिससे कि यशायाह भविष्यद्वक्ता का वह वचन पूरा हो जाए, जिसमें उसने कहा था: “हे प्रभु, किसने हमारी खबर पर विश्वास किया है? और किस पर प्रभु की भुजा प्रकट हुई है?”

John 12:39

लोग यीशु पर विश्वास क्यों नहीं कर सके?

इस कारण से वे विश्वास नहीं कर सके क्योंकि जैसा यशायाह ने कहा था, “उनकी आँखों को उसने अंधा, और उनके हृदयों को उसने कठोर कर दिया है; अन्यथा वे अपनी आँखों से देखेंगे और अपने हृदय से समझेंगे, और मुड़ जाएँगे, और मैं उनको चंगा कर दूँगा।”

John 12:40

लोग यीशु पर विश्वास क्यों नहीं कर सके?

इस कारण से वे विश्वास नहीं कर सके क्योंकि जैसा यशायाह ने कहा था, “उनकी आँखों को उसने अंधा, और उनके हृदयों को उसने कठोर कर दिया है; अन्यथा वे अपनी आँखों से देखेंगे और अपने हृदय से समझेंगे, और मुड़ जाएँगे, और मैं उनको चंगा कर दूँगा।”

John 12:41

यशायाह ने इन बातों को क्यों कहा था?

उसने इन बातों को इसलिए कहा था क्योंकि उसने यीशु की महिमा देखी थी और उसके बारे में बातें की थीं।

John 12:42

जिन शासकों ने यीशु पर विश्वास किया था उन्होंने इसा अंगीकार क्यों नहीं किया?

उन्होंने इसका अंगीकार इसलिए नहीं किया, क्योंकि वे फरीसियों से डरते थे और आराधनालय से प्रतिबंधित नहीं होना चाहते थे। वे परमेश्वर की ओर से आने वाली बड़ाई से बढ़कर मनुष्यों की ओर से आने वाली बड़ाई से प्रेम करते थे।

John 12:43

जिन शासकों ने यीशु पर विश्वास किया था उन्होंने इसा अंगीकार क्यों नहीं किया?

उन्होंने इसका अंगीकार इसलिए नहीं किया, क्योंकि वे फरीसियों से डरते थे और आराधनालय से प्रतिबंधित नहीं होना चाहते थे। वे परमेश्वर की ओर से आने वाली बड़ाई से बढ़कर मनुष्यों की ओर से आने वाली बड़ाई से प्रेम करते थे।

John 12:44

यीशु ने अपने और पिता के बारे में क्या बात बोली थी?

यीशु बोला, “जो कोई मुझ पर विश्वास करता है, वह न केवल मुझ पर विश्वास करता है परन्तु मेरे भेजने वाले पर भी विश्वास करता है, जो कोई मुझे देखता है वह उसे भी देखता है जिसने मुझे भेजा है।”

John 12:45-46

यीशु ने अपने और पिता के बारे में क्या बात बोली थी?

यीशु बोला, “जो कोई मुझ पर विश्वास करता है, वह न केवल मुझ पर विश्वास करता है परन्तु मेरे भेजने वाले पर भी विश्वास करता है, जो कोई मुझे देखता है वह उसे भी देखता है जिसने मुझे भेजा है।”

John 12:47

यीशु ने क्या कहा जिसे करने के लिए वह संसार में आया था?

यीशु ने कहा कि वह संसार को बचाने आया था।

John 12:48

जो यीशु को अस्वीकार करते हैं और उसकी बातों को ग्रहण नहीं करते, उनका न्याय कौन करेगा?

वह वचन जो यीशु ने बोला वही अंतिम दिन में उनका न्याय करेगा जो उसे अस्वीकार करते हैं।

John 12:49

क्या यीशु ने अपने मन से बोला था?

नहीं। जिस पिता ने यीशु को भेजा था उसी ने उसे आज्ञा दी थी कि उसे क्या कहना है और क्या बोलना है।

John 12:50

जैसा पिता ने यीशु से कहा था वैसा ही यीशु ने लोगों से क्यों कहा?

यीशु ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह जानता था कि उसके पिता का आदेश ही अनन्त जीवन है।

John 13

John 13:1

जो यीशु के अपने थे उनसे उसने कब तक प्रेम किया?

उसने उनसे अंत कर प्रेम किया।

John 13:2

यहूदा इस्करियोती के साथ शैतान ने क्या किया?

यहूदा इस्करियोती के हृदय में शैतान ने यह बात डाल दी कि यीशु को धोखा दे।

John 13:3

पिता ने यीशु को क्या सौंपा था?

पिता ने यीशु के हाथों में सब कुछ सौंप दिया था।

यीशु कहाँ से आया था और वह कहाँ जा रहा था?

वह परमेश्वर के पास से आया था और परमेश्वर के पास वापस जा रहा था।

John 13:4

जब यीशु भोजन पर से उठा तो उसने क्या किया?

अपने ऊपरी कपड़ों को उतार दिया। फिर उसने एक तौलिया लिया और उसे अपने चारों ओर लपेट लिया, तथा उसने एक प्याले में पानी भरा और चेलों के पाँवों को धोना और उनको उस तौलिए से पोंछना आरम्भ कर दिया।

John 13:5-7

जब यीशु भोजन पर से उठा तो उसने क्या किया?

अपने ऊपरी कपड़ों को उतार दिया। फिर उसने एक तौलिया लिया और उसे अपने चारों ओर लपेट लिया, तथा उसने एक प्याले में पानी भरा और चेलों के पाँवों को धोना और उनको उस तौलिए से पोंछना आरम्भ कर दिया।

John 13:8-10

जब पतरस ने यीशु के द्वारा अपने पाँव धुलवाने पर आपत्ति की तो यीशु ने क्या कहा?

यीशु ने कहा, “यदि मैं तुझे न धोऊँ, तो तुझे मेरे साथ तेरा कोई भाग नहीं मिल सकता।”

John 13:11-13

यीशु ने अपने चेलों से क्यों कहा, “तुम सब के सब शुद्ध नहीं हो”?

यीशु ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि वह जानता था कि कौन उसे धोखा देगा।

John 13:14

यीशु ने अपने चेलों के पाँवों को क्यों धोया?

यीशु ने चेलों के पाँवों को उनको एक उदाहरण देने के लिए धोया जिससे कि वे एक-दूसरे के साथ वैसा ही करें जैसा उसने उनके साथ किया।

John 13:15

यीशु ने अपने चेलों के पाँवों को क्यों धोया?

यीशु ने चेलों के पाँवों को उनको एक उदाहरण देने के लिए धोया जिससे कि वे एक-दूसरे के साथ वैसा ही करें जैसा उसने उनके साथ किया।

John 13:16-17

क्या सेवक अपने स्वामी से बढ़कर है और जिसे भेजा गया है वह उससे बढ़कर है जिसने उसे भेजा है?

सेवक अपने स्वामी से बढ़कर नहीं है और जिसे भेजा गया है वह उससे बढ़कर नहीं है जिसने उसे भेजा है।

John 13:18

किसने अपनी एड़ी को यीशु के विरुद्ध उठाया?

जिसने यीशु की रोटी खाई उसी ने अपनी एड़ी को यीशु के विरुद्ध उठाया।

John 13:19

यीशु ने अपने चेलों से क्यों कहा, “तुम सब के सब शुद्ध नहीं हो” और “जो मेरी रोटी खाता है उसी ने अपनी एड़ी मेरे विरोध में उठाई”?

यीशु ने इस बात के घटित होने से पहले उनको बता दिया ताकि जब यह घटित हो, तो वे विश्वास करें कि वह वही है।

John 13:20-23

यदि तुम उसे ग्रहण करते हो जिस किसी को यीशु भेजे तो तुम किसे ग्रहण करोगे?

यदि तुम उसे ग्रहण करते हो जिस किसी को यीशु भेजे, तो तुम यीशु को ग्रहण करोगे, और तुम उसे भी ग्रहण करोगे जिसने यीशु को भेजा।

John 13:24-25

जब यीशु ने अपने चेलों से कहा कि उनमें से एक उसे धोखा देगा, तो शमौन पतरस ने क्या किया?

शमौन पतरस ने उस चेले को संकेत किया और कहा, “हमें बता कि वह कौन है जिसके बारे में वह बोल रहा है।”

John 13:26

जब उस चेले ने जिससे यीशु प्रेम करता था यीशु से पूछा कि कौन उसे धोखा देने जा रहा था तो यीशु ने कैसे उत्तर दिया?

यीशु ने उत्तर दिया, “वह वही है जिसके लिए मैं रोटी का टुकड़ा डुबाऊँगा और उसे वह दे दूँगा।” उसके बाद उसने रोटी को डुबोया और उसे शमौन इस्करियोती के पुत्र, यहूदा को दे दिया।

John 13:27-29

यीशु के यहूदा को रोटी देने के बाद, यहूदा के साथ क्या घटित हुआ और उसने क्या किया?

यहूदा के रोटी लेने के बाद, उसमें शैतान प्रवेश कर गया, और वह तत्काल बाहर चला गया।

John 13:30

यीशु के यहूदा को रोटी देने के बाद, यहूदा के साथ क्या घटित हुआ और उसने क्या किया?

यहूदा के रोटी लेने के बाद, उसमें शैतान प्रवेश कर गया, और वह तत्काल बाहर चला गया।

John 13:31-32

परमेश्वर का महिमामंडन कैसे होने जा रहा था?

मनुष्य के पुत्र में परमेश्वर का महिमामंडन होने जा रहा था। जब मनुष्य के पुत्र का महिमामंडन हुआ, तो उससे परमेश्वर का महिमामंडन भी हुआ।

John 13:33

क्या शमौन पतरस समझ गया था कि यीशु कहाँ जा रहा था जब यीशु ने कहा, “जहाँ मैं जा रहा हूँ, तुम वहाँ नहीं आ सकते”?

नहीं, शमौन पतरस नहीं समझ पाया था, क्योंकि उसने यीशु से पूछा था, “हे प्रभु, तू कहाँ जा रहा है?”

John 13:34

कौन सी नयी आज्ञा यीशु ने अपने चेलों को दी थी?

वह नयी आज्ञा थी कि जैसे यीशु ने उनसे प्रेम किया वैसे ही उनको भी एक-दूसरे से प्रेम करना चाहिए।

John 13:35-37

यदि चेलों ने एक-दूसरे से प्रेम करने की उस आज्ञा का पालन किया तो यीशु ने क्या कहा जो घटित होगा?

यीशु ने कहा कि इस आज्ञा के उनके द्वारा पालन किए जाने के द्वारा, सारे लोग जान लेंगे कि वे उसके चेले थे।

John 13:38

यीशु ने कैसे उत्तर दिया जब शमौन पतरस ने कहा, “मैं तो तेरे लिए अपना जीवन भी दे दूँगा”?

यीशु ने उत्तर दिया, “क्या तू मेरे लिए अपना जीवन भी दे देगा? मैं तुझ से सच-सच कहता हूँ, इससे पहले कि तू तीन बार मेरा इन्कार न करे मुर्गा बाँग नहीं देगा।”

John 14

John 14:1

चेलों के हृदयों को परेशान क्यों नहीं होना चाहिए?

उनके हृदयों को परेशान इसलिए नहीं होना चाहिए क्योंकि यीशु उनके लिए स्थान तैयार करने के लिए जा रहा है, और यीशु स्वयं उनको ग्रहण करने के लिए वापस आएगा ताकि यीशु जहाँ है वहाँ वे भी हों।

John 14:2

चेलों के हृदयों को परेशान क्यों नहीं होना चाहिए?

उनके हृदयों को परेशान इसलिए नहीं होना चाहिए क्योंकि यीशु उनके लिए स्थान तैयार करने के लिए जा रहा है, और यीशु स्वयं उनको ग्रहण करने के लिए वापस आएगा ताकि यीशु जहाँ है वहाँ वे भी हों।

पिता के घर में क्या है?

पिता के घर में निवास करने के बहुत से स्थान हैं।

John 14:3-5

चेलों के हृदयों को परेशान क्यों नहीं होना चाहिए?

उनके हृदयों को परेशान इसलिए नहीं होना चाहिए क्योंकि यीशु उनके लिए स्थान तैयार करने के लिए जा रहा है, और यीशु स्वयं उनको ग्रहण करने के लिए वापस आएगा ताकि यीशु जहाँ है वहाँ वे भी हों।

यीशु चेलों के लिए क्या करने जा रहा था?

यीशु उनके लिए एक स्थान तैयार करने के लिए जा रहा था, और फिर उनके लिए वापस आएगा।

John 14:6-7

पिता के पास आने का एकमात्र मार्ग कौन सा है?

पिता के पास आने का एकमात्र मार्ग यीशु के माध्यम से है।

John 14:8-9

फिलिप्पुस यीशु से क्या करने के लिए कहता है जो उन चेलों के लिए पर्याप्त होगा?

फिलिप्पुस ने यीशु से कहा, “हे प्रभु, पिता को हमें दिखा दे, और वही हमारे लिए पर्याप्त होगा।”

John 14:10

क्या यीशु चेलों से अपने ही मन से बातें कर रहा था?

यीशु अपने ही मन से बातें नहीं कर रहा था। बजाए इसके, वह उसमें रहने वाला पिता ही है जो पिता के कामों को कर रहा है।

John 14:11

यीशु क्यों कहता है कि यदि किसी अन्य कारण से नहीं, तो चेलों को विश्वास करना चाहिए कि यीशु पिता में है और पिता यीशु में है?

यीशु कहता है कि यदि किसी अन्य कारण से नहीं तो यीशु के उन कामों के कारण ही उनको इस बात पर विश्वास करना चाहिए।

John 14:12

यीशु क्यों कहता है कि जिन कामों को उसने किया, चेले उनकी तुलना में और भी बढ़कर कामों को करने में सक्षम होंगे?

यीशु कहता है कि चेले और भी बढ़कर कामों को इसलिए करेंगे क्योंकि यीशु पिता के पास जा रहा है।

John 14:13-14

जो कुछ भी चेले उसके नाम में माँगेंगे उसे यीशु क्यों करेगा?

यीशु उसे इसलिए करेगा ताकि पुत्र में पिता का महिमामंडन हो।

John 14:15-16

यदि तुम उससे प्रेम करते हो तो यीशु क्या कहता है कि तुम करोगे?

यदि तुम उससे प्रेम करते हो तो यीशु क्या कहता है कि तुम उसकी आज्ञाओं का पालन करोगे।

John 14:17-20

यीशु उस अन्य सहायक को क्या कहता है जिसे पिता चेलों के साथ सदा तक रहने के लिए देगा?

यीशु उसे सत्य का आत्मा कहता है।

संसार उस सत्य के आत्मा को ग्रहण क्यों नहीं कर सकता है?

संसार उस सत्य के आत्मा को ग्रहण इसलिए नहीं कर सकता, क्योंकि वह उसे देखता है और न उसे जानता है।

यीशु क्या कहता है कि सत्य का आत्मा कहाँ रहेगा?

यीशु ने कहा कि सत्य का आत्मा चेलों के साथ और उनमें रहेगा।

John 14:21-25

जिस किसी के पास यीशु की आज्ञाएँ हैं और वह उनका पालन करता है जो उसके साथ क्या होगा?

उन लोगों से यीशु और उसके पिता के द्वारा प्रेम किया जाएगा और यीशु स्वयं को उन लोगों पर प्रकट करेगा।

John 14:26-27

जब पिता उसे भेजता है तो सहायक, अर्थात पवित्र आत्मा क्या करेगा?

सहायक, अर्थात पवित्र आत्मा चेलों को सब बातें सा देगा और जो बातें यीशु ने उनसे कहीं उन सब को वह उनके स्मरण में ले आएगा।

John 14:28-29

यीशु जा रहा था इस कारण से चेलों को आनन्दित क्यों होना चाहिए?

यीशु ने कहा कि उनके आनन्दित इसलिए होना चाहिए क्योंकि यीशु पिता के पास जा रहा था, क्योंकि यीशु की तुलना में पिता बढ़कर है।

John 14:30-31

यीशु चेलों से और अधिक बात नहीं करेगा इस बात को कहने का यीशु क्या कारण देता है?

जो कारण यीशु देता है वह यह है कि इस संसार को राजकुमार आ रहा है।

John 15

John 15:1

सच्ची दाखलता कौन है?

यीशु ही सच्ची दाखलता है।

दाखलता को उगाने वाला कौन है?

पिता ही दाखलता को उगाने वाला है?

John 15:2

जो शाखाएँ मसीह में हैं उनके साथ पिता क्या करता है?

जो शाखाएँ फल उत्पन्न नहीं करतीं पिता उनको काट देता है, और जो शाखाएँ फल उत्पन्न करती हैं उनको छाटता है ताकि वे और फल उत्पन्न करें।

John 15:3-4

चेले शुद्ध क्यों हैं?

जो संदेश यीशु ने उनसे बोला उसके कारण वे शुद्ध हैं।

John 15:5

शाखाएँ कौन हैं?

शाखाएँ हम हैं।

फल उत्पन्न करने के लिए हमें क्या करना चाहिए?

फल उत्पन्न करने के लिए हमें यीशु में बने रहना चाहिए।

John 15:6

यदि तुम यीशु में बने नहीं रहते तो क्या घटित होता है?

यदि कोई यीशु में बना नहीं रहता, तो उस एक शाखा के समान फेंक दिया जाता है, वह सूख जाता है, और जला दिया जाता है।

John 15:7

हमें क्या करना चाहिए ताकि जो कुछ भी हम माँगते हैं वह हमारे लिए हो जाए?

हमें यीशु में बने रहना चाहिए और उसका वचन हम में बना रहना चाहिए। तब हम कुछ भी माँग सकते हैं जो हमारी इच्छा हो, और वह हमारे लिए हो जाएगा।

John 15:8-9

वे दो तरीके कौन से हैं जिनसे पिता का महिमामंडन होता है?

जब हम बहुत फल उत्पन्न करते हैं और जब हम यीशु के चेले ठहरते हैं तो पिता का महिमामंडन होता है।

John 15:10-12

हमें यीशु के प्रेम में बने रहने के लिए क्या करना चाहिए?

हमें उसकी आज्ञाओं का पालन करना चाहिए।

John 15:13

सबसे बड़ा प्रेम कौन सा है जिसे कोई व्यक्ति प्राप्त कर सकता है?

इससे बढ़कर प्रेम किसी का नहीं, कि वह अपने मित्रों के लिए अपना जीवन दे दे।

John 15:14

हम कैसे जान पाते हैं कि हम यीशु के मित्र हैं या नहीं?

हम यीशु के मित्र हैं यदि हम उन कामों को करते हैं जिनकी वह हमें आज्ञा देता है।

John 15:15-18

यीशु ने चेलों को अपने मित्र क्यों कहा?

उसने उनको मित्र कहा, क्योंकि उसने उन पर वह सब बातें प्रकट कीं जो उसने अपने पिता से सुनी थीं।

John 15:19-23

जो यीशु का अनुसरण करते हैं संसार उनसे घृणा क्यों करता है?

जो यीशु का अनुसरण करते हैं उनसे संसार इसलिए घृणा करता है क्योंकि वे इस संसार के नहीं हैं और क्योंकि यीशु ने उनको संसार में से चुन लिया है।

John 15:24-25

यीशु ने क्या किया जिससे कि?

संसार के पास उनके पाप के लिए कोई बहाना इसलिए नहीं है क्योंकि यीशु ने आकर उनके बीच में उन कामों को किया जिनको किसी और ने नहीं किया।

John 15:26

यीशु के बारे में कौन गवाही देता है?

सहायक, जो सत्य का आत्मा है, वह यीशु के बारे में गवाही देगा।

John 15:27

यीशु के बारे में कौन गवाही देता है?

सहायक, जो सत्य का आत्मा है, वह यीशु के बारे में गवाही देगा।

यीशु के बारे में चेले गवाही क्यों देंगे?

वे यीशु के बारे में गवाही इसलिए देंगे क्योंकि वे आरम्भ से ही उसके साथ रहे थे।

John 16

John 16:1-2

यीशु ने चेलों से यह बातें क्यों कहीं?

यीशु ने उनसे यह बातें इसलिए कहीं ताकि वे ठोकर न खाएँ।

John 16:3

लोग यीशु के चेलों को आराधनालय से बाहर क्यों निकाल देंगे और उनमें से कुछ की हत्या क्यों कर देंगे?

वे ऐसा इसलिए करेंगे क्योंकि उन्होंने पिता या यीशु को नहीं जाना।

John 16:4-6

इन बातों के बारे में यीशु ने अपने चेलों को आरम्भ में क्यों नहीं बताया?

यीशु ने उनको आरम्भ में इसलिए नहीं बताया क्योंकि वह उनके साथ ही था।

John 16:7

यीशु के लिए जाना बेहतर क्यों है?

यीशु के लिए जाना बेहतर इसलिए है क्योंकि जब तक यीशु नहीं जाए तब तक सहायक उनके पास नहीं आएगा; परन्तु यदि यीशु जाता है, तो यीशु उनके पास उस सहायक को भेज देगा।

John 16:8-12

सहायक किस बात में संसार को दोषी ठहराएगा?

सहायक पाप के विषय में, और धार्मिकता के विषय में, और न्याय के विषय में संसार को दोषी ठहराएगा।

John 16:13

जब सत्य का आत्मा आएगा तो वह चेलों के लिए क्या करेगा?

वह सारे सत्य में चेलों का मार्गदर्शन करेगा; क्योंकि वह अपनी ओर से नहीं बोलेगा; परन्तु वह उन बातों को ही बोलेगा जिनको वह सुनता है और वह उन पर उन बातों की घोषणा करेगा जो आने वाली हैं।

John 16:14

सत्य का आत्मा यीशु की महिमा कैसे करेगा?

वह यीशु की बातों में से लेकर और चेलों पर उनकी घोषणा करने के द्वारा यीशु का महिमामंडन करेगा।

John 16:15-16

सत्य का आत्मा यीशु की बातों के साथ क्या करेगा?

सत्य का आत्मा यीशु की बातों को लेकर उनकी घोषणा चेलों पर करेगा।

John 16:17

यीशु की किस बात को चेले नहीं समझ पाए?

वे समझ नहीं पाए जब यीशु ने कहा, “थोड़ा समय बीतेगा, और तुम मुझे नहीं देखोगे; तथा थोड़े और समय के बाद, तुम मुझे फिर से देखोगे,’ और जब उसने कहा, ‘क्योंकि मैं पिता के पास जाता हूँ’?”

John 16:18-19

यीशु की किस बात को चेले नहीं समझ पाए?

वे समझ नहीं पाए जब यीशु ने कहा, “थोड़ा समय बीतेगा, और तुम मुझे नहीं देखोगे; तथा थोड़े और समय के बाद, तुम मुझे फिर से देखोगे,’ और जब उसने कहा, ‘क्योंकि मैं पिता के पास जाता हूँ’?”

John 16:20-21

चेलों के दुःख का क्या होगा?

वह आनन्द में बदल जाएगा।

John 16:22-23

चेलों को आनन्दित करने के लिए क्या घटित होगा?

वे यीशु को फिर से देखेंगे, और उनके हृदय आनन्दित होंगे।

John 16:24-26

यीशु ने चेलों से माँगने और प्राप्त करने के लिए क्यों कहा?

यीशु उनसे ऐसा करने के लिए इसलिए कहता है ताकि उनका आनन्द पूरा हो जाए।

John 16:27

किस कारण से पिता स्वयं यीशु के चेलों से प्रेम करता है?

पिता यीशु के चेलों से इसलिए प्रेम करता है क्योंकि चेलों ने यीशु से प्रेम किया और विश्वास किया कि वह पिता की ओर से आया था।

John 16:28-31

यीशु कहाँ से आया था और वह कहाँ जा रहा था?

यीशु संसार में पिता की ओर से आया था और संसार को छोड़कर वह पिता को लौटने पास जा रहा था।

John 16:32

यीशु ने क्या कहा जो उस समय पर चेले करेंगे?

यीशु ने कहा कि चेले तितर-बितर हो जाएँगे, हर एक जन अपने-अपने घर को चला जाएगा, और वे यीशु को अकेला छोड़ देंगे।

जब चेले यीशु को अकेला छोड़ देंगे तो उस समय पर भी यीशु के साथ कौन होने जा रहा था?

पिता ही तब भी यीशु के साथ होने जा रहा था।

John 16:33

यीशु ने चेलों से प्रोत्साहित होने के लिए क्यों कहा भले ही संसार में उनको परेशानी हो?

यीशु ने उनसे प्रोत्साहित होने के लिए इसलिए कहा क्योंकि उसने संसार को जीत लिया है।

John 17

John 17:2

पिता ने यीशु को सब प्राणियों पर अधिकार क्यों दिया?

पिता ने ऐसा इसलिए किया ताकि यीशु उन सब को अनन्त जीवन प्रदान करे जिनको पिता ने उसे दिया है।

John 17:3

अनन्त जीवन क्या है?

पिता, अर्थात एकमात्र सच्चे परमेश्वर को, और उसे जिसे पिता ने भेजा, अर्थात यीशु मसीह को जानना ही अनन्त जीवन है।

John 17:4

यीशु ने पृथ्वी पर पिता का महिमामंडन कैसे किया?

उसने ऐसा उस काम को पूरा करने के द्वारा किया जो पिता ने उसे दिया था।

John 17:5

यीशु कैसी महिमा की चाह करता है?

वह उस महिमा की चाह करता है जो उसकी पिता के साथ संसार की सृष्टि से पहले थी।

John 17:6-7

यीशु किन पर पिता के नाम को प्रकट करता है?

यीशु ने पिता के नाम को उन लोगों पर प्रकट किया जिनको पिता ने संसार में से यीशु को दिया था।

John 17:8

जिन लोगों को पिता ने यीशु को दिया था उन्होंने यीशु की बातों पर कैसी प्रतिक्रिया की?

उन्होंने यीशु की बातों को ग्रहण किया और वास्तव में जान गए कि यीशु पिता की ओर से आया था और उन्होंने विश्वास किया कि पिता ही ने यीशु के भेजा था।

John 17:9-10

यीशु किसे कहता है कि वह उसके लिए प्रार्थना नहीं कर रहा है?

यीशु कहता है कि वह संसार के लिए प्रार्थना नहीं कर रहा है।

John 17:11

संक्षेप में, यीशु उन लोगों के लिए पिता से क्या करने के लिए विनती करता है जिनको पिता ही ने यीशु को दिया था?

यीशु पिता से उनको पिता के नाम में सुरक्षित रखने के लिए विनती करता है ताकि वे वैसे ही एक हो जाएँ जैसे पिता और पुत्र एक हैं।

John 17:12-14

जिस समय यीशु संसार में था, तो उसने उन लोगों के लिए क्या किया जिनको पिता ने उसे दिया था?

यीशु ने उनकी सुरक्षा की, ताकि कोई भी नष्ट न हो।

John 17:15-18

संक्षेप में, यीशु उन लोगों के लिए पिता से क्या करने के लिए विनती करता है जिनको पिता ही ने यीशु को दिया था?

यीशु पिता से उनको उस दुष्ट से सुरक्षित रखने के लिए विनती करता है।

John 17:19

यीशु ने स्वयं को पवित्र क्यों किया?

यीशु ने स्वयं को पवित्र इसलिए किया ताकि उनको भी सत्य के द्वारा पवित्र किया जा सके जिनको पिता ने उसे दिया था।

John 17:20

यीशु ने और किसके लिए प्रार्थना की?

यीशु उन लोगों के लिए प्रार्थना करता है जो उन लोगों की बात के द्वारा उस पर विश्वास करेंगे जिन्होंने उस समय पर उसका अनुसरण किया।

John 17:21-22

यीशु उन लोगों के लिए पिता से क्या करने के लिए विनती करता है जिनको पिता ही ने यीशु को दिया था?

यीशु पिता से उन लोगों को पिता के नाम में सुरक्षित रखने के लिए विनती करता है ताकि वे सब एक हो जाएँ, यीशु और पिता दोनों में उनके एक होने के लिए, जिससे कि संसार विश्वास करे कि परमेश्वर ही ने यीशु को भेजा है।

John 17:23

जिनको पिता ने यीशु को दिया था उनसे पिता कैसे प्रेम करता है?

जैसे पिता ने यीशु से प्रेम किया वैसे ही वह उनसे भी प्रेम करता है।

John 17:24-25

यीशु उन लोगों के लिए पिता से क्या करने के लिए विनती करता है जिनको पिता ही ने यीशु को दिया था?

यीशु विनती करता है कि उसके अनुयायी उसकी महिमा को देखने के लिए उसके साथ वहाँ हों जहाँ वह है।

John 17:26

यीशु ने पिता के नाम को उन लोगों पर क्यों प्रकट किया और वह क्यों प्रकट करेगा जिनको पिता ने उसे दिया है?

यीशु ने उसे प्रकट किया और वह प्रकट करेगा जिससे कि पिता ने जिस प्रेम से यीशु को प्रेम किया था वह उनमें हो और यीशु भी उनमें रहे।

John 18

John 18:1

इन बातों को बोलने के बाद यीशु कहाँ चला गया?

उसने अपने चेलों के साथ किद्रोन नाले के पार जाकर एक वाटिका में प्रवेश किया।

John 18:2

यहूदा ने उस वाटिका के बारे में कैसे जाना?

वह उसके बारे में जानता था क्योंकि यीशु अक्सर अपने चेलों के साथ वहाँ गया था।

John 18:3

लालटेन, मशालों और हथियारों के साथ और कौन वाटिका में आया था?

सैनिकों और प्रधान याजकों तथा फरीसियों की ओर से अधिकारियों के एक समूह की अगुवाई करते हुए यहूदा भी वाटिका में आया था।

John 18:4-5

यीशु ने वाटिका में लोगों के इस समूह से क्या पूछा था?

यीशु ने उनसे पूछा, “तुम किसे ढूँढ़ रहे हो?”

John 18:6-7

जब लोगों के समूह ने कहा कि ने नासरत के यीशु को ढूँढ़ रहे हैं और यीशु ने कहा, “मैं ही हूँ”, तो क्या घटित हुआ?

सैनिक और जो उनके साथ थे वे पीछे हटे और भूमि पर गिर पड़े।

John 18:8

यीशु ने क्यों कहा, “मैंने तुम को बता दिया कि वह मैं ही हूँ; इसलिए यदि तुम मुझे ही ढूँढ़ रहे हो, तो बाकियों को जाने दो”?

यीशु ने ऐसा इसलिए कहा जिससे कि वह वचन पूरा हो जा उसने कहा था: “जिनको तूने मुझे दिया था, उनमें से मैंने एक को भी नहीं खोया।”

John 18:9

यीशु ने क्यों कहा, “मैंने तुम को बता दिया कि वह मैं ही हूँ; इसलिए यदि तुम मुझे ही ढूँढ़ रहे हो, तो बाकियों को जाने दो”?

यीशु ने ऐसा इसलिए कहा जिससे कि वह वचन पूरा हो जा उसने कहा था: “जिनको तूने मुझे दिया था, उनमें से मैंने एक को भी नहीं खोया।”

John 18:10

जब पतरस ने महायाजक के सेवक, मलखुस का कान काट दिया, तो यीशु ने पतरस से क्या कहा?

यीशु ने पतरस से कहा, “अपनी तलवार को वापस उसकी म्यान में रख। क्या वह प्याला जिसे पिता ने मुझे दिया है, मुझे पीना नहीं चाहिए?”

John 18:11-12

जब पतरस ने महायाजक के सेवक, मलखुस का कान काट दिया, तो यीशु ने पतरस से क्या कहा?

यीशु ने पतरस से कहा, “अपनी तलवार को वापस उसकी म्यान में रख। क्या वह प्याला जिसे पिता ने मुझे दिया है, मुझे पीना नहीं चाहिए?”

John 18:13-15

जब सैनिकों, उनके कप्तानों और यहूदियों की ओर से आए अधिकारियों के समूह ने यीशु को पकड़ लिया, तो वे उसे कहाँ लेकर गए?

सर्वप्रथम वे उसे हन्ना के पास लेकर गए।

हन्ना कौन था?

हन्ना उस वर्ष के महायाजक कैफा का ससुर था, जो उस वर्ष के महायाजक था।

John 18:16

पतरस ने महायाजक के आँगन में कैसे प्रवेश किया?

उस अन्य चेले, जो महायाजक की जान-पहचान का था, बाहर जाकर उस दासी से बात की जो द्वार की रखवाली कर रही थी, और वह पतरस को भीतर ले आया।

John 18:17-18

पतरस से किसने पूछा कि वह भी तो यीशु का चेला था?

जो स्त्री आँगन के द्वार की रखवाली कर रही थी, जो लोग कोएले की आग के चारों ओर खड़े थे और महायाजक के सेवकों में से एक, जो उस व्यक्ति का सम्बन्धी था जिसका कान पतरस ने काट डाला था, इन सब ने पतरस से पूछा कि वह भी तो यीशु के साथ था या यीशु का एक चेला था।

John 18:19

संक्षेप में, जब महायाजक ने यीशु से उसके चेलों और उसकी शिक्षा के बारे में पूछा तो यीशु ने कैसे उत्तर दिया?

यीशु ने कहा कि उसने खुले रूप से संसार से सार्वजनिक रूप से बातें कीं। उसने प्रधान याजकों से उन लोगों से उसके द्वारा कहीं गई उन बातों बारे में पूछने के लिए कहा जो उन्होंने सुनी थीं।

John 18:20

संक्षेप में, जब महायाजक ने यीशु से उसके चेलों और उसकी शिक्षा के बारे में पूछा तो यीशु ने कैसे उत्तर दिया?

यीशु ने कहा कि उसने खुले रूप से संसार से सार्वजनिक रूप से बातें कीं। उसने प्रधान याजकों से उन लोगों से उसके द्वारा कहीं गई उन बातों बारे में पूछने के लिए कहा जो उन्होंने सुनी थीं।

John 18:21-23

संक्षेप में, जब महायाजक ने यीशु से उसके चेलों और उसकी शिक्षा के बारे में पूछा तो यीशु ने कैसे उत्तर दिया?

यीशु ने कहा कि उसने खुले रूप से संसार से सार्वजनिक रूप से बातें कीं। उसने प्रधान याजकों से उन लोगों से उसके द्वारा कहीं गई उन बातों बारे में पूछने के लिए कहा जो उन्होंने सुनी थीं।

John 18:24

जब हन्ना ने यीशु से प्रश्न कर लिए तो उसने उसे कहाँ भेज दिया?

हन्ना ने यीशु को कैफा महायाजक के पास भेज दिया।

John 18:25

पतरस से किसने पूछा कि वह भी तो यीशु का चेला था?

जो स्त्री आँगन के द्वार की रखवाली कर रही थी, जो लोग कोएले की आग के चारों ओर खड़े थे और महायाजक के सेवकों में से एक, जो उस व्यक्ति का सम्बन्धी था जिसका कान पतरस ने काट डाला था, इन सब ने पतरस से पूछा कि वह भी तो यीशु के साथ था या यीशु का एक चेला था।

John 18:26

पतरस से किसने पूछा कि वह भी तो यीशु का चेला था?

जो स्त्री आँगन के द्वार की रखवाली कर रही थी, जो लोग कोएले की आग के चारों ओर खड़े थे और महायाजक के सेवकों में से एक, जो उस व्यक्ति का सम्बन्धी था जिसका कान पतरस ने काट डाला था, इन सब ने पतरस से पूछा कि वह भी तो यीशु के साथ था या यीशु का एक चेला था।

John 18:27

जब पतरस ने मसीह के साथ होने के विषय में तीसरी बार इन्कार किया तो तत्काल क्या घटित हुआ?

जब पतरस ने मसीह के साथ होने के विषय में तीसरी बार इन्कार किया तो तत्काल मुर्गे ने बाँग दी।

John 18:28

जो लोग यीशु के लेकर गए थे उन्होंने किले के भीतर प्रवेश क्यों नहीं किया?

उन्होंने किले के भीतर प्रवेश इसलिए नहीं किया ताकि वे अशुद्ध न हों और जिससे कि वे फसह का भोजन खा सकें।

John 18:29

जब पिलातुस ने पूछा, “तुम इस मनुष्य पर क्या दोष लगा रहे हो?” तो यीशु के दोष लगाने वालों ने क्या उत्तर दिया?

उन्होंने उत्तर देते हुए उससे कहा, “यदि यह मनुष्य दुष्ट काम करने वाला न होता, तो हम उसे तुझे न सौंपते।”

John 18:30

जब पिलातुस ने पूछा, “तुम इस मनुष्य पर क्या दोष लगा रहे हो?” तो यीशु के दोष लगाने वालों ने क्या उत्तर दिया?

उन्होंने उत्तर देते हुए उससे कहा, “यदि यह मनुष्य दुष्ट काम करने वाला न होता, तो हम उसे तुझे न सौंपते।”

John 18:31-32

यीशु को स्वयं दंड देने के बजाए यहूदी उसे लेकर पिलातुस के पास क्यों गए?

वे यीशु की हत्या तो करना चाहते थे, परन्तु रोमी अधिकारी (पिलातुस) के आदेश के बिना उनके लिए किसी मनुष्य को मृत्युदंड देना उचित नहीं था।

John 18:33

पिलातुस ने यीशु से क्या पूछा?

पिलातुस ने यीशु से पूछा, "क्या तू यहूदियों का राजा है?"

John 18:34

पिलातुस ने यीशु से क्या पूछा?

पिलातुस ने यीशु से पूछा, "क्या तू यहूदियों का राजा है?"

John 18:35

पिलातुस ने यीशु से क्या पूछा?

पिलातुस ने यीशु से पूछा, "क्या तू यहूदियों का राजा है?"

John 18:36

यीशु ने अपने राज्य के बारे में पिलातुस से क्या कहा?

यीशु ने पिलातुस से कहा कि उसका राज्य इस संसार को भाग नहीं है और यहाँ से नहीं आता।

John 18:37

यीशु ने किस उद्देश्य से जन्म लिया था?

यीशु ने राजा बनने के लिए और सत्य की गवाही देने के लिए जन्म लिया था।

John 18:38

यीशु से बात करने के बाद उसके बारे में पिलातुस का न्याय क्या है?

पिलातुस ने यहूदियों से कहा, “मुझे इस मनुष्य में कोई दोष नहीं मिला।”

John 18:39

जब पिलातुस ने यीशु को स्वतंत्र करने का प्रस्ताव रखा, तो यहूदी लोग पिलातुस पर क्या कहकर चिल्लाए?

वे फिर से चिल्लाए और कहा, “इस मनुष्य को नहीं, परन्तु बरअब्बा को।”

John 18:40

जब पिलातुस ने यीशु को स्वतंत्र करने का प्रस्ताव रखा, तो यहूदी लोग पिलातुस पर क्या कहकर चिल्लाए?

वे फिर से चिल्लाए और कहा, “इस मनुष्य को नहीं, परन्तु बरअब्बा को।”

John 19

John 19:2

पिलातुस के यीशु को कोड़े लगवाने के बाद सैनिकों ने यीशु के साथ क्या किया?

सैनिकों ने काँटों को एकसाथ बुनकर एक मुकुट बनाया, और उसे यीशु के सिर पर रख दिया, और उसे एक बैंगनी वस्त्र पहना दिया। वे उसके पास आए और कहा, “यहूदियों के राजा की, जय हो!” और उन्होंने उसे अपने हाथों से भी मारा।

John 19:3

पिलातुस के यीशु को कोड़े लगवाने के बाद सैनिकों ने यीशु के साथ क्या किया?

सैनिकों ने काँटों को एकसाथ बुनकर एक मुकुट बनाया, और उसे यीशु के सिर पर रख दिया, और उसे एक बैंगनी वस्त्र पहना दिया। वे उसके पास आए और कहा, “यहूदियों के राजा की, जय हो!” और उन्होंने उसे अपने हाथों से भी मारा।

John 19:4

पिलातुस यीशु को फिर से लोगों के पास बाहर लेकर क्यों आया?

पिलातुस यीशु को लोगों के पास बाहर इसलिए लेकर आया ताकि वे जान लें कि पिलातुस को यीशु में कोई दोष नहीं मिला।

John 19:5

जब पिलातुस यीशु को लोगों के पास वापस बाहर लेकर आया तब यीशु ने क्या पहना हुआ था?

यीशु ने काँटों का मुकुट और बैंगनी वस्त्र पहना हुआ था।

John 19:6

जब प्रधान याजकों और अधिकारियों ने यीशु को देखा तो उन्होंने क्या कहा?

वे यह कहकर चिल्लाने लगे, “उसे क्रूस पर चढ़ा, उसे क्रूस पर चढ़ा!”

John 19:7

यहूदियों ने ऐसा क्या कहा जिसने पिलातुस को और भी अधिक डरा दिया?

यहूदियों ने पिलातुस से कहा, “हमारे पास व्यवस्था है, और उस व्यवस्था के अनुसार उसे मर जाना चाहिए क्योंकि उसने स्वयं को परमेश्वर का पुत्र बनाया था।”

John 19:8

यहूदियों ने ऐसा क्या कहा जिसने पिलातुस को और भी अधिक डरा दिया?

यहूदियों ने पिलातुस से कहा, “हमारे पास व्यवस्था है, और उस व्यवस्था के अनुसार उसे मर जाना चाहिए क्योंकि उसने स्वयं को परमेश्वर का पुत्र बनाया था।”

John 19:9-10

जब पिलातुस ने यीशु से पूछा, “तू कहाँ से आया है?” तो यीशु ने क्या कहा?

यीशु ने पिलातुस को कोई उत्तर नहीं दिया।

John 19:11

यीशु किसे कहता है कि उसने पिलातुस को यीशु पर अधिकार प्रदान किया है?

यीशु ने कहा, “जब तक कि तुझे ऊपर से नहीं दिया जाता तो मुझ पर तेरा कोई अधिकार नहीं होता।”

John 19:12-14

यद्यपि पिलातुस यीशु को स्वतंत्र करना चाहता था, यहूदियों ने ऐसा क्या कहा जिनसे उसे ऐसा करने से रोक दिया?

यहूदी यह कहकर चिल्लाने लगे, “यदि तूने इस मनुष्य को छोड़ दिया, तो तू कैसर का मित्र नहीं। हर एक जन जो स्वयं को राजा बनाता है वह कैसर के विरोध में बोलता है।”

John 19:15

इससे पहले कि पिलातुस यीशु को क्रूस पर चढ़ा देने के लिए उनको सौंपता, वह अंतिम बात कौन सी थी जो प्रधान याजकों ने पिलातुस से कही?

प्रधान याजकों ने कहा, “हमारा कोई राजा नहीं है परन्तु कैसर है।”

John 19:16

इससे पहले कि पिलातुस यीशु को क्रूस पर चढ़ा देने के लिए उनको सौंपता, वह अंतिम बात कौन सी थी जो प्रधान याजकों ने पिलातुस से कही?

प्रधान याजकों ने कहा, “हमारा कोई राजा नहीं है परन्तु कैसर है।”

John 19:17

उन्होंने यीशु को कहाँ पर क्रूस पर चढ़ाया?

उन्होंने यीशु को गुलगुता में क्रूस पर चढ़ाया, जिसका अर्थ है "खोपड़ी का स्थान।"

John 19:18

उन्होंने यीशु को कहाँ पर क्रूस पर चढ़ाया?

उन्होंने यीशु को गुलगुता में क्रूस पर चढ़ाया, जिसका अर्थ है "खोपड़ी का स्थान।"

क्या यीशु ही एकमात्र था जिसे उस दिन क्रूस पर चढ़ाया गया था?

नहीं। दो अन्य व्यक्तियों को यीशु को दोनों तरफ उसके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया था?

John 19:19

जिस चिन्ह को यीशु के क्रूस पर लगाया गया था उस पर पिलातुस ने क्या लिखा था?

उस चिन्ह पर उसने लिखा था, “नासरत का यीशु, यहूदियों का राजा।”

John 19:20-22

यीशु के क्रूस वाला चिन्ह किन भाषाओं में लिखा गया था?

उस चिन्ह को इब्रानी, लतीनी और यूनानी में लिखा गया था।

John 19:23

यीशु के वस्त्रों के साथ सैनिकों ने क्या किया?

सैनिकों ने यीशु के वस्त्रों को चार भागों में बाँट लिया, अर्थात एक सैनिक के लिए एक भाग। परन्तु इसके लिए उन्होंने चिट्ठियाँ डालीं कि यीशु के कुर्ते को कौन लेगा जो कि निर्बाध था।

उन सैनिकों ने यीशु के वस्त्रों के साथ जैसा किया तो उन्होंने ऐसा क्यों किया?

यह इसलिए घटित हुआ ताकि वह पवित्रशास्त्र पूरा हो जाए जो कहता था, “उन्होंने अपने बीच में मेरे वस्त्रों को बाँट लिया।”

John 19:24

उन सैनिकों ने यीशु के वस्त्रों के साथ जैसा किया तो उन्होंने ऐसा क्यों किया?

यह इसलिए घटित हुआ ताकि वह पवित्रशास्त्र पूरा हो जाए जो कहता था, “उन्होंने अपने बीच में मेरे वस्त्रों को बाँट लिया।”

यीशु के वस्त्रों के साथ सैनिकों ने क्या किया?

सैनिकों ने यीशु के वस्त्रों को चार भागों में बाँट लिया, अर्थात एक सैनिक के लिए एक भाग। परन्तु इसके लिए उन्होंने चिट्ठियाँ डालीं कि यीशु के कुर्ते को कौन लेगा जो कि निर्बाध था।

John 19:25

यीशु के क्रूस के समीप कौन खड़ा था?

यीशु की माता, और उसकी माता की बहन, क्लोपास की पत्नी मरियम, और मरियम मगदलीनी, और वह चेला जिससे यीशु प्रेम करता था यीशु के क्रूस के समीप खड़े हुए थे।

John 19:26

यीशु के क्रूस के समीप कौन खड़ा था?

यीशु की माता, और उसकी माता की बहन, क्लोपास की पत्नी मरियम, और मरियम मगदलीनी, और वह चेला जिससे यीशु प्रेम करता था यीशु के क्रूस के समीप खड़े हुए थे।

जब यीशु ने अपनी माता को और उस चेले को जिससे वह प्रेम करता था समीप खड़े देखा तो यीशु ने अपनी माता से क्या कहा?

यीशु ने उससे कहा, “हे स्त्री, देख, यहाँ तेरा पुत्र है!”

John 19:27

जब यीशु ने उस चेले से जिससे वह प्रेम करता था कहा, “देख, यहाँ तेरी माता है!” तो उस चेले ने क्या किया?

उसी समय वह चेला जिससे यीशु प्रेम करता था यीशु की माता को अपने घर लेकर चला गया।

John 19:28

यीशु ने क्यों कहा, “मैं प्यासा हूँ।”

यीशु ने ऐसा इसलिए कहा ताकि पवित्रशास्त्र की बात पूरी हो जाए।

John 19:29

पनसोख्ता से उस खट्टे दाखरस को लेने के बाद जो उसके मुँह के पास किया गया था यीशु ने क्या किया?

उस खट्टे दाखरस को लेने के बाद, यीशु ने कहा, “यह पूरा हो गया है।” फिर उसने अपना सिर झुकाया और अपनी आत्मा को त्याग दिया।

John 19:30

पनसोख्ता से उस खट्टे दाखरस को लेने के बाद जो उसके मुँह के पास किया गया था यीशु ने क्या किया?

उस खट्टे दाखरस को लेने के बाद, यीशु ने कहा, “यह पूरा हो गया है।” फिर उसने अपना सिर झुकाया और अपनी आत्मा को त्याग दिया।

John 19:31-32

यहूदियों ने पिलातुस से क्यों चाहा कि वह मृत्युदंड दिए गए मनुष्यों की टाँगों को तोड़ दे?

वह तैयारी का दिन था, और इस कारण से कि सब्त के दिन में शव क्रूस पर न रहें (क्योंकि वह सब्त का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण दिन था), यहूदियों ने पिलातुस से मृत्युदंड दिए गए मनुष्यों की टाँगों को तोड़ देने के लिए विनती की ताकि वे जल्दी मर जाएँ और जिससे कि उनके शवों को उतार लिया जाए।

John 19:33

सैनिकों ने यीशु की टाँगों को क्यों नीहं तोड़ा?

उन्होंने यीशु की टाँगों को इसलिए नहीं तोड़ा, क्योंकि उन्होंने देखा कि वह तो पहले ही मर चुका है।

John 19:34

जब सैनिकों ने देखा कि यीशु तो पहले ही मर चुका है तो उन्होंने उसके साथ क्या किया?

सैनिकों में से एक ने यीशु की बगल में भाले से छेद किया, जिससे कि लहू और पानी निकल आया।

John 19:35

जिस व्यक्ति ने यीशु के क्रूस पर चढ़ाए जाने के बारे में इन सब बातों को देखा उसने उनके विषय में गवाही क्यों दी?

उस व्यक्ति ने इन घटनाओं की गवाही इसलिए दी ताकि तुम भी विश्वास करने पाओ।

John 19:36

यीशु की टाँगों को तोड़ा क्यों नहीं गया और यीशु को भाले से क्यों छेदा गया?

यह बातें इसलिए घटित हुईं ताकि पवित्रशास्त्र की बात पूरी हो जाए कि “उसकी हड्डियों में से कोई भी तोड़ी नहीं जाएगी।” और फिर से, “जिसे उन्होंने छेदा वे उस पर दृष्टि करेंगे।”

John 19:37

यीशु की टाँगों को तोड़ा क्यों नहीं गया और यीशु को भाले से क्यों छेदा गया?

यह बातें इसलिए घटित हुईं ताकि पवित्रशास्त्र की बात पूरी हो जाए कि “उसकी हड्डियों में से कोई भी तोड़ी नहीं जाएगी।” और फिर से, “जिसे उन्होंने छेदा वे उस पर दृष्टि करेंगे।”

John 19:38

किसने आकर यीशु के शव को ले जाने की विनती की?

अरमतिया के यूसुफ ने यीशु के शव को ले जाने के लिए पिलातुस से विनती की।

John 19:39

अरमतिया के यूसुफ के साथ यीशु के शव को ले जाने के लिए कौन आया था?

अरमतिया के यूसुफ के साथ नीकुदेमुस आया था।

John 19:40

अरमतिया के यूसुफ और नीकुदेमुस ने यीशु के शव के साथ क्या किया?

उन्होंने यीशु के शव को मसालों के साथ सनी के कपड़ों में लपेट दिया। फिर उन्होंने यीशु के शव को एक नयी कब्र में रख दिया जो कि एक वाटिका में थी।

John 19:41-42

अरमतिया के यूसुफ और नीकुदेमुस ने यीशु के शव के साथ क्या किया?

उन्होंने यीशु के शव को मसालों के साथ सनी के कपड़ों में लपेट दिया। फिर उन्होंने यीशु के शव को एक नयी कब्र में रख दिया जो कि एक वाटिका में थी।

John 20

John 20:1

मरियम मगदलीनी कब्र पर कब आई?

वह सप्ताह के पहले दिन बड़ी भोर में कब्र पर आई।

जब मरियम मगदलीनी कब्र पर पहुँची तो उसने क्या देखा?

उसने देखा कि पत्थर को कब्र पर से लुड़का दिया गया है।

John 20:2

मरियम मगदलीनी ने उन दो चेलों से क्या कहा?

उसने उनसे कहा, “वे प्रभु को कब्र में से निकाल कर ले गए हैं, और हम नहीं जानते कि उन्होंने उसे कहाँ रखा है।”

John 20:3

मरियम मगदलीनी ने जो कहा था उसे सुनने के बाद शमौन पतरस और अन्य चेले ने क्या किया?

वे दोनों कब्र पर गए।

John 20:4-5

मरियम मगदलीनी ने जो कहा था उसे सुनने के बाद शमौन पतरस और अन्य चेले ने क्या किया?

वे दोनों कब्र पर गए।

John 20:6

शमौन पतरस ने कब्र के अंदर क्या देखा?

पतरस ने वहाँ सनी के कपड़े पड़े देखे। और वह कपड़ा जो उसके सिर पर था वह सनी के कपड़ों के साथ नहीं पड़ा था परन्तु स्वयं से लपेटा हुआ अपने स्थान पर रखा था।

John 20:7

शमौन पतरस ने कब्र के अंदर क्या देखा?

पतरस ने वहाँ सनी के कपड़े पड़े देखे। और वह कपड़ा जो उसके सिर पर था वह सनी के कपड़ों के साथ नहीं पड़ा था परन्तु स्वयं से लपेटा हुआ अपने स्थान पर रखा था।

John 20:8-11

अन्य चेले ने जो कब्र के अंदर देखा उस पर उसकी क्या प्रतिक्रिया थी?

उसने देखा और विश्वास किया।

John 20:12

जब मरियम ने झुककर कब्र के अंदर देखा तो उसे क्या दिखाई दिया?

उसने दो स्वर्गदूतों को श्वेत वस्त्र पहने बैठे हुए देखा, एक को सिर के पास, और एक को पाँवों के पास जहाँ यीशु के शव को लिटाया गया था।

John 20:13

उन स्वर्गदूतों ने मरियम से क्या कहा?

उन्होंने उससे पूछा, “हे स्त्री, तू क्यों रो रही है?”

John 20:14

जब मरियम पीछे मुड़ी, तो उसने क्या देखा?

उसने वहाँ यीशु को खड़े देखा, परन्तु वह नहीं जानती थी कि वह यीशु है।

John 20:15

मरियम ने यीशु को कौन समझा?

उसने सोचा कि वह कोई माली थी।

John 20:16

When did Mary recognize Jesus?

मरियम ने यीशु को तब पहचाना जब उसने उसका नाम “मरियम” पुकारा।

John 20:17

यीशु ने मरियम से उसे पकड़ने के लिए मना क्यों किया?

यीशु ने मरियम से उसे पकड़ने के लिए मना इसलिए किया क्योंकि वह अभी तक पिता के पास ऊपर नहीं गया था।

यीशु ने मरियम से उसके भाइयों से क्या कहने के लिए कहा?

यीशु ने उससे अपने भाइयों से यह कहने के लिए कहा, कि वह अपने पिता तथा उनके पिता, और अपने परमेश्वर तथा उनके परमेश्वर के पास ऊपर जाएगा।

John 20:18

जब मरियम मगदलीनी ने कब्र पर से पत्थर को लुड़का हुआ देखा तो उसने क्या किया?

वह भागकर गई और अन्य चेलों को उनके लिए यीशु के संदेश बताया।

John 20:19

जहाँ चेले थे वहाँ सप्ताह के पहले दिन शाम के समय क्या घटित हुआ था?

यीशु आकर उनके बीच में खड़ा हो गया।

John 20:20

यीशु ने चेलों को क्या दिखाया?

उसने उनको अपने हाथ और अपनी बगल दिखाई।

John 20:21

यीशु ने चेलों से क्या कहा कि वह करेगा?

यीशु ने कहा कि जैसे पिता ने उसे भेजा था वैसे ही वह उन चेलों को भेज रहा है।

John 20:22

जब यीशु ने अपने चेलों पर फूँका तो उसने उनसे क्या कहा?

उसने उनसे कहा, “पवित्र आत्मा ग्रहण करो। जिस किसी के पाप तुम क्षमा करो, तो वे उनके लिए क्षमा कर दिए गए हैं; जिस किसी के पाप तुम वापस रखो, तो वे वापस रख लिए गए हैं।”

John 20:23

जब यीशु ने अपने चेलों पर फूँका तो उसने उनसे क्या कहा?

उसने उनसे कहा, “पवित्र आत्मा ग्रहण करो। जिस किसी के पाप तुम क्षमा करो, तो वे उनके लिए क्षमा कर दिए गए हैं; जिस किसी के पाप तुम वापस रखो, तो वे वापस रख लिए गए हैं।”

John 20:24

वह कौन सा चेला था जो अन्य चेलों के साथ उस समय उपस्थित नहीं था जब उन्होंने यीशु को देखा?

बारहों में से एक, थोमा, जो दिदुमुस कहलाता है, अन्य चेलों के साथ उस समय नहीं था जब यीशु आया था।

John 20:25

थोमा ने क्या कहा कि उसे इस बात पर विश्वास करने के लिए ऐसा करना पड़ेगा कि यीशु जीवित है?

थोमा ने कहा, इससे पहले कि वह विश्वास करे उसे यीशु के हाथों में कीलों की छाप देखनी पड़ेगी और उन कील की छापों में अपनी उंगली डालनी पड़ेगी, और यीशु के बगल में अपना हाथ डालना पड़ेगा।

John 20:26

थोमा ने यीशु को कब देखा?

आठ दिनों के बाद, जबकि द्वार बंद ही थे और जब यीशु आया, और उनके बीच में खड़ा हो गया, तो थोमा अन्य चेलों के साथ ही था।

John 20:27

यीशु ने थोमा से क्या करने के लिए कहा?

यीशु ने थोमा से कहा कि अपनी उंगली लेकर आ और यीशु के हाथों को देख ओर अपना हाथ लेकर आ और उसे यीशु की बगल में डाल। फिर यीशु ने थोमा से कहा कि विश्वासहीन मत बन, परन्तु विश्वास कर।”

John 20:28

थोमा ने यीशु से क्या कहा?

थोमा ने कहा, “हे मेरे प्रभु और हे मेरे परमेश्वर।”

John 20:29

यीशु ने किसे आशीषित कहा?

यीशु ने उससे कहा, “क्योंकि तूने मुझे देखा, इसलिए तूने विश्वास किया। धन्य हैं वे जिन्होंने मुझे नहीं देखा, और विश्वास किया।”

John 20:30

क्या यीशु ने अन्य चिन्हों को भी प्रकट किया जिनको पुस्तक में नहीं लिखा गया है?

हाँ, यीशु ने अन्य बहुत से चिन्हों को चेलों की उपस्थिति में प्रकट किया जिनको यूहन्ना की पुस्तक में नहीं लिखा गया था।

John 20:31

उन चिन्हों को पुस्तक में क्यों लिखा गया?

उनको इसलिए लिखा गया ताकि तुम विश्वास करो कि यीशु ही मसीह, अर्थात परमेश्वर का पुत्र है, जिससे कि विश्वास करके, उसके नाम में जीवन प्राप्त करो।

John 21

John 21:1

जब यीशु ने चेलों पर स्वयं को फिर से प्रकट किया तब वे कहाँ पर थे?

जब यीशु ने चेलों पर स्वयं को फिर से प्रकट किया तब वे तिबिरियास के समुद्र के किनारे पर थे।

John 21:2

तिबिरियास के समुद्र के किनारे पर कौन-कौन से चेले थे?

तिबिरियास के समुद्र के किनारे पर शमौन पतरस, और थोमा जो दिदुमुस कहलाता है, और गलील के काना का रहने वाला नतनएल, और जब्दी के पुत्र, और यीशु के दो अन्य चेले थे।

John 21:3-5

ये चेले क्या कर रहे थे?

ये चेले मछली पकड़ने के लिए गए थे परन्तु सारी रात उन्होंने कुछ नहीं पकड़ा।

John 21:6

यीशु ने उन चेलों से क्या करने के लिए कहा?

यीशु ने चेलों से अपने जाल नाव की दाहिनी तरफ डालने के लिए कहा ताकि उनको को कुछ मछलियाँ मिलें।

जब चेलों ने अपने जाल को डाल तो क्या घटित हुआ?

वे अपने जाल को नहीं खींच पाए क्योंकि उसमें बहुत सारी मछलियाँ थीं।

John 21:7

जब उस चेले ने जिससे यीशु प्रेम करता था कहा कि “यह तो प्रभु है”, तो शमौन पतरस ने क्या किया?

उसने अपने बाहरी वस्त्र को पहन लिया और समुद्र में कूद गया।

John 21:8-9

अन्य चेलों ने क्या किया?

अन्य चेले मछलियों से भरे जाल को खींचते हुए नाव से आए।

John 21:10-13

यीशु ने चेलों से जो मछलियाँ उन्होंने पकड़ी थीं उनमें से कुछ के साथ क्या करने के लिए कहा?

यीशु ने चेलों से उन मछलियाँ में से कुछ लेकर आने के लिए कहा जो उन्होंने अभी पकड़ी थीं।

John 21:14

अब यीशु ने अपने जी उठने के बाद स्वयं को चेलों पर कितनी बार प्रकट किया था?

यह तीसरी बार था जब यीशु ने अपने जी उठने के बाद स्वयं को चेलों पर प्रकट किया था।

John 21:15-16

नाश्ता करने के बाद, वह प्रथम बात कौन सी थी जो यीशु ने पतरस से पूछी थी?

यीशु ने शमौन पतरस से पूछा कि क्या शमौन उनकी तुलना में यीशु से अधिक प्रेम करता था।

John 21:17

जब तीसरी बार यीशु ने पतरस से पूछा कि क्या वह यीशु से प्रेम करता है तो पतरस ने कैसे उत्तर दिया?

जब तीसरी बार उससे पूछा गया, तो पतरस ने प्रतिउत्तर दिया, “हे प्रभु, तू तो सब बातें जानता है; तू जानता है कि मैं तुझ से प्रेम करता हूँ।”

जब तीसरी बार पतरस ने इस यीशु के प्रश्न पर प्रतिक्रिया दी कि “क्या तू मुझ से प्रेम करता है?” तो यीशु ने पतरस से क्या करने के लिए कहा?

तीसरी बार में यीशु ने उससे कहा, “मेरी भेड़ों को चरा।”

John 21:18

यीशु ने शमौन से क्या कहा कि वह उसके साथ घटित होने जा रहा था जब शमौन बूढ़ा हो जाएगा?

यीशु ने पतरस से कहा कि जब वह बूढ़ा हो जाएगा, तो वह अपने हाथों को बढ़ाएगा, और कोई अन्य व्यक्ति उसे कपड़े पहनाएगा और उसे वहाँ लेकर जाएगा जहाँ वह जाना नहीं चाहेगा।

John 21:19-20

यीशु ने शमौन से क्यों कहा कि वह उसके साथ घटित होने जा रहा था जब शमौन बूढ़ा हो जाएगा?

यीशु ने इसके द्वारा यह संकेत करने के लिए इसे कहा कि पतरस किस प्रकार की मृत्यु के द्वारा परमेश्वर का महिमामंडन करेगा।

John 21:21

उस चेले के विषय में जिससे यीशु प्रेम करता था पतरस ने यीशु से क्या पूछा?

पतरस ने यीशु से पूछा, “हे प्रभु, यह मनुष्य क्या करेगा?”

John 21:22-23

पतरस के इस प्रश्न पर यीशु ने कैसे प्रतिक्रिया दी, “हे प्रभु, यह मनुष्य क्या करेगा?”

यीशु ने पतरस से कहा, “तू मेरे पीछे आ।”

John 21:24-25

इस पुस्तक को किसने लिखा और वह किसकी गवाही देता है?

जिस चेले से यीशु प्रेम करता था उसी ने इस पुस्तक को लिखा और गवाही दी कि इस पुस्तक में वर्णित घटनाएँ सच्ची हैं।